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जैव विविधता और पर्यावरण

भारतीय शहरों की वायु गुणवत्ता में सुधार

  • 08 Sep 2021
  • 6 min read

चर्चा में क्यों?

हाल ही में पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्री ने इंटरनेशनल डे ऑफ क्‍लीन एयर फॉर ब्‍लू स्‍काई के अवसर पर कहा कि बेहतर वायु गुणवत्ता वाले शहरों की संख्या में वृद्धि हुई है।

  • इस अवसर पर उन्होंने दिल्ली के आनंद विहार में पहले कार्यात्मक स्मॉग टॉवर (Smog Tower) का भी उद्घाटन किया तथा  वायु प्रदूषण या 'प्राण' (Prana) के नियमन के लिये पोर्टल का शुभारंभ किया।
  • इससे पूर्व दिल्ली के कनॉट प्लेस में एक स्मॉग टॉवर स्थापित किया गया था तथा चंडीगढ़ में भारत के सबसे ऊँचे वायु शोधक (Air Purifier) का भी उद्घाटन किया गया था।

प्रमुख बिंदु

  • वायु गुणवत्ता की स्थिति:
    • वर्ष 2020 में:
      • वर्ष 2020 में बेहतर वायु गुणवत्ता वाले शहरों की संख्या बढ़कर 104 हो गई है, जो वर्ष 2018 में 86 थी।
    • वर्ष 2015 से वर्ष 2019:
      • पार्टिकुलेट मैटर (PM) 10 स्तर: यह मापदंड 23 शहरों में "घटती प्रवृत्ति", 239 शहरों में "उतार-चढ़ाव की प्रवृत्ति" और 38 शहरों में "बढ़ती प्रवृत्ति" को प्रदर्शित करता है।
      • पीएम 2.5 का स्तर: यह मापदंड11 शहरों में "घटती प्रवृत्ति", 79 शहरों में "उतार-चढ़ाव की प्रवृत्ति" और 9 शहरों में "बढ़ती प्रवृत्ति" को प्रदर्शित करता है।
  • सुधार का कारण:
    • कोविड-19 के कारण हुए लॉकडाउन के परिणामस्वरूप कई शहरों में उद्योगों के बंद होने, वाहनों के कम चलने, निर्माण गतिविधियों में कमी आने और मानवीय गतिविधियों के अभाव के चलते वायु गुणवत्ता में “अस्थायी सुधार” हुआ था।
    • हाल के वर्षों में वायु प्रदूषण से निपटने के लिये सरकार की पहलों ने वायु गुणवत्ता में सुधार करने में भी मदद की है।
  • प्राण पोर्टल:
    • इसे 'नॉन एटेनमेंट सिटीज़' (Non-Attainment Cities- NAC) में राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम (NCAP) के तहत लॉन्च किया गया था, जो NCAP के तहत परिवेशी वायु गुणवत्ता मानकों को पूरा नहीं करते थे।
    • इससे वर्ष  2024 तक देश भर में पार्टिकुलेट मैटर (PM10 और PM2.5) की सांद्रता में 20-30% की कमी करने का लक्ष्य है।
    • यह शहर की वायु कार्ययोजना के कार्यान्वयन की भौतिक और वित्तीय स्थिति पर नज़र रखने में सहायता करेगा और लोगों  में वायु गुणवत्ता के बारे में जानकारी प्रसारित करेगा। 
  • संबंधित पहल:
    • वायु गुणवत्ता और मौसम पूर्वानुमान तथा अनुसंधान प्रणाली:
      • इसे भारत के बड़े महानगरीय शहरों हेतु निकट वास्तविक समय में वायु गुणवत्ता पर स्थान विशिष्ट जानकारी प्रदान करने के लिये "सफर" के रूप में जाना जाता है।
    • वायु गुणवत्ता सूचकांक:
      • AQI लोगों को वायु गुणवत्ता की स्थिति के प्रभावी संचार के लिये एक उपकरण है, जिसे समझना आसान है।
        • विभिन्न AQI श्रेणियों के तहत कार्यान्वयन हेतु दिल्ली एनसीआर के लिये ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान तैयार किया गया है।
      • AQI को आठ प्रदूषकों के लिये विकसित किया गया है- PM2.5, PM10, अमोनिया, लेड, नाइट्रोजन ऑक्साइड, सल्फर डाइऑक्साइड, ओज़ोन और कार्बन मोनोऑक्साइड।
    • वाहनों से होने वाले प्रदूषण को कम करने हेतु:
      • बीएस-VI वाहनों की शुरुआत, इलेक्ट्रिक वाहनों को प्रोत्साहन, एक आपातकालीन उपाय के रूप में सम-विषम और वाहनों के प्रदूषण को कम करने के लिये पूर्वी व पश्चिमी पेरिफेरल एक्सप्रेसवे का निर्माण।
    • वायु गुणवत्ता प्रबंधन के लिये नया आयोग:
      • यह राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) और आसपास के क्षेत्रों में वायु गुणवत्ता से संबंधित समस्याओं के बेहतर समन्वय, अनुसंधान, पहचान तथा समाधान के लिये बनाया गया है।
    • टर्बो हैप्पी सीडर (THS) खरीदने के लिये किसानों को सब्सिडी देना, यह ट्रैक्टर पर लगी एक मशीन होती है तथा पराली जलाने की घटनाओं में कमी लाने हेतु पराली को काटती और उखाड़ती है।

पार्टिकुलेट मैटर/कणिका पदार्थ

  • परिचय:
    • ‘पार्टिकुलेट मैटर’, जिसे ‘कण प्रदूषण’ भी कहा जाता है, का आशय हवा में पाए जाने वाले ठोस कणों और तरल बूँदों के मिश्रण से है। यह श्वसन संबंधी समस्याओं का कारण बनता है और दृश्यता को भी कम करता है।
    • इसमें शामिल हैं:
      • PM10: श्वसन योग्य वे कण जिनका व्यास प्रायः 10 माइक्रोमीटर या उससे कम होता है;
      • PM2.5: अतिसूक्ष्म श्वसन योग्य वे कण जिनका व्यास प्रायः 2.5 माइक्रोमीटर या उससे कम होता है।
  • पार्टिकुलेट मैटर का स्रोत
    • ये प्रायः प्रत्यक्ष तौर पर निर्माण स्थल, कच्ची सड़कों, खेतों, धुएँ के ढेर या आग आदि से उत्सर्जित होते हैं।

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस

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