लखनऊ शाखा पर IAS GS फाउंडेशन का नया बैच 23 दिसंबर से शुरू :   अभी कॉल करें
ध्यान दें:



डेली न्यूज़

भारतीय अर्थव्यवस्था

कॉर्पोरेट सोशल रिस्पांसिबिलिटी (CSR) व्यय

  • 01 May 2021
  • 6 min read

चर्चा में क्यों?

विशेषज्ञों द्वारा  सरकार से कॉर्पोरेट सोशल रिस्पांसिबिलिटी (CSR) नियमों को आसान बनाने की मांग की जा रही हैं, ताकि कोविड पीड़ित कर्मचारियों के इलाज और उनके टीकाकरण से संबंधित कॉरपोरेट व्यव को CSR व्यव के तहत कवर किया जा सके।

  • वर्तमान CSR मानदंडों के तहत, कंपनियों को अपने अनिवार्य CSR व्यय के हिस्से के रूप में कर्मचारियों के कल्याण के लिये विशेष रूप से किये गए व्यय की गणना करने की अनुमति नहीं है।

प्रमुख बिंदु 

कॉर्पोरेट सोशल रिस्पांसिबिलिटी:

  • अर्थ : कॉर्पोरेट सोशल रिस्पांसिबिलिटी (CSR) को एक प्रबंधन अवधारणा के रूप में परिभाषित किया जाता है, जिसके तहत कंपनियाँ अपने व्यापारिक भागीदारों के साथ सामाजिक और पर्यावरण संबंधी चिंताओं को उनके हितधारकों के साथ एकीकृत करती हैं।
  • CSR परियोजनाओं के द्वारा लक्षित लाभार्थियों तथा उनके आस-पास के पर्यावरण पर पड़ने वाले प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष परिवर्तनों का मूल्यांकन ‘प्रभाव आकलन अध्ययन’ (Impact Assessment Studies) कहलाता है। 
  • शासन :
    • भारत में CSR की अवधारणा को कंपनी अधिनियम, 2013 की धारा 135 के तहत नियंत्रित किया जाता है।
      • संभावित CSR गतिविधियों की पहचान करके एक रूपरेखा तैयार करने के साथ-साथ CSR को अनिवार्य करने वाला भारत दुनिया का पहला देश है।
    • CSR का प्रावधान उन कंपनियों पर लागू होता है, जिनका निवल मूल्य (Net Worth) ₹ 500 करोड़ से अधिक हो या कुल कारोबार (Turnover) ₹1000 करोड़ से अधिक हो या शुद्ध लाभ (Net Profit) ₹5 करोड़ से अधिक हो।
    • अधिनियम के अनुसार कंपनियों को एक CSR समिति स्थापित करने की आवश्यकता है, जो निदेशक मंडल को एक कॉर्पोरेट सामाजिक दायित्व नीति की सिफारिश करेगी और समय-समय पर उसी की निगरानी भी करेगी।
    • अधिनियम कंपनियों को अपने पिछले तीन वर्षों के शुद्ध लाभों के औसत का 2% CSR गतिविधियों पर खर्च करने के लिये  प्रोत्साहित करता है।

CSR गतिविधियाँ :

  • अधिनियम में उन गतिविधियों की सूची दी गई है, जो CSR के दायरे में आती हैं। यह सूची अधिनियम की 7वीं अनुसूची में शामिल हैं। इन गतिविधियों में शामिल हैं:
  • इंजेती श्रीनिवास समिति:
    • वर्ष 2018 में इंजेती श्रीनिवास की अध्यक्षता में CSR (कॉर्पोरेट सोशल रिस्पांसिबिलिटी) पर उच्च स्तरीय समिति का गठन किया गया था।
    • समिति ने CSR की खर्च न की जा सकी राशि को अगले 3 से 5 वर्षों की अवधि के लिये आगे बढ़ाने (Carry Forward) की सिफारिश की है। समिति ने कंपनी अधिनियम के खंड-7 (SCHEDULE VII) को संयुक्त राष्ट्र के सतत् विकास लक्ष्यों के अनुरूप बनाने की सिफारिश की है। 

हालिया विकास :

  • वर्ष 2020 में कॉरपोरेट कार्य मंत्रालय ने कंपनियों को कोविड-19 से संबंधित राहत कार्यों के लिये CSR निधि खर्च करने की अनुमति दी थी, जिसमें निवारक स्वास्थ्य देखभाल और स्वच्छता तथा कोविड दवाओं, टीकों और चिकित्सा उपकरणों के अनुसंधान और विकास आदि शामिल हैं।
  • इस वर्ष, कोविड-19 टीकाकरण संबंधी जागरूकता या सार्वजनिक आउटरीच अभियानों और अस्थायी अस्पतालों तथा अस्थायी कोविड देखभाल सुविधाओं की स्थापना को भी CSR के दायरे में शामिल कर दिया गया है।

CSR मानदंड को आसान बनाने के लाभ:

  • टीकाकरण अभियान में भूमिका: सूचीबद्ध कंपनियों द्वारा CSR गतिविधियों पर प्रतिवर्ष लगभग 10,000 करोड़ रुपए  खर्च किये जाते हैं। यदि योग्य असूचीबद्ध कंपनियों को भी ध्यान में रखा जाता है, तो उपलब्ध राशि औ बड़ी हो सकती है। यह टीकाकरण पर केंद्र और राज्यों के खर्च के अनुपूरक हो सकता है।
  • ग्रामीण जनसंख्या तक पहुँच:  इनमें से कई कंपनियों की ग्रामीण क्षेत्रों में उपस्थिति है, जिससे यह सुनिश्चित किया जा सकेगा कि यह अभियान बड़े शहरों से लेकर ग्रामीण आबादी तक भी पहुँचे।
  • कर्मचारियों के लिये CSR के तहत टीकाकरण पर कॉर्पोरेट व्यय की अनुमति का लाभ: इससे विनिर्माण क्षेत्र में असंगठित श्रमिकों के लिये टीकाकरण को बढ़ावा मिलेगा और साथ ही इससे पहले से ही चुनौतियों का सामना कर रही स्वास्थ्य को भी सहायता मिलेगी।

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस

close
एसएमएस अलर्ट
Share Page
images-2
images-2