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सामाजिक न्याय

भारत में मातृ मृत्यु दर

  • 15 Mar 2022
  • 6 min read

प्रिलिम्स के लिये:

मातृ मृत्यु अनुपात, भारत का रजिस्ट्रार जनरल, विश्व स्वास्थ्य संगठन


मेन्स के लिये:

महिलाओं से संबंधित मुद्दे, स्वास्थ्य, मानव संसाधन ,मातृ मृत्यु अनुपात से संबंधित पहलें।

चर्चा में क्यों?

हाल ही में रजिस्ट्रार जनरल के सैंपल रजिस्ट्रेशन सिस्टम (Office of the Registrar General’s Sample Registration System-SRS) के कार्यालय ने भारत में वर्ष 2017-19 में मातृ मृत्यु दर (Maternal Mortality Ratio-MMR) पर एक विशेष बुलेटिन जारी किया है।

  • विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, गर्भवती होने पर या गर्भावस्था की समाप्ति के 42 दिनों के भीतर गर्भावस्था या उसके प्रबंधन से संबंधित किसी भी कारण से हुई किसी महिला की मृत्यु को मातृ मृत्यु में शामिल किया जाता है।
  • प्रति एक लाख जीवित बच्चों के जन्म पर होने वाली माताओं की मृत्यु को मातृत्व मृत्यु दर (MMR) कहते हैं।

रजिस्ट्रार जनरल ऑफ इंडिया:

  • यह गृह मंत्रालय के अधीन कार्य करता है।
  • जनसंख्या की गणना करने और देश में मृत्यु और जन्म के पंजीकरण के कार्यान्वयन के अलावा यह नमूना पंजीकरण प्रणाली (Sample Registration System-SRS) का उपयोग करके प्रजनन व मृत्यु दर के संबंध में अनुमान प्रस्तुत करता है।
  • SRS देश का सबसे बड़ा जनसांख्यिकीय नमूना सर्वेक्षण है जिसमें अन्य संकेतक राष्ट्रीय प्रतिनिधि नमूने के माध्यम से मातृ मृत्यु दर का प्रत्यक्ष अनुमान प्रदान करते हैं।
  • वर्बल ऑटोप्सी (Verbal Autopsy-VA) उपकरणों को नियमित आधार पर SRS के तहत दर्ज मौतों के लिये प्रबंधित किया जाता है, ताकि देश में एक विशिष्ट कारण से होने वाली मृत्यु दर का पता लगाया जा सके।

MMR को लेकर भारत की स्थिति?

  • भारत के मातृ मृत्यु दर में 10 अंक की गिरावट आई है। यह वर्ष 2016-18 के 113 से घटकर वर्ष 2017-18 में 103 (8.8% गिरावट) हो गई है।
  • देश में MMR में वर्ष 2014-2016 में 130, वर्ष 2015-17 में 122, वर्ष 2016-18 में 113 और वर्ष 2017-19 में 103 में उत्तरोत्तर कमी देखी गई।
    • भारत वर्ष 2020 तक 100/लाख जीवित जन्मों के राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति (NHP) के लक्ष्य को प्राप्त करने के काफी करीब था और निश्चित रूप से वर्ष 2030 तक 70/लाख जीवित जन्मों के संयुक्त राष्ट्र के सतत् विकास लक्ष्यों को प्राप्त करने की राह पर था।
  • कई विकसित देशों ने सफलतापूर्वक MMR को एकल अंकों में ला दिया है। इटली, नॉर्वे, पोलैंड और बेलारूस में दो का न्यूनतम MMR है, जबकि जर्मनी और यूके दोनों में यह सात है, कनाडा में 10 और अमेरिका में 19 है।
  • भारत के अधिकांश पड़ोसी देशों- नेपाल (186), बांग्लादेश (173) और पाकिस्तान (140)- का MMR अधिक है। हालाँकि, चीन और श्रीलंका क्रमश: 18.3 व 36 MMR के साथ काफी बेहतर स्थिति में हैं।

राज्य-विशिष्ट आँकड़े:

  • सतत् विकास लक्ष्य हासिल करने वाले राज्यों की संख्या अब पाँच से बढ़कर सात हो गई है, ये हैं- केरल (30), महाराष्ट्र (38), तेलंगाना (56), तमिलनाडु (58), आंध्र प्रदेश (58), झारखंड (61) और गुजरात (70)।
    • केरल ने सबसे कम एमएमआर दर्ज किया है जो केरल को राष्ट्रीय एमएमआर 103 से आगे रखता है।
    • केरल के मातृ मृत्यु दर में 12 अंक की गिरावट आई है। पिछले SRS बुलेटिन (2015-17) ने राज्य के MMR को 42 के स्तर पर रखा था, जिसे बाद में समायोजित कर 43 कर दिया गया था।
  • अब नौ राज्य ऐसे हैं जिन्होंने राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति द्वारा निर्धारित एमएमआर लक्ष्य को हासिल कर लिया है, जिसमें उपरोक्त सात और कर्नाटक (83) एवं हरियाणा (96) शामिल हैं।
  • उत्तराखंड (101), पश्चिम बंगाल (109), पंजाब (114), बिहार (130), ओडिशा (136) और राजस्थान (141) में एमएमआर 100-150 के बीच है, जबकि छत्तीसगढ़ (160), मध्य प्रदेश ( 163), उत्तर प्रदेश (167) तथा असम (205) का एमएमआर 150 से ऊपर है।

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कुछ संबंधित सरकारी पहलें:

आगे की राह

  • किसी क्षेत्र की मातृ मृत्यु दर उस क्षेत्र में महिलाओं के प्रजनन स्वास्थ्य का एक पैमाना है।
  • WHO पहले ही मातृ मृत्यु दर को कम करने के भारत के प्रयासों की सराहना कर चुका है। भारत को उच्च एमएमआर वाले राज्यों पर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है।

स्रोत: द हिंदू

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