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प्रिलिम्स फैक्ट्स

  • 15 Jan, 2021
  • 10 min read
प्रारंभिक परीक्षा

प्रिलिम्स फैक्ट: 15 जनवरी, 2021

विश्व की सबसे पुरानी गुफा कला

World's Oldest Cave Art

हाल ही में पुरातत्त्वविदों ने इंडोनेशिया में विश्व की सबसे पुरानी गुफा कला की खोज की है जिसमें एक जंगली सुअर को चित्रित किया गया है।

Leang-tedongnge

प्रमुख बिंदु:

  • अवस्थिति:
    • यह चित्र इंडोनेशिया के सुलावेसी द्वीप पर एक सुदूर घाटी में लीआंग टेडॉन्गे (Leang Tedongnge) गुफा में पाया गया है।
  • सुलावेसी जंगली सुअर चित्रकला के संबंध में:
    • यह चित्रकारी कम-से-कम 45,500 वर्ष पुरानी है
    • यह चित्रकारी लाल गेरूए रंग से की गई है, इसमें एक जंगली सुअर को छोटी सी शिखा और आँखों के सामने सींग सदृस्य आकृति के साथ दर्शाया गया है, यह संभवत: किसी सामाजिक संघर्ष या अन्य सुअरों के बीच संघर्ष की संभावना को व्यक्त करता है।
      • सुलावेसी सुअरों का शिकार मनुष्यों द्वारा कई हज़ार वर्षों से किया जा रहा है और यह इस द्वीप के हिमयुगीन शैल कलाओं में सबसे अधिक संख्या में चित्रित जानवर है, जो यह दर्शाता है कि लंबे समय से इनका उपयोग भोजन के रूप किया जाता रहा है। 
      • इसके अलावा ये तत्कालीन लोगों की ‘रचनात्मक सोच और कलात्मक अभिव्यक्ति’ के केंद्र में रहे होंगे।
    • अन्य प्राचीन गुफा चित्रकलाएँ:
    • सबसे प्राचीन रॉक कला 'दृश्य' कम-से-कम 43,900 वर्ष पुराने हैं, इसमें ऐसे मानव तथा जानवरों का चित्रण किया गया है, जो सुलावेसी सुअरों और बौने गिद्धों का शिकार करते थे।
  • भारत में प्रसिद्ध कुछ चित्रकला गुफाएँ:
    • अजंता:
      • ये गुफाएँ महाराष्ट्र में औरंगाबाद के पास वाघोरा नदी के निकट सह्याद्रि पर्वतमाला (पश्चिमी घाट) में रॉक-कट गुफाओं की एक शृंखला के रूप में हैं।
      • इन गुफाओं में आकृतियों को फ्रेस्को पेंटिंग का उपयोग करके दर्शाया गया है।
    • एलोरा:
      • ये गुफाएँ महाराष्ट्र की सह्याद्रि पर्वतमाला में अजंता की गुफाओं से लगभग 100 किलोमीटर दूर स्थित हैं।
      • एलोरा के गुफा मंदिरों में सबसे उल्लेखनीय कैलासा (कैलासनाथ; गुफा संख्या 16) है, जिसका नाम हिमालय के कैलास पर्वत (हिंदू मान्यताओं के अनुसार भगवान शिव का निवास स्थान) पर रखा गया है।
    • एलीफेंटा:
      • यह मुंबई में एलीफेंटा द्वीप पर स्थित है।
      • एलीफेंटा समूह में सात गुफाएँ हैं।
    • भीमबेटका:
      • यह होशंगाबाद और भोपाल के मध्य विंध्य पर्वत की तलहटी में स्थित है।
      • यह भारत और विश्व की सबसे पुरानी चित्रकलाओं में से एक है।

विविध

Rapid Fire (करेंट अफेयर्स): 15 जनवरी, 2021

इबोला वायरस वैक्सीन का भंडारण

विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा भविष्य में इबोला प्रकोपों से निपटने के लिये इबोला वैक्सीन का भंडार तैयार किया जा रहा है। इस संबंध में जारी अधिसूचना के मुताबिक, डॉक्टर्स विदाउट बॉर्डर्स, यूनिसेफ और इंटरनेशनल फेडरेशन ऑफ रेड क्रॉस जैसे अंतर्राष्ट्रीय संस्थान भी इस कार्य में विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की सहायता करेंगे। विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा इबोला वैक्सीन का भंडार स्विट्ज़रलैंड में स्थापित किया जाएगा। इसमें इबोला वैक्सीन के तकरीबन 50000 डोज़ आरक्षित किये जाएंगे जिसमें तकरीबन 7000 डोज़ पहले से मौजूद हैं, जबकि शेष डोज़ेज़ का भंडारण आने वाले समय में इस भंडार में किया जाएगा। वैक्सीन भंडारण के लिये वित्तीय सहायता वैश्विक वैक्सीन गठबंधन GAVI द्वारा प्रदान की जाएगी। इसके अलावा विश्व स्वास्थ्य संगठन ने अपने अन्य भागीदारों के साथ मिलकर ‘मेनिन्जाइटिस’ और ‘येलो फीवर’ की वैक्सीन का भी भंडारण किया है। इबोला वायरस की खोज सबसे पहले वर्ष 1976 में इबोला नदी के पास हुई थी, जो कि अब कांगो लोकतांत्रिक गणराज्य है। अफ्रीका में फ्रूट बैट चमगादड़ इबोला वायरस के वाहक हैं जिनसे पशु (चिंपांजी, गोरिल्ला, बंदर, वन्य मृग) संक्रमित होते हैं। इसमें वायुजनित संक्रमण नहीं होता है। 

वक्फ संपत्तियों को जियो-टैग

केंद्रीय अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय ने केंद्रशासित प्रदेश पुद्दुचेरी में सभी वक्फ संपत्तियों की जियो-टैगिंग करने का निर्णय लिया है, जिस पर जल्द ही कार्य शुरू किया जाएगा। इस निर्णय का प्राथमिक उद्देश्य केंद्रशासित प्रदेश में वक्फ संपत्तियों के अवैध अतिक्रमण को रोकना है। ज्ञात हो कि बीते 15 वर्ष में पुद्दुचेरी में कोई भी वक्फ बोर्ड स्थापित नहीं किया गया है। जियो-टैगिंग का आशय विभिन्न मीडिया फाइलों जैसे- फोटोग्राफ, वीडियो, वेबसाइट या आरएसएस फीड में भौगोलिक पहचान मेटाडेटा को जोड़ने की प्रक्रिया से है, यह भू-स्थानिक मेटाडेटा का ही एक रूप है। इस डेटा में प्रायः अक्षांश और देशांतर निर्देशांक शामिल होते हैं, हालाँकि इसमें ऊँचाई (Altitude) और स्थान आदि को भी शामिल किया जा सकता है। वहीं वक्फ धार्मिक और धर्मार्थ उद्देश्यों के लिये ईश्वर के नाम पर दी गई संपत्ति होती है। कानून के अनुसार इस्लाम धर्म को मानने वाले किसी व्यक्ति द्वारा धार्मिक अथवा धर्मार्थ उद्देश्यों के लिये स्थायी रूप से दान की गई कोई भी चल अथवा अचल संपत्ति वक्फ संपत्ति होती है। भारत में वक्फ संपत्ति को वक्फ अधिनियम, 1995 द्वारा शासित किया जाता है। 

फेसलेस पेनाल्टी स्कीम, 2021

केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (CBDT) ने अपने फेसलेस मूल्यांकन कार्यक्रम के तहत आयकर से संबंधित जुर्माना अधिरोपित करने से जुड़े मुद्दों के लिये ‘फेसलेस पेनाल्टी स्कीम, 2021’ शुरू की है। योजना के तहत इलेक्ट्रॉनिक मोड के माध्यम से जुर्माना भरने की प्रक्रिया निर्धारित की गई है, जिसमें अपीलीय कार्यवाही के दौरान अतिरिक्त आधार और नए सबूतों को जोड़ने की प्रक्रिया भी शामिल है। इस स्कीम का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि प्राधिकरण द्वारा जारी किसी भी जुर्माना संबंधी आदेश की सही ढंग से पुष्टि की जाए। आयकर विभाग ने आयकर आकलन में अधिक पारदर्शिता, दक्षता और जवाबदेही सुनिश्चित करने के लिये बीते वर्ष अगस्त माह में ‘फेसलेस मूल्यांकन कार्यक्रम’ शुरू किया था। इस कार्यक्रम का उद्देश्य करदाताओं और आयकर विभाग के बीच मानवीय इंटरफेस को पूर्णतः समाप्त करना है। इस प्रणाली में कर अधिकारी के समक्ष उपस्थित होने की आवश्यकता नहीं होगी।

भारत मौसम विज्ञान विभाग

भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD) 15 जनवरी, 2021 को अपना 145वाँ स्थापना दिवस मना रहा है। भारत मौसम विज्ञान विभाग की स्थापना वर्ष 1875 में ब्रिटिश भारत में की गई थी। यह मौसम विज्ञान एवं संबद्ध विषयों से संबंधित सभी मामलों की एक प्रमुख सरकारी एजेंसी है। इस एजेंसी का प्राथमिक कार्य मौसम संबंधी विशिष्ट सूचनाओं को एकत्र करना और मौसम-संवेदनशील गतिविधियों के संचालन जैसे- कृषि, सिंचाई, शिपिंग, विमानन, अपतटीय तेल की खोज आदि हेतु मौसम संबंधी जानकारी प्रदान करना है। इसके अलावा यह मौसम विज्ञान और संबद्ध विषयों में अनुसंधान करने और उसे बढ़ावा देने का कार्य भी करता है। वर्ष 2020 में भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD) ने कई महत्त्वपूर्ण उपलब्धियाँ हासिल की हैं। वर्ष 2020 में विश्व मौसम संगठन (WMO) ने भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD) की 7 वेधशालाओं को मान्यता प्रदान की है तथा वर्तमान में 29 डॉपलर मौसम रडार देश में कार्यरत हैं, जिनमें सोनमर्ग (जम्मू-कश्मीर) में स्थित एक पोर्टेबल डॉपलर मौसम रडार भी शामिल है। इसके अलावा वर्ष 2020 में वास्तविक वर्षा आँकड़ों के एकत्रण को 683 ज़िलों से बढ़ाकर 690 ज़िलों तक किया गया है।


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