लखनऊ शाखा पर IAS GS फाउंडेशन का नया बैच 23 दिसंबर से शुरू :   अभी कॉल करें
ध्यान दें:



डेली न्यूज़

सामाजिक न्याय

यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण (संशोधन) विधेयक , 2019

  • 25 Jul 2019
  • 6 min read

चर्चा में क्यों?

हाल ही में राज्यसभा ने यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण (संशोधन) विधेयक, 2019 (Amendments in the Protection of Children from Sexual Offences-POCSO) को मंज़ूरी प्रदान की है।

प्रमुख बिंदु

  • यह विधेयक यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण अधिनियम, 2012 में संशोधन करता है। यह अधिनियम यौन शोषण, यौन उत्पीड़न और पोर्नोग्राफी जैसे अपराधों से बच्चों के संरक्षण का प्रयास करता है।
  • इस विधेयक का उद्देश्य बाल यौन शोषण के बढ़ते मामलों की जाँच कर उचित एवं कड़ी सज़ा की व्यवस्था करना है।

POCSO अधिनियम, 2012

  • POCSO, यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण करने संबंधी अधिनियम (Protection of Children from Sexual Offences Act– POCSO) का संक्षिप्त नाम है।
  • POCSO अधिनियम, 2012 को बच्चों के हित और सुरक्षा का ध्यान रखते हुए बच्चों को यौन अपराध, यौन उत्‍पीड़न तथा पोर्नोग्राफी से संरक्षण प्रदान करने के लिये लागू किया गया था।
  • इस अधिनियम में ‘बालक’ को 18 वर्ष से कम आयु के व्‍यक्ति के रूप में परिभाषित किया गया है और बच्‍चे का शारीरिक, भावनात्‍मक, बौद्धिक एवं सामाजिक विकास सुनिश्चित करने के लिये हर चरण को ज़्यादा महत्त्व देते हुए बच्‍चे के श्रेष्‍ठ हितों तथा कल्‍याण का सम्‍मान करता है।
  • इस अधिनियम की एक विशेषता यह है कि इसमें लैंगिक भेदभाव (Gender Discrimination) नहीं किया गया है।

यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण (संशोधन) विधेयक, 2019

  • पेनेट्रेटिव यौन हमला (Penetrative sexual assault):
    • ऐसे अपराधों के लिये सात वर्ष से लेकर आजीवन कारावास तक की सज़ा और जुर्माने का प्रावधान किया गया है। विधेयक में सात से दस वर्ष तक की न्यूनतम सज़ा की व्यवस्था की गई है।
    • यदि कोई व्यक्ति 16 वर्ष से कम आयु के बच्चे पर पेनेट्रेटिव यौन हमला करता है तो उसे 20 वर्ष से लेकर आजीवन कारावास तक की सज़ा और जुर्माना भरना पड़ सकता है।
  • गंभीर पेनेट्रेटिव यौन हमला (Aggravated penetrative sexual assault):
    • इसमें ऐसे मामले शामिल हैं जब पुलिस अधिकारी, सशस्त्र सेनाओं के सदस्य, या पब्लिक सर्वेंट बच्चे पर पेनेट्रेटिव यौन हमला करें।
    • विधेयक गंभीर पेनेट्रेटिव यौन हमले की परिभाषा में दो आधार और जोड़ता है। इनमें (i) हमले के कारण बच्चे की मौत, और (ii) प्राकृतिक आपदा के दौरान किया गया हमला शामिल है।
    • वर्तमान में गंभीर पेनेट्रेटिव यौन हमले में 10 वर्ष से लेकर आजीवन कारावास तक की सज़ा है और जुर्माने का प्रावधान है। विधेयक न्यूनतम सज़ा को दस वर्ष से 20 वर्ष और अधिकतम सज़ा को मृत्यु दंड करने का प्रावधान करता है।
  • गंभीर यौन हमला (Aggravated sexual assault):
    • विधेयक में गंभीर यौन हमले में दो स्थितियों को और शामिल किया गया है। इनमें (i) प्राकृतिक आपदा के दौरान किया गया हमला, और (ii) जल्दी यौन परिपक्वता लाने के लिये बच्चे को हारमोन या कोई दूसरा रासायनिक पदार्थ देना या दिलवाना शामिल है।
  • पोर्नोग्राफिक सामग्री का स्टोरेज (Storage of pornographic material):
    • विधेयक के अनुसार इस अपराध के लिये तीन से पाँच वर्ष तक की सज़ा या जुर्माना भरना पड़ सकता है या दोनों भुगतने पड़ सकते हैं।
    • इसके अतिरिक्त विधेयक में बच्चों से संबंधित पोर्नोग्राफिक सामग्री के स्टोरेज से जुड़े दो और अपराधों को जोड़ा गया है। इनमें (i) बच्चों से संबंधित पोर्नोग्राफिक सामग्री को नष्ट, डिलीट या रिपोर्ट करने में असफलता, और (ii) ऐसी किसी सामग्री को ट्रांसमिट, प्रचारित या प्रबंधित करना (ऐसा सिर्फ अथॉरिटीज़ को रिपोर्ट करने के उद्देश्य से किया जा सकता है) शामिल है।

स्रोत: द हिंदू (बिज़नेस लाइन)

close
एसएमएस अलर्ट
Share Page
images-2
images-2