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जैव विविधता और पर्यावरण

जलवायु परिवर्तन से हिमालयी क्षेत्र में होगा जल संकट

  • 19 Dec 2018
  • 5 min read

चर्चा में क्यों?


हाल ही में अमेरिका के ओहियो स्टेट यूनिवर्सिटी (Ohio State University) के शोधकर्त्ताओं ने जलवायु परिवर्तन (climate change) के हिमालय पर प्रभाव के संबंध में एक अध्ययन प्रकाशित किया है। इस अध्ययन के अनुसार, जलवायु परिवर्तन के कारण हिमालय के ग्लेशियर्स काफी तेज़ी से पिघल रहे हैं। इसके चलते जल्द ही भारत, पाकिस्तान और नेपाल के कुछ हिस्सों को पानी की कमी का सामना करना पड़ सकता है।

अध्ययन के प्रमुख बिंदु

  • शोधकर्त्ताओं के अनुसार, वर्ष 2100 तक जलवायु परिवर्तन के कारण एंडीज़ पहाड़ (Andes mountains) और तिब्बती पठार (Tibetan plateau) पर विनाशकारी प्रभाव पड़ सकता है। यह भी संभव है इस क्षेत्र की आधी बर्फ पूरी तरह से गायब ही हो जाए, यदि इस संबंध में कोई प्रभावी कार्यवाही नहीं गई तो यह अनुमान 1/3 तक भी पहुँच सकता है।
  • अध्ययन पत्र में कहा गया है कि पिछले कुछ समय से इस क्षेत्र में पानी की आपूर्ति में कमी की समस्या सामने आ रही है। बढ़ती आबादी के कारण पानी की मांग में भी बढोत्तरी हो रही है, ऐसे में हिमालय के ग्लेशियर्स के पिघलने की दर की बात करें तो भविष्य में यह समस्या और अधिक जटिल रूप धारण कर सकती है।
  • इस संदर्भ में पेरू का उदाहरण लिया जा सकता है जहाँ ग्लेशियर के पानी से ही फसलों, पशुओं और साधारण जनता के लिये आवश्यक मात्रा में पानी की आपूर्ति होती हैं।

भारत और चीन के प्रयास

  • 2016 में भारत और चीन के शोधकर्त्ताओं ने तिब्बती पठार पर इसी तरह का एक शोध करने के लिये एक पहल की थी, इस शोध में अध्ययन के लिये हज़ारों ग्लेशियरों को शामिल किया गया था। शोध में शामिल ग्लेशियर अफगानिस्तान, भूटान, चीन, भारत, नेपाल, पाकिस्तान और तज़ाकिस्तान के कुछ हिस्सों में लोगों को पानी की आपूर्ति करते हैं।
  • अंतर्राष्ट्रीय शोध दल ने 'तीसरे ध्रुव' (Third Pole) पठार की खोद से इस कार्य को शुरू किया क्योंकि उत्तर और दक्षिण ध्रुवों में ताज़े पानी का सबसे बड़ा भंड़ार मौजूद है।
  • इसके बाद शोधकर्त्ताओं द्वारा तिब्बती पठार और एंडीज़ पहाड़ों से बर्फ के नमूने एकत्रित किये गए तथा इसके तापमान, वायु गुणवत्ता आदि के माध्यम से पूर्व में हुई घटनाओं के बारे में जानकारी प्राप्त करने के लिये इसकी जाँच की गई।
  • इस अध्ययन के तहत शोधकर्त्ताओं को प्राप्त जानकारी के अनुसार, इतिहास में भी अल-नीनो की वज़ह से कई बार ग्लेशियर्स के तापमान में वृद्धि होने के संकेत मिले हैं। हालाँकि, पिछली शताब्दी के भीतर एंडीज़ और हिमालय दोनों के ग्लेशियर्स में व्यापक तौर पर तापमान में लगातार वृद्धि होने के संकेत मिले हैं।

वर्तमान समय में हो रही तापमान वृद्धि सामान्य नहीं है। यह काफी तेज़ी से बढ़ रही है। इससे पेरू और भारत दोनों के ग्लेशियर्स प्रभावित हो रहे हैं। यह एक बड़ी समस्या है, क्योंकि बहुत से लोग पानी के लिये इन ग्लेशियर्स पर आश्रित हैं। यह समस्या इसलिये भी विकराल है क्योंकि ग्लेशियरों के पिघलने से हिमस्खलन और बाढ़ का खतरा भी बढ़ता है। इससे इस क्षेत्र की जलापूर्ति पर दीर्घकालिक प्रभाव पड़ने की संभावना है। निश्चित रूप से इस संदर्भ में गंभीर विचार-विमर्श किये जाने की आवश्यकता है ताकि आने वाली पीढ़ियों के भविष्य को सुरक्षित बनाया जा सकें।


स्रोत : द हिंदू और बिज़नेस लाइन

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