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अंतर्राष्ट्रीय संबंध

मनरेगा से आमदनी और जल स्तर में वृद्धि

  • 08 Dec 2017
  • 5 min read

चर्चा में क्यों ?

भारत सरकार मनरेगा के माध्यम से आवश्यकता के समय दिहाड़ी रोज़गार प्रदान करने के साथ-साथ सतत् आजीविका सुनिश्चित करने का सघन प्रयास कर रही है। हाल ही में आर्थिक विकास संस्थान द्वारा मनरेगा (वर्ष 2015 से इस पर न्यूनतम 60 प्रतिशत राशि व्यय की जा रही है) के प्राकृतिक संसाधन प्रबंधन घटक और सतत् आजीविका पर उसके प्रभाव के संबंध में एक त्वरित आकलन किया गया। आर्थिक विकास संस्थान द्वारा 29 राज्यों के तकरीबन 30 ज़िलों के 1160 परिवारों के मध्य यह आकलन किया गया। 

अध्ययन से प्राप्त जानकारी के अनुसार

  • इस अध्ययन से प्राप्त जानकारी के अनुसार, इन परिवारों की आमदनी में लगभग 11 प्रतिशत, अनाज उत्पादन में 11.5 प्रतिशत तथा सब्ज़ी की उत्पादकता में 32.3 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज़ की गई। 
  • इसके साथ-साथ जल स्तर में भी वृद्धि दर्ज़ की गई। जल-स्तर में वृद्धि होने से 78 प्रतिशत परिवारों को इसका प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष रूप से लाभ प्राप्त हुआ है। 
  • सार्वजनिक क्षेत्रों और छोटे तथा बहुत छोटे किसानों को जल संरक्षण के कारण चारे की उपलब्धता में वृद्धि हुई है, जिससे तकरीबन 66 प्रतिशत परिवार लाभान्वित हुए हैं। 
  • इसके अलावा खेतों में तलाब और कुएँ बनाने के साथ-साथ अन्य जल संरक्षण संबंधी उपायों के परिणामस्वरूप निर्धन लोगों के जीवन में भी काफी सुधार हुआ है। 
  • मनरेगा की वैयक्तिक लाभार्थी योजनाओं के माध्यम से भी पशुधन से होने वाली आमदनी में सुधार हुआ है। इन योजनाओं से निर्धन परिवारों को आवश्यकता के अनुसार बकरी, मुर्गी पालन और पुश शेड उपलब्ध कराए गए हैं। 
  • मनरेगा में निर्धन परिवारों हेतु आवश्यक विभिन्न रोज़गार अवसरों के लिये दक्षता में वृद्धि करने और आदमनी बढ़ाने तथा आजीविका बढ़ाने के लिये ज़ोर दिया गया है।

  •  पिछले कुछ वर्षों में राज्यों में मनरेगा कार्यान्वयन में सुधार के लिये नीतियों में परिवर्तन सहित बहुत से प्रयास किये गए हैं। उदाहरण के तौर पर, वर्ष 2006 से निर्मित 2 करोड़ से अधिक संपत्तियों को पिछले 2 वर्षों में भौगोलिक रूप से चिन्हित किया गया है। 
  • 6.6 करोड़ से अधिक श्रमिकों के बैंक खाते आधार से जोडे़ गए हैं। 
  • तकरीबन 97 प्रतिशत दिहाड़ी का भुगतान इलेक्ट्रॉनिक फंड मैनेजमेंट प्रणाली (Electronic Fund Management System) के माध्यम से किया जा रहा है। वर्ष 2014-15 में 15 दिन में लगभग 26.85 प्रतिशत वेतन का भुगतान समय से किया गया, जबकि वर्तमान समय से तकरीबन 85.23 प्रतिशत वेतन का भुगतान समय से किया जाता है, जो इस संबंध में किये गए महत्त्वपूर्ण सुधारों को प्रदर्शित करता है। 
  • राष्ट्रीय इलेक्ट्रॉनिक फंड मैनेजमेंट प्रणाली (National Electronic Fund Management System - NeFMS) को पहले से ही 23 राज्यों और 1 केन्द्र-शासित प्रदेश पुडुचेरी में लागू किया जा चुका है, जिससे पारदर्शी और समय पर भुगतान को और अधिक सहज बनाया जा सके।

  • इसके अतिरिक्त राज्यों द्वारा अंकेक्षित खातों और कुछ मामलों में समय पर ज़रूरी दस्तावेज़ प्रस्तुत कर वित्तीय अनुपालन कार्य में भी सुधार किया गया है। हालाँकि, अभी भी कुछ राज्यों को मनरेगा के तहत आवश्यक वित्तीय अपेक्षाओं को पूरा करने हेतु अपनी अनुपालन प्रक्रिया में सुधार करने पर बल देने की आवश्यकता है।

मनरेगा में स्थाई आजीविका के माध्यम से पारदर्शिता, समयबद्धता, संपत्ति निर्माण और आमदनी वृद्धि के सभी मापदंडों के संबंध में भी उल्लेखनीय कार्य किया गया है। गौर करने वाली बात यह है कि ये सभी कार्य मनरेगा में अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी और सूचना प्रौद्योगिकी के इस्तेमाल तथा गवर्नेंस में सुधार के कारण संभव हो पाए हैं।

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