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एक्यूट (तीव्र) इंसेफेलाइटिस सिंड्रोम

  • 12 Jun 2019
  • 7 min read

चर्चा में क्यों?

उत्तरी बिहार के मुजफ्फरपुर ज़िले में एक्यूट इंसेफेलाइटिस सिंड्रोम (Acute Encephalitis Syndrome-AES) के कारण कई बच्चों की मौत हो गई, जिसे स्थानीय स्तर पर चम्की बुखार (दिमागी बुखार) के रूप में जाना जाता है।

  • अधिकतर अप्रैल से जून के बीच मुजफ्फरपुर, बिहार और आसपास के लीची उत्पादक ज़िलों में AES के मामले देखने को मिलते हैं।
  • गर्मी के मौसम के दौरान उच्च तापमान और आर्द्रता के कारण AES के फैलने के दर बहुत अधिक होती है।
  • मुजफ्फरपुर में बच्चों में एक्यूट इंसेफेलाइटिस के फैलने और लीची के उपभोग के बीच संबंध को नेशनल सेंटर फॉर डिज़ीज़ कंट्रोल, दिल्ली (National Centre for Disease Control) द्वारा डिज़ीज़ कंट्रोल, यू.एस. के साथ मिलकर स्पष्ट किया गया।
  • आधी पकी हुई लीची में टॉक्सिन्स हाइपोग्लाइसीन (Toxins Hypoglycin) A (यह स्वाभाविक रूप से एमीनो एसिड होता है) और मिथाइलीनसाइक्लोप्रोपाइल-ग्लाइसिन (Methylene Cyclopropyl-Glycine: MCPG) होते हैं, अधिक मात्रा में ऐसी लीची का सेवन उल्टियों (Vomiting) का कारण बनता है।

क्या है यह सिंड्रोम?

  • AES मच्छरों द्वारा प्रेषित एन्सेफलाइटिस की एक गंभीर स्थिति है, इसकी मुख्य विशेषता तीव्र बुखार और मस्तिष्क में सूजन आना है।
  • विश्व स्वास्थ्य संगठन (World Health Organisation-WHO) ने वर्ष 2006 में AES शब्द को एक ऐसे रोग समूह के रूप में दर्शाया, जो ऐसे ही एक अन्य रोग के समान प्रतीत होता है, लेकिन इसके प्रसार के अव्यवस्थित वातावरण के कारण इनमें अंतर करना मुश्किल है।
  • यह बीमारी विशेष रूप से बच्चों और युवा वयस्कों को सबसे अधिक प्रभावित करती है।
  • कारक: AES के प्रसार में वायरस मुख्य प्रेरक एजेंट के रूप में कार्य करते हैं, हालाँकि पिछले कुछ दशकों में अन्य स्रोत जैसे कि बैक्टीरिया, कवक, परजीवी, स्पाइरोकेट्स (spirochetes), रसायन, विषाक्त पदार्थ और गैर-संक्रामक एजेंट के कारण भी इसके प्रसार की घटनाएँ सामने आई हैं। यह वैक्सीन-निवारक रोग नहीं है।
  • JEV भारत में इसका प्रमुख कारण है (5% -35% से लेकर)।
  • हर्पीस सिम्प्लेक्स वायरस (Herpes simplex virus), निपाह वायरस (Nipah virus), जीका वायरस (Zika virus), इन्फ्लुएंजा ए वायरस (Influenza A virus), वेस्ट नाइल वायरस (West Nile virus), चंडीपुरा वायरस (Chandipura virus), मम्प्स (mumps), खसरा (measles), डेंगू (dengue), स्क्रब टाइफस (scrub typhus), एस. न्यूमोनिया (S.Pneumoniae) भी AES के लिये प्रेरक एजेंट के रूप में कार्य करते हैं।
  • लक्षण: भ्रम, भटकाव, कोमा या बात करने में असमर्थता, तीव्र बुखार, उल्टी और बेहोशी आदि इसके लक्षणों में शामिल हैं।

इंसेफलाइटिस क्या है?

  • इंसेफलाइटिस को प्राय: जापानी बुखार भी कहा जाता है, क्योंकि यह जापानी इंसेफलाइटिस (जेई) नामक वायरस के कारण होता है।
  • यह एक प्राणघातक संक्रामक बीमारी है, जो फ्लैविवायरस (Flavivirus) के संक्रमण से होती है। यह मुख्य रूप से बच्चों को प्रभावित करती है, जिनकी प्रतिरक्षा प्रणाली वयस्कों की तुलना में काफी कमज़ोर होती है।
  • क्यूलेक्स मच्छर इस बीमारी का वाहक होता है। सूअर तथा जंगली पक्षी मस्तिष्क ज्वर के विषाणु के स्रोत होते हैं।
  • केंद्रीय संचारी रोग नियंत्रण कार्यक्रम (National Vector Borne Disease Control Programme-NVBDCP) निदेशालय के आँकड़ों के अनुसार उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल, असम और बिहार समेत 14 राज्यों में इंसेफलाइटिस का प्रभाव है, लेकिन पश्चिम बंगाल, असम, बिहार तथा उत्तर प्रदेश के पूर्वांचल में इस बीमारी का प्रकोप काफी अधिक है।

सरकार की पहल

JE/AES के कारण बच्चों में होने वाली रुग्णता, मृत्यु दर और विकलांगता को कम करने के लिये भारत सरकार ने संबंधित मंत्रालयों के सहयोग से जापानी इंसेफेलाइटिस (Japanese Encephalitis-JE)/एक्यूट इंसेफेलाइटिस सिंड्रोम की रोकथाम और नियंत्रण के लिये राष्ट्रीय कार्यक्रम [National Programme for Prevention and Control of Japanese Encephalitis(JE)/ Acute Encephalitis Syndrome (NPPCJA)] के तहत एक बहु-आयामी रणनीति तैयार की है।

  • स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय:
    • JE टीकाकरण को मज़बूत बनाना और विस्तारित करना
    • सार्वजनिक स्वास्थ्य गतिविधियों को मज़बूत बनाना
    • JE/AES मामलों का बेहतर नैदानिक प्रबंधन
    • भौतिक चिकित्सा और पुनर्वास (Physical medicine and rehabilitation)
    • ज़िला परामर्श केंद्र की स्थापना
    • निगरानी, पर्यवेक्षण और समन्वय
  • सुरक्षित जल आपूर्ति के प्रावधान हेतु पेयजल और स्वच्छता मंत्रालय।
  • कमज़ोर बच्चों को उच्च गुणवत्ता वाला पोषण प्रदान करने हेतु महिला और बाल विकास मंत्रालय।
  • विकलांगता प्रबंधन और पुनर्वास हेतु ज़िला विकलांगता पुनर्वास केंद्रों की स्थापना के लिये सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय।
  • मलिन बस्तियों और कस्बों में सुरक्षित पानी की आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिये आवास और शहरी गरीबी उन्मूलन मंत्रालय।
  • विकलांग बच्चों को शिक्षा हेतु विशेष सुविधाएँ प्रदान करने के लिये मानव संसाधन विकास मंत्रालय (स्कूली शिक्षा विभाग)।

स्रोत: द हिंदू

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