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भारतीय अर्थव्यवस्था

ब्रिटेन आधारित नई डिजिटल करेंसी 'ब्रिटकॉइन'

  • 21 Apr 2021
  • 7 min read

चर्चा में क्यों?

ब्रिटिश प्राधिकारियों ने एक सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी (CBDC) टास्कफोर्स बनाने की घोषणा की है। इस नई डिजिटल मुद्रा को ‘ब्रिटकॉइन’ (Britcoin) नाम दिया गया है।

  • यह क्रिप्टोकरेंसी के खिलाफ फ्यूचर प्रूफिंग पाउंड स्टर्लिंग (यूनाइटेड किंगडम की मुद्रा) की दिशा में एक सार्थक कदम है जो भुगतान प्रणाली में सुधार करता है।

प्रमुख बिंदु:

ब्रिटकॉइन के बारे में :

  • कोरोना महामारी में आंशिक रूप से देश में नकद भुगतान में गिरावट के कारण बैंक ऑफ इंग्लैंड और ट्रेज़री ने डिजिटल करेंसी बनाने की घोषणा की है।
  •  डिजिटल करेंसी यदि पारित हो जाती है, तो यह नया CBDC घरों और व्यवसायों द्वारा उपयोग के लिये  बैंक ऑफ इंग्लैंड द्वारा जारी डिजिटल मनी का एक नया रूप होगा जो नकदी और बैंक जमा के साथ मौजूद होगा और उन्हें प्रतिस्थापित नहीं करेगा।
  •  CBDC को  सभी प्रौद्योगिकी पहलुओं पर विशेषज्ञता और विविध दृष्टिकोणों से इनपुट इकट्ठा करने के लिये बनाया जाएगा जो नकदी और निजी भुगतान प्रणालियों के बीच इंटरफेस सुविधा प्रदान करेगी जिसके लिये वितरित खाता बही प्रौद्योगिकी की आवश्यकता नहीं होगी
  • लाभ के उद्देश्य से इसे परिसंपत्ति के रूप में रखने के लिये 'ब्रिटकॉइन' को पाउंड के मूल्य से जोड़ा जाएगा।
  • यह कदम ब्रिटेन के तकनीकी क्षेत्र में व्यापक निवेश और अंतर्राष्ट्रीय व्यवसायों के लिये न्यूनतम लेन-देन लागत के रूप में आर्थिक प्रभाव डाल सकता है।
  • ब्रिटेन की डिजिटल करेंसी पारित होने पर यह अन्य करेंसी से भिन्न होगी क्योंकि यह राज्य अधिकारियों द्वारा जारी की जाएगी
    • वर्तमान में केवल बहामास के पास ऐसी मुद्रा है, हालाँकि चीन कई शहरों में इसका परीक्षण कर रहा है।

डिजिटल मुद्रा:

  • डिजिटल मुद्रा भुगतान की वह विधि है जो केवल इलेक्ट्रॉनिक रूप में मौजूद है और अमूर्त है अथवा डिजिटल मुद्रा, मुद्रा का वह रूप है जो केवल डिजिटल या इलेक्ट्रॉनिक रूप में उपलब्ध है, न कि भौतिक रूप में।
  • डिजिटल मुद्रा अमूर्त होती हैं और इसका लेन-देन या स्वामित्व केवल इंटरनेट या निर्दिष्ट नेटवर्क से जुड़े कंप्यूटर, स्मार्टफोन या इलेक्ट्रॉनिक वॉलेट का उपयोग करके ही किया जा सकता है।
  • डिजिटल मुद्रा के विपरीत भौतिक मुद्रा जैसे- बैंक नोट और सिक्के आदि मूर्त होते हैं और इनका लेन-देन केवल उनके धारकों द्वारा ही संभव है, जिनके पास उनका भौतिक स्वामित्व है।
  • डिजिटल मुद्रा को डिजिटल मनी और साइबर कैश के रूप में भी जाना जाता है। जैसे क्रिप्टोकरेंसी।

सेंट्रल बैंक डिजिटल मुद्रा:

  • ‘सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी (CBDC) एक इलेक्ट्रॉनिक रिकॉर्ड या डिजिटल टोकन का उपयोग किसी विशेष राष्ट्र (या क्षेत्र) में प्रचलित या फिएट मुद्रा  के आभासी रूप का प्रतिनिधित्व करने के लिये  करता है ।
    • फिएट या प्रचलित मुद्रा: ऐसी मुद्रा जो भौतिक वस्तु, जैसे: सोना या चाँदी, द्वारा समर्थित नहीं है, बल्कि सरकार द्वारा जारी की गई है।
  • ‘CBDC’ एक केंद्रीकृत मुद्रा है; यह देश के सक्षम मौद्रिक प्राधिकरण द्वारा जारी और विनियमित की  जाती है।
  • इसकी प्रत्येक इकाई एक पेपर बिल के समान होती है।यह सुरक्षित डिजिटल उपकरण के रूप में कार्य करती है और इसका उपयोग भुगतान के एक विकल्प के रुप में, मूल्य के भंडार और खाते की एक आधिकारिक इकाई के रूप में किया जा सकता है।

लाभ:

  • CBDC का उद्देश्य क्रिप्टोकरेंसी जैसी डिजिटल फॉर्म की सुविधा और सुरक्षा तथा  पारंपरिक बैंकिंग प्रणाली के विनियमित आरक्षित-समर्थित धन संचलन दोनों  को विश्व में सर्वश्रेष्ठ बनाना है। 
  • डिजिटल मनी का नया रूप उन महत्त्वपूर्ण जीवन रेखाओं को  समानांतर बढ़ावा दे सकता हैं जो गरीबों को और विकासशील अर्थव्यवस्थाओं को प्रेषण प्रदान करती हैं।
  • यह निजी भुगतान प्रणालियों की विफलता के कारण वित्तीय अस्थिरता से लोगों का  बचाव सुनिश्चित करेगा।
  • यह सुनिश्चित करता है कि केंद्रीय बैंक मौद्रिक नीति पर उन दूरगामी परिणामों के खिलाफ नियंत्रण बनाए रखे जो भुगतान उन क्रिप्टोकरेंसी में विस्थापित हो सकते हैं जिन पर उनको  कोई लाभ प्राप्त नहीं होता है।

जोखिम संबद्ध: 

  • आतंकी वित्तपोषण या मनी लांड्रिंग जैसे मामलों में संलिप्त मुद्रा के उपयोग को रोकने के लिये नो योर कस्टमर (KYC) मानदंडों को  सख्त अनुपालन के साथ लागू करने की आवश्यकता है ।
  • डिजिटल मनी का विस्तार वाणिज्यिक बैंकों की स्थिति को कमज़ोर कर सकता है क्योंकि यह उस जमा पूंजी को हटा देता है जिस पर वे मुख्य रूप से आय के लिये आश्रित होते है।

डिजिटल मुद्रा पर भारत का रुख:

  • रिज़र्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) ने क्रिप्टोकरेंसी को बैंक खातों की एक अकुशल इकाई माना था क्योंकि उनके मूल्य में निरंतर उच्च उतार-चढ़ाव की स्थिति प्रदर्शित होती है।
  • आरबीआई के अनुसार, यह कई को जोखिमों उत्पन्न करता है जिसमें  बिना किसी सरकारी निगरानी और सीमा पार भुगतान में आसानी के कारण इस प्रकार की डिजिटल मुद्रा का उपयोग प्रायः चोरी, आतंकी फंडिंग, मनी लॉन्ड्रिंग आदि के लिये काफी आसानी से किया जा सकता है।
  • हालाँकि समय उपयुक्त होने पर भारत एक संप्रभु डिजिटल मुद्रा विकसित करने पर विचार करेगा।

स्रोत: द हिंदू

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