इंदौर शाखा: IAS और MPPSC फाउंडेशन बैच-शुरुआत क्रमशः 6 मई और 13 मई   अभी कॉल करें
ध्यान दें:

प्रिलिम्स फैक्ट्स

  • 04 Mar, 2021
  • 11 min read
प्रारंभिक परीक्षा

प्रिलिम्स फैक्ट्स : 4 मार्च, 2021

ब्लैक ब्राउड बैबलर

Black-Browed Babbler Rediscovered 

हाल ही में दक्षिण-पश्चिम कालीमंतन जो बोर्नियो का हिस्सा है एवं इंडोनेशिया द्वारा प्रशासित है, में एक ब्लैक-ब्राउड बैबलर (Malacocincla perspicillata) को फिर से खोजा गया है।

Malaysia

प्रमुख बिंदु:

इतिहास:

  • 1840 के दशक में एक ईस्ट इंडीज़ अभियान के दौरान रहस्यमयी पक्षी पकड़ा गया था। इसे ब्लैक-ब्राउड बैबलर नाम दिया गया था।
  • इस प्रजाति को फिर से जंगलों में नहीं देखा गया था और एक चमकीले पीले काँच का का एक नमूना इसके अस्तित्व का एकमात्र प्रमाण था।
  • कोई भी एशियाई पक्षी इतने वर्षों तक विलुप्त नहीं हुआ है जितने वर्षों तक इंडोनेशिया की ब्लैक-ब्राउड बैबलर विलुप्त हुआ है। यह पिछले 170 वर्षों से गायब है।
  • इस पक्षी को प्रायः 'इंडोनेशियन पक्षी विज्ञान में सबसे बड़ा रहस्य' माना जाता है।

ब्लैक ब्राउड बैबलर:

Black-brouder

  • इसकी चोंच मज़बूत, रंग चॉकलेटी और विशिष्ट काली आँखें होती हैं, इसकी आँख की पुतली गहरे मैरून (Maroon) रंग की होती है।
  • इसके पंख भूरे होते हैं जिनके पास एक काली पट्टी होती है।

महत्त्व:

  • इस तरह की खोजों से उम्मीद की जा रही है कि ऐसी अन्य प्रजातियों को ढूँढना भी संभव है जो दशकों या लंबे समय से विलुप्त हैं।
    • दुनिया भर में पक्षियों की 150 से अधिक प्रजातियों को "विलुप्त" माना जाता है, जिनकी पिछले एक दशक में कोई पुष्टि नहीं हुई है।

सुरक्षा की स्थिति:


एक्सरसाइज़ ‘डेज़र्ट फ्लैग-VI’: UAE

Exercise Desert Flag-VI: UAE

पहली बार भारतीय वायु सेना (IAF) संयुक्त अरब अमीरात (UAE) की वायु सेना द्वारा आयोजित एक्सरसाइज़ ‘डेज़र्ट फ्लैग-VI’ में भाग ले रही है।

UAE

प्रमुख बिंदु:

  • एक्सरसाइज़ ‘डेज़र्ट फ्लैग’ संयुक्त अरब अमीरात की वायु सेना द्वारा आयोजित एक वार्षिक बहुराष्ट्रीय युद्ध अभ्यास है।
  • लक्ष्य: एक नियंत्रित वातावरण में भाग लेने वाले बलों को परिचालन संबंधी जोखिम से बचने का प्रशिक्षण प्रदान करना।
    • अवधि: यह UAE के अल-धफरा एयरबेस पर 3 से 27 मार्च, 2021 तक आयोजित होने वाला तीन सप्ताह का अभ्यास है।
    • प्रतिभागी: संयुक्त अरब अमीरात, भारत, संयुक्त राज्य अमेरिका, फ्राँस, सऊदी अरब, दक्षिण कोरिया और बहरीन की वायु सेना।
    • भारत की सहभागिता: भारतीय वायुसेना छह सुखोई -30 एमकेआई, दो सी -17 ग्लोबमास्टर्स और एक आईएल -78 टैंकर विमान के साथ भाग ले रही है।

UAE के साथ संयुक्त सैन्य अभ्यास:

  • UAE के साथ भारत ‘In-UAE BILAT’ (द्विपक्षीय नौसेना अभ्यास) के साथ-साथ डेज़र्ट ईगल-II (द्विपक्षीय वायु सेना अभ्यास) में भाग लेता है।

वर्तमान सहयोग:

  • भारत ने NAVDEX 21 (नौसेना रक्षा प्रदर्शनी) और IDEX 21 (अंतर्राष्ट्रीय रक्षा प्रदर्शनी) में भी भाग लिया।
    • ये प्रदर्शनियाँ वैश्विक रक्षा क्षेत्र में नवीनतम तकनीकों और नवाचारों का प्रदर्शन, UAE के रक्षा उद्योग में वृद्धि का समर्थन करती हैं और प्रमुख अंतर्राष्ट्रीय कंपनियों के बीच नए संबंधों का निर्माण करती हैं।

अन्य बहुराष्ट्रीय अभ्यास:

  • पिच ब्लैक: ऑस्ट्रेलिया का द्विवार्षिक, बहुपक्षीय वायु युद्ध प्रशिक्षण अभ्यास।
  • रेड फ्लैग: संयुक्त राज्य अमेरिका का बहुपक्षीय वायु अभ्यास।

विविध

Rapid Fire (करेंट अफेयर्स): 04 मार्च, 2021

हिमालयन सीरो

हाल ही में असम में पहली बार ‘हिमालयन सीरो’ (HImalayan Serow) को देखा गया है। ‘हिमालयन सीरो’ को असम में 950 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैले मानस टाइगर रिज़र्व में देखा गया है, जो कि टाइगर रिज़र्व के स्वस्थ पर्यावरण एवं पारिस्थितिकी तंत्र का संकेत देता है। हिमालयन सीरो बकरी, गधा, गाय तथा सुअर के समान दिखता है। यह बड़े सिर, मोटी गर्दन, छोटे अंग, खच्चर जैसे कान, और काले बालों वाला एक मध्यम आकार का स्तनपायी है। ‘हिमालयन सीरो’ या ‘कैपरीकोर्निस सुमात्रेंसिस’ थार हिमालयी क्षेत्र तक ही सीमित है और इसे ‘मेनलैंड सीरो’ या ‘कैपरीकोर्निस सुमात्रेंसिस’ की उप-प्रजाति माना जाता है। इससे पूर्व दिसंबर 2020 में हिमाचल प्रदेश के स्पीति के पास एक नदी के किनारे स्थानीय लोगों और वन्यजीव अधिकारियों ने हिमालयन सीरो को देखा था। असम और हिमाचल प्रदेश में ‘सीरो’ को देखा जाना इस लिहाज से काफी महत्त्वपूर्ण है कि ये आमतौर पर समुद्र की सतह से 4,270 मीटर की ऊँचाई पर नहीं पाए जाते हैं। हिमालयन सीरो को IUCN की रेड लिस्ट में 'सुभेद्य’ के रूप में वर्गीकृत किया गया है। इसे वन्यजीव संरक्षण अधिनियम, 1972 की अनुसूची I के तहत सूचीबद्ध किया गया है, जो कि इसे पूर्ण सुरक्षा प्रदान करती है। 

राष्ट्रीय सुरक्षा दिवस

राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद की स्थापना को चिह्नित करने के लिये प्रतिवर्ष 4 मार्च को राष्ट्रीय सुरक्षा दिवस मनाया जाता है। इस दिवस का प्राथमिक उद्देश्य दुर्घटनाओं और किसी अन्य आपात परिस्थिति को रोकने के लिये आवश्यक सुरक्षा उपायों के बारे में जागरूकता बढ़ाना है। राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद के स्थापना दिवस पर पहली बार वर्ष 1972 में राष्ट्रीय सुरक्षा दिवस मनाया गया था। राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद, राष्ट्रीय स्तर पर एक गैर-लाभकारी, स्व-वित्तपोषित, त्रिपक्षीय निकाय है। इसे श्रम एवं रोज़गार मंत्रालय द्वारा 4 मार्च, 1965 को सुरक्षा, स्वास्थ्य और पर्यावरण पर एक स्वैच्छिक आंदोलन शुरू करने के लिये स्थापित किया गया था। यह एक स्वायत्त निकाय है। राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद का उद्देश्य समाज की रक्षा एवं सुरक्षा सुनिश्चित करना और लोगों में एक निवारक संस्कृति तथा वैज्ञानिक मानसिकता को बढ़ावा देना है। राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद आम जनता के बीच सुरक्षा से संबंधित संदेश प्रसारित करने वर्ष सड़क दुर्घटनाओं के कारण देश में 1.50 लाख से अधिक लोगों की मृत्यु होती है और इससे भी अधिक संख्या में लोग शारीरिक रूप से अक्षम हो जाते हैं, जिसके कारण पीड़ित परिवारों के साथ-साथ संपूर्ण देश को भारी क्षति का सामना करना पड़ता है। 

विश्‍व श्रवण दिवस

विश्व भर में प्रत्येक वर्ष 03 मार्च को विश्व श्रवण दिवस का आयोजन किया जाता है। इस दिवस का प्राथमिक लक्ष्य इस संदेश को प्रसारित करना है कि समय पर और प्रभावी देखभाल लोगों को श्रवण बाधिता से मुकाबला करने में मदद कर सकती है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) द्वारा आयोजित किया  जाने वाला यह दिवस श्रवण तंत्रिकाओं की सुरक्षा और निवारक उपायों को अपनाने के लिये की जाने वाली कार्रवाई के बारे में जागरूकता फैलाने का अवसर प्रदान करता है। विश्व स्तर पर तकरीबन 1.5 बिलियन लोग पूर्ण अथवा आंशिक रूप से श्रवण बाधिता का सामना कर रहे हैं और इसमें से लगभग 430 मिलियन लोगों को जल्द-से-जल्द पुनर्वास सहायता की आवश्यकता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन की एक रिपोर्ट के मुताबिक, वर्ष 2050 तक विश्व भर में लगभग 2.5 मिलियन लोग या 4 में से 1 व्यक्ति पूर्ण अथवा आंशिक रूप से श्रवण बाधिता से प्रभावित होगा। 

उदयपुर विज्ञान केंद्र

त्रिपुरा के राज्यपाल रमेश बैस ने हाल ही में उदयपुर विज्ञान केंद्र (त्रिपुरा) का उद्घाटन किया है। उदयपुर विज्ञान केंद्र 22वाँ विज्ञान केंद्र है, जिसे राष्ट्रीय विज्ञान संग्रहालय परिषद (NCSM) द्वारा विकसित करके राज्य सरकार को सौंपा गया है। संस्कृति मंत्रालय की विज्ञान की संस्कृति को बढ़ावा देने के लिये योजना के तहत राज्य सरकारों को विज्ञान केंद्र सौंपे जा रहे हैं। 6 करोड़ रुपए की लागत से विकसित इस केंद्र को भारत सरकार के संस्कृति मंत्रालय के साथ-साथ त्रिपुरा के विज्ञान, प्रौद्योगिकी और पर्यावरण विभाग द्वारा संयुक्त रूप से वित्तपोषित किया है। यह विज्ञान केंद्र छात्रों को विज्ञान के बारे में कई अज्ञात तथ्यों को जानने में सक्षम करेगा। राष्ट्रीय विज्ञान संग्रहालय परिषद (NCSM) द्वारा देश के सभी उत्तर-पूर्वी राज्यों में विज्ञान केंद्र स्थापित किये गए हैं। राष्ट्रीय विज्ञान संग्रहालय परिषद, भारत सरकार के संस्कृति मंत्रालय के अंतर्गत एक स्वायत्त संस्था है, जिसकी स्थापना 4 अप्रैल, 1978 को की गई थी।


close
एसएमएस अलर्ट
Share Page
images-2
images-2