विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी
AI के साथ ऊर्जा संक्रमण का सशक्तीकरण
यह एडिटोरियल 12/07/2025 को द हिंदू में प्रकाशित “AI’s role in India’s energy transition, a reality check needed” पर आधारित है। यह लेख भारत की वर्ष 2030 तक दोगुनी होने वाली ऊर्जा माँग को पूरा करने में कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) की भूमिका को उजागर करता है, जो बेहतर पूर्वानुमान, ग्रिड की दक्षता तथा संचरण हानियों में कमी के माध्यम से संभव है; साथ ही यह नीति, निवेश एवं समावेशी भागीदारी की आवश्यकता को भी रेखांकित करता है।
प्रिलिम्स के लिये:भारत की नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता, कार्बन फुटप्रिंट्स, स्मार्ट मीटरिंग, पुनर्गठित वितरण क्षेत्र योजना, अंतर्राष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी, SDG7 (सस्ती और प्रदूषण-मुक्त ऊर्जा) मेन्स के लिये:भारत के ऊर्जा संक्रमण में AI की भूमिका, ऊर्जा परिवर्तन में AI एकीकरण से जुड़े प्रमुख मुद्दे |
भारत की ऊर्जा मांग वर्ष 2030 तक दोगुनी हो जाएगी, जिससे देश वर्ष 2070 तक 500 गीगावाट गैर-जीवाश्म ईंधन क्षमता और नेट-ज़ीरो के महत्त्वाकांक्षी लक्ष्यों की ओर अग्रसर होगा। इस परिवर्तन के लिये आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस एक परिवर्तनकारी उपकरण के रूप में उभर रहा है, जो नवीकरणीय ऊर्जा पूर्वानुमान, ग्रिड अनुकूलन और इस क्षेत्र में 20-30% ट्रांसमिशन घाटे को कम करने के समाधान प्रदान करता है। भारत के आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस-संचालित ऊर्जा परिवर्तन में सफलता के लिये सरकारी नीतिगत समर्थन, निजी निवेश और सामुदायिक सहभागिता के बीच सहयोगात्मक प्रयासों की आवश्यकता है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि लाभ शहरी एवं ग्रामीण, दोनों क्षेत्रों तक समान रूप से पहुँचें।
भारत के ऊर्जा परिवर्तन में कृत्रिम बुद्धिमत्ता क्या भूमिका निभा सकती है?
- ग्रिड परिचालन और नवीकरणीय ऊर्जा एकीकरण को बढ़ाना: भारत द्वारा नवीकरणीय ऊर्जा एकीकरण को बढ़ावा दिये जाने के साथ ही ग्रिड परिचालन को अनुकूलित करने के लिये AI महत्त्वपूर्ण है।
- बढ़ती नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता (विशेष रूप से सौर और पवन ऊर्जा के साथ) उनकी अस्थायी प्रकृति ग्रिड अस्थिरता का कारण बन सकती है। AI प्रौद्योगिकियाँ ऊर्जा उत्पादन और मांग में उतार-चढ़ाव का पूर्वानुमान लगा सकती हैं, जिससे बेहतर ग्रिड प्रबंधन संभव होगा तथा जीवाश्म ईंधन पर निर्भरता कम होगी।
- उदाहरण के लिये, गुजरात में एक पायलट परियोजना में, AI-संचालित मॉडलों ने अनुमानित और वास्तविक सौर ऊर्जा उत्पादन के बीच के अंतर को 30% तक कम कर दिया, जिससे ग्रिड ऑपरेटरों को ऊर्जा वितरण को अनुकूलित करने में सहायता मिली।
- ऊर्जा दक्षता में मांग-पक्ष प्रबंधन के माध्यम से सुधार: कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) वास्तविक काल के मांग-पक्ष प्रबंधन को संभव बनाकर ऊर्जा दक्षता में क्रांतिकारी परिवर्तन ला सकती है।
- यह भारत की विद्युत ग्रिड के लिये अत्यंत आवश्यक है जो तेज़ी से बढ़ती जनसंख्या और औद्योगीकरण के दबाव में है।
- AI आधारित प्रणालियाँ वास्तविक काल की खपत प्रवृत्तियों के आधार पर ऊर्जा आपूर्ति को समायोजित कर सकती हैं, जिससे खपत का इष्टतम उपयोग होता है और पीक लोड के दबाव में कमी आती है।
- उदाहरण के लिये, ABB एबिलिटी एनर्जी फोरकास्टिंग नामक तकनीक AI का उपयोग कर प्रबंधकों को ऊर्जा खपत की सटीक पूर्वानुमान उपलब्ध कराती है।
- इससे वे अनियोजित खपत-वृद्धि से बचने के लिये समय रहते कदम उठा सकते हैं, जैसे कि गैर-ज़रूरी लोड को पुनः निर्धारित करना या बंद कर देना।
- साथ ही, AI की पूर्वानुमानात्मक अनुरक्षण (Predictive Maintenance) क्षमता भारत में 20% तक पहुँचने वाले उच्च ट्रांसमिशन व डिस्ट्रीब्यूशन (T&D) नुकसानों को घटाने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है।
- नवीकरणीय ऊर्जा उत्पादन का AI-संचालित विस्तार: AI सौर पैनलों और पवन टर्बाइनों के प्रदर्शन को अनुकूलित करके भारत को अपने नवीकरणीय ऊर्जा उत्पादन को बढ़ाने में सहायता कर सकता है। मौसम के रुझानों और परिचालन आँकड़ों का विश्लेषण कर AI प्रणालियाँ ऊर्जा उत्पादन को बढ़ाने हेतु तंत्रों के संचालन को बेहतर बना सकती हैं।
- उदाहरण के लिये, मशीन लर्निंग ने पवन ऊर्जा के मूल्य को लगभग 20% तक बढ़ा दिया है, जबकि ग्रिड के लिये कोई समय-आधारित प्रतिबद्धता नहीं होने की आधारभूत स्थिति थी।
- इसके अलावा, गूगल की AI सहायक कंपनी डीपमाइंड ने पवन फार्मों की उत्पादकता का 36 घंटे पहले तक पूर्वानुमान लगाने के लिये एक मशीन लर्निंग एल्गोरिदम विकसित किया है।
- जलवायु प्रभाव शमन और कार्बन उत्सर्जन में कमी के लिये AI: जैसा कि भारत पेरिस समझौते के तहत अपने कार्बन कटौती लक्ष्यों को पूरा करने का प्रयास कर रहा है, AI उत्सर्जन हॉटस्पॉट की पहचान करने और उन्हें कम करने के लिये रणनीति विकसित करने में एक महत्त्वपूर्ण प्रवर्तक है।
- विशाल मात्रा में पर्यावरणीय डेटा का विश्लेषण करके, AI उद्योगों, शहरों और ऊर्जा क्षेत्रों में अक्षमताओं का पता लगा सकता है तथा कार्बन फुटप्रिंट को कम करने के लिये समाधान प्रस्तुत कर सकता है।
- मैकिन्से की एक हालिया रिपोर्ट से पता चलता है कि AI-संचालित प्रौद्योगिकियाँ व्यवसायों को उनके CO2 उत्सर्जन को 10% तक कम करने और ऊर्जा लागत में 10-20% तक कटौती करने में सहायता कर सकती हैं, जिससे वर्ष 2070 तक भारत के शुद्ध-शून्य लक्ष्य को प्राप्त करने में महत्त्वपूर्ण सहायता मिलेगी।
- विकेंद्रीकृत नवीकरणीय ऊर्जा प्रणालियों के लिये AI: जैसे-जैसे भारत अपनी ऊर्जा अवसंरचना को विकेंद्रीकृत करने की दिशा में आगे बढ़ रहा है, AI वितरित नवीकरणीय ऊर्जा प्रणालियों, जैसे कि छत पर सौर पैनल, छोटे पवन टर्बाइन और माइक्रोग्रिड को अनुकूलित करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है।
- AI एल्गोरिदम वास्तविक काल में इन विकेंद्रीकृत ऊर्जा स्रोतों की निगरानी और प्रबंधन कर सकते हैं, जिससे इष्टतम ऊर्जा उत्पादन, खपत एवं भंडारण सुनिश्चित हो सकता है।
- ग्रामीण क्षेत्रों में, जहाँ ग्रिड कनेक्टिविटी सीमित है, AI स्थानीय मौसम पैटर्न और ऊर्जा आवश्यकताओं का विश्लेषण करके माइक्रोग्रिड को स्वायत्त रूप से संचालित करने में सहायता कर सकता है।
- उदाहरण के लिये, वह समय दूर नहीं जब उत्तर प्रदेश के किसी गाँव में माइक्रोग्रिड ऊर्जा उत्पादन और खपत को स्वचालित रूप से समायोजित करने के लिये AI का उपयोग करेगा, जिससे मुख्य ग्रिड पर निर्भर हुए बिना स्थिर बिजली आपूर्ति सुनिश्चित होगी।
- इलेक्ट्रिक वाहन (EV) एकीकरण और चार्जिंग नेटवर्क में AI: भारत में इलेक्ट्रिक वाहनों को तेज़ी से अंगीकरण में AI द्वारा बहुत वृद्धि की जा सकती है।
- AI प्रौद्योगिकियाँ चार्जिंग बुनियादी अवसंरचना को अनुकूलित कर सकती हैं, जिससे देश भर में EV चार्जिंग स्टेशनों को बिजली का कुशल वितरण सुनिश्चित हो सकेगा।
- AI ग्रिड की मांग, नवीकरणीय ऊर्जा की उपलब्धता और उपयोगकर्त्ता के व्यवहार के आधार पर EV को चार्ज करने के सर्वोत्तम समय का पूर्वानुमान कर सकता है।
- इसके अतिरिक्त, AI चार्जिंग समय को ऑफ-पीक घंटों या उच्च नवीकरणीय ऊर्जा उत्पादन के दौरान स्थानांतरित करके ग्रिड पर लोड को संतुलित करने में सहायता कर सकता है, जिससे ग्रिड पर दबाव कम हो सकता है।
- उदाहरण के लिये, बंगलुरु जैसे शहरों में, AI-आधारित EV चार्जिंग नेटवर्क पीक घंटों के दौरान ग्रिड की भीड़ को सफलतापूर्वक कम कर सकते हैं, जबकि यह सुनिश्चित करते हैं कि EV को कुशलतापूर्वक और स्थायी रूप से चार्ज किया जाए।
ऊर्जा परिवर्तन में AI एकीकरण से जुड़े प्रमुख मुद्दे क्या हैं?
- AI प्रशिक्षण के लिये डेटा की गुणवत्ता और उपलब्धता: AI प्रणालियाँ प्रभावी ढंग से कार्य करने के लिये बड़े, उच्च-गुणवत्ता वाले डेटासेट पर अत्यधिक निर्भर करती हैं। हालाँकि, भारत का ऊर्जा क्षेत्र डेटा की उपलब्धता, सटीकता और स्थिरता के संबंध में गंभीर चुनौतियों का सामना कर रहा है। कई क्षेत्रों में अभी भी उचित डेटा संग्रह तंत्र का अभाव है, जो ऊर्जा प्रबंधन में AI की क्षमता को सीमित करता है।
- ग्रामीण क्षेत्रों में कई स्मार्ट ग्रिड और नवीकरणीय ऊर्जा परियोजनाओं को पुराने बुनियादी अवसंरचना के कारण वास्तविक काल में डेटा एकत्र करने में कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है।
- राज्य विद्युत वितरण कंपनियों (डिस्कॉम) के अंतर्गत 14.8 मिलियन वितरण ट्रांसफार्मरों (DT) में से केवल 35% को ही स्मार्ट मीटरिंग के लिये स्वीकृति दी गई है।
- इसके अलावा, पुर्नोत्थान वितरण क्षेत्र सुधार योजना (RDSS) पोर्टल के आँकड़ों के अनुसार, वर्तमान में केवल लगभग 0.44 मिलियन डीटी (कुल का 3%) में ही स्मार्ट मीटर संचार मोड में काम कर रहे हैं।
- AI और डेटा एनालिटिक्स में कौशल की कमी: AI और डेटा एनालिटिक्स विशेषज्ञता की कमी भारत के ऊर्जा परिवर्तन में AI समाधानों के प्रभावी कार्यान्वयन के लिये एक बड़ी बाधा है।
- चूँकि AI पेशेवरों की मांग आपूर्ति से अधिक है, इसलिये यह कौशल अंतर AI-संचालित ऊर्जा समाधानों की सफलता के लिये महत्त्वपूर्ण है।
- भारत के नवीकरणीय ऊर्जा क्षेत्र को AI को प्रभावी ढंग से लागू करने में चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है, क्योंकि AI-आधारित प्रणालियों को विकसित, कार्यान्वित और प्रबंधन करने वाले पेशेवरों की कमी है।
- एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत में AI प्रतिभा की भारी कमी है, जहाँ प्रत्येक 10 रिक्त पदों के लिये केवल एक जेनरेटिव AI (GenAI) इंजीनियर उपलब्ध है तथा वर्तमान में कुल मांग का केवल 49% ही पूरा हो रहा है।
- साइबर सुरक्षा और डेटा गोपनीयता संबंधी चिंताएँ: ऊर्जा ग्रिडों में संवेदनशील डेटा प्रबंधन करने वाली AI प्रणालियों के साथ, साइबर सुरक्षा और डेटा गोपनीयता के संबंध में चिंताएँ बढ़ गई हैं।
- जैसे-जैसे AI-संचालित स्मार्ट ग्रिड द्वारा अधिक डेटा पॉइंट्स उत्पन्न होते हैं, साइबर अटैक का खतरा बढ़ता जाता है, जिससे संभवतः संपूर्ण ऊर्जा अवसंरचना को खतरा हो सकता है।
- उदाहरण के लिये, भारत के पावर ग्रिड को निशाना बनाकर किये गए साइबर अटैक की रिपोर्टें पहले ही आ चुकी हैं, जिनमें से एक में ‘RedEcho’ नामक समूह शामिल है, जो संभवतः चीनी सरकार से जुड़ा हुआ है, जिससे सिस्टम की कमज़ोरियों पर प्रकाश पड़ता है।
- इसके अलावा, वर्ष 2024 की शुरुआत में, भारतीय ऊर्जा क्षेत्र पर लक्षित एक जासूसी अभियान का उजागर हुआ, जिसमें संवेदनशील डेटा एकत्र करने के लिये संशोधित मैलवेयर का उपयोग किया गया था।
- विनियामक और नीतिगत अंतराल: ऊर्जा क्षेत्र में AI की तैनाती के लिये भारत का विनियामक कार्यढाँचा अविकसित है, जिससे AI को पूर्ण पैमाने पर अंगीकरण में बाधा आ रही है।
- चूँकि AI प्रौद्योगिकियाँ नियामक निकायों की क्षमता से अधिक तेज़ी से विकसित हो रही हैं, इसलिये ऊर्जा प्रणालियों में असंगठित या अकुशल AI एकीकरण का खतरा है।
- भारत सरकार ने अभी तक ऊर्जा पूर्वानुमान और ग्रिड प्रबंधन में AI की भूमिका के लिये व्यापक दिशानिर्देश विकसित नहीं किये हैं, जिससे हितधारकों के बीच अनिश्चितता उत्पन्न हो रही है।
- उदाहरण के लिये, वित्त वर्ष 2020-21 के दौरान, सौर और पवन ऊर्जा ने कर्नाटक के वार्षिक बिजली उत्पादन में लगभग 29%, राजस्थान में 20%, तमिलनाडु में 18% एवं गुजरात में 14% का योगदान दिया। हालाँकि, इन राज्यों में ऊर्जा क्षेत्र में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) के एकीकरण के लिये पर्याप्त नियामक कार्यढाँचे का अभाव है।
- AI ऊर्जा खपत का पर्यावरणीय प्रभाव: AI प्रणालियों, विशेष रूप से डीप लर्निंग और मशीन लर्निंग मॉडल का उपयोग करने वाली प्रणालियों को स्वयं महत्त्वपूर्ण कम्प्यूटेशनल शक्ति की आवश्यकता होती है, जिसके कारण ऊर्जा की खपत बढ़ जाती है।
- भारत जैसे देश में, जहाँ ऊर्जा की मांग पहले से ही तेज़ी से बढ़ रही है, यह अतिरिक्त खपत ऊर्जा प्रणालियों में AI के पर्यावरणीय लाभों को प्रभावित कर सकती है।
- ऊर्जा पूर्वानुमान के लिये AI मॉडल को प्रशिक्षित करने में इतनी बिजली की खपत हो सकती है, जितनी कुछ छोटे शहर एक वर्ष में उपयोग करते हैं, जिससे AI के पर्यावरणीय प्रभाव को लेकर चिंताएँ बढ़ जाती हैं।
- अंतर्राष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी (IAEA) के एक अध्ययन से पता चलता है कि विश्व भर में AI के लिये डेटा केंद्रों से बिजली की मांग वर्ष 2030 तक दोगुनी से अधिक होकर लगभग 945 टेरावाट-घंटे (TWh) हो जाएगी, जो आज जापान की संपूर्ण बिजली खपत से थोड़ा अधिक है, जो भारत के ऊर्जा संवहनीयता लक्ष्यों के लिये एक चिंताजनक आँकड़ा है।
- लिगेसी इंफ्रास्ट्रक्चर के साथ एकीकरण की चुनौतियाँ: भारत का मौजूदा ऊर्जा बुनियादी अवसंरचना पुराना है और नवीनतम AI प्रौद्योगिकियों के साथ असंगत है, जिससे महत्त्वपूर्ण एकीकरण चुनौतियाँ उत्पन्न हो रही हैं।
- AI के लिये आधुनिक, अंतर-संचालनीय प्रणालियों की आवश्यकता होती है और लिगेसी इंफ्रास्ट्रक्चर ग्रिडों के उन्नयन के बिना, कई क्षेत्र ऊर्जा अनुकूलन में AI की पूरी क्षमता का उपयोग करने में असमर्थ होंगे।
- पुराने ग्रिड सिस्टम वाले क्षेत्रों में, AI एकीकरण को बड़ी बाधाओं का सामना करना पड़ता है, जैसे उपकरणों के बीच अकुशल संचार, जो ऊर्जा प्रबंधन में AI की प्रभावशीलता को सीमित करता है।
- वर्तमान में, भारत को ग्रिड विस्तार और संबंधित बुनियादी अवसंरचना में लगभग 2,442 बिलियन रुपए के निवेश की आवश्यकता है, जो AI एकीकरण को गौण बना देता है।
भारत अपने ऊर्जा संक्रमण में AI को प्रभावी ढंग से एकीकृत करने के लिये क्या उपाय अपना सकता है?
- राष्ट्रीय AI और ऊर्जा नवाचार कार्यढाँचा तैयार करना: भारत को ऊर्जा क्षेत्र के लिये विशिष्ट राष्ट्रीय AI रणनीति विकसित करनी चाहिये, जिसमें ऊर्जा उत्पादन, भंडारण, वितरण और उपभोग के सभी चरणों में AI एकीकरण के लिये स्पष्ट दिशानिर्देश एवं कार्य योजना शामिल हो।
- इस कार्यढाँचे को ऊर्जा क्षेत्र की कंपनियों (जैसे: उपयोगिताओं, सरकारी निकायों और तकनीकी फर्मों) के बीच AI तैनाती, डेटा साझाकरण एवं अंतर-संचालन के लिये मानकीकृत प्रोटोकॉल स्थापित करना चाहिये।
- इस कार्यढाँचे को संस्थागत रूप देकर, भारत सुसंगत नीति मार्गदर्शन और नवाचार-संचालित AI पारिस्थितिकी तंत्र सुनिश्चित कर सकता है।
- पूर्वानुमान आधारित ग्रिड प्रबंधन और स्मार्ट लोड संतुलन हेतु AI का उपयोग: भारत की विद्युत ग्रिड प्रणाली में अक्षमता, बाधाएँ और अधिकतम मांग के समय भारी भीड़ की समस्या है।
- AI की सहायता से पूर्वानुमान आधारित ग्रिड प्रबंधन किया जा सकता है, जिसमें मशीन लर्निंग मॉडल के माध्यम से विद्युत की मांग और आपूर्ति का पूर्वानुमान लगाया जायेगा, जिससे ग्रिड भार को वास्तविक समय में कुशलतापूर्वक सँभाला जा सके।
- AI-संचालित स्मार्ट लोड संतुलन उपकरण सौर और पवन ऊर्जा के उतार-चढ़ाव का पूर्वानुमान लगाकर ऊर्जा प्रवाह को समायोजित करेंगे, जिससे विद्युत आपूर्ति में व्यवधान कम होंगे।
- AI-सक्षम स्मार्ट मीटरों का देशव्यापी क्रियान्वयन: भारत में स्मार्ट मीटरों को तीव्र गति से अपनाया जाना चाहिये, जिनमें कुछ में AI क्षमता भी हो, ताकि ऊर्जा उपभोग की निगरानी वास्तविक समय में की जा सके।
- इन मीटरों द्वारा एकत्र किये गये विस्तृत आँकड़ों से AI उपभोग पैटर्न का अनुकूलन, पूर्वानुमानित अनुरक्षण और चरम भार का प्रबंधन करने में सक्षम होगा।
- शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में इन मीटरों की स्थापना उपयोगिताओं और उपभोक्ताओं दोनों के लिये महत्त्वपूर्ण डेटा उपलब्ध करायेगी जिससे ऊर्जा क्षति और अपव्यय में कमी आयेगी।
- AI-संचालित नवीकरणीय ऊर्जा पूर्वानुमान प्रणाली: AI का उपयोग एक केंद्रीकृत, क्लाउड-आधारित नवीकरणीय ऊर्जा पूर्वानुमान मंच बनाने के लिये किया जा सकता है, जिससे सौर, पवन और जल विद्युत उत्पादन के बारे में अधिक सटीक पूर्वानुमान किये जा सकेंगे।
- यह प्रणाली अल्पकालिक (प्रति घंटा, दैनिक) और दीर्घकालिक (मौसमी) पूर्वानुमान प्रदान करने के लिये मौसम संबंधी आँकड़ों, ऐतिहासिक पीढ़ी के पैटर्न व मशीन लर्निंग मॉडल का उपयोग करेगी।
- ये पूर्वानुमान ग्रिड संचालकों को ऊर्जा प्रेषण को अनुकूलित करने और नवीकरणीय ऊर्जा को अधिक सुचारू रूप से एकीकृत करने में सहायता कर सकते हैं, जिससे जीवाश्म ईंधन पर निर्भरता कम हो सकती है।
- ग्रामीण विद्युतीकरण के लिये AI-संचालित विकेंद्रीकृत माइक्रोग्रिड में निवेश: AI वास्तविक काल में ऊर्जा प्रबंधन, पूर्वानुमानित रखरखाव और स्वायत्त दोष का पता लगाने के लिये AI का उपयोग करने वाले माइक्रोग्रिड को तैनात करके ग्रामीण विद्युतीकरण को उन्नत कर सकता है।
- ये AI-संचालित प्रणालियाँ स्थानीय नवीकरणीय स्रोतों (जैसे: सौर, बायोमास) को एकीकृत कर सकती हैं और बाद में उपयोग के लिये अतिरिक्त ऊर्जा को बैटरी में संग्रहीत कर सकती हैं।
- माइक्रोग्रिड में AI का उपयोग दूरस्थ क्षेत्रों में ऊर्जा के विकेंद्रीकृत और संधारणीय प्रबंधन की अनुमति देता है, जिससे व्यापक ग्रिड अवसंरचना की आवश्यकता समाप्त हो जाती है।
- AI-सक्षम स्मार्ट ऊर्जा समाधान विकसित करने के लिये निजी क्षेत्र की साझेदारी: भारत सरकार को AI-संचालित ऊर्जा समाधान, जैसे स्मार्ट थर्मोस्टैट्स, पूर्वानुमानित रखरखाव उपकरण और उद्योगों के लिये ऊर्जा अनुकूलन प्लेटफॉर्म विकसित करने के लिये निजी कंपनियों एवं स्टार्टअप को प्रोत्साहित करना चाहिये।
- इसे कर लाभ, अनुसंधान एवं विकास के लिये वित्त पोषण तथा विश्वविद्यालयों और प्रौद्योगिकी अग्रणियों के सहयोग से नवाचार केंद्रों के निर्माण के माध्यम से प्राप्त किया जा सकता है।
- निजी-सार्वजनिक भागीदारी को प्रोत्साहित करने से मांग-पक्ष प्रबंधन, ऊर्जा दक्षता और हरित भवन प्रौद्योगिकियों जैसे विविध क्षेत्रों में AI-आधारित समाधानों के विस्तार में तेज़ी आएगी।
- ऊर्जा चोरी की वास्तविक काल में पहचान और रोकथाम के लिये AI का विकास: AI प्रणालियों को विसंगतियों का पता लगाने और ऊर्जा चोरी को रोकने के लिये नियोजित किया जा सकता है, जो भारत में एक महत्त्वपूर्ण मुद्दा है, विशेष रूप से ग्रामीण एवं वंचित शहरी क्षेत्रों में।
- AI-संचालित प्रणालियाँ उपभोग पैटर्न का विश्लेषण कर सकती हैं और असामान्य गतिविधि को चिह्नित कर सकती हैं जो चोरी या धोखाधड़ी का संकेत हो सकती हैं।
- वास्तविक कला में निगरानी के लिये AI को लागू करके, उपयोगिताएँ ऊर्जा हानि को कम कर सकती हैं, सटीक बिलिंग सुनिश्चित कर सकती हैं और समग्र राजस्व संग्रह में सुधार कर सकती हैं।
- ऊर्जा परिवर्तन पर केंद्रित AI अनुसंधान एवं विकास केंद्र: भारत को अपने प्रमुख ऊर्जा संस्थानों, जैसे कि राष्ट्रीय सौर ऊर्जा संस्थान (NISE) और भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (IIT) के भीतर AI-केंद्रित अनुसंधान एवं विकास केंद्र बनाने में निवेश करना चाहिये।
- ये केंद्र भारत के ऊर्जा परिवर्तन के अनुरूप AI-संचालित समाधान विकसित करने पर ध्यान केंद्रित करेंगे, जैसे ऊर्जा-कुशल प्रौद्योगिकियाँ, सौर अनुकूलन, स्मार्ट ग्रिड प्रणालियाँ और उत्सर्जन में कमी लाने की तकनीकें।
- ऊर्जा AI में नवाचार को बढ़ावा देकर, भारत कम कार्बन ऊर्जा प्रणालियों के निर्माण में अग्रणी भूमिका निभा सकता है।
- AI-सक्षम विनियामक निरीक्षण और ग्रिड साइबर सुरक्षा को लागू करना: चूँकि AI प्रणालियाँ तेज़ी से जटिल ऊर्जा संचालन का प्रबंधन करती हैं, इसलिये मज़बूत साइबर सुरक्षा की आवश्यकता सर्वोपरि है।
- भारत को AI-संचालित विनियामक कार्यढाँचे को लागू करना चाहिये जो AI प्रणालियों के प्रदर्शन, सुरक्षा कमज़ोरियों और ऊर्जा विनियमों के अनुपालन की निरंतर निगरानी को सक्षम बनाए।
- इसके अलावा, AI का उपयोग वास्तविक काल में खतरों का पता लगाकर और महत्त्वपूर्ण परिसंपत्तियों की सुरक्षा के लिये स्वायत्त रूप से प्रतिक्रिया देकर ऊर्जा बुनियादी अवसंरचना को साइबर अटैक से बचाने के लिये किया जाना चाहिये।
निष्कर्ष:
AI में भारत के ऊर्जा क्षेत्र में क्रांति लाने और देश को उसके महत्त्वाकांक्षी संवहनीयता लक्ष्यों की ओर अग्रसर करने की क्षमता है। ग्रिड प्रबंधन, नवीकरणीय ऊर्जा एकीकरण और विकेंद्रीकृत ऊर्जा प्रणालियों के लिये AI-संचालित समाधानों में निवेश करके, भारत एक अधिक कुशल, समुत्थानशील एवं सतत् ऊर्जा भविष्य का निर्माण कर सकता है। यह दृष्टिकोण ऊर्जा उपलब्धता बढ़ाकर, नवाचार को बढ़ावा देकर तथा जलवायु परिवर्तन को कम करके सतत् विकास लक्ष्यों— SDG7 (सस्ती और प्रदूषण-मुक्त ऊर्जा), SDG9 (उद्योग, नवाचार एवं बुनियादी सुविधाएँ) और SDG13 (जलवायु-परिवर्तन कार्रवाई) को प्राप्त करने में प्रत्यक्ष रूप से योगदान देगा।
दृष्टि मेन्स प्रश्न: प्रश्न. भारत के ऊर्जा परिवर्तन में कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) की भूमिका पर चर्चा कीजिये तथा नवीकरणीय ऊर्जा एकीकरण को अनुकूलित करने, ग्रिड प्रबंधन को बेहतर बनाने और पारेषण हानियों को कम करने की इसकी क्षमता पर ध्यान केंद्रित कीजिये। AI-संचालित ऊर्जा परिवर्तन को सफल बनाने के लिये क्या उपाय किये जा सकते हैं? |
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न (PYQ)प्रिलिम्सप्रश्न 1. भारत की जैव-ईंधन की राष्ट्रीय नीति के अनुसार, जैव-ईंधन के उत्पादन के लिये निम्नलिखित में से किनका उपयोग कच्चे माल के रूप में हो सकता है? (2020)
नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये: (a) केवल 1, 2, 5 और 6 उत्तर: (a) प्रश्न 2. भारत में इस्पात उत्पादन उद्योग को निम्नलिखित में से किसके आयात की अपेक्षा होती है? (2015) (a) शोरा उत्तर: (c) मेन्सप्रश्न 1. पारंपरिक ऊर्जा उत्पादन के विपरीत सूर्य के प्रकाश से विद्युत् ऊर्जा प्राप्त करने के लाभों का वर्णन कीजिये। इस प्रयोजनार्थ हमारी सरकार द्वारा प्रस्तुत पहल क्या है? (2020) प्रश्न 2. “प्रतिकूल पर्यावरणीय प्रभाव के बावजूद, कोयला खनन विकास के लिये अभी भी अपरिहार्य है विवेचना कीजिये। (2017) |