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एडिटोरियल

  • 19 Jul, 2021
  • 8 min read
अंतर्राष्ट्रीय संबंध

बिल्ड बैक बेटर वर्ल्ड ‘प्रस्ताव’

यह एडिटोरियल दिनांक 17/07/2021 को ‘द इंडियन एक्सप्रेस’ में प्रकाशित “A counter-strategy called B3W” लेख पर आधारित है। यह G-7 देशों द्वारा हाल ही में प्रस्तुत ‘बिल्ड बैक बेटर वर्ल्ड’ (B3W) प्रस्ताव के संबंध में चर्चा करता है।

हाल ही में G-7 नेताओं ने ‘बिल्ड बैक बेटर वर्ल्ड’ (Build Back Better World- B3W) प्रस्ताव पेश किया है। इस प्रस्ताव का उद्देश्य विकासशील और निम्न आय वाले देशों में बुनियादी ढाँचा निवेश घाटे को दूर करना है।

इस प्रकार यह प्रस्ताव ‘बेल्ट रोड इनिशिएटिव’ (Belt Road Initiative- BRI) परियोजनाओं के माध्यम से 100 से अधिक देशों में चीन के बढ़ते प्रभाव का मुकाबला करने का प्रयास है। BRI परियोजनाओं के माध्यम से चीन वैश्विक व्यापार, विदेश नीति और भू-राजनीति में अपने रणनीतिक प्रभुत्व की स्थापना हेतु अपनी रणनीतियों या ऋण जाल संबंधी व्यवहारों को विस्तृत करना चाहता है।

B3W अभी अपने आरंभिक चरण में है और यह देखा जाना शेष है कि भारत ‘बिल्ड बैक बेटर वर्ल्ड’ में क्या भूमिका निभाएगा क्योंकि वह BRI का प्रबल विरोधी रहा है, जिसे चीन द्वारा व्यापार, विदेश नीति और भू-राजनीति में अपना रणनीतिक प्रभुत्व स्थापित करने हेतु डिज़ाइन किया गया है।

BRI की स्थिति और संबद्ध मुद्दे

  • BRI परियोजना वर्ष 2013 में शुरू की गई थी और इसका व्यापक लक्ष्य वस्तुओं के सीमा-पार परिवहन को सुगम बनाना, ऊर्जा तक पहुँच स्थापित करना और चीनी उद्योगों में मौजूदा अतिरिक्त क्षमता हेतु माँग का सृजन करना है।
    • इस योजना के मद में वर्ष 2013 से 2020 के मध्य तक चीन का कुल निवेश लगभग 750 बिलियन डॉलर का रहा।
  • हालाँकि BRI परियोजनाओं को व्यापक रूप से देखा जाए तो स्पष्ट रूप से चीन-केंद्रित अंतर्राष्ट्रीय आर्थिक एकीकरण एवं उत्पादन नेटवर्क और एशिया-प्रशांत क्षेत्र में आधिपत्य के साथ अंततः वैश्विक अर्थव्यवस्था पर प्रभुत्व स्थापित करने की चीन की मंशा का पता चलता है।
  • उदाहरण के लिये-चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा (CPEC), बांग्लादेश-चीन-म्याँमार आर्थिक गलियारा (BCIM) और श्रीलंका में कोलंबो पोर्ट सिटी परियोजना कुछ प्रमुख BRI परियोजनाएँ हैं।
    • ये परियोजनाएँ केवल वाणिज्यिक प्रकृति की ही नहीं हैं बल्कि इनके रणनीतिक/सामरिक निहितार्थ भी हैं।
  • इसके अलावा BRI परियोजना औपनिवेशिक प्रकृति की है क्योंकि चीन का व्यापार चीनी बाज़ारों तक अधिक बाज़ार पहुँच प्रदान करता है और ऊर्जा एवं अन्य संसाधनों की स्थिर आपूर्ति सुनिश्चित करता है।
    • कौंसिल ऑन फॉरेन रिलेशंस (CFR) के अनुसार, वर्ष 2013 से चीन द्वारा प्रदत्त कुल ऋण में वृद्धि हुई है और कुछ देशों में तो यह उनके सकल घरेलू उत्पाद के 20% के पार चला गया है।

B3W और इसके मार्गदर्शक सिद्धांत

  • लक्ष्य: ‘बिल्ड बैक बेटर वर्ल्ड’ योजना विकासशील और निम्न-आय वाले देशों के लिये G-7 देशों द्वारा प्रस्तावित एक कोविड-19 राहत, भविष्योन्मुखी आर्थिक और बुनियादी ढाँचा पैकेज है।
  • B3W के घटक: B3W के माध्यम से G-7 और अन्य समान विचारधारा वाले भागीदार देश चार प्रमुख क्षेत्रों में निजी क्षेत्र के माध्यम से पूंजी जुटाने हेतु समन्वय करेंगे:
    • जलवायु,
    • स्वास्थ्य और स्वास्थ्य सुरक्षा,
    • डिजिटल प्रौद्योगिकी,
    • लैंगिक निष्पक्षता और समानता।
  • मूल्य-प्रेरित विकास: आर्थिक, पर्यावरणीय और सामाजिक रूप से पारदर्शी एवं संवहनीय तरीके से बुनियादी ढाँचा विकास प्राप्तकर्ता देशों और समुदायों को बेहतर परिणामों की ओर ले जाएगा।
  • सुशासन और सुदृढ़ मानक: B3W पर्यावरण एवं जलवायु, श्रम एवं सामाजिक सुरक्षा उपायों, पारदर्शिता, वित्तपोषण, निर्माण, भ्रष्टाचार-विरोधी और अन्य क्षेत्रों से संबंधित ब्लू डॉट नेटवर्क (Blue Dot Network) द्वारा प्रचारित मानकों का अनुपालन करते हुए निवेश को बढ़ावा देगा।
  • जलवायु-अनुकूल दृष्टिकोण: निवेश इस प्रकार किया जाएगा जो पेरिस जलवायु समझौते के लक्ष्यों को प्राप्त करने के अनुरूप होगा।
  • मज़बूत रणनीतिक साझेदारी: B3W, विकास के आक्रामक मॉडल का मुकाबला करने और वैश्विक विकास का एक अधिक समावेशी मॉडल स्थापित करने की परिकल्पना करता है।

आगे की राह:

  • पूंजीवाद पर नवीन दृष्टिकोण की खोज: कोविड-19 ने समकालीन पूंजीवादी अर्थव्यवस्थाओं की भंगुरता और सामाजिक रूप से इनके नकारात्मक परिणामों को उजागर किया है।
    • इस प्रकार B3W ब्लूप्रिंट द्वारा प्रेरित वैश्विक विकास के निर्माण हेतु इस पूंजीवाद के वर्तमान मॉडल में सुधार की आवश्यकता होगी।
  • लोकतांत्रिक देशों के बीच सर्वसम्मति: G-7 देशों जैसे जीवंत लोकतंत्रों द्वारा तैयार की गई किसी भी योजना में आमतौर पर समय लगता है और इसे कई राजनयिक और नौकरशाही प्रक्रियाओं एवं अवरोधों से गुज़रना पड़ता है।
    • इस प्रकार G-7 देशों के लिये मुख्य चुनौती वैश्विक आम सहमति का निर्माण करना और समयबद्ध तरीके से परियोजनाओं को कार्यान्वित करना है।

निष्कर्ष

BRI के परिप्रेक्ष्य में B3W का प्रति-प्रस्ताव निश्चित रूप से एक स्वागत योग्य क़दम है जो चीनी वृहत योजना के प्रतिकूल प्रभावों पर अंकुश लगाएगा। हालाँकि B3W में वर्तमान स्तर पर सुसंगत विचारों और उचित योजना का अभाव है।

फिर भी यह बेहतर स्थिति है कि एक विकल्प का प्रस्ताव किया गया है। इसके अतिरिक्त यह देखा जाना शेष है कि भारत B3W में क्या भूमिका निभाएगा क्योंकि वह चीन के BRI का प्रबल विरोधी रहा है।

अभ्यास प्रश्न: चीनी वृहत योजना के प्रतिकूल प्रभावों पर अंकुश लगाने के लिये ‘बिल्ड बैक बेटर वर्ल्ड’ (B3W) का प्रति-प्रस्ताव निश्चित रूप से एक स्वागत योग्य कदम है। चर्चा कीजिये।


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