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प्रिलिम्स फैक्ट्स

  • 10 Mar, 2021
  • 16 min read
प्रारंभिक परीक्षा

प्रिलिम्स फैक्ट्स : 10 मार्च, 2021

जन-औषधि दिवस

Janaushadhi Diwas

हाल ही में ब्यूरो ऑफ फार्मा पीएसयू ऑफ इंडिया (Bureau of Pharma PSUs of India) ने उत्तम गुणवत्ता वाली जेनेरिक दवाओं के विषय में जागरूकता बढ़ाने के लिये तीसरा जन-औषधि दिवस (7 मार्च, 2021) मनाया।

  • इस वर्ष जन-औषधि दिवस की थीम "सेवा भी-रोज़गार भी" थी। इस दिवस को 1 मार्च से 7 मार्च तक पूरे देश में मनाया गया।
  • प्रधानमंत्री ने समारोह के एक हिस्से के रूप में पूर्वोत्तर इंदिरा गांधी क्षेत्रीय स्वास्थ्य एवं चिकित्सा संस्थान (NEIGRIHMS), शिलांग में 7,500वें जन-औषधि केंद्र (Jan Aushadhi Kendra) का उद्घाटन किया।

प्रमुख बिंदु

जन-औषधि केंद्र:

  • ब्यूरो ऑफ फार्मा पीएसयू ऑफ इंडिया, प्रधानमंत्री भारतीय जन-औषधि  परियोजना (Pradhan Mantri Bhartiya Janaushadhi Pariyojana) के एक भाग के रूप में जन-औषधि केंद्रों का समर्थन करता है।
  • ये ऐसे केंद्र हैं जहाँ गुणवत्तापूर्ण जेनेरिक दवाएँ सभी को उपलब्ध कराई जाती हैं।
  • देश के सभी 734 ज़िलों में जन-औषधि केंद्र (7400 से अधिक) स्थापित किये जा चुके हैं।
  • प्रधानमंत्री जन-औषधि केंद्रों की स्थापना के लिये 2.5 लाख रुपए तक का सरकारी अनुदान प्रदान किया जाता है, जिसकी मदद से डॉक्टर, फार्मासिस्ट, उद्यमी, स्वयं सहायता समूह (SHG), गैर-सरकारी संगठन (NGO) आदि किसी भी उपयुक्त स्थान या अस्पताल के बाहर जन-औषधि केंद्र स्थापित कर सकते हैं।

प्रधानमंत्री भारतीय जन-औषधि परियोजना:

  • इस परियोजना को वर्ष 2008 में भारत सरकार के ‘रसायन एवं उर्वरक मंत्रालय’ (Ministry of Chemicals & Fertilizer) के अंतर्गत कार्यरत ‘फार्मास्यूटिकल्स विभाग’ (Department of Pharmaceutical) द्वारा प्रारंभ किया गया था।
    • इस अभियान को वर्ष 2015-16 में PMBJP के रूप में फिर से शुरू किया गया।
  • ब्यूरो ऑफ फार्मा पीएसयू ऑफ इंडिया, PMBJP की कार्यान्वयन एजेंसी है।
  • इस परियोजना का लक्ष्य ‘प्रधानमंत्री जन-औषधि केंद्र’ के माध्यम से देश की जनता को सस्ती एवं गुणवत्ता युक्त दवाइयाँ प्रदान करना है।
  • इससे गुणवत्तापूर्ण जेनेरिक दवाओं (Generic Drug) के कवरेज़ का विस्तार करने में मदद मिलेगी, जिससे दवाओं पर खर्च को कम कर उपचार लागत को कम किया जा सकेगा।
    • PMBJP के अंतर्गत एक दवा की कीमत शीर्ष तीन ब्रांडेड दवाओं के औसत मूल्य से 50% कम रखी गई है। इसलिये जन-औषधि दवाओं की कीमत कम-से-कम 50% और कुछ मामलों में ब्रांडेड दवाओं के बाज़ार मूल्य से 90% तक कम होती  है।

प्रदर्शन का विश्लेषण:

  • चालू वित्त वर्ष 2020-21 में  PMBJP ने 593.84 करोड़ रुपए की बिक्री की। इसके परिणामस्वरूप देश के नागरिकों को लगभग 3600 करोड़ रुपए की बचत हुई है।
  • यह योजना टिकाऊ और नियमित कमाई के साथ स्वरोज़गार का अच्छा स्रोत भी प्रदान कर रही है।

रक्षा अधिग्रहण परिषद की योजनाएँ

Defence Acquisition Council’s Plans

हाल ही में रक्षा अधिग्रहण परिषद (Defence Acquisition Council) ने संयुक्त राज्य अमेरिका से सशस्त्र ड्रोन और प्रोजेक्ट -75 (आई) के तहत उन्नत पनडुब्बियों के लिये मल्टी बिलियन सौदा किया है।

प्रमुख बिंदु

भारत-अमेरिका ड्रोन समझौता:

  • भारत अमेरिका से 30 सशस्त्र ड्रोन (प्रत्येक सेवा के लिये 10) खरीद रहा है, लेकिन पिछले कुछ वर्षों में इस प्रक्रिया में बार-बार देरी हुई है।
  • जबकि नौसेना हाई एल्टीट्यूड लॉन्ग एंड्यूरेंस (High Altitude Long Endurance- HALE) ड्रोन को खरीदने का प्रयास कर रही है, लेकिन इन ड्रोनों की उच्च लागत को देखते हुए सेना और वायुसेना के लिये इनकी उपयोगिता पर सवाल उठाए गए हैं।
    • चीन के साथ मई 2020 में पूर्वी लद्दाख में गतिरोध के बाद से सीमा की निरंतर निगरानी के लिये ड्रोन की आवश्यकता महसूस की गई।
  • भारतीय नौसेना पहले से ही दो अमेरिकी MQ-9B सी-गार्जियन अनआर्म्ड ड्रोन्स (MQ-9B Sea Guardian Unarmed Drone) को अपने बेड़े में शामिल कर चुकी है। 

प्रोजेक्ट-75 (आई):

  • भारतीय नौसेना के लिये प्रोजेक्ट 75 (आई)-क्लास पनडुब्बी, प्रोजेक्ट 75 कलवरी-क्लास पनडुब्बी का रूपांतरण है।
  • इस परियोजना में रणनीतिक भागीदारी (Strategic Partnership) मॉडल के अंतर्गत रक्षा खरीद प्रक्रिया (Defence Procurement Procedure) अपनाई जा रही है।
    • इस नीति के प्रारंभिक चरण में सरकार किसी एक मुख्य प्रणाली के निर्माण हेतु सामरिक भागीदार के रूप में एक निजी भारतीय इकाई की पहचान करती है। चयनित कंपनियाँ इन प्रणालियों के उत्पादन के लिये विदेशी कंपनियों के साथ संयुक्त उद्यम स्थापित कर सकती हैं।
    • इस नीति का उद्देश्य रक्षा विनिर्माण में भारतीय उद्योग की भूमिका को बढ़ावा देना और घरेलू रक्षा औद्योगिक पारिस्थितिकी तंत्र का निर्माण करना है।
  • यह परियोजना स्वदेशी पनडुब्बी निर्माण की 30 वर्ष की योजना का हिस्सा है, जिसे वर्ष 1999 में कैबिनेट कमेटी ऑन सिक्योरिटी (Cabinet Committee on Security) द्वारा मंज़ूरी दी गई थी।
    • इस योजना का उद्देश्य पनडुब्बी अधिग्रहण प्रक्रिया को सुव्यवस्थित करने और दो पनडुब्बी उत्पादन केंद्रों की स्थापना में मदद करना था।

रक्षा अधिग्रहण परिषद

  • रक्षा अधिग्रहण परिषद (Defence Acquisition Council) नई पॉलिसी और कैपिटल अधिग्रहण संबंधी मामलों पर निर्णय लेने वाली रक्षा मंत्रालय की सर्वोच्च संस्था है।
  • इस परिषद की अध्यक्षता रक्षा मंत्री (Minister of Defence) द्वारा की जाती है।
  •  इस परिषद का गठन कारगिल युद्ध के बाद वर्ष 2001 में 'नेशनल सिक्योरिटी सिस्टम में सुधार' हेतु मंत्रियों के समूह की सिफारिश पर किया गया था।

विविध

Rapid Fire (करेंट अफेयर्स): 10 मार्च, 2021

2030 डिजिटल कम्पास

हाल ही में यूरोपीय संघ ने ‘2030 डिजिटल कम्पास’ नाम से एक योजना का अनावरण किया है। इस योजना के तहत यूरोपीय संघ ने इस दशक के अंत तक अत्याधुनिक सेमीकंडक्टर के वैश्विक उत्पादन के तकरीबन 20 प्रतिशत अथवा पाँचवें हिस्से का उत्पादन करने का लक्ष्य निर्धारित किया है। इसके अलावा योजना के तहत यूरोपीय संघ गैर-यूरोपीय प्रौद्योगिकियों पर अपनी निर्भरता में कटौती के प्रयासों द्वारा आगामी पाँच वर्षों में अपना पहला क्वांटम कंप्यूटर बनाएगा। इस योजना के माध्यम से सेमीकंडक्टर के महत्त्व को रेखांकित किया गया है, जिन्हें कनेक्टेड कारों, स्मार्टफोन, इंटरनेट से जुड़े उपकरणों, उच्च प्रदर्शन कंप्यूटरों और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) में उपयोग किया जाता है और इनकी वैश्विक आपूर्ति में कमी के कारण विश्व भर में कार कारखाने बंद हो रहे हैं। इस योजना के तहत क्वांटम प्रौद्योगिकियों में निवेश की सिफारिश करते हुए स्पष्ट किया गया है कि यह प्रौद्योगिकी नई दवाओं को विकसित करने और जीनोम अनुक्रमण को गति देने में महत्त्वपूर्ण साबित हो सकती है। यूरोपीय संघ की इस योजना में वर्ष 2030 तक 10,000 जलवायु-तटस्थ केंद्रों की स्थापना का आह्वान किया गया है, ताकि यूरोप में अपने स्वयं की क्लाउड अवसंरचना विकसित की जा सके और इसी अवधि में यूनिकॉर्न कंपनियों (1 बिलियन डॉलर से अधिक मूल्य वाली कंपनियाँ) की संख्या को दोगुना किया जा सके।

केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल

प्रधानमंत्री ने 10 मार्च, 2021 को केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (CISF) के स्थापना दिवस पर सुरक्षा बल की प्रशंसा करते हुए राष्ट्रीय सुरक्षा और प्रगति में उसके महत्त्वपूर्ण योगदान को रेखांकित किया। केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल 10 मार्च, 1969 को मात्र तीन बटालियनों के साथ अस्तित्व में आया था और इसका प्राथमिक उद्देश्य सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों (PSUs) को संपूर्ण सुरक्षा प्रदान करना था, जो कि उस समय देश की संपूर्ण अर्थव्यवस्था के लिये काफी महत्त्वपूर्ण माने जाते थे। वर्तमान में CISF के तहत 12 रिज़र्व बटालियन शामिल हैं। CISF के तहत कुल कर्मियों की संख्या 1,40,000 से भी अधिक है। CISF देश भर में स्थित औद्योगिक इकाइयों, सरकारी अवसंरचना परियोजनाओं तथा अन्य प्रतिष्ठानों को सुरक्षा प्रदान करने का कार्य करता है। इनमें परमाणु ऊर्जा संयंत्र, खदान, ऑयल फील्ड और रिफाइनरियाँ, हवाई अड्डे, समुद्री बंदरगाह, बिजली संयंत्र, दिल्ली मेट्रो तथा सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम आदि शामिल हैं। नवंबर 2008 में मुंबई में आतंकी हमले के बाद से CISF के कार्यों को और अधिक बढ़ा दिया गया है, जिससे अब यह निजी क्षेत्र को भी प्रत्यक्ष तौर पर सुरक्षा प्रदान कर सकता है। 

उडुपी रामचंद्र राव

10 मार्च, 2021 को गूगल ने प्रसिद्ध भारतीय प्रोफेसर और वैज्ञानिक उडुपी रामचंद्र राव के 89वें जन्मदिवस के अवसर पर उन्हें ‘डूडल’ के माध्यम से श्रद्धांजलि दी। उडुपी रामचंद्र राव जो कि भारतीय अंतरिक्ष वैज्ञानिक और भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) के अध्यक्ष थे, ने वर्ष 1975 में भारत के प्रथम उपग्रह- आर्यभट्ट के प्रक्षेपण का पर्यवेक्षण किया था। यही कारण है कि प्रायः उडुपी राव को ‘भारत का सैटेलाइट मैन’ भी कहा जाता है। 10 मार्च, 1932 को कर्नाटक के एक सुदूर गाँव में जन्मे प्रो. राव ने अपना कॅरियर कॉस्मिक-रे भौतिकशास्त्री के रूप में शुरू किया था। डॉक्टरेट की उपाधि प्राप्त करने के बाद प्रो. राव अमेरिका चले गए, जहाँ उन्होंने प्रोफेसर के रूप में काम किया, इसके अलावा अमेरिका में उन्होंने नासा के कार्यक्रमों पर भी कार्य किया। वर्ष 1966 में भारत लौटने पर प्रो. राव ने भौतिक अनुसंधान प्रयोगशाला (PRL) में एक व्यापक खगोल विज्ञान कार्यक्रम शुरू किया तथा उन्हीं के पर्यवेक्षण में वर्ष 1972 में भारत के पहले उपग्रह कार्यक्रम की शुरुआत की गई। इसके अतिरिक्त वर्ष 1984 से वर्ष 1994 के बीच प्रो. राव ने इसरो के अध्यक्ष के रूप में भी कार्य किया। 

वन चिकित्सा केंद्र

हाल ही में उत्तराखंड के रानीखेत में देश के पहले वन चिकित्सा केंद्र का उद्घाटन किया गया है। यह वन चिकित्सा केंद्र का विकास उत्तराखंड वन विभाग के अनुसंधान विंग द्वारा वनों के उपचारात्मक गुणों और समग्र स्वास्थ्य एवं कल्याण पर उसके प्रभाव को लेकर किये गए व्यापक शोध के बाद किया गया है। यह केंद्र लगभग 13 एकड़ क्षेत्र में फैला हुआ है। उत्तराखंड का यह केंद्र प्राचीन भारतीय परंपरा और वन चिकित्सा के लिये जापान की ‘फॉरेस्ट बाथिंग’ (शिन्रिन-योकु) तकनीक पर आधारित है। इस केंद्र के कार्यों में वन वॉकिंग, ट्री-हगिंग और फॉरेस्ट मेडिटेशन जैसी कई गतिविधियाँ शामिल हैं। ज्ञात हो कि कई अध्ययनों में पाया गया है, पेड़ों के विशिष्ट आणविक कंपन पैटर्न के प्रभावस्वरूप ट्री-हगिंग के कारण ऑक्सीटोसिन, सेरोटोनिन और डोपामाइन जैसे हार्मोन के स्तर में वृद्धि होती है, जिससे सुखद प्रभाव उत्पन्न होता है। आइसलैंड जैसे देशों में वन विभाग द्वारा स्थानीय नागरिकों के स्वास्थ्य के लिये इस प्रकार की गतिविधियों को सुविधाजनक बनाने की कोशिश की जा रही है।


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