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आंतरिक सुरक्षा

अग्नि प्राइम मिसाइल

  • 20 Dec 2021
  • 11 min read

प्रिलिम्स के लिये:

अग्नि-पी मिसाइल, ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज़ मिसाइल (वायु संस्करण), वर्टिकल लॉन्च शॉर्ट रेंज सरफेस टू एयर मिसाइल (वीएल-एसआरएसएएम), नाग, आकाश, रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (डीआरडीओ), आईजीएमडीपी।

मेन्स के लिये:

अन्य देशों की तुलना में भारत की मिसाइल प्रौद्योगिकी और संबंधित उदाहरण, भारत में मिसाइल प्रौद्योगिकी का विकास।

चर्चा में क्यों?

हाल ही में रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) ने नई पीढ़ी की परमाणु सक्षम बैलिस्टिक मिसाइल 'अग्नि प्राइम' का सफलतापूर्वक परीक्षण किया।

  • यह मिसाइल का दूसरा परीक्षण है, पहला परीक्षण जून 2021 में हुआ था।
  • अग्नि-पी मिसाइल का लक्ष्य भारत की विश्वसनीय प्रतिरोधक क्षमता को और मज़बूत करना है।

प्रमुख बिंदु

  • परिचय:
    • अग्नि-पी एक दो चरणों वाली कनस्तरीकृत ठोस प्रणोदक मिसाइल है जिसमें दोहरी नेविगेशन और मार्गदर्शन प्रणाली है।
    • इसे अत्यधिक कौशल और सटीकता सहित बेहतर मापदंडों के साथ अग्नि श्रेणी की मिसाइलों की एक नई पीढ़ी का उन्नत संस्करण कहा गया है।
      • मिसाइलों के कनस्तरीकरण से मिसाइल को लॉन्च करने के लिये आवश्यक समय कम हो जाता है, जबकि भंडारण और संचालन में आसानी होती है।
    • सतह-से-सतह पर मार करने वाली इस बैलिस्टिक मिसाइल की मारक क्षमता 1,000 से 2,000 किमी. है।
  • मिसाइलों की अग्नि श्रेणी:
    • अग्नि श्रेणी की मिसाइलें भारत की परमाणु प्रक्षेपण क्षमता का मुख्य आधार हैं, इनमें पृथ्वी- कम दूरी की बैलिस्टिक मिसाइल, पनडुब्बी से लॉन्च की गई बैलिस्टिक मिसाइल और लड़ाकू विमान भी शामिल हैं।
      • 5,000 किमी. से अधिक रेंज वाली एक अंतर-महाद्वीपीय बैलिस्टिक मिसाइल (ICBM) अग्नि-V का कई बार परीक्षण किया गया था और इसे शामिल करने के लिये मान्य किया गया था।
    • अग्नि-पी और अग्नि-5 बैलिस्टिक मिसाइलों की उत्पत्ति एकीकृत निर्देशित मिसाइल विकास कार्यक्रम (IGMDP) से हुई है, जिसका नेतृत्त्व डीआरडीओ के पूर्व प्रमुख और पूर्व भारतीय राष्ट्रपति डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम ने 1980 के दशक की शुरुआत में किया था।
  • अग्नि मिसाइलों की अन्य रेंज:
    • अग्नि I: 700-800 किमी. की सीमा।
    • अग्नि II: रेंज 2000 किमी. से अधिक।
    • अग्नि III: 2,500 किमी. से अधिक की सीमा
    • अग्नि IV: इसकी रेंज 3,500 किमी. से अधिक है और यह एक रोड मोबाइल लॉन्चर से फायर कर सकती है।
    • अग्नि V: अग्नि शृंखला की सबसे लंबी, एक अंतर-महाद्वीपीय बैलिस्टिक मिसाइल (ICBM) है जिसकी रेंज 5,000 किमी. से अधिक है।
  • हाल ही में परीक्षण की गई मिसाइल:

एकीकृत निर्देशित मिसाइल विकास कार्यक्रम ( IGMDP):

  • इसकी स्थापना का विचार प्रसिद्ध वैज्ञानिक डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम द्वारा दिया गया था। इसका उद्देश्य मिसाइल प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में आत्मनिर्भरता प्राप्त करना था। इसे भारत सरकार द्वारा वर्ष 1983 में अनुमोदित किया गया था और मार्च 2012 में पूरा किया गया था।
  • इस कार्यक्रम के तहत विकसित 5 मिसाइलें (P-A-T-N-A) हैं:
    • पृथ्वी: सतह-से-सतह पर मार करने में सक्षम कम दूरी वाली बैलिस्टिक मिसाइल।
    • अग्नि: सतह-से-सतह पर मार करने में सक्षम मध्यम दूरी वाली बैलिस्टिक मिसाइल, यानी अग्नि (1,2,3,4,5)।
    • त्रिशूल: सतह से आकाश में मार करने में सक्षम कम दूरी वाली मिसाइल।
    • नाग: तीसरी पीढ़ी की टैंक भेदी मिसाइल।
    • आकाश: सतह से आकाश में मार करने में सक्षम मध्यम दूरी वाली मिसाइल।

भारत में मिसाइल प्रौद्योगिकी का इतिहास:

  • मिसाइल प्रौद्योगिकी के बारे में:
    • आज़ादी से पहले भारत में कई राज्य अपनी युद्ध तकनीकों के हिस्से के रूप में रॉकेट (Rockets) का उपयोग कर रहे थे।
      • मैसूर के शासक हैदर अली ने 18वीं शताब्दी के मध्य में अपनी सेना में लोहे के आवरण वाले रॉकेटों को शामिल करना शुरू किया।
    • आज़ादी के समय भारत के पास कोई स्वदेशी मिसाइल क्षमता नहीं थी। 
    • वर्ष 1958 में सरकार द्वारा स्पेशल वेपन डेवलपमेंट टीम (Special Weapon Development Team) गठित की गई। 
      • बाद में इसका विस्तार कर इसे रक्षा अनुसंधान और विकास प्रयोगशाला (DRDL) कहा जाने लगा जिसे वर्ष 1962 में  दिल्ली से हैदराबाद हस्तांतरित कर दिया गया।
    • वर्ष 1972 में मध्यम दूरी की सतह-से-सतह पर मार करने वाली मिसाइल के विकास के लिये प्रोजेक्ट डेविल (Project Devil) शुरू किया गया था।
    • वर्ष 1982 तक DRDL द्वारा एकीकृत निर्देशित मिसाइल विकास कार्यक्रम (Integrated Guided Missiles Development Programme- IGMDP) के तहत कई मिसाइल प्रौद्योगिकियों पर कार्य किया गया।
  • भारत के पास उपलब्ध मिसाइलों के प्रकार:
    • सरफेस-लॉन्च सिस्टम:
      • एंटी-टैंक गाइडेड मिसाइल:
      • सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल:
      • मीडियम-रेंज सैम:
        • नौसेना के लिये MRSAM सिस्टम का उत्पादन पूरा हो गया है और नौसेना द्वारा इसका ऑर्डर दिया जा रहा है।
      • शॉर्ट-रेंज सैम:
        • नौसेना के लिये इसका पहला परीक्षण सफलतापूर्वक किया गया है।
    • सेवरल एयर-लॉन्च सिस्टम:
  • भारत की सबसे महत्त्वपूर्ण मिसाइलें:
    • अग्नि (लगभग 5,000 किमी. रेंज):
      • यह भारत की एकमात्र अंतर-महाद्वीपीय बैलिस्टिक मिसाइल (Inter-Continental Ballistic Missile- ICBM) है, जो केवल कुछ देशों के पास उपलब्ध है।
    • पृथ्वी:
      • यह 350 किमी. की रेंज वाली सतह-से-सतह पर मार करने वाली कम दूरी की मिसाइल है और इसके सामरिक उपयोग हैं।
        • अप्रैल 2019 में भारत द्वारा एक एंटी-सैटेलाइट सिस्टम का भी परीक्षण किया गया।
        • पृथ्वी डिफेंस व्हीकल MK 2 नामक एक संशोधित एंटी-बैलिस्टिक मिसाइल का उपयोग कम ऊँचाई की कक्षा के उपग्रह को हिट करने लिये किया गया।
        • अमेरिका, रूस और चीन के बाद भारत इस क्षमता को प्राप्त करने वाला देश है।
  • हाइपरसोनिक प्रौद्योगिकी:
    • इस तकनीक के मामले में संयुक्त राज्य अमेरिका, रूस और चीन के बाद भारत दुनिया का चौथा देश है।
    • ‘रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन’ ने सितंबर 2020 में एक ‘हाइपरसोनिक टेक्नोलॉजी डिमॉन्स्ट्रेटर व्हीकल’ (HSTDV) का सफलतापूर्वक परीक्षण किया था और अपनी हाइपरसोनिक एयर-ब्रीदिंग स्क्रैमजेट तकनीक का प्रदर्शन किया था।
  • पाकिस्तान और चीन की तुलना में भारत की मिसाइल तकनीक:
    • भारत
      • ‘इंटीग्रेटेड गाइडेड मिसाइल डेवलपमेंट प्रोग्राम’ (IGMP) के तहत पहले ‘पृथ्वी’ और फिर ‘अग्नि’ मिसाइल को विकसित किया गया।
      • ‘ब्रह्मोस’ (ध्वनि की गति से 2.5-3 गुना तेज़) के विकसित होने पर यह दुनिया के सबसे तेज़ मिसाइलों में से एक था।
      • भारत अग्नि VI और अग्नि VII पर काम कर रहा है, जिनकी रेंज काफी अधिक होगी।
    • चीन और पाकिस्तान
      • यद्यपि चीन भारत से आगे है, किंतु कई विशेषज्ञ मानते हैं कि ‘चीन के विषय में बहुत से तथ्य केवल मनोवैज्ञानिक हैं।’
      • चीन ने पाकिस्तान को तकनीक दी है, "लेकिन तकनीक प्राप्त करना और वास्तव में उसका उपयोग करना तथा उसके बाद एक नीति विकसित करना पूर्णतः अलग-अलग हैं।
      • भारत की परमाणु मिसाइलें- ‘पृथ्वी’ और ‘अग्नि’ हैं, लेकिन उनसे परे सामरिक परमाणु हथियारों को भारतीय वायु सेना के कुछ लड़ाकू जेट विमानों से या सेना की बंदूकों से दागा जा सकता है, जिनकी सीमा कम होती है, लगभग 50 किलोमीटर है।

स्रोत: द हिंदू

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