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डेली न्यूज़

अंतर्राष्ट्रीय संबंध

आर्थिक सर्वेक्षण में उल्लेखित व्यापार नीति के दो प्रमुख निर्णय

  • 07 Feb 2018
  • 8 min read

चर्चा में क्यों?
हाल ही में प्रस्तुत आर्थिक सर्वेक्षण 2017-18 में पिछले वर्ष की व्यापार नीति के संदर्भ में दो प्रमुख फैसलों का वर्णन किया गया है। पहला निर्णय विदेश व्यापार नीति (एफटीपी) की मध्यावधि समीक्षा से संबंधित है, जबकि दूसरा निर्णय दिसंबर 2017 में विश्व व्यापार संगठन के बहुपक्षीय समझौतों से संबंधित है। इसके अलावा सर्वेक्षण के अंतर्गत लॉजिस्टिक एवं एंटी-डम्पिंग के क्षेत्र में लिये गए कुछ महत्त्वपूर्ण निर्णयों के विषय में भी चर्चा की गई है।

एफटीपी मध्यावधि समीक्षा और तद्नुसार व्यापार से संबंधित नीतियाँ

  • 5 दिसंबर, 2017 को जारी एफटीपी  (Funds transfer pricing -FTP) मध्यावधि समीक्षा में भारत के व्यापार क्षेत्र की सहायता के लिये कुछ अतिरिक्त कदम उठाए गए हैं। 
  • 15 दिसंबर, 2017 को सरकार द्वारा बड़े पैमाने पर रोज़गार सृजन के लिये चमड़ा और जूता क्षेत्र में एक विशेष पैकेज को मंज़ूरी दी गई है।
  • इससे रोज़गार के साथ-साथ इस क्षेत्र में निर्यात को भी बढ़ावा मिलेगा।

बहुपक्षीय समझौते

  • जैसा कि हम सभी जानते हैं कि विश्व व्यापार संगठन के 11वें मंत्रिस्तरीय सम्मेलन का समापन बिना किसी मंत्रिस्तरीय घोषणा एवं ठोस परिणाम के हुआ।
  • हालाँकि, सम्मेलन के तहत भारत ने बहुपक्षवाद, नियम आधारित आपसी सलाह के आधार पर निर्णय लेना, एक स्वतंत्र और विश्वसनीय विवाद सुलझाने तथा अपील की प्रक्रिया, विकास की केंद्रीयता जो दोहा विकास एजेंडा (डीडीएक्यू) पर सहमति जताई।
  • इसके साथ-साथ सभी विकासशील देशों को विशेष दर्जा, जैसे- डब्ल्यूटीओ के मौलिक सिद्धांतों पर दृढ़ता बनाए रखने संबंधी पक्षों पर विशेष बल दिया गया।

विदेशी मुद्रा भंडार

  • भारत का विदेशी मुद्रा भंडार दिसंबर 2016 में 358.9 बिलियन डॉलर से बढ़कर दिसंबर 2017 में 409.4 बिलियन डॉलर के स्तर पर पहुँच गया। विदेशी मुद्रा भंडार में वर्षवार 14.1 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई है।
  • यह दिसंबर 2017 में 409.4 बिलियन डॉलर हो गया।
  • मार्च 2017 से दिसंबर 2017 के दौरान विदेशी मुद्रा भंडार में 10.7 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज हुई। 12 जनवरी, 2018 को कुल विदेशी मुद्रा भंडार 413.8 बिलियन डॉलर हो गया है।
  • जहाँ एक ओर विश्व की अधिकांश बड़ी अर्थव्यवस्थाएँ चालू खाता घाटे का सामना कर रही हैं, वहीं भारत विश्व के सर्वाधिक विदेशी मुद्रा भंडार वाला देश बन गया है।
  • स्पष्ट रूप से यह भारत की आर्थिक संवृद्धि का एक महत्त्वपूर्ण आयाम है। गौरतलब है कि विदेशी मुद्रा भंडार के मामले में भारत पूरी दुनिया में छठे स्थान पर है।

अंतरराष्ट्रीय घटनाक्रम

  • पिछले कुछ समय से वैश्विक अर्थव्यवस्था गति पकड़ रही है और इसके 2016 के 3.2 प्रतिशत से बढ़कर 2017 में 3.6 प्रतिशत और 2018 में 3.7 प्रतिशत तक पहुँचने का अनुमान है, जो आईएमएफ द्वारा दिये गए पिछले अनुमानों में सुधार को दर्शाता है।
  • भारत के भुगतान संतुलन की स्थिति वर्ष 2013-14 से ही अच्छी बनी हुई है और वित्त वर्ष 2017-18 की पहली तिमाही में चालू खात घाटे (सीएडी) में कुछ बढ़ोत्तरी के बावजूद वित्त वर्ष 2017-18 की पहली छमाही में भुगतान संतुलन की स्थिति अच्छी रहने की उम्मीद है, जिसकी वजह दूसरी तिमाही में सीएडी में कमी रही है।
  • वित्त वर्ष 2017-18 की पहली तिमाही में भारत का चालू खाता घाटा 15 अरब अमेरिकी डॉलर (जीडीपी का 2.5 प्रतिशत) रहा था, जो दूसरी तिमाही में तेज़ी से घटकर 7.2 अरब अमेरिकी डॉलर (जीडीपी का 1.2 प्रतिशत) रह गया। 

व्यापार घाटा

  • भारत का व्यापार घाटा (सीमा शुल्क के आधार पर) वित्त वर्ष 2014-15 से लगातार गिरता जा रहा था, लेकिन वित्त वर्ष 2016-17 की पहली छमाही के 43.4 अरब अमेरिकी डॉलर की तुलना में वित्त वर्ष 2017-18 की पहली छमाही में व्यापार घाटा बढ़कर 74.5 अरब अमेरिकी डॉलर हो गया।
  • वित्त वर्ष 2016-17 में पीओएल और गैर-पीओएल दोनों प्रकार के घाटों में कमी के साथ भारत का व्यापार घाटा 108.5 अरब अमेरिकी डॉलर रहा था। 
  • वर्ष 2017-18 (अप्रैल-दिसंबर) में व्यापार घाटा (सीमा शुल्क आधार पर) 46.4 प्रतिशत बढ़कर 114.9 अरब अमेरिकी डॉलर के स्तर पर पहुँच गया, जिसमें पीओएल घाटे में 27.4 प्रतिशत और गैर-पीओएल घाटे में 65 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी शामिल है।

 व्यापार विन्यास

  • वर्ष 2016-17 में निर्यात वृद्धि काफी हद तक वस्त्र एवं संबंधित उत्पादों और चर्म एवं चर्म विनिर्माति को छोड़कर सभी प्रमुख श्रेणियों में हुई सकारात्मक वृद्धि पर आधारित थी। 
  • वर्ष 2017-18 (अप्रैल-नवंबर) के दौरान अच्छी निर्यात वृद्धि दर्ज करने वाले बड़े सेक्टरों में इंजीनियरिंग सामान और पेट्रोलियम क्रूड एवं उत्पाद शामिल थे, वहीं रासायनिक और संबंधित उत्पाद एवं वस्त्र और संबंधित उत्पादों के निर्यात में मामूली वृद्धि दर्ज की गई।
  • हालाँकि, प्रमुख रत्नों एवं आभूषणों में नकारात्मक वृद्धि रही।
  • वैश्विक व्यापार में सुधार के अनुमान के साथ भारत में इस वर्ष और अगले वर्ष के लिये वैदेशिक क्षेत्र की संभावनाएँ बेहतर दिखती हैं। 2017 और 2018 में वैश्विक व्यापार में क्रमशः 4.2 प्रतिशत और 4 प्रतिशत की बढ़ोतरी का अनुमान है, जबकि 2016 में व्यापार में 2.6 प्रतिशत की वृद्धि हुई थी 
  • प्रमुख साझेदार देशों के साथ व्यापार में सुधार हो रहा है और भारत की निर्यात वृद्धि गति पकड़ रही है। 
  • हालाँकि, तेल की कीमतों में बढ़ोतरी से सुस्ती का जोखिम बना हुआ है। इससे विदेश से धन प्रेषण में बढ़ोतरी देखने को मिल सकती है, जिसकी शुरुआत भी हो गई है।
  • सरकार की जीएसटी, लॉजिस्टिक जैसी समर्थनकारी नीतियों और कारोबार को सुगम बनाने से संबंधित नीतियों से भी आगे मदद मिल सकती है।
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