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अंतर्राष्ट्रीय संबंध

प्लास्टिक या पीवीसी आधार स्मार्ट कार्ड उपयोग के लायक नहीं

  • 07 Feb 2018
  • 8 min read

चर्चा में क्यों?

हाल ही में भारतीय विशिष्‍ट पहचान प्राधिकरण (Unique Identification Authority of India -UIDAI) द्वारा जारी एक वक्‍तव्‍य में कहा गया है कि प्‍लास्टिक या पीवीसी स्‍मार्ट कार्ड लगातार उपयोग करने लायक नहीं हैं, क्‍योंकि दुकानों और विक्रय केंद्रों पर क्‍यूआर कोड की अनधिकृत छपाई से ये बेकार हो जाते हैं। इसके अतिरिक्‍त आधार कार्ड में दर्ज किये गए ब्‍यौरे (व्‍यक्तिगत संवेदनशील जन-सांख्यिकीय सूचनाएँ) के दुरुपयोग की संभावना रहती है।

महत्त्वपूर्ण बिंदु

  • आधार पत्र या आधार पत्र का कटा हिस्‍सा या आधार की डाउनलोड की गई प्रतिलिपि या एम-आधार पूरी तरह से वैध है।
  • लोगों को आधार स्‍मार्ट कार्ड प्राप्‍त करने का इच्‍छुक नहीं होना चाहिये, क्‍योंकि कुछ अवांछित तत्त्‍व प्‍लास्टिक/पीवीसी आधार कार्ड दे रहे हैं और इसके बदले 50 से 300 रुपए तक वसूल रहे हैं।
  • यूआईडीएआई द्वारा लोगों को इन अवांछित तत्त्‍वों/दुकानों/विक्रय केंद्रों से दूर रहने की सलाह दी गई है।
  • तथाकथित आधार स्‍मार्ट कार्ड पूरी तरह अनावश्‍यक और बेकार हैं, क्‍योंकि इस तरह की छपाई में इसका क्‍यूआर किसी उपयोग के लायक नहीं रह जाता है।
  • जबकि, आधार पत्र या साधारण कागज़ पर आधार की डाउनलोड की गई प्रतिलिपि या एम आधार सभी प्रकार के उपयोग के लिये पूरी तरह वैध हैं।
  • यदि किसी व्‍यक्ति के पास कागज़ का आधार कार्ड है तो उसे पैसे खर्च करके आधार कार्ड को लेमिनेट करने या प्‍लास्टिक आधार कार्ड प्राप्‍त करने या स्‍मार्ट आधार कार्ड प्राप्‍त करने की कोई आवश्‍यकता नहीं है।
  • यदि कोई व्‍यक्ति अपना आधार कार्ड खो देता है, तो वह यूआईडीएआई की आधिकारिक वेबसाइट से आधार कार्ड नि:शुल्‍क डाउनलोड कर सकता है।
  • डाउनलोड किया गया आधार कार्ड (श्‍वेत-श्‍याम रूप में भी) भी उतना ही वैध है, जितना यूआईडीएआई द्वारा भेजा गया मूल आधार पत्र। इसे प्‍लास्टिक/पीवीसी पर छापने की कोई आवश्‍यकता नहीं है।
  • लोगों को अपनी व्‍यक्तिगत जानकारियों के प्रति जवाबदेह रहना चाहिये और अपना आधार नम्‍बर तथा व्‍यक्तिगत सूचनाएँ प्‍लास्टिक कार्ड पर आधार की छपाई के लिये अनधिकृत एजेंसियों को नहीं देनी चाहिये।
  • यूआईडीएआई ने अनधिकृत एजेंसियों को चेतावनी देते हुए कहा है कि वे आधार कार्ड बनाने के लिये आम लोगों से आधार की जानकारियाँ इकट्ठा न करें, क्‍योंकि इस तरह की जानकारियाँ इकट्ठा करना तथा अनधिकृत रूप से आधार कार्ड की छपाई करना भारतीय दंड संहिता और आधार अधिनियम 2016 के अंतर्गत दंडनीय अपराध है।

भारतीय विशिष्‍ट पहचान प्राधिकरण

  • भारतीय विशिष्‍ट पहचान प्राधिकरण (यूआईडीएआई) एक सांविधिक प्रा‍धिकरण है, जिसकी स्‍थापना भारत सरकार द्वारा आधार (वित्‍तीय और अन्‍य सब्सिडी, लाभ और सेवाओं के लक्षित वितरण) अधिनियम, 2016 (आधार अधिनियम, 2016) के प्रावधानों के अंतर्गत इलेक्‍ट्रॉनिक्‍स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के तहत दिनांक 12 जुलाई, 2016 को की गई।
  • एक सांविधिक प्राधिकरण के रूप में अपनी स्‍थापना से पूर्व यूआईडीएआई तत्‍कालीन योजना आयोग (अब नीति आयोग) के अधीन 2009 से ही इसके एक सम्‍बद्ध कार्यालय के रूप में कार्य कर रहा था।
  • बाद में सरकार द्वारा सरकारी कार्य आवंटन नियमों में संशोधन करके 12 सि‍तम्‍बर, 2015 को यूआईडीएआई को तत्‍कालीन सूचना और प्रौद्योगिकी विभाग से सम्बद्ध कर दिया गयाl
  • यूआईडीएआई की स्‍थापना भारत के सभी निवा‍सियों को “आधार” नाम से एक विशिष्‍ट पहचान संख्या(यूआईडी) प्रदान करने हेतु की गई थी ताकि इसके द्वारा फर्ज़ी पहचान समाप्त की जा सकेl 

आधार

  • केंद्र सरकार की ओर से भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (Unique Identification Authority of India-UIDAI) द्वारा दिये जाने वाले आधार कार्ड की शुरुआत प्रत्येक भारतीय नागरिक को एक विशेष पहचान संख्या देने के लिये की गई थी।
  • `आधार` 12 अंकों की एक विशिष्ट संख्या वाला एक कार्ड है जो विभिन्न सरकारी कामकाज में पहचान-पत्र  के रूप में इस्तेमाल किया जाता हैl 
  • चूँकि, इसमें बायोमैट्रिक पहचान शामिल होती है, इसलिये अब किसी व्यक्ति के बारे में अधिकांश जानकारी 12 अंकों की इस संख्या के ज़रिये प्राप्त की जा सकती है।
  • इसमें उसका नाम, पता, आयु, जन्म तिथि, उसके फिंगर-प्रिंट और आँखों की स्कैनिंग तक शामिल है।
  • आज जिस स्वरूप में हम इसे देखते हैं उसमें सरकार द्वारा प्रदान किये जाने वाले अधिकांश लाभों का समान वितरण सुनिश्चित करने के लिये आधार संख्या का होना अनिवार्य कर दिया गया है।

बायोमैट्रिक लॉकिंग सिस्टम 

  • आधार श्रेष्ठ अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुरूप है और इसके डेटा की अतिरिक्त सुरक्षा के लिये बायोमैट्रिक लॉकिंग सिस्टम की व्यवस्था की गई है। 
  • इसके तहत आधार की जानकारी लीक होने या किसी अन्य व्यक्ति को आपकी आधार संख्या की जानकारी का गलत फायदा उठाने से रोकने की व्यवस्था की जाती है। 
  • इस व्यवस्था के माध्यम से जब चाहे आधार जानकारी को लॉक और अनलॉक किया जा सकता है। एक बार जब बॉयोमैट्रिक डेटा लॉक करने के बाद कोई भी इसका इस्तेमाल तब तक नहीं कर सकता, जब तक कि उसे अनलॉक न किया जाए। 
  • यह सुविधा केवल ऑनलाइन उपलब्ध है और इसके लिये आधार के साथ रजिस्टर्ड मोबाइल नंबर की ज़रूरत होती है।
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