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भारत में डेटा संरक्षण

  • 25 May 2021
  • 7 min read

चर्चा में क्यों?

हाल ही में इलेक्ट्रॉनिक्स और आईटी मंत्रालय (Ministry of Electronics and IT) ने व्हाट्सएप को नोटिस भेजकर अपनी गोपनीयता नीति के एक विवादास्पद अपडेट को वापस लेने के लिये कहा है जो भारतीयों के डेटा संरक्षण हेतु खतरा हो सकता है।

Data-Protection

प्रमुख बिंदु

विवाद के विषय में:

  • व्हाट्सएप की नई प्राइवेसी पॉलिसी के अनुसार इसके उपयोगकर्त्ता फेसबुक के साथ व्हाट्सएप को डेटा (जैसे लोकेशन और नंबर) शेयर करने से नहीं रोक पाएंगे। इसे रोकने के लिये इन्हें अपने अकाउंट को पूरी तरह से बंद करना होगा।
    • इस प्रकार के नए अपडेट को फेसबुक पर विज्ञापनों को वैयक्तिकृत करने के साथ-साथ इसके प्लेटफॉर्म पर होने वाले व्यावसायिक इंटरैक्शन को आसान बनाने के लिये डिज़ाइन किया गया है।
  • सरकार के अनुसार, व्हाट्सएप की यह नई नीति यूरोप में इसके उपयोगकर्त्ताओं की तुलना में भारतीय उपयोगकर्त्ताओं के साथ भेदभाव करती है।
    • यूरोप में व्हाट्सएप उपयोगकर्त्ता यूरोपीय संघ (EU) में लागू सामान्य डेटा संरक्षण विनियमन (General Data Protection Regulation) नामक कानूनों के कारण इस नई नीति से बच सकते हैं। इस विनियमन से वे अपने डेटा को फेसबुक के साथ शेयर करने से मना कर सकते हैं। 

डेटा संरक्षण का अर्थ:

  • डेटा सुरक्षा भ्रष्टाचार, समझौता या नुकसान से महत्त्वपूर्ण जानकारियों की सुरक्षा की प्रक्रिया है।
    • डेटा सूचना का एक बड़ा संग्रह है जो कंप्यूटर या नेटवर्क पर संग्रहीत होता है।
  • डेटा सुरक्षा का महत्त्व बढ़ता जा रहा है क्योंकि नई और संग्रहीत डेटा की मात्रा तेज़ी से बढ़ती जा रही है।

आवश्यकता:

  • इंटरनेट एंड मोबाइल एसोसिएशन ऑफ इंडिया (Internet and Mobile Association of India) की डिजिटल इन इंडिया रिपोर्ट, 2019 के अनुसार लगभग 504 मिलियन सक्रिय वेब उपयोगकर्त्ता हैं और भारत का ऑनलाइन बाज़ार चीन के बाद दूसरे स्थान पर है।
  • व्यक्तियों और उनकी ऑनलाइन खरीदारी आदतों के बारे में जानकारी लाभ का एक महत्त्वपूर्ण स्रोत बन गया है। यह निजता के हनन का एक संभावित तरीका भी है क्योंकि यह अत्यंत व्यक्तिगत पहलुओं को प्रकट कर सकता है।
    • इसे कंपनियाँ, सरकारें और राजनीतिक दल महत्त्वपूर्ण मानते हैं क्योंकि ये इसका उपयोग लोगों ऑनलाइन विज्ञापन देने के लिये कर सकते हैं।

विश्व में डेटा सुरक्षा के लिये कानून:

  • यूरोपीय संघ: जनरल डेटा प्रोटेक्शन रेगुलेशन (GDPR) का प्राथमिक उद्देश्य व्यक्तियों को उनके व्यक्तिगत डेटा पर नियंत्रण प्रदान करना है।
  • अमेरिका: इसके पास डिजिटल प्राइवेसी के मामलों से निपटने के लिये क्षेत्रीय कानून हैं जैसे- यूएस प्राइवेसी एक्ट, 1974, ग्राम्म-लीच-ब्लिले एक्ट (Gramm-Leach-Bliley Act) आदि।

भारत में पहल:

  • सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000:
    • यह कंप्यूटर सिस्टम से डेटा के संबंध में कुछ उल्लंघनों के खिलाफ सुरक्षा प्रदान करता है। इसमें कंप्यूटर, कंप्यूटर सिस्टम और उसमें संग्रहीत डेटा के अनधिकृत उपयोग को रोकने के प्रावधान हैं।
  • व्यक्तिगत डेटा संरक्षण विधेयक, 2019:
    • सर्वोच्च न्यायालय ने वर्ष 2017 में के.एस. पुट्टास्वामी बनाम भारत संघ मामले में निजता के अधिकार को मौलिक अधिकार माना, जिसके बाद केंद्र सरकार ने डेटा संरक्षण के अनुशासन में कानून का प्रस्ताव करने के लिये न्यायमूर्ति बी. एन. श्रीकृष्ण समिति की नियुक्ति की थी।
    • इस समिति ने व्यक्तिगत डेटा संरक्षण विधेयक, 2018 के रूप में अपनी रिपोर्ट और मसौदा सरकार को सौंपा।
    • संसद ने वर्ष 2019 में फिर से संशोधित किया और नए बिल को व्यक्तिगत डेटा संरक्षण विधेयक (Personal Data Protection Bill), 2019 नाम दिया है।
      • इस विधेयक का उद्देश्य व्यक्तिगत डेटा से संबंधित व्यक्तियों की गोपनीयता की सुरक्षा करना और उक्त उद्देश्यों तथा किसी व्यक्ति के व्यक्तिगत डेटा से संबंधित मामलों के लिये भारतीय डेटा संरक्षण प्राधिकरण (Data Protection Authority of India) की स्थापना करना है।

व्यक्तिगत डेटा संरक्षण विधेयक 2019 से संबंधित चिंताएँ:

  • यह दो तरफा तलवार की तरह है। जहाँ यह भारतीयों के व्यक्तिगत डेटा को मूल अधिकारों के साथ सशक्त बनाकर उनकी रक्षा करता है, वहीं दूसरी ओर यह केंद्र सरकार को ऐसी छूट देता है जो व्यक्तिगत डेटा को संसाधित करने के सिद्धांतों के विरुद्ध है।
    • डेटा सिद्धांतों की अस्पष्टता के कारण सरकार ज़रूरत पड़ने पर संवेदनशील व्यक्तिगत डेटा को भी संसाधित (Process) कर सकती है।

आगे की राह

  • इस डिजिटल युग में डेटा एक मूल्यवान संसाधन है जिसे अनियंत्रित नहीं छोड़ा जाना चाहिये। इस संदर्भ में भारत को एक मज़बूत डेटा संरक्षण व्यवस्था बनानी चाहिये।
  • अब समय आ गया है कि व्यक्तिगत डेटा संरक्षण विधेयक, 2019 में आवश्यक परिवर्तन किये जाएँ, जो उपयोगकर्त्ता की गोपनीयता पर ज़ोर देने के साथ उपयोगकर्त्ता अधिकारों पर केंद्रित हो। इन अधिकारों को लागू करने के लिये एक गोपनीयता आयोग की स्थापना करनी होगी।
  • सरकार को सूचना के अधिकार को मज़बूत करते हुए नागरिकों की निजता का भी सम्मान करना होगा। इसके अतिरिक्त पिछले दो-से तीन वर्षों में हुई तकनीकी विकास की भी इस संदर्भ में आवश्यकता है कि इनमें डेटा को सुरक्षित करने की क्षमता है।

स्रोत: द हिंदू

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