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डेली न्यूज़

अंतर्राष्ट्रीय संबंध

श्रीलंका के साथ मछुआरों का मुद्दा

  • 25 Jul 2020
  • 6 min read

प्रीलिम्स के लिये: 

बंगाल की खाड़ी, पाक की खाड़ी, मन्नार की खाड़ी तथा कच्चातिवु द्वीप की भौगोलिक अवस्थिति 

मेन्स के लिये:

 भारत-श्रीलंका के मध्य द्विपक्षीय संबंध एवं संबंधित मुद्दे  

चर्चा में क्यों?

हाल ही में श्रीलंकाई मछुआरों ने अपने प्रादेशिक जल (श्रीलंका के पश्चिमी क्षेत्र) में भारतीय ट्रोलर्स की संख्या में अचानक वृद्धि होने की सूचना दी।

  • प्रादेशिक प्रदेश आधार रेखा से 12 समुद्री मील की दूरी तक फैला हुआ होता है। इसके हवाई क्षेत्र, समुद्र, सीबेड और सबसॉइल पर तटीय देशों की संप्रभुता होती है।

पृठभूमि

Gulf-of-Mannar

  • अंतर्राष्ट्रीय समुद्री सीमा रेखा के बारे में
    •  वर्ष 1974 तक बंगाल की खाड़ी, पाक की खाड़ी और मन्नार की खाड़ी से स्वतंत्र रूप से भारतीय नाविक इस विवादित समुद्री जलक्षेत्र में मछली पकड़ थे।
    • विवाद को समाप्त करने के उद्देश्य से वर्ष 1976 में दोनों देशों के बीच अंतर्राष्ट्रीय समुद्री सीमा रेखा (International Maritime Boundary Line-IMBL) का सीमांकन करने के लिये संधियों पर हस्ताक्षर किये गए।
      • हालाँकि ये संधियाँ उन पारंपरिक तरीके से मछली पकड़ने वाले मछुआरों के हितों को  नज़रअंदाज़ करती है जो मत्स्यन हेतु स्वयं को एक सीमित क्षेत्र तक रखने के लिये बाध्य है।
  • कच्चातिवु द्वीप विवाद:
    • इस द्वीप का उपयोग  मछुआरों द्वारा पकड़ी गई मछलियों को छाँटने और अपना जाल सुखाने के लिये किया जाता है जो अंतर्राष्ट्रीय समुद्री सीमा रेखा के दूसरी तरफ स्थित हैं।
    • ऐसे करने में पारंपरिक मछुआरे अक्सर अपनी जान जोखिम में डालते हैं क्योंकि गहरे समुद्र से खाली हाथ लौटने के बजाय मछली पकड़ने के लिये वे अंतर्राष्ट्रीय समुद्री सीमा रेखा को पार कर जाते हैं उनके ऐसा करने पर श्रीलंकाई नौसेना अंतर्राष्ट्रीय समुद्री सीमा रेखा को पार करने वाले भारतीय मछवारों को पकड़कर या तो उनके जाल को नष्ट कर देती है या फिर उनके जहाज़ों को हिरासत में ले लेती हैं।
  • समझौतों का व्यावहारिक कार्यान्वयन:
    • दोनों देशों द्वारा अंतर्राष्ट्रीय समुद्री सीमा रेखा की स्थिति को ध्यान में रखते हुए तथा दोनों ओर के मछुआरों की समस्या के समाधान के लिये कुछ व्यावहारिक तरीकों पर सहमति व्यक्त की गई है। जिनके माध्यम से मछुआरों को मानवीय तरीके से हिरासत में लिया जायेगा।
    • दोनों देशों के मछुआरों की इस समस्या का स्थायी समाधान खोजने एवं उनकी मदद करने के लिये भारत के कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय (Ministry of Agriculture and Farmers’ Welfare of India) और मत्स्य मंत्रालय (Ministry of Fisheries) तथा श्रीलंका के जलीय संसाधन विकास मंत्रालय के मध्य  मत्स्य पालन पर एक संयुक्त कार्यकारी समूह (Joint Working Group- JWG) स्थापित करने पर सहमति व्यक्त की गई है।

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श्रीलंका द्वारा उठाए गए कदम:

  • पिछले कुछ वर्षों में श्रीलंका द्वारा गहरे समुद्री क्षेत्रों में मछली पकड़ने पर कड़े प्रतिबंध एवं कानून लागू किये गए हैं इसके अलावा विदेशी जहाज़ों को नष्ट करने के साथ-साथ उनपर भारी जुर्माना भी आरोपित किया गया है।
  • श्रीलंकाई नौसेना द्वारा अवैध शिकार के आरोप में वर्ष 2017 में 450 से अधिक भारतीय मछुआरों तथा वर्ष 2018 में 156 भारतीय मछुआरों को  गिरफ्तार किया जा चुका है। वर्ष 2019 में कुल 210 गिरफ्तारियां की गईं, जबकि 2020 में अब तक 34 मछुआरों को गिरफ्तार किया जा चुका हैं।
  • कोविड-19 का खतरा:
    • श्रीलंकाई मछुआरों का आरोप हैं कि वर्तमान में भारत में COVID-19 महामारी के कारण, श्रीलंकाई नौसेना तमिलनाडु से आने वाले मछुआरों को गिरफ्तार नहीं कर रही हैं।
    • हालाँकि, श्रीलंका नौसेना द्वारा इस बात का खंडन करते हुए कहा गया है कि श्रीलंका समुद्री सीमा क्षेत्र में न केवल अवैध तरीके से मछली पकड़ने वालों पर बल्कि नशीले पदार्थों के व्यापार जैसी किसी भी अवैध गतिविधि पर भी श्रीलंकाई नौसेना द्वारा नज़र रखी जा रही है।

आगे की राह

  • भारत को श्रीलंका के साथ अपने पारंपरिक एवं सांस्कृतिक संबंधों को मज़बूत बनाने पर अधिक ध्यान देना चाहिये।
  • भारत और श्रीलंका के मध्य फेरी सेवा शुरू करके दोनों देशों के लोगों के मध्य संबंधों को प्रगाढ़ करने का प्रयास किया जाना चाहिये तथा दोनों देशों को पारस्परिक हितों और समस्याओं को संबोधित करने पर बा देना चाहिये

स्रोत: द हिंदू

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