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डेली न्यूज़

भारतीय अर्थव्यवस्था

पूर्वोत्तर भारत में बुनियादी ढांँचे का विकास

  • 31 May 2022
  • 12 min read

प्रिलिम्स के लिये:

हॉर्नबिल फेस्टिवल, कलादान मल्टीमॉडल ट्रांँजिट प्रोजेक्ट, NEIDS, नेशनल बैम्बू मिशन, नॉर्थ ईस्टर्न रीजन विज़न 2020, डिजिटल नॉर्थ ईस्ट विज़न 2022, BCIM कॉरिडोर। 

मेन्स के लिये:

उत्तर-पूर्व कनेक्टिविटी और इसके महत्त्व को बढ़ावा देने के लिये सरकार की पहल। 

चर्चा में क्यों?     

हाल ही में भारत के वित्त मंत्री ने पूर्वोत्तर में 1,34,200 करोड़ रुपए की कई रेल, सड़क और हवाई कनेक्टिविटी परियोजनाओं के निष्पादन की घोषणा की। 

  • ये परियोजनाएंँ शेष भारत को उत्तर-पूर्व के करीब लाने में मदद करेंगी। 
  • दक्षिण-पूर्व एशियाई देशों के साथ कनेक्टिविटी भी फोकस का क्षेत्र रहेगा। 

पूर्वोत्तर में प्रमुख बुनियादी ढांँचा परियोजनाएंँ: 

  • रेल, सड़क और हवाई कनेक्टिविटी: 
    • 4,000 किमी. सड़कें, 2,011 किमी. की 20 रेलवे परियोजनाएंँ और 15 हवाई कनेक्टिविटी परियोजनाएंँ विकसित की जा रही हैं। 
  • जलमार्ग कनेक्टिविटी: 
    • गंगा, ब्रह्मपुत्र व बराक नदियों के राष्ट्रीय जलमार्ग ( गंगा पर NW-1, ब्रह्मपुत्र पर NW-2 और बराक पर NW-16) बेहतर कनेक्टिविटी प्रदान करने के लिये विकास के चरण में हैं। 
    • चूंँकि हवाई, सड़क और रेल नेटवर्क की तुलना में जल के माध्यम से यात्रा की लागत बहुत कम है, इसलिये भारत तथा बांग्लादेश की नदी प्रणालियों का सभी प्रकार के परिवहन के लिये लाभ उठाया जा सकता है। 
    • 'इंडो-बांग्लादेश प्रोटोकॉल रूट्स' की संख्या 8 से बढ़ाकर 10 कर दी गई है। 
    • असम में ब्रह्मपुत्र नदी के आसपास सदिया और धुबरी के बीच के पूरे क्षेत्र को विकसित किया जा रहा है ताकि बेहतर कनेक्टिविटी सुविधा दी जा सके। 
    • मल्टीमॉडल हब जिसमें पांडु में एक जहाज़ मरम्मत बंदरगाह, चार पर्यटक घाट और गुवाहाटी में ब्रह्मपुत्र पर 11 फ्लोटिंग टर्मिनल शामिल हैं, निर्माणाधीन है। 
  • ईस्टर्न वाटरवेज़ कनेक्टिविटी ट्रांसपोर्ट ग्रिड: 
    • यह 5,000 किमी. नौगम्य जलमार्ग प्रदान करके पूर्वोत्तर को शेष भारत से जोड़ेगा। 
  • उत्तर-पूर्वी क्षेत्र विद्युत प्रणाली सुधार परियोजना (NERPSIP): 
    • NERPSIP इंट्रा-स्टेट ट्रांसमिशन एंड डिस्ट्रीब्यूशन सिस्टम को मज़बूत करने हेतु पूर्वोत्तर क्षेत्र के आर्थिक विकास की दिशा में एक बड़ा कदम है। 
    • सरकार विद्युत पारेषण और वितरण, मोबाइल नेटवर्क, 4जी तथा ब्रॉडबैंड कनेक्टिविटी से संबंधित परियोजनाओं पर भी ज़ोर दे रही है। 
  • पूर्वोत्तर के लिये प्रधानमंत्री विकास पहल (PM- DevINE): वित्त वर्ष 2022-23 के केंद्रीय बजट में इसकी घोषणा की गई थी। यह प्रधानमंत्री गति शक्ति के तहत उत्तर-पूर्व की ज़रूरतों पर आधारित सामाजिक विकास परियोजनाओं के लिये बुनियादी ढांँचे को निधि प्रदान करेगी 

पूर्वोत्तर क्षेत्र का महत्त्व : 

Arunachal-pradesh

  • सामरिक स्थान: पूर्वोत्तर क्षेत् रणनीतिक रूप से पूर्वी भारत के पारंपरिक घरेलू बाज़ार तक पहुंँच के साथ-साथ पूर्वी राज्य पड़ोसी देशों जैसे- बांग्लादेश और म्यांँमार से निकटता के साथ स्थित है। 
  • दक्षिण-पूर्व एशिया के साथ संबंध: एसोसिएशन ऑफ साउथ ईस्ट एशियन नेशंस (ASEAN) की भागीदारी भारत की विदेश नीति का केंद्रीय स्तंभ बनने के साथ, उत्तर-पूर्वी राज्य भारत और दक्षिण-पूर्व एशिया के बीच भौतिक सेतु के रूप में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। 
    • एक्ट ईस्ट पॉलिसी के तहत पूर्वोत्तर राज्य भारत के पूर्व की ओर जुड़ाव की क्षेत्रीय सीमा पर हैं। 
  • आर्थिक महत्त्व: उत्तर-पूर्व में अपार प्राकृतिक संसाधन हैं, जो देश के जल संसाधनों का लगभग 34% और भारत की जलविद्युत क्षमता का लगभग 40% है। 
    • सिक्किम भारत का पहला जैविक राज्य है। 
  • पर्यटन क्षमता: भारत का पूर्वोत्तर क्षेत्र कई वन्यजीव अभयारण्यों का घर है, जैसे काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान एक सींग वाले गैंडे के लिये प्रसिद्ध है, वहीं अन्य राष्ट्रीय उद्यानों में मानस राष्ट्रीय उद्यान, नामेरी, ओरंग, असम में डिब्रू सैखोवा, अरुणाचल प्रदेश में नामदफा, मेघालय में बालपक्रम, मणिपुर में केबुल लामजाओ, नगालैंड में इटांकी, सिक्किम में कंचनजंगा स्थित हैं। 
  • सांस्कृतिक महत्त्व: उत्तर-पूर्व में जनजातियों की अपनी संस्कृति है। लोकप्रिय त्योहारों में नगालैंड का हॉर्नबिल महोत्सव, सिक्किम का पांग ल्हाबसोल आदि शामिल हैं। 

पूर्वोत्तर क्षेत्र के लिये सरकारी पहल: 

  • उत्तर-पूर्वी क्षेत्र विकास मंत्रालय (DoNER): वर्ष 2001 में उत्तर-पूर्वी क्षेत्र के विकास विभाग (Ministry of Development of North Eastern Region- DoNER) की स्थापना हुई। वर्ष 2004 में इसे एक पूर्ण मंत्रालय का दर्जा प्रदान कर दिया गया। 
  • अवसंरचना संबंधी पहल: 
    • भारतमाला परियोजना (Bharatmala Pariyojana- BMP) के तहत पूर्वोत्तर में लगभग 5,301 किलोमीटर सड़क के विस्तार व सुधार के लिये अनुमोदन प्रदान किया गया है। 
    • उत्तर-पूर्व को आरसीएस-उड़ान (उड़ान को और अधिक किफायती बनाने हेतु) के तहत प्राथमिकता वाले क्षेत्र के रूप में शामिल किया गया है। 
  • कनेक्टिविटी परियोजनाएंँ: कलादान मल्टी मॉडल पारगमन परिवहन परियोजना (म्याँमार) और बांग्लादेश-चीन-भारत-म्याँमार (Bangladesh-China-India-Myanmar- BCIM) कॉरिडोर। 
  • पर्यटन को बढ़ावा देने हेतु पर्यटन मंत्रालय की स्वदेश दर्शन योजन के तहत पिछले पांँच वर्षों में पूर्वोत्तर के लिये 140.03 करोड़ रुपए की परियोजनाओं को मंज़ूरी दी गई है। 
  • मिशन पूर्वोदय: पूर्वोदय का उद्देश्य इस्पात क्षेत्र में एक एकीकृत इस्पात हब की स्थापना के माध्यम से पूर्वी भारत के त्वरित विकास को गति प्रदान करना है। 
    • एकीकृत स्टील हब, जिसमें ओडिशा, झारखंड, छत्तीसगढ़, पश्चिम बंगाल और उत्तरी आंध्र प्रदेश शामिल हैं, पूर्वी भारत के सामाजिक-आर्थिक विकास हेतु एक पथ-प्रदर्शक के रूप में कार्य करेगा। 
  • पूर्वोत्‍तर औद्योगिक विकास योजना (NEIDS): पूर्वोत्तर राज्यों में रोज़गार को बढ़ावा देने हेतु सरकार मुख्य रूप से इस योजना के माध्यम से एमएसएमई क्षेत्र को प्रोत्साहित कर रही है। 
  • पूर्वोत्तर के लिये राष्ट्रीय बांँस मिशन का विशेष महत्त्व है। 
  • पूर्वोत्तर क्षेत्र विज़न 2020: यह दस्तावेज़ पूर्वोत्तर क्षेत्र के विकास के लिये एक व्यापक ढांँचा प्रदान करता है ताकि इस क्षेत्र को अन्य विकसित क्षेत्रों के बराबर लाया जा सके जिसके तहत उत्तर-पूर्वी क्षेत्र विकास मंत्रालय सहित अन्य मंत्रालयों ने विभिन्न पहलें शुरू की हैं।   
  • डिजिटल नॉर्थ ईस्ट विज़न 2022: यह पूर्वोत्तर के लोगों के जीवन-स्तर में सुधार लाने और उसे सुगम बनाने हेतु डिजिटल तकनीकों का लाभ उठाने पर ज़ोर देता है। 

आगे की राह 

  • बुनियादी ढाँचे में निवेश से रोज़गार का सृजन होगा और यह पूर्वोत्तर क्षेत्र में अलगाववादी आंदोलनों को विफल करने में प्रमुख भूमिका निभाएगा। 
  • भारत का उत्तर-पूर्व क्षेत्र राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय सीमाओं से घिरा हुआ है, इसलिये भारत के पूर्वोत्तर में समावेशी विकास के लिये राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय परियोजना के अंतर्गत बुनियादी ढाँचा विकास सबसे अच्छा विकल्प होगा। 

विगत वर्ष के प्रश्न (PYQs): 

प्रश्न. यदि आप कोहिमा से कोट्टायम तक सड़क मार्ग से यात्रा करते हैं, तो आपको मूल स्थान और गंतव्य स्थान को मिलाकर भारत के अंदर कम-से-कम कितने राज्यों से होकर गुज़रना होगा? (2017) 

(a) 6 
(b) 7 
(c) 8 
(d) 9 

उत्तर: (B) 

व्याख्या: 

  • यदि कोई व्यक्ति कोहिमा (नगालैंड) से कोट्टायम (केरल) तक सड़क मार्ग से यात्रा करता है, तो उसे कम-से-कम 7 राज्यों से गुज़रना होगा और वह दो वैकल्पिक मार्गों का चयन कर सकता है: 
    • मार्ग 1: नगालैंड, असम, पश्चिम बंगाल, ओडिशा,आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु और केरल। 
    • मार्ग 2: नगालैंड, असम, पश्चिम बंगाल, ओडिशा, तेलंगाना, कर्नाटक और केरल। 

अतः विकल्प (B) सही है। 


प्रश्न. निम्नलिखित युग्मों पर विचार कीजिये: (2014) 

  1. दम्पा टाइगर रिज़र्व  : मिज़ोरम
  2. गुमटी वन्यजीव अभयारण्य : सिक्किम
  3. सारामती शिखर : नगालैंड

उपर्युक्त युग्मों में से कौन-सा/से सही सुमेलित है/हैं? 

(a) केवल 1 
(b) केवल 2 और 3 
(c) केवल 1 और 3  
(d) 1, 2 और 3 

उत्तर: (C) 

स्रोत: द हिंदू 

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