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स्टार्ट-अप इंडिया रैंकिंग के लिये फ्रेमवर्क

  • 07 Feb 2018
  • 8 min read

चर्चा में क्यों?

स्टार्ट-अप की रैंकिंग तय करने के लिये केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री द्वारा नई दिल्ली में राज्यों एवं संघीय क्षेत्रों के लिये तीन मानक जारी किये गए हैं।

  • ये मानक हैं - राज्य एवं संघीय क्षेत्र के लिये स्टार्ट-अप रैंकिंग फ्रेमवर्क, भारत में स्टार्ट-अप को प्रोत्साहित करने के लिये श्रेष्ठ तरीकों का संग्रह एवं स्टार्ट-अप इंडिया किट।
  • भारत में करीब 20,000 स्टार्ट-अप हैं और करीब 1,400 नए स्टार्ट-अप हर साल शुरू होते हैं। ये न केवल आर्थिक विकास को बढ़ावा देते हैं, बल्कि प्रत्येक राज्य में तकनीक नवोन्मेष एवं रोज़गार सृजन को बढ़ावा देते हैं।
  • उद्यमी प्रतिदिन नए समाधान मुहैया करा रहे हैं या मौजूदा समाधानों में सुधार कर रहे हैं।
  • स्टार्ट-अप की मदद करने एवं उन्हें प्रोत्साहित करने के लिये भारत सरकार ने नीतियाँ बनाने एवं ढाँचा तैयार करने में बढ़त ली है।
  • 8 राज्यों एवं संघीय क्षेत्रों ने स्टार्ट-अप और उनके व्यापार करने को अनुकूल बनाने पर ध्यान केंद्रित किया है। 

क्‍या है स्‍टार्ट-अप?

  • स्‍टार्ट-अप एक नई कंपनी होती है, जिसको शुरू करने के बाद उसको विकसित किया जाता है। आमतौर पर स्‍टार्ट-अप यानी नई कंपनी शुरू करने को कहा जाता है, जिसे कोई व्यक्ति स्वयं या दो तीन लोगों के साथ मिलकर शुरू करता है।
  • आमतौर पर उसको शुरू करने वाला व्‍यक्ति उसमें पूंजी लगाने के साथ कंपनी का संचालन भी करता है। विदित हो कि भारत सरकार, उद्यमिता को बढ़ावा देने के उद्देश्य से “स्टार्ट-अप इंडिया” के नाम से एक योजना की शुरुआत भी कर चुकी है।
  • हालाँकि, हाल के कुछ अध्ययनों से यह प्रमाणित हुआ है कि स्टार्ट-अप इंडिया को लेकर लोगों में जागरूकता का अभाव है और इसके लाभार्थियों की संख्या भी बहुत ही कम है। तदोपरान्त, सरकार ने स्टार्ट-अप इंडिया योजना के नियमों में व्यापक परिवर्तन भी किये हैं।

उद्देश्य

  • राज्यों एवं संघ क्षेत्रों के लिये स्टार्ट-अप रैंकिंग फ्रेमवर्क तैयार करने का प्रमुख उद्देश्य स्थानीय स्तर पर अनुकूल वातावरण तैयार करने के लिये राज्यों एवं संघ क्षेत्रों को प्रोत्साहित करना है।
  • ये फ्रेमवर्क स्थानीय स्तर पर स्टार्ट-अप के लिये एक प्रभावी वातावरण बनाने के लिये उठाए प्रत्येक कदम के असर को मापेगा। 
  • रैंकिंग फ्रेमवर्क श्रेष्ठ प्रक्रियाओं के सतत प्रसार के ज़रिये लगातार सीखने को संभव बनाएगा।

प्रमुख बिंदु

  • इस रैंकिंग फ्रेमवर्क को स्टार्ट-अप तंत्र के हितधारकों से मिली जानकारी के आधार पर तैयार किया गया है जिसमें स्टार्ट-अप्स, मार्गदर्शक, निवेशक, मदद करने वाले, शुरुआती मदद करने वाले एवं सरकारी एजेंसियाँ शामिल हैं। जिन क्षेत्रों को ज़्यादा प्राथमिकता दी जानी चाहिये जैसे- सीड फंडिंग सपोर्ट, महिला उद्यमी ऐसे क्षेत्रों को इसमें ज़्यादा अंक दिये गये हैं। 
  • ये मानक मार्च 2018 से पहले राज्यों द्वारा उठाए गए सभी कदमों और उनके द्वारा की गई सभी पहलों से मिली जानकारी पर ध्यान केंद्रित करेंगे।
  • इसमें एक स्टार्ट-अप इकाई या हेल्पलाइन और सवालों का उत्तर देने के लिये मोबाइल या वेब पोर्टल और राज्यों द्वारा तैयार स्टार्ट-अप मेंटर नेटवर्क और स्टार्ट-अप्स के लिये इन्क्यूबेशन केंद्रों की संख्या शामिल है।
  • स्टार्ट-अप इंडिया हब पोर्टल इस रैंकिंग फ्रेमवर्क को जारी करने के लिये मंच मुहैया कराएगी।
  • स्टार्ट-अप इंडिया की आदर्श कार्यप्रणाली के संग्रह को आधिकारिक तौर पर जारी करने का ध्येय स्टार्ट-अप को नैतिक आचरण के लिये प्रोत्साहित करना है और अभी 18 राज्य और संघ क्षेत्र इसका पालन कर रहे हैं।
  • इसमें 7 हस्तक्षेप करने लायक क्षेत्रों की 95 आदर्श प्रणालियाँ शामिल हैं।
  • इन्हें 38 पालन किये जाने वाले बिंदुओं में संग्रहीत किया गया है जिनमें इन्क्यूबेशन सपोर्ट, सीड फंडिंग, एंजेल एवं वेंचर फंडिंग, स्टार्ट-अप नीति, सरल नियम, सरकार में सरल खरीद, जागरूकता एवं संबंधित पक्षों तक पहुँच बनाना शामिल हैं।
  • मुख्य रूप से स्टार्ट-अप इंडिया किट स्टार्ट-अप के बारे में सारी जानकारी एक ही जगह मुहैया कराती है। इसमें महत्त्वपूर्ण सूचनाएँ, वेबसाइट लिंक के ज़रिये सलाह एवं सहायता, आँकड़े, सहायता, टेम्पलेट, आयोजन, प्रतियोगिता और स्टार्ट-अप्स की शब्दावली शामिल हैं। स्टार्ट-अप को मिलने वाले सभी लाभों की जानकारी इस स्टार्ट-अप इंडिया किट में मौजूद है।

स्टार्ट-अप इंडिया कार्यक्रम

  • स्टार्टअप इंडिया कार्यक्रम 16 जनवरी, 2016 को भारत सरकार द्वारा शुरू किया गया यह एक फ्लैगशिप कार्यक्रम है।
  • इसका उद्देश्य देश में स्टार्ट-अप्स और नए विचारों के लिये एक मज़बूत पारिस्थितिकी तंत्र का निर्माण करना है जिससे देश का आर्थिक विकास हो एवं बड़े पैमाने पर रोज़गार के अवसर उत्पन्न हों।
  • स्टार्ट-अप एक इकाई है, जो भारत में पाँच साल से अधिक समय से पंजीकृत नहीं है और जिसका वार्षिक  कारोबार किसी भी वित्तीय वर्ष में 25 करोड़ रुपए से अधिक नहीं है।
  • यह एक इकाई है जो प्रौद्योगिकी या बौद्धिक सम्पदा से प्रेरित नए उत्पादों या सेवाओं के नवाचार, विकास, प्रविस्तारण या व्यावसायीकरण की दिशा में काम करती है।
  • इस योजना को देश में आर्थिक विकास को बढ़ावा देने और बड़े पैमाने पर रोज़गार के अवसर सृजित करने के लिये नवाचार और स्टार्ट-अप के एक मज़बूत पारिस्थितिकी तंत्र का निर्माण करने के लिये शुरू किया गया था। 
  • इस पहल के माध्यम से सरकार नवाचार और डिज़ाइन को विकसित करना चाहती है ताकि स्टार्ट-अप को सशक्त बनाया जा सके।
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