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प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्‍व अभियान : सफलता का एक और नया आयाम

  • 20 Jan 2018
  • 6 min read

चर्चा में क्यों?
केंद्रीय स्‍वास्‍थ्‍य एवं परिवार कल्‍याण मंत्रालय द्वारा शुरू किये गए प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्‍व अभियान (Pradhan Mantri Surakshit Matritva Abhiyan - PMSMA) के तहत प्रसवपूर्व जाँच के संदर्भ में एक करोड़ के स्‍तर को पार कर किया गया है। केंद्रीय स्‍वास्‍थ्‍य मंत्रालय द्वारा प्रदत्त जानकारी के अनुसार, 9 महीने की गर्भावस्‍था के प्रतीक के तौर पर हर महीने की 9 तारीख को गर्भवती महिलाओं को समर्पित किया गया है। देश भर में गर्भवती महिलाओं को व्‍यापक एवं गुणवत्तापूर्ण प्रसव-पूर्व जाँच सुनिश्चित करने के लिये ही पीएमएसएमए कार्यक्रम को 2016 में शुरू किया गया था।

महत्त्वपूर्ण बिंदु

  • प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्‍व अभियान (पीएमएसएमए) के तहत एक करोड़ से अधिक प्रसव-पूर्व जाँच की गई है।
  • इतना ही नहीं इस महत्त्‍वाकांक्षी योजना के तहत हर महीने की 9 तारीख को गर्भवती महिलाओं को गुणवत्तायुक्‍त प्रसव-पूर्व जाँच की भी सुविधा उपलब्‍ध कराई जा रही है।
  • यह कार्यक्रम भारत के दुर्गम और दूरदराज के क्षेत्रों तक पहुँचने में सफल रहा है क्‍योंकि देश भर में की गई 1 करोड़ से अधिक जाँच में से 25 लाख से अधिक जाँच उच्‍च प्राथमिकता वाले ज़िलों में आयोजित की गई।
  • हालाँकि, सभी राज्‍यों/केंद्रशासित प्रदेशों द्वारा गर्भवती महिलाओं तक पहुँचने के लिये उल्‍लेखनीय प्रयास किये जा रहे हैं, लेकिन नॉन-एम्‍पावर्ड एक्‍शन ग्रुप (ईएजी) राज्‍यों में महाराष्‍ट्र और एम्‍पावर्ड एक्‍शन ग्रुप राज्‍यों में राजस्‍थान द्वारा सबसे अधिक जाँच दर्ज की गई है। 
  • आपको बता दें कि पीएमएसएमए केंद्र पर आने वाली सभी गर्भवती महिलाओं की जाँच एक प्रसूति रोग विशेषज्ञ/चिकित्‍सक द्वारा उचित तरीके से की जाती है।

उच्‍च जोखिम वाली स्थिति की जाँच करना

  • व्‍यापक एवं गुणवत्तायुक्‍त एएनसी और उच्‍च जोखिम वाली गर्भावस्‍था की पहचान एवं उस पर लगातार निगरानी रखना इस अभियान का एक महत्त्‍वपूर्ण हिस्‍सा है। 
  • उच्‍च जोखिम वाली गर्भावस्‍था की समय रहते पहचान के लिये इस कार्यक्रम के तहत 84 लाख हीमोग्‍लोबिन जाँच, 55 लाख एचआईवी जाँच, गर्भावस्‍था के दौरान होने वाले मधुमेह की 41 लाख जाँच, सिफिलिस के लिये 33 लाख जाँच और 15 लाख से अधिक अल्‍ट्रासाउंड किये गए जो गर्भवती महिलाओं की व्‍यक्तिगत ज़रूरतों पर आधारित थे। 
  • नैदानिक दशाओं और जाँच के आधार पर 5.50 लाख गर्भवती महिलाओं की उच्‍च जोखिम वाली गर्भावस्‍था के तौर पर पहचान की गई और उन्हें उचित देखभाल हेतु किसी विशेषज्ञ अथवा उच्‍चतर स्वास्‍थ्‍य केंद्रों पर भेजा गया।
  • उच्‍च जोखिम वाली गर्भावस्‍था की पहचान माताओं और शिशुओं को प्रसव के दौरान/कारण होने वाली मृत्‍यु से बचाने की ओर उठाया गया एक अहम् कदम है।

‘प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान’ (Pradhan Mantri Surakshit Matritva Abhiyan - PMSMA)

  • यह भारत सरकार के ‘केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय’ (MoH&FW) द्वारा प्रारंभ की गई एक योजना है, जिसके तहत ‘प्रत्येक माह की 9 तारीख’ को सभी गर्भवती महिलाओं को सार्वभौमिक तौर पर सुनिश्चित, व्यापक एवं उच्च गुणवत्ता युक्त प्रसव-पूर्व देखभाल प्रदान कराए जाने का प्रावधान है।
  • इसी वज़ह से इसे ‘I Pledge for 9 Scheme’ के नाम से भी जाना जाता है। 
  • इस योजना के तहत ‘RMNCH +A (Reproductive Maternal Neonatal child and Adolescent Health) रणनीति’ के एक भाग के रूप में प्रसव-पूर्व देखभाल (Antenatal Care- ANC) सहित निदान एवं परामर्श सेवाओं की गुणवत्ता एवं व्यापकता में सुधार को लक्षित किया गया है। 
  • इसमें ‘सिंगल विंडो प्रणाली’ के माध्यम से सभी गर्भवती महिलाओं को (गर्भावस्था की दूसरी एवं तीसरी तिमाही में, जिसे डॉक्टर द्वारा सत्यापित किया जाएगा) अल्ट्रासाउंड सहित अन्य दवाइयाँ व सप्लीमेंट्स आदि प्रदान करने की व्यवस्था की गई है। 
  • इसके तहत उच्च जोखिम वाली गर्भवती महिलाओं की पहचान कर उन्हें ‘लाल स्टीकर’ तथा सामान्य गर्भावस्था वाली महिलाओं को ‘हरे रंग का स्टीकर’ प्रदान किया जाएगा तथा आवश्यकतानुसार इन्हें फॉलो-अप की सुविधा प्रदान कराई जाएगी।
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