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प्रिलिम्स फैक्ट्स

  • 15 Apr, 2021
  • 16 min read
प्रारंभिक परीक्षा

प्रिलिम्स फैक्ट्स : 15 अप्रैल, 2021

भारत ऊर्जा डैशबोर्ड- दूसरा संस्करण 

India Energy Dashboards Version 2.0

हाल ही में भारत सरकार के थिंक टैंक ‘नीति आयोग’ ने भारत ऊर्जा डैशबोर्ड का दूसरा संस्करण का लॉन्च किया गया है।

  • नीति आयोग द्वारा  इसके प्रथम संस्करण की शुरुआत मई 2017 में की गई थी।

प्रमुख बिंदु

भारत ऊर्जा डैशबोर्ड- 2.0

  • भारत ऊर्जा डैशबोर्ड (IED) एक ही स्थान पर देश के ऊर्जा क्षेत्र से संबंधित समग्र डेटा प्रदान करने का एक प्रयास है।
    • यह भारत के लिये एक व्यापक, मुक्त, स्वतंत्र और सुलभ ऊर्जा डेटा पोर्टल बनाने की दिशा में किया गया आरंभिक प्रयास है।
  • इस डैशबोर्ड में केंद्रीय विद्युत प्राधिकरण, कोयला नियंत्रक संगठन और पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्रालय द्वारा प्रकाशित/प्रदत्त ऊर्जा डेटा को संकलित किया गया है।
  • भारत ऊर्जा डैशबोर्ड, वित्त वर्ष 2005-06 से वित्त वर्ष 2019-20 तक के लिये समय शृंखला डेटा प्रदान करता है।
  • यह डैशबोर्ड, अर्द्ध-वार्षिक अनुक्रम में भी डेटा उपलब्ध कराता है। इसमें विभिन्न सरकारी एजेंसियों द्वारा प्रबंधित मासिक और API (एप्लीकेशन प्रोग्रामिंग इंटरफेस) लिंक डाटा भी शामिल हैं। 
  • डैशबोर्ड में सौभाग्य, उजाला, प्राप्ति और विद्युत प्रवाह जैसे पोर्टलों और योजनाओं का API-लिंक डेटा शामिल किया गया है।

सौभाग्य योजना

  • ‘प्रधानमंत्री सहज बिजली हर घर योजना’ यानी ‘सौभाग्य योजना’ को सितंबर, 2017 से दिसंबर 2018 तक सभी घरों को विद्युतीकृत करने के लक्ष्य के साथ शुरू किया गया था। 
  • सभी राज्यों ने ‘सौभाग्य पोर्टल’ पर घोषणा की थी कि सभी स्वीकृत अविद्युतीकृत घरों को 31 मार्च, 2019 तक विद्युतीकृत कर दिया गया था, हालाँकि इसमें वामपंथी उग्रवाद (LWE) प्रभावित छत्तीसगढ़ के 18,734 घर शामिल नहीं है।

उजाला योजना

  • वर्ष 201 में शुरू की गई उजाला योजना (Unnat Jeevan by Affordable LEDs and Appliances for All -UJALA) एक एक शून्य-सब्सिडी योजना है। 
  • यह विश्व की सबसे बड़ी घरेलू लाइटिंग परियोजना है।
  • प्रत्येक परिवार, जिसके पास किसी विद्युत वितरण कंपनी का मीटर कनेक्शन है, योजना के तहत LED बल्ब प्राप्त करने के लिये पात्र होगा।
  • इस योजना का उद्देश्य कम लागत पर LED बल्ब उपलब्ध कराकर ऊर्जा बचत करना और ग्रीनहाउस गैसों के उत्सर्जन को कम करना है।

प्राप्ति

  • यह विद्युत मंत्रालय द्वारा वर्ष 2018 में शुरू किया गया एक वेब पोर्टल है।
  • ‘प्राप्ति’ (PRAAPTI) का पूरा नाम ‘पेमेंट रेटीफीकेशन एंड एनालिसिस इन पॉवर प्रोक्योरमेंट फॉर ब्रिंगिंग ट्रांसपेरेंसी इन इनवॉइसिंग ऑफ जनरेटर्स’ है।
  • बिजली वितरण कंपनियाँ इस पोर्टल पर उत्पादक/जनरेटर द्वारा किये गए दावों से निपटने में सक्षम हैं।

विद्युत प्रवाह

  • यह मोबाइल/वेब आधारित एप विद्युत की वर्तमान माँग, अधिशेष बिजली उपलब्धता और पॉवर एक्सचेंज में कीमतों के बारे में वास्तविक समय सूचना प्रदान करता है ।

‘ई-सांता’ प्लेटफॉर्म 

(e-SANTA)

हाल ही में केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री वर्चुअल माध्यम से ‘ई-सांता’ (E-SANTA) नाम से एक इलेक्ट्रॉनिक प्लेटफॉर्म का उद्घाटन किया, जो कि जल कृषकों और खरीदारों को जोड़ने हेतु एक मंच प्रदान करेगा।

प्रमुख बिंदु

ई-सांता’ प्लेटफॉर्म

  • ‘ई-सांता’ का प्रयोग वेब पोर्टल के लिये किया गया है, जिसका अर्थ है- ‘इलेक्ट्रॉनिक सॉल्यूशन फॉर ऑग्मेंटिंग NaCSA फार्मर्स ट्रेड इन एक्वाकल्चर’ (e-SANTA)।
  • ‘ई-सांता’ प्लेटफॉर्म बाज़ार विभाजन को समाप्त करने के लिये एक डिजिटल ब्रिज के रूप में कार्य करेगा और मध्यस्थों को समाप्त कर किसानों एवं खरीदारों को एक वैकल्पिक विपणन का साधन उपलब्ध कराएगा।
  • इस प्लेटफॉर्म पर किसान स्वतंत्र रूप से अपनी उपज को सूचीबद्ध कर सकते हैं और अपनी इच्छा के अनुसार, कीमतों का निर्धारण कर सकते हैं, इसके अलावा निर्यातकों को भी अपनी आवश्यकताओं को सूचीबद्ध करने तथा अपनी आवश्यकताओं (जैसे- वांछित आकार, स्थान, फसल की अवधि आदि) के आधार पर उत्पादों का चयन करने की स्वतंत्रता होगी।
  • यह प्लेटफॉर्म कई भाषाओं में उपलब्ध है, जो स्थानीय लोगों के लिये काफी मददगार होगा।

महत्त्व:

  • ई-सांता निम्नलिखित तरीकों से जल कृषकों की आय में वृद्धि (RAISE) करने, जीवनशैली तथा गुणवत्ता स्तर में सुधार करने, उन्हें आत्मनिर्भरता बनाने और नए विकल्प प्रदान करने में सहायता करेगा:  
    • जोखिम कम करके (Reducing Risk)
    • उत्पादों और बाज़ारों के बारे में जागरूकता प्रदान करके (Awareness of Products & Markets)
    • आय में वृद्धि करके (Increase in Income)
    • अनुचित प्रथाओं के विरुद्ध सुरक्षा प्रदान करके (Shielding Against Wrong Practice)
    • प्रक्रियाओं को सुगम बनाकर (Ease of Processes)
  • यह किसानों एवं खरीदारों को व्यापार पर अधिक नियंत्रण रखने में सक्षम बनाएगा और उन्हें सूचित निर्णय लेने में सहायता करेगा।
  • यह किसानों और निर्यातकों के बीच एक कैशलेस, संपर्क रहित और कागज रहित इलेक्ट्रॉनिक व्यापार मंच प्रदान करेगा।
  • ई-सांता प्लेटफॉर्म सामूहिक रूप से उत्पादों को खरीदने वाले, मछुआरों एवं मत्स्य उत्पादक संगठनों को एक साथ लाने का एक माध्यम बन सकता है।
  • यह राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर लोगों को उत्पादों की उपलब्धता के बारे में जानकारी प्राप्त करने का अवसर प्रदान करेगा तथा इस तरह यह भविष्य में एक नीलामी मंच भी बन सकता है।

नेशनल सेंटर फॉर सस्टेनेबल एक्वाकल्चर (NaCSA)

  • नेशनल सेंटर फॉर सस्टेनेबल एक्वाकल्चर (NaCSA), वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय (भारत सरकार) के तहत समुद्री उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण (MPEDA) की एक विस्तारित शाखा है।
  • NaCSA का प्राथमिक उद्देश्य छोटे एवं सीमांत किसानों को संगठित कर उनका उत्थान सुनिश्चित करना और जलीय कृषि (खासतौर पर झींगा पालन संस्कृति) में सर्वश्रेष्ठ प्रबंधन प्रथाओं को बनाए रखना है।
  • झींगा पालन के लिये सामूहिक या क्लस्टर आधारित दृष्टिकोण का प्राथमिक लाभ यह है कि इससे उत्पादन की लागत में महत्त्वपूर्ण कमी आती है।
  • यह किसानों को निम्नलिखित कार्यों हेतु संगठित होने में सक्षम बनाता है:
    • कृषि संबंधी विभिन्न गतिविधियों का निर्धारण
    • गुणवत्तापूर्ण बीज की खरीद
    • भंडारण 
    • जल विनिमय 
    • हार्वेस्टिंग पद्धति

विविध

Rapid Fire (करेंट अफेयर्स): 15 अप्रैल, 2021

फुकुशिमा परमाणु संयंत्र

जापान ने वर्ष 2011 की सुनामी में तबाह हुए फुकुशिमा परमाणु संयंत्र के एक मिलियन टन से अधिक दूषित जल को समुद्र में छोड़ने की योजना को मंज़ूरी दे दी है। समुद्र में छोड़े जाने से पूर्व इस दूषित जल को यथासंभव उपचारित किया जाएगा, जिससे जल का रेडिएशन/विकिरण स्तर कम होगा और वह पीने योग्य बन सकेगा। हालाँकि स्थानीय मत्स्यपालन उद्योग ने जापान सरकार के इस कदम का कड़ा विरोध किया है, क्योंकि इससे स्थानीय जैव-विविधता पर नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा तथा मत्स्यपालकों की आजीविका भी प्रभावित होगी। ज्ञात हो कि फुकुशिमा पॉवर प्लांट के परमाणु रिएक्टर की इमारत वर्ष 2011 में आए भूकंप और सुनामी के बाद हुए हाइड्रोजन विस्फोट के कारण ध्वस्त हो गई थी। इस भूकंप और सुनामी ने परमाणु संयंत्र के रिएक्टर की कूलिंग/शीतलन प्रणाली को प्रभावित किया था, जिससे वहाँ मौजूद तीन रिएक्टर पिघलने लगे थे। पिघले हुए रिएक्टरों को ठंडा करने के लिये एक मिलियन टन से अधिक जल का उपयोग किया गया। वर्तमान में, इसी रेडियोएक्टिव जल का उपचार करने के लिये एक जटिल फिल्ट्रेशन प्रक्रिया का उपयोग किया जा रहा है ताकि इसमें मौजूद अधिकांश रेडियोएक्टिव तत्त्व समाप्त हो जाएँ, किंतु इस प्रक्रिया के बाद भी कुछ तत्त्व पानी में मौजूद रहेंगे, जिसमें ट्राइटियम भी शामिल है। ट्राइटियम की बहुत अधिक मात्रा मनुष्यों के लिये हानिकारक मानी जाती है। 

बलबीर सिंह जूनियर 

13 अप्रैल, 2021 को पूर्व हॉकी खिलाड़ी बलबीर सिंह जूनियर का 88 वर्ष की आयु में निधन हो गया। 2 मई, 1932 को पंजाब के संसारपुर में जन्मे बलबीर सिंह जूनियर ने मात्र छह वर्ष की आयु में हॉकी खेलना शुरू किया था। 1950 के दशक में भारतीय रेलवे टीम में शामिल होने से पूर्व बलबीर सिंह जूनियर ने इंटर यूनिवर्सिटी हॉकी टूर्नामेंट में पंजाब विश्वविद्यालय टीम की कप्तानी भी की थी। वर्ष 1958 में टोक्यो में आयोजित एशियाई खेलों में, बलबीर सिंह जूनियर को बलबीर सिंह सीनियर के बैकअप (सेंटर फॉरवर्ड) के रूप में भारतीय टीम में शामिल किया गया, हालाँकि टूर्नामेंट में वे इनसाइड-लेफ्ट के रूप में खेले। बलबीर सिंह जूनियर वर्ष 1962 में सेना में एक आपातकालीन कमीशन अधिकारी के रूप में शामिल हुए थे और बाद में सेना की ऑर्डिनेंस कोर से मेजर के पद से सेवानिवृत्त हुए। विदित हो कि बलबीर सिंह जूनियर वर्ष 1958 में आयोजित एशियाई खेलों में रजत पदक जीतने वाली भारतीय टीम का भी हिस्सा थे।

हिमाचल दिवस

प्रत्येक वर्ष 15 अप्रैल को हिमाचल दिवस आयोजित किया जाता है। ध्यातव्य है कि 15 अप्रैल, 1948 को हिमाचल प्रदेश मुख्य आयुक्त प्रांत के रूप में अस्तित्त्व में आया था। भारतीय संविधान लागू होने के साथ 26 जनवरी, 1950 को हिमाचल प्रदेश 'ग' श्रेणी का राज्य बन गया। इसके पश्चात् 1 जुलाई, 1956 को हिमाचल प्रदेश को केंद्रशासित प्रदेश घोषित किया गया। वर्ष 1966 में कांगड़ा और पंजाब के अन्य पहाड़ी इलाकों को हिमाचल में मिला दिया गया, किंतु इसका स्वरूप केंद्रशासित प्रदेश का ही रहा। दिसंबर 1970 में संसद द्वारा हिमाचल प्रदेश राज्य अधिनियम पारित किया गया, जिसके फलस्वरूप 25 जनवरी, 1971 को नया राज्य अस्तित्त्व में आया। इस प्रकार हिमाचल प्रदेश, भारतीय गणराज्य का 18वाँ राज्य बना। क्षेत्र के प्राचीनतम ज्ञात जनजातीय निवासियों को ‘दास’ कहा जाता था, बाद में आर्य आए और वे भी इसी क्षेत्र में रहने लगे। राज्य उत्तर में जम्मू-कश्मीर और लद्दाख से, दक्षिण-पश्चिम में पंजाब से, दक्षिण में हरियाणा से, दक्षिण-पूर्व में उत्तराखंड से तथा पूर्व में तिब्बत (चीन) की सीमाओं से घिरा हुआ है। वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार, राज्य की संख्या तकरीबन 68 लाख है और राज्य का कुल क्षेत्रफल लगभग 55,673 वर्ग किलोमीटर है। 

लक्षद्वीप और बडगाम: क्षयरोग मुक्त

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने हाल ही में लक्षद्वीप और जम्मू-कश्मीर के बडगाम को क्षयरोग-मुक्त घोषित किया है। इसे ऐतिहासिक उपलब्धि बताते हुए केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने वर्ष 2025 तक संपूर्ण भारत से क्षयरोग को समाप्त करने को समाप्त करने के प्रति अपनी प्रतिबद्धता व्यक्त की। भारत से टीबी का उन्मूलन न सिर्फ भारत के लिये महत्त्वपूर्ण है, बल्कि यह समूचे विश्व पर गहरा प्रभाव डालेगा और अन्य देशों को भी इस दिशा में आगे बढ़ने के लिये प्रेरणा मिलेगी। ज्ञात हो कि क्षयरोग बैक्टीरिया (माइकोबैक्टीरियम ट्यूबरकुलोसिस) के कारण होने वाला एक रोग है, जो फेफड़ों को सबसे अधिक प्रभावित करता है। यह एक संक्रामक रोग है, जो एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में खांसने, छींकने या थूकने के दौरान हवा के माध्यम से या फिर संक्रमित सतह को छूने से फैलता है। इस रोग से पीड़ित व्यक्ति में बलगम और खून के साथ खांसी, सीने में दर्द, कमज़ोरी, वजन कम होना, तथा  बुखार इत्यादि के लक्षण देखे जाते हैं। इस संबंध में सरकार द्वारा किये जा रहे प्रयासों में- ‘राष्ट्रीय क्षय रोग उन्मूलन कार्यक्रम’ (NTEP), ‘निक्षय पोषण योजना’ और ‘टीबी हारेगा देश जीतेगा अभियान’ आदि शामिल हैं।


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