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डेली न्यूज़


अंतर्राष्ट्रीय संबंध

G20 विदेश मंत्रियों की बैठक

  • 01 Jul 2021
  • 7 min read

प्रिलिम्स के लिये:

G-20, विश्व बैंक, अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष,वैक्सीन मैत्री' 

मेन्स के लिये: 

वैक्सीन कूटनीति और वैक्सीन इक्विटी

चर्चा में क्यों?

हाल ही में इटली ने कोविड-19 का मुकाबला करने, वैश्विक अर्थव्यवस्था में रिकवरी को तीव्र करने और अफ्रीका में सतत् विकास को बढ़ावा देने जैसे विषयों के लिये G-20 विदेश मंत्रियों की बैठक की मेज़बानी की।

  • वर्तमान में इटली के पास G-20 की अध्यक्षता है। G-20 शिखर सम्मेलन अक्तूबर, 2021 में इटली में आयोजित होने वाला है।
  • भारत द्वारा वर्ष 2023 में G-20 की अध्यक्षता करने की उम्मीद है।

G-20

  • G-20 समूह विश्व बैंक एवं अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष का प्रतिनिधि, यूरोपियन संघ एवं 19 देशों का एक अनौपचारिक समूह है।
  • G-20 समूह विश्व की प्रमुख उन्नत और उभरती अर्थव्यवस्था वाले देशों को एक साथ लाता है। यह वैश्विक व्यापार का 75%, वैश्विक निवेश का 85%, वैश्विक सकल घरेलू उत्पाद का 85% तथा विश्व की दो-तिहाई जनसंख्या का प्रतिनिधित्व करता है
  • G-20 के सदस्य देशों में अर्जेंटीना, ऑस्ट्रेलिया, ब्राज़ील, कनाडा, चीन, यूरोपियन यूनियन, फ्राँस, जर्मनी, भारत, इंडोनेशिया, इटली, जापान, मेक्सिको, रूस, सऊदी अरब, दक्षिण अफ्रीका, दक्षिण कोरिया, तुर्की, यूनाइटेड किंगडम और संयुक्त राज्य अमेरिका शामिल हैं।
  • इसका कोई स्थायी सचिवालय या मुख्यालय नहीं है।

प्रमुख बिंदु:

मीटिंग के संदर्भ में:

  • Covid-19 पर:
    • मीटिंग में वैक्सीन कूटनीति में शामिल होने के लिये चीन और रूस की आलोचना की गई।
      • वैक्सीन कूटनीति वैश्विक स्वास्थ्य कूटनीति की वह शाखा है जिसमें एक राष्ट्र अन्य देशों के साथ संबंधों को मज़बूत करने के लिये टीकों के विकास या वितरण का उपयोग करता है।
    • विज्ञान आधारित समग्र वन हेल्थ अप्रोच को बढ़ावा देना।
      • 'वन हेल्थ' कार्यक्रमों, नीतियों, कानून एवं अनुसंधान को डिज़ाइन और कार्यान्वित करने का एक दृष्टिकोण है जिसमें कई क्षेत्र बेहतर सार्वजनिक स्वास्थ्य परिणामों को प्राप्त करने के लिये संवाद करते हैं तथा मिलकर कार्य करते हैं।
  • जलवायु परिवर्तन पर:
    • बढ़ती जलवायु परिवर्तनशीलता और चरम मौसम की घटनाएँ कृषि उत्पादन को प्रभावित करती हैं तथा वैश्विक भूख में वृद्धि के कारकों में से एक है।
  • अफ्रीका पर:
    • कोविड-19 महामारी, संघर्ष, सूखा, आर्थिक संकट और चरम मौसमी घटनाएँ विकास की गति में बाधक बन रहे हैं।
    • संपूर्ण अफ्रीका में लगभग 250  मिलियन लोग भूख का शिकार हैं, जो कि जनसंख्या का  (वर्ष 2019 तक) लगभग 20% है

भारत का रुख:

  • भारत ने मीटिंग के दौरान "वैक्सीन इक्विटी" के मुद्दे को उठाया।
  • अर्थव्यवस्था को विनिर्माण, खाद्य और स्वास्थ्य सहित विकेंद्रीकृत वैश्वीकरण की आवश्यकता है। इसके समानांतर लचीली आपूर्ति शृंखला विकसित होनी चाहिये।
    • आज दुनिया बहुत अधिक परस्पर जुड़ी हुई और अन्योन्याश्रित है लेकिन ऐसा नहीं होना चाहिये कि वैश्वीकरण केवल संसाधनों और बाज़ारों पर लागू हो, जबकि उत्पादन केंद्र कुछ लोगों के हाथों में केंद्रित रहे।
    • भारत सहित कई देशों को महामारी के दौरान चिकित्सा उपकरण प्राप्त करने में कठिनाइयों का सामना करना पड़ा और कंप्यूटर चिप की कमी तथा ऑटोमोबाइल उत्पादन को रोकने जैसे कई क्षेत्रों में व्यवधान का सामना करना पड़ा।

वैक्सीन इक्विटी:

  • इसमें भौगोलिक और भू-राजनीति की परवाह किये बिना वैश्विक आबादी हेतु टीकों की वहनीयता और पहुंँच दोनों के अवसर  शामिल हैं।
  • आवश्यकता:
    •  वैक्सीन के असमान वितरण से न केवल लाखों लोग वायरस की चपेट में आ रहे हैं बल्कि वैश्विक स्तर पर वायरस घातक रूप में उभरकर सामने आ रहां है।
    • उन्नत टीकाकरण कार्यक्रमों वाले देशों द्वारा सख्त सार्वजनिक स्वास्थ्य उपायों को लागू करने तथा यात्राओं पर प्रतिबंध लागू करने के बावजूद वायरस के विभिन्न वेरिएंट लगातार फैल रहे हैं। 
  • वैक्सीन इक्विटी सुनिश्चित करने हेतु पहल:
    • COVAX: यह एक वैश्विक पहल है जिसका उद्देश्य यूनिसेफ (UNICEF), गावी (वैक्सीन एलायंस), विश्व स्वास्थ्य संगठन (World Health Organization), महामारी की तैयारी हेतु गठबंधन और अन्य के नेतृत्व में कोविड -19 टीकों की समान पहुंँच सुनिशित करना है।
    • भारत ने विभिन्न देशों को कोविड वैक्सीन की आपूर्ति हेतु अपनी 'वैक्सीन मैत्री' (Vaccine Maitri) पहल की शुरुआत की है।

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस

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