इंदौर शाखा: IAS और MPPSC फाउंडेशन बैच-शुरुआत क्रमशः 6 मई और 13 मई   अभी कॉल करें
ध्यान दें:

डेली न्यूज़


भारतीय अर्थव्यवस्था

ई-कॉमर्स के लिये ‘उत्पादों के मूल देश’

  • 28 Jul 2020
  • 5 min read

प्रीलिम्स के लिये:

उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम,  2019, ई-मार्केटप्लेस, Government e-Marketplace- GeM

मेन्स के लिये:

उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 2019 में ई-कॉमर्स कंपनियों द्वारा मूल देश के नाम को प्रदर्शित करने के प्रावधान से संबंधित मुद्दे

चर्चा में क्यों?

हाल ही में केंद्र सरकार ने दिल्ली उच्च न्यायालय को (एक हलफनामे के माध्यम से)  बताया है कि सभी ई-कॉमर्स संस्थाओं को अपनी वेबसाइट पर बेचे जाने वाले उत्पादों के मूल देश की घोषणा सुनिश्चित करनी होगी

प्रमुख बिंदु:

  • उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 2019 में ई-कॉमर्स कंपनियों द्वारा मूल देश के नाम को प्रदर्शित करने का प्रावधान है।
  • यह हलफनामा एक जनहित याचिका के जवाब में आया जिसमें केंद्र से यह सुनिश्चित करने के लिये निर्देश मांगे गए थे कि विनिर्माण देश/मूल देश का नाम ई-कॉमर्स साइट पर बेचे जा रहे उत्पादों पर प्रदर्शित हो।
  • याचिकाकर्ता ने लीगल मेट्रोलॉजी अधिनियम, 2009 और लीगल मेट्रोलॉजी (पैकेड उत्पाद) नियम, 2011 को लागू करने की मांग की है।
    • ई-कॉमर्स वेबसाइट पर बेचे जा रहे उत्पाद पर ‘मूल देश’ के नाम को को प्रदर्शित करने हेतु बाध्य करता है।
    • उक्त नियमों और अधिनियम के प्रावधानों को लागू करना राज्य तथा केंद्रशासित प्रदेशों की सरकारों पर निर्भर करता है।
  • याचिकाकर्त्ता का तर्क है कि उक्त नियमों/ अधिनियमों का प्रवर्तन भारत सरकार की हालिया पहलों जैसे- ‘वोकल फॉर लोकल’ (Vocal for Local) तथा आत्मनिर्भर भारत के अनुरूप ही है।
    • इससे पहले भी केंद्र सरकार ने सभी विक्रेताओं को ई-मार्केटप्लेस (Government e-Marketplace- GeM) पर नए उत्पादों को पंजीकृत करते समय ‘मूल देश’  को सूचीबद्ध करने के लिये अनिवार्य किया है।
      • GeM सार्वजनिक खरीदारी हेतु एक मंच है।

UP-PCS

मुद्दे:

  • अधिकांश ई-कॉमर्स साइट, मार्केटप्लेस आधारित ई-कॉमर्स मॉडल के रूप में कार्य  करती हैं,  जिसमें वह केवल एक मध्यस्थ के रूप में कार्य करती हैं।
  • अर्थात् यह अपने संभावित उपभोक्ताओं के साथ तीसरे पक्ष के विक्रेताओं को जोड़ने के लिये केवल अपना सूचना प्रौद्योगिकी मंच प्रदान करते हैं।
    • ई-कॉमर्स  मॉडल का  दूसरा  रूप ‘इन्वेंटरी आधारित’ है जहाँ इकाइयाँ अपनी स्वयं की इन्वेंटरी से बिक्री के लिये वस्तुएँ एवं सेवाएँ प्रदान करती हैं।
  • ई-कॉमर्स संस्थाओं का कहना है कि उत्पादों के मूल देश से संबंधित आँकड़े उनकी प्रणाली/व्यवस्था/साइट पर उपलब्ध हैं जिसे एक विक्रेता द्वारा नए उत्पाद सूची बनाते समय भरा जा सकता है।
  • हालाँकि ई-कॉमर्स संस्थाओं ने इसे अनिवार्य नहीं किया है क्योंकि कानून भारत निर्मित उत्पादों के संदर्भ में ‘ मूल देश’  को प्रदर्शित करने का आदेश नहीं देता है।
    • कई मामलों में उत्पादों के भारत में शिपमेंट से पहले उन्हें अन्य किसी देश में  एकत्रित करके पैक किया जाता है।
    • इसलिये निर्यात के अंतिम देश को ‘मूल देश’ घोषित करने को परिकल्पित नहीं कर सकते जब तक कि कानून में संशोधन या स्पष्ट रूप से राज्य को स्पष्ट नहीं किया जा सकता।

स्रोत:  द हिंदू

close
एसएमएस अलर्ट
Share Page
images-2
images-2