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जैव विविधता और पर्यावरण

इंटरनेशनल डे ऑफ क्‍लीन एयर फॉर ब्‍लू स्‍काई

  • 08 Sep 2020
  • 8 min read

प्रिलिम्स के लिये

इंटरनेशनल डे ऑफ क्‍लीन एयर फॉर ब्‍लू स्‍काई, संयुक्त राष्ट्र महासभा, वायु गुणवत्ता सूचकांक, बीएस-VI मानक, वायु प्रदूषण

मेन्स के लिये

एक गंभीर समस्या के रूप में वायु प्रदूषण और इस संबंध में आवश्यक उपाय

चर्चा में क्यों?

07 सितंबर, 2020 को विश्व में पहली बार ‘इंटरनेशनल डे ऑफ क्‍लीन एयर फॉर ब्‍लू स्‍काई’ का आयोजन किया गया, इस अवसर पर आयोजित वेबिनर को संबोधित करते हुए केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्री प्रकाश जावडेकर ने कहा कि सरकार देश के सबसे प्रदूषित 122 शहरों में वायु प्रदूषण के स्तर को कम करने के लिये प्रतिबद्ध है।

प्रमुख बिंदु

  • वायु प्रदूषण की समस्या को रेखांकित करते हुए पर्यावरण मंत्री ने कहा कि वर्ष 2014 में सरकार ने वायु गुणवत्ता सूचकांक (Air Quality Index-AQI) के माध्यम से निगरानी शुरू की थी और वर्तमान में आठ मानकों पर प्रदूषण के स्तर निगरानी की जा रही है। 
  • वर्तमान में देश में बीएस-VI (भारत स्टैंडर्ड-6) मानकों को अपनाया गया है और गुणवत्ता वाले पेट्रोल तथा डीज़ल उपलब्ध कराए गए हैं, जो प्रदूषण से लड़ने के लिये एक महत्त्वपूर्ण पहल है।
  • पर्यावरण मंत्री के अनुसार, बीते कुछ वर्षों में सरकार द्वारा सड़कों और राजमार्गों का निर्माण काफी तेज़ी हो रहा है और इसके कारण गत वर्ष की तुलना में प्रदूषण कम हो रहा है।

इंटरनेशनल डे ऑफ क्‍लीन एयर फॉर ब्‍लू स्‍काई

  • वर्ष 2020 में पहली बार विश्व स्तर पर ‘इंटरनेशनल डे ऑफ क्‍लीन एयर फॉर ब्‍लू स्‍काई’ (International Day of Clean Air for Blue Skies) का आयोजन किया गया।
  • इस दिवस का मुख्य उद्देश्य सभी स्तरों यथा- व्यक्ति, समुदाय, निगम और सरकार आदि पर इस संबंध में जन जागरूकता बढ़ाना है कि स्वच्छ हवा, स्वास्थ्य, उत्पादकता, अर्थव्यवस्था और पर्यावरण की दृष्टि से काफी महत्त्वपूर्ण है।
  • साथ ही इस दिवस का उद्देश्य वायु गुणवत्ता जैसे महत्त्वपूर्ण विषय पर कार्य करने वाले विविध अंतर्राष्ट्रीय हितधारकों को एक साथ लाने के लिये एक रणनीतिक गठबंधन तैयार करना भी है, ताकि प्रभावी वायु गुणवत्ता प्रबंधन के लिये राष्ट्रीय, क्षेत्रीय और अंतर्राष्ट्रीय दृष्टिकोणों को गति मिल सके। 
  • संयुक्त राष्ट्र महासभा ने अपने 74वें सत्र के दौरान 19 दिसंबर, 2019 को ‘इंटरनेशनल डे ऑफ क्‍लीन एयर फॉर ब्‍लू स्‍काई’ आयोजित करने का संकल्प अपनाया था।
  • वर्ष 2020 के दिवस की थीम ‘क्लीन एयर फॉर ऑल’ (Clean Air for All) रखी गई है।

वायु प्रदूषण क्या है?

  • वायु प्रदूषण का अभिप्राय विभिन्न प्रकार की मानवीय गतिविधियों जैसे- ईंधन, कृषि और खेती के अक्षम दहन के कारण वातावरण में उत्सर्जित गैसों और कणों से उत्पन्न स्थिति से है।
  • वायु प्रदूषण के कुछ प्राकृतिक स्रोत भी होते हैं, जिनमें ज्वालामुखी क्रिया, वनाग्नि, कोहरा और परागकण आदि शामिल हैं, किंतु प्राकृतिक स्रोतों से उत्पन्न वायु प्रदूषण कम खतरनाक होता है क्योंकि प्रकृति में स्व-नियंत्रण की क्षमता होती है।

गंभीर समस्या के रूप में- वायु प्रदूषण

  • एक अनुमान के अनुसार, संपूर्ण विश्व का लगभग 92 प्रतिशत हिस्सा वायु प्रदूषण के खतरे का सामना कर रहा है, जिससे प्रत्येक वर्ष अनुमानतः 7 मिलियन लोगों की मृत्यु समय से पहले हो जाती है। 
  • हवा में अवांछित गैसों की उपस्थिति से मनुष्य, पशुओं तथा पक्षियों को गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं का सामना करना पड़ता है। इससे अस्थमा, सर्दी, आँखों में जलन, श्रवण शक्ति कमज़ोर होना, त्वचा रोग आदि बीमारियाँ पैदा होती हैं।
  • वायु प्रदूषण के कारण अम्लीय वर्षा का खतरा बढ़ा है, जिससे पेड़-पौधे, भवनों व ऐतिहासिक इमारतों को नुकसान पहुँचा है।

वायु प्रदूषण और सतत् विकास 

  • विशेषज्ञ मानते हैं कि लगातार बढ़ रहा वायु प्रदूषण सतत् विकास के लिये एक गंभीर खतरा है, क्योंकि यह मानव विकास से संबंधित विभिन्न सामाजिक, पर्यावरण और आर्थिक मानदंडों जैसे- अच्छा स्वास्थ्य, खाद्य सुरक्षा, लैंगिक समानता, जलवायु स्थिरता और गरीबी में कमी आदि को प्रभावित करता है।
  • अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर निर्धारित कई सतत् विकास लक्ष्यों (SDGs) की प्रगति प्रत्यक्ष अथवा परोक्ष रूप से वायु गुणवत्ता की स्थिति पर निर्भर है। 

प्रयास- राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम

  • बीते वर्ष जनवरी माह में पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम (National Clean Air Programme-NCAP) की शुरुआत की थी, जिसमें वायु प्रदूषण की समस्या से निपटने के लिये वर्ष 2017 को आधार वर्ष मानते हुए प्रदूषणकारी कणों PM 10 और PM 2.5 के अनुपात को वर्ष 2024 तक 20 से 30 प्रतिशत तक घटाने का लक्ष्य रखा गया है।
  • इस योजना में 23 राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में 102 शहरों की पहचान हुई थी। वायु गुणवत्ता पर नवीनतम डेटा ट्रेंड के आधार पर 20 और शहरों को NCAP के तहत शामिल किया गया है।

उपाय

  • चूँकि प्रत्येक शहर में प्रदूषण के अलग-अलग स्रोत हैं, इसलिये राज्यों को प्रदूषण के स्तर में कमी लाने के लिये शहर केंद्रित योजनाओं के साथ कार्य करना चाहिये, इस कार्य के लिये इलेक्ट्रिक वाहनों के उपयोग को प्रोत्साहित किया जा सकता है।
  • हवा को स्वच्छ करने के लिये लोगों की भागीदारी आवश्यक है। कार-पूलिंग और सार्वजनिक परिवहन के उपयोग को बढ़ावा दिया जाना चाहिये।
  • वायु प्रदूषण को रोका जाना संभव है, किंतु इसके लिये सभी हितधारकों, जिनमें आम नागरिकों से लेकर निजी कंपनियाँ और सरकारें शामिल हैं, को एक साथ एक मंच पर आना होगा।

स्रोत: पी.आई.बी

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