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डेली न्यूज़

आंतरिक सुरक्षा

सैन्य उपकरणों पर CAG की रिपोर्ट

  • 06 Feb 2020
  • 6 min read

प्रीलिम्स के लिये:

CAG, भारतीय संसद

मेन्स के लिये:

CAG की रिपोर्ट से संबंधित मुद्दे, सैन्य अनुसंधान एवं विकास से संबंधित मुद्दे

चर्चा में क्यों?

हाल ही में संसद के समक्ष प्रस्तुत नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (Comptroller and Auditor General- CAG) की रिपोर्ट से पता चला है कि सियाचिन या अन्य ऊँचे क्षेत्रों में तैनात सैनिकों को प्रदान किये जाने वाले उपकरण कम गुणवत्ता के हैं।

महत्त्वपूर्ण बिंदु

  • CAG की रिपोर्ट बजट सत्र के दौरान 3 फरवरी, 2020 को संसद के समक्ष प्रस्तुत की गई।
  • CAG की रिपोर्ट के अनुसार, सियाचिन सहित उच्च ऊँचाई वाले क्षेत्रों में सैनिकों के लिये विशेष कपड़े, राशन और आवास की गुणवत्ता में कमी पाई गई।

इस संदर्भ में CAG की रिपोर्ट के मुख्य बिंदु

  • वित्तीय वर्ष 2015-16 से 2017-18 की अवधि के दौरान खरीद के प्रावधान और प्रदर्शन पर CAG की ऑडिट रिपोर्ट के अनुसार,
    • अधिक ऊँचाई क्षेत्रों हेतु कपड़ों और उपकरणों की खरीद में देरी के कारण वर्तमान समय में आवश्यक कपड़ों और उपकरणों की भारी कमी दर्ज की गई है।
    • बर्फ में उपयोग होने वाले चश्मे की आपूर्ति में लगभग 62% से 98% की कमी देखी गई है।
    • सैनिकों को नवंबर 2015 से सितंबर 2016 तक बर्फीले क्षेत्रों में उपयोग होने वाले जूते उपलब्ध नहीं कराए गए थे और जिसके कारण उन्हें उपलब्ध जूतों की रीसाइक्लिंग का सहारा लेना पड़ा।
    • इसके अलावा फेस मास्क, जैकेट और स्लीपिंग बैग के पुराने मॉडल खरीदे जाने के कारण सैनिकों को बेहतर उत्पाद प्रदान नहीं किये जा सके।
    • सियाचिन या अन्य ऊँचे क्षेत्रों में रहने वाले सैनिकों को उनकी कैलोरी की मात्रा पूरी करने के लिये विशेष भोजन दिया जाता है किंतु विशेष भोजन की सप्लाई में कमी की वजह से जवानों को लगभग 82% तक कम कैलोरी वाला भोजन दिया जाता है।
  • रिपोर्ट के अनुसार, रक्षा प्रयोगशाला (Defence Laboratory) द्वारा किये जाने वाले अनुसंधान और विकास के अभाव में आयात पर निरंतर निर्भरता बढ़ी है।
  • उच्च ऊँचाई वाले क्षेत्रों में सैनिकों की रहने की स्थिति में सुधार के उद्देश्य से हाउसिंग प्रोजेक्ट को एक तदर्थ तरीके से निष्पादित किया गया था। इस संदर्भ में एक पायलट प्रोजेक्ट चलाया गया था जो कि असफल रहा।
  • CAG ने सरकार से भारतीय राष्ट्रीय रक्षा विश्वविद्यालय (Indian National Defence University- INDU) की स्थापना में देरी किये जाने पर भी सवाल किया है, ध्यातव्य है कि वर्ष 1999 में कारगिल समीक्षा समिति ने इस विश्वविद्यालय की सिफारिश की थी। इसके निर्माण में देरी के कारण इसकी लागत लगभग 914% बढ़ चुकी है, गौरतलब है कि मई 2010 में इस प्रोजेक्ट की लागत 395 करोड़ रुपए थी जो संशोधित होकर दिसंबर 2017 में बढ़कर 4007.22 करोड़ रुपए हो गई है।

CAG की रिपोर्ट के मायने

  • चूँकि CAG सरकार के व्यय का लेखा परीक्षण करता है, इसलिये उसके द्वारा प्रस्तुत रिपोर्ट सरकार की नीतियों की सफलता एवं विफलता की मुख्य संकेतक होती है।
  • सियाचीन एवं अन्य ऊँचे क्षेत्रों में सैनिकों को प्रदान की जाने वाली सामग्री और उपकरणों की मात्रा एवं गुणवत्ता में कमी इस क्षेत्र में सरकार की विफलता को प्रदर्शित करती है।

इस संदर्भ में सरकार के तर्क

  • थल सेना प्रमुख ने CAG की रिपोर्ट के संदर्भ में कहा है कि यह रिपोर्ट 2015-16 से 2017-18 की अवधि की है जिससे यह वर्तमान समय में सेना की स्थितियों का सही मूल्यांकन नहीं करती है, वर्तमान समय में सेना को प्रदान किये जाने वाले उपकरण बेहतर गुणवत्ता वाले हैं।
  • इसके अतिरिक्त सरकार ने इस संदर्भ में तर्क दिया है कि वर्ष 2017 में बर्फीले इलाकों में इस्तेमाल होने वाले कपड़ों और सामान की मांग में वृद्धि हुई है जिसके कारण इन क्षेत्रों में सैन्य उपकरणों में कमी दर्ज की गई।
  • इसके अतिरिक्त सरकार ने बजट में रक्षा व्यय में कमी को भी बर्फीले एवं ऊँचाई वाले क्षेत्रों में सैन्य सामग्री एवं उपकरणों में कमी कारण माना है।

आगे की राह

  • सरकार को CAG की रिपोर्ट को ध्यान रखकर सैन्य सामग्रियों की मात्रा एवं गुणवत्ता को बढ़ाना चाहिये।
  • भारतीय राष्ट्रीय रक्षा विश्वविद्यालय का निर्माण अतिशीघ्र किया जाना चाहिये ताकि सैन्य क्षेत्र में व्यापक अनुसंधानात्मक एवं विकासात्मक गतिविधियाँ सुनिश्चित की जा सकें।

स्रोत: द हिंदू

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