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विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी

कोविड कवच एलिसा

  • 12 May 2020
  • 5 min read

प्रीलिम्स के लिये:

कोविड कवच एलिसा

मेन्स के लिये:

COVID-19 से निपटने हेतु सरकार द्वारा किये गए प्रयास 

चर्चा में क्यों?

भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (Indian Council of Medical Research- ICMR) और राष्ट्रीय विषाणु विज्ञान संस्थान (National Institute of Virology- NIV) ने संयुक्त रूप से COVID-19 की परीक्षण में तेज़ी लाने हेतु 'कोविड कवच एलिसा' (COVID KAVACH ELISA) को विकसित और प्रमाणित किया है।

प्रमुख बिंदु:

  • उल्लेखनीय है कि 'कोविड कवच एलिसा' से मानव शरीर में मौजूद COVID-19 के एंटीबॉडी का पता लगाया जाएगा।
  • 'कोविड कवच एलिसा' (COVID KAVACH ELISA) से ढाई घंटे के एक निरंतर परीक्षण में एक साथ 90 नमूनों का परीक्षण किया जा सकता है। साथ ही एलिसा परीक्षण ज़िला स्तर पर भी आसानी से संभव है।
  • 'कोविड कवच एलिसा' के परीक्षण हेतु मुंबई के दो शहरों को चिह्नित किया गया था। इस परीक्षण के दौरान 'कोविड कवच एलिसा' में उच्च संवेदनशीलता और विशिष्टता पायी गई है।
  • पुणे के राष्ट्रीय विषाणु विज्ञान संस्थान द्वारा COVID-19 के एंटीबॉडी का पता लगाने हेतु विकसित की गई स्वदेशी 'कोविड कवच एलिसा' परीक्षण किट संक्रमण के अनुपात को समझने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है।
  • वास्तविक समय में ‘रिवर्स ट्रांसक्रिपटेस पोलीमरेज़ चेन रिएक्शन’ (Reverse Transcriptase Polymerase Chain Reaction- RT-PCR) की परीक्षण की तुलना में 'कोविड कवच एलिसा' में न्यूनतम जैव-सुरक्षा की आवश्यकता होती है।
  • कई उच्च परीक्षण किट जो हाल ही में भारतीय बाज़ार में आई हैं उनकी तुलना में इस परीक्षण किट में अत्यधिक संवेदनशीलता और विशिष्टता है।
  • यह रिकॉर्ड समय में ‘मेक इन इंडिया’ (Make in India) का एक आदर्श उदाहरण है।

उत्पादन हेतु भागीदारी:

  • भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (Indian Council of Medical Research- ICMR) ने एलिसा परीक्षण किट के बड़े पैमाने पर उत्पादन के लिये ‘ज़ाइडस कैडिला’ (Zydus Cadila) के साथ भागीदारी की है।
  • ज़ाइडस कैडिला एक नवाचार संचालित वैश्विक स्वास्थ्य सेवा कंपनी है जिसको एलिसा परीक्षण किट से संबंधित प्रौद्योगिकी को स्थानांतरित कर दिया गया है।

एंटीबॉडी परीक्षण (Antibody Test):

  • COVID-19 के परीक्षण के लिये एंटीबॉडी परीक्षण एक स्क्रीनिंग प्रक्रिया के रूप में कार्य करेगा जो कुछ घंटों में ही त्वरित परिणाम देता है।
  • एंटीबॉडी परीक्षण वायरस के कारण शरीर में होने वाली प्रतिक्रिया का पता लगाता है। यह एक संकेत देता है कि व्यक्ति वायरस के संपर्क में आया है या नहीं।
  • यदि परीक्षण सकारात्मक है तो स्वाब (Swab) एकत्र किया जाता है और पॉलीमरेज़ चेन रिएक्शन (Polymerase Chain Reaction- PCR) किट का उपयोग करके एक राइबोन्यूक्लिक एसिड (Ribonucleic Acid- RNA) परीक्षण किया जाता है।
  • हालाँकि एंटीबॉडी परीक्षण यह स्पष्ट नहीं होता है कि कोई व्यक्ति COVID-19 संक्रमण से संक्रमित है कि नहीं। इसका उपयोग मात्र स्क्रीनिंग के लिये किया जाता है।

राष्ट्रीय विषाणु विज्ञान संस्थान

(National Institute of Virology- NIV):

  • राष्ट्रीय विषाणु विज्ञान संस्थान को रॉकफेलर फाउंडेशन और भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद के संयुक्त प्रयासों से वर्ष 1952 में पुणे में स्थापित किया गया था।
  • राष्ट्रीय विषाणु विज्ञान संस्थान के निम्नलिखित उद्देश्य हैं-
    • मनुष्यों को प्रभावित करने वाले वायरल रोगों पर अध्ययन।
    • वायरस के प्रकोप, अलगाव और लक्षण की जाँच करना।
    • वायरस के प्राकृतिक चक्र और प्रसार का अध्ययन।
    • वायरल रोगों के बारे में लोगों को जागरूक करना।

स्रोत: पीआईबी

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