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कीरू पनबिजली परियोजना

  • 07 Mar 2019
  • 4 min read

चर्चा में क्यों?

प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में आर्थिक मामलों पर कैबिनेट समिति (Cabinet Committee on Economic Affairs-CCEA) ने जम्मू-कश्मीर में मैसर्स चिनाब वैली पावर प्रोजेक्ट्स प्राइवेट लिमिटेड (M/s Chenab Valley Power Projects Private Limited-M/s CVPPPL) को कीरू पनबिजली परियोजना (624 मेगावाट) के निर्माण के लिये निवेश करने की मंज़ूरी दे दी है।

योजना परिव्यय

  • यह परियोजना 4287.59 करोड़ रुपए की अनुमानित लागत (जुलाई, 2018 के मूल्य स्तर पर) से कार्यान्वित की जाएगी। इसमें 426.16 करोड़ रुपए के विदेशी घटक (Foreign Component-FC) एवं निर्माण के दौरान ब्याज (Interest During Construction-IDC) के साथ-साथ कीरू पनबिजली परियोजना (Kiru Hydro Electric Project) के निर्माण के लिये मैसर्स CVPPPL में NHPC द्वारा लगाई जाने वाली 630.28 करोड़ रुपए की इक्विटी भी शामिल है। इसमें पकल डल परियोजना (Pakal Dul HE Project) के कार्यान्वयन के लिये मंज़ूरी देते वक्त कैबिनेट द्वारा पहले से ही निर्माण पूर्व गतिविधियों के लिये स्वीकृत 70 करोड़ रुपए की राशि भी शामिल है।

मैसर्स चिनाब वैली पावर प्रोजेक्ट्स प्राइवेट लिमिटेड (M/s CVPPPL)

  • मैसर्स CVPPPL दरअसल NHPC, जम्मू-कश्मीर राज्य विद्युत विकास निगम (Jammu & Kashmir State Power Development Corporation-JKSPDC) और PTC की एक संयुक्त उद्यम कंपनी है जिनकी इक्विटी शेयरभागिता क्रमशः 49%,49% एवं 2% है।

परियोजना के बारे में

  • यह परियोजना जम्मू-कश्मीर के किश्तवार ज़िले में चिनाब नदी पर अवस्थित है। इसमें सबसे गहरे नींव स्तर के ऊपर 135 मीटर ऊँचे कंक्रीट ग्रैविटी डैम (Concrete Gravity Dam), 4 सर्कुलर, 5.5 मीटर के आंतरिक व्यास एवं 316 से लेकर 322 मीटर तक की लंबाई वाले प्रेशर शाफ्ट, एक भूमिगत बिजलीघर (Underground Power House) और 7 मीटर व्यास व 165 से लेकर 190 मीटर तक की लंबाई तथा घोड़े की नाल के आकार वाली 4 टेल रेस सुरंगों (Tail Race Tunnel) का निर्माण करना शामिल है।

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  • इस परियोजना से उत्तरी ग्रिड को आवश्यक बिजली सुलभ होगी और इसके साथ ही जम्मू-कश्मीर के दूर-दराज़ के क्षेत्रों के विकास की प्रक्रिया में तेज़ी आएगी। यह परियोजना साढ़े चार वर्षों में पूरी की जाएगी।
  • कीरू पनबिजली परियोजना की परिकल्पना एक ‘रन ऑफ रिवर (Run of River-RoR) योजना’ - यानी ‘जल भंडारण के बगैर योजना’ के रूप में की गई है। इसकी डिज़ाइनिंग कुछ इस तरह से की गई है जिससे 624 मेगावाट (4x156 मेगावाट) की स्थापित क्षमता वाली यह परियोजना सिंधु जल संधि 1960 (Indus Water Treaty 1960) की ज़रूरतों को पूरा करती है।

पृष्ठभूमि

  • इस परियोजना की आधारशिला 3 फरवरी, 2019 को रखी गई थी।
  • जम्मू-कश्मीर की सरकार ने टोल टैक्स एवं राज्य वस्तु एवं सेवा कर (State Goods and Service Tax-SGST) के भुगतान से पहले ही छूट देने और इसमें निरंतर कमी करते हुए मुफ्त बिजली देने के साथ-साथ इसके वाणिज्यिक परिचालन की तिथि से लेकर अगले 10 वर्षों की अवधि तक जल उपयोग प्रभार की अदायगी से भी छूट दी है।

स्रोत- पीआईबी

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