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डेली न्यूज़

अंतर्राष्ट्रीय संबंध

तीसरा भारत-मध्य एशिया संवाद

  • 20 Dec 2021
  • 11 min read

प्रिलिम्स के लिये:

इंटरनेशनल नॉर्थ-साउथ ट्रांसपोर्ट कॉरिडोर (INSTC), मध्य एशियाई देश, चाबहार पोर्ट, चीन की बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव, शंघाई कोऑपरेशन ऑर्गनाइज़ेशन, फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स स्टैंडर्ड्स, इंटरनेशनल सोलर एलायंस (ISA), कोलिशन फॉर डिजास्टर रेजिलिएंट इंफ्रास्ट्रक्चर (CDRI), भारतीय तकनीकी और आर्थिक सहयोग (आईटीईसी)।

मेन्स के लिये:

अफगानिस्तान में शांति की बहाली में भारत-मध्य एशियाई देशों का महत्त्व, संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) में भारत की स्थायी सदस्यता के लिये समर्थन, भारत और मध्य एशियाई देशों के बीच संबंध।

चर्चा में क्यों?

हाल ही में भारत-मध्य एशिया वार्ता की तीसरी बैठक नई दिल्ली में आयोजित की गई थी।

  • यह भारत और मध्य एशियाई देशों जैसे- कज़ाखस्तान, किर्गिज़स्तान, ताजिकिस्तान, तुर्कमेनिस्तान और उज़्बेकिस्तान के बीच एक मंत्री स्तरीय संवाद है।
  • भारत ने वर्ष 2020 में भारत-मध्य एशिया वार्ता की दूसरी बैठक की मेज़बानी की थी।

प्रमुख बिंदु:

  • अंतर्राष्ट्रीय उत्तर-दक्षिण परिवहन गलियारा: 
    • भारत और मध्य एशियाई देशों के बीच संपर्क बढ़ाने के लिये अंतर्राष्ट्रीय उत्तर-दक्षिण परिवहन गलियारे (INSTC) के साथ-साथ अंतर्राष्ट्रीय परिवहन और पारगमन गलियारे पर अश्गाबात समझौते के इष्टतम उपयोग पर ज़ोर दिया गया है।
      •  INSTC के ढाँचे के भीतर चाबहार बंदरगाह को शामिल करने पर ज़ोर दिया और मध्य तथा दक्षिण एशिया में क्षेत्रीय संपर्क के विकास एवं मज़बूती से संबंधित मुद्दों पर सहयोग में रुचि व्यक्त की गई है।
      •  उत्तर-दक्षिण देशों की पारगमन और परिवहन क्षमता को विकसित करने, क्षेत्रीय रसद नेटवर्क में सुधार करने और नए परिवहन गलियारे बनाने के लिये संयुक्त पहल को बढ़ावा देने हेतु सहमति दर्ज की गई है।
      • भारत और मध्य एशियाई राज्यों के बीच वस्तुओं एवं सेवाओं की मुक्त आवाज़ाही के लिये संयुक्त कार्य समूहों की स्थापना की संभावना तलाशने हेतु सहमति व्यक्त की गई है।
  • कनेक्टिविटी परियोजनाएँ:
    • कनेक्टिविटी पहल (चीन की बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव) पारदर्शिता, व्यापक भागीदारी, स्थानीय प्राथमिकताओं, वित्तीय स्थिरता और सभी देशों की संप्रभुता तथा क्षेत्रीय अखंडता के सम्मान के सिद्धांतों पर आधारित होनी चाहिये।
  • अफगानिस्तान की स्थिति: 
    • अफगानिस्तान की वर्तमान स्थिति और तालिबान के कब्ज़े के बाद क्षेत्र पर इसके प्रभाव पर चर्चा की गई।
      • वर्तमान मानवीय स्थिति, आतंकवाद, क्षेत्रीय अखंडता, संप्रभुता के सम्मान और एकता जैसे मुद्दों पर भी चर्चा की गई है।
    • सभी आतंकी समूहों के खिलाफ ठोस कार्रवाई करने पर ज़ोर दिया।
      • इस बात पर ज़ोर दिया गया कि अफगानिस्तान की धरती का इस्तेमाल आतंकवादी हमलों की योजना बनाने के लिये नहीं किया जाना चाहिये, साथ ही अफगान लोगों को तत्काल मानवीय सहायता प्रदान करने का वचन भी दिया गया।
      • आतंकवाद के सभी रूपों की निंदा की गई और ‘सुरक्षित पनाहगाह प्रदान करने, सीमा पार आतंकवाद, आतंकवादी वित्तपोषण, हथियारों और नशीली दवाओं की तस्करी, कट्टरपंथी विचारधारा के प्रसार व दुष्प्रचार तथा हिंसा को भड़काने हेतु साइबर स्पेस के दुरुपयोग द्वारा आतंकवादी प्रॉक्सी का उपयोग करने का विरोध किया गया।
    • इस दौरान शांतिपूर्ण और स्थिर अफगानिस्तान का समर्थन किया गया और उसके आंतरिक मामलों में संप्रभुता, क्षेत्रीय अखंडता और गैर-हस्तक्षेप के सिद्धांतों पर बल दिया गया।
    • ‘संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद’ के ‘प्रस्ताव 2593’ के महत्त्व को इंगित किया गया, जो कि ‘स्पष्ट तौर पर मांग करता है कि अफगान क्षेत्र का उपयोग आतंकवादी कृत्यों को आश्रय, प्रशिक्षण, योजना या वित्तपोषण के लिये नहीं किया जाए और सभी आतंकवादी समूहों के खिलाफ ठोस कार्रवाई का आह्वान किया जाए।
  • आतंकवाद विरोधी प्रयास:
    • आतंकवादी कृत्यों के अपराधियों, आयोजकों, वित्तपोषकों और प्रायोजकों को ‘प्रत्यर्पण या मुकदमे’ के सिद्धांत के अनुसार न्याय के दायरे में लाया जाना चाहिये।
    • विश्व समुदाय से प्रासंगिक संयुक्त राष्ट्र प्रस्तावों, वैश्विक आतंकवाद विरोधी रणनीति और वित्तीय कार्रवाई टास्क फोर्स मानकों को लागू करने का आह्वान किया गया।
  • लाइन ऑफ क्रेडिट
    • सभी देश वर्तमान में मध्य एशिया में बुनियादी अवसंरचना परियोजनाओं के लिये पिछले वर्ष भारत द्वारा घोषित 1 बिलियन अमेरिकी डॉलर के ऋण के उपयोग पर चर्चा कर रहे हैं।
      • ‘लाइन ऑफ क्रेडिट’ एक पूर्व निर्धारित उधार सीमा है, जिसे किसी भी समय प्रयोग किया जा सकता है।
      • उधारकर्त्ता आवश्यकतानुसार पैसे निकाल सकता है, जब तक कि सीमा पूरी नहीं हो जाती है और जैसे ही लिये गए पैसों का भुगतान कर दिया जाता है, तो दोबारा उधार लिया जा सकता है।
  • महामारी के बाद रिकवरी:
    • सभी देशों ने व्यापक टीकाकरण के महत्त्व पर ज़ोर दिया और वैक्सीन साझा करने, प्रौद्योगिकी हस्तांतरण, स्थानीय उत्पादन क्षमता के विकास, चिकित्सा उत्पादों के लिये आपूर्ति शृंखला को बढ़ावा देने एवं मूल्य पारदर्शिता सुनिश्चित कर सहयोग का आह्वान किया गया।
  • पर्यटन की बहाली:
    • भारत और मध्य एशियाई देशों के बीच पर्यटन एवं व्यापारिक संबंधों की क्रमिक बहाली का समर्थन किया गया।
    • कज़ाखस्तान और किर्गिज़स्तान के विदेश मंत्रियों ने भारत एवं उनके देशों के बीच कोविड-19 टीकाकरण प्रमाणपत्रों की पारस्परिक मान्यता का स्वागत किया, जबकि ताजिकिस्तान, तुर्कमेनिस्तान और उज़्बेकिस्तान के मंत्रियों ने प्रमाणपत्रों की शीघ्र पारस्परिक मान्यता की मांग की।
  • ऐतिहासिक और सांस्कृतिक संबंध:
    • भारत के साथ अपने क्षेत्र के ऐतिहासिक और सांस्कृतिक संबंधों की स्थापना और कनेक्टिविटी, परिवहन, पारगमन एवं ऊर्जा जैसे क्षेत्रों में सहयोग की संभावना को उजागर करने की आवश्यकता पर बल दिया गया।
  • अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन (ISA):
    • भारत ने पेरिस समझौते के प्रभावी कार्यान्वयन के लिये सौर ऊर्जा के सामूहिक, तीव्र और बड़े पैमाने पर परिनियोजन में "अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन (ISA)" पहल की भूमिका पर प्रकाश डाला।
  • आपदा प्रतिरोधी बुनियादी ढाँचे के लिये गठबंधन:
  • UNSC में स्थायी सदस्यता:
    • विस्तारित और संशोधित संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) में भारत की स्थायी सदस्यता के लिये अपने देशों के समर्थन को दोहराया गया।
    • UNSC में चल रहे भारत के अस्थायी कार्यकाल और इसकी प्राथमिकताओं का स्वागत किया गया।
  • भारतीय तकनीकी और आर्थिक सहयोग:
    • अपने देशों के क्षमता निर्माण और मानव संसाधन विकास, विशेष रूप से अंग्रेज़ी भाषा में सूचना प्रौद्योगिकी एवं संचार कौशल में भारतीय तकनीकी तथा आर्थिक सहयोग (आईटीईसी) कार्यक्रम की महत्त्वपूर्ण भूमिका की सराहना की गई।

भारत-मध्य एशिया वार्ता

Central-Asia

  • यह भारत और मध्य एशियाई देशों जैसे- कज़ाखस्तान, किर्गिज़स्तान, ताजिकिस्तान, तुर्कमेनिस्तान व उज़्बेकिस्तान के बीच एक मंत्री स्तरीय संवाद है।
  • शीत युद्ध के पश्चात् वर्ष 1991 में USSR के पतन के बाद सभी पाँच राष्ट्र स्वतंत्र राज्य बन गए।
  • तुर्कमेनिस्तान को छोड़कर वार्ता में भाग लेने वाले सभी देश शंघाई सहयोग संगठन के सदस्य हैं।
  • बातचीत कई मुद्दों पर केंद्रित है जिसमें कनेक्टिविटी में सुधार और युद्ध से तबाह अफगानिस्तान में स्थिरता संबंधी उपाय शामिल हैं।

स्रोत: द हिंदू

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