जैव विविधता और पर्यावरण
उत्सर्जन गैप रिपोर्ट (emissions gap report), 2018
संदर्भ
हाल ही में यूनाइटेड नेशन एन्वायरनमेंट प्रोग्राम (UNEP) ने उत्सर्जन रिपोर्ट (emissions Report) प्रस्तुत की है। इस रिपोर्ट में यह दावा किया गया है कि ग्लोबल वार्मिंग (Global warming) से निपटने के लिये तमाम देशों द्वारा उठाए जा रहे कदम पर्याप्त नहीं है। यह रिपोर्ट ऐसे समय में आई है जब कुछ ही दिनों के अंतराल पर पेरिस समझौते (Paris agreement) में लिये गए निर्णयों के कार्यान्वयन पर चर्चा करने हेतु दुनिया के सभी देश पोलैंड के काटोविस (Katowice) में उपस्थित होंगे।
महत्त्वपूर्ण बिंदु
- उत्सर्जन गैप रिपोर्ट में इस बात पर ज़ोर दिया गया है कि यदि 2030 तक उत्सर्जन गैप को खत्म नहीं किया गया तो वैश्विक तापमान (Global temperature) को 2 डिग्री सेंटीग्रेड पर सीमित करना दुनिया के लिये एक चुनौती बन जाएगा।
क्या है उत्सर्जन गैप (Emission gap)?
- 2030 तक वैश्विक स्तर पर किये जाने वाले वास्तविक उत्सर्जन तथा ग्लोबल वार्मिंग को नियंत्रित करने हेतु वैज्ञानिक विधियों से ज्ञात प्रत्याशित उत्सर्जन स्तरों के बीच के अंतर को उत्सर्जन गैप कहा जाता है। दूसरे शब्दों में ‘हम कितना उत्सर्जन करने वाले हैं’ और ‘हमें कितना करना चाहिये’ के बीच का अंतर।
- यूनाइटेड नेशन एन्वायरनमेंट प्रोग्राम (United Nations Environment Program) ने अपनी उत्सर्जन गैप रिपोर्ट में कहा है कि 2015 में पेरिस समझौते के दौरान 194 देशों द्वारा किया गया वादा यानी ‘राष्ट्रीय स्तर पर निर्धारित योगदान’ उत्सर्जन गैप के खात्मे के लिये पर्याप्त नहीं है।
- यदि 2030 तक उत्सर्जन गैप के खात्मे हेतु उपाय नहीं किये गए तो वैश्विक तापमान को औद्योगिक क्रांति पूर्व तापमान से 2 डिग्री सेंटीग्रेड पर सीमित कर पाना मुश्किल हो जाएगा।
- यदि तापमान वर्तमान दर से बढ़ता रहा तो 2100 तक आते-आते वैश्विक तापमान 3 डिग्री सेंटीग्रेड का आँकड़ा भी पार कर जाएगा।
- हालाँकि यूनाइटेड नेशन एन्वायरनमेंट प्रोग्राम पेरिस समझौते के पश्चात् हर एक वर्ष के अंतराल पर उत्सर्जन गैप रिपोर्ट को पिछले तीन वर्षों से एक चेतावनी के तौर पर जारी कर रहा है।
अदम्य उत्सर्जन
- वैज्ञानिक समुदाय के अनुसार, यदि 2100 तक वैश्विक तापमान को औद्योगिक क्रांति पूर्व तापमान से 2 डिग्री सेंटीग्रेड पर सीमित कर दिया जाए तो मानव जाति ग्लोबल वार्मिंग के ऐसे परिणामों से निपट सकती है।
- पेरिस में दुनिया के सभी देशों ने वैज्ञानिक समुदाय के उक्त कथन से सहमत होते हुए 2 डिग्री के लक्ष्य को निर्धारित किया था।
- 2 डिग्री के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिये उत्सर्जन को बढ़ाने की अनुमति अधिकतम 2020 तक दी जानी चाहिये थी। अर्थात् 2020 के बाद उत्सर्जन स्तर को कम करना तय था।
- किंतु उत्सर्जन गैप रिपोर्ट के अनुसार, 2020 के बाद उत्सर्जन में कमी आना असंभव प्रतीत होता है क्योंकि राष्ट्रों द्वारा उठाए जा रहे कदम अपर्याप्त हैं।
निष्कर्ष
हमारे समक्ष सुखद बात यह है कि दुनिया के कई देश ग्लोबल वार्मिंग के संदर्भ में आवश्यक कदम उठा रहे हैं। किंतु एक सच्चाई यह भी है कि वर्तमान में उठाए गए ये कदम अपर्याप्त हैं। आज ग्लोबल वार्मिंग एक ऐसी चुनौती के रूप में है जिसका सामना आसानी से किया जा सकता है। दूसरे शब्दों में ग्लोबल वार्मिंग एक ऐसी रेस है जिसे आज ही आसानी से जीता जा सकता हैं क्योंकि कल बहुत देर हो जाएगी।
स्रोत-द हिंदू बिजनेस लाइन
भारतीय अर्थव्यवस्था
आरबीआई द्वारा बाह्य वाणिज्यिक उधार के लिये हेजिंग मानदंडों को राहत
चर्चा में क्यों?
रिज़र्व बैंक (RBI) ने बाह्य वाणिज्यिक उधार (ECB) के लिये मौजूदा 100% के अनिवार्य हेजिंग के प्रावधान को कम करके 70% कर दिया है।
महत्त्वपूर्ण बिंदु
- पिछले छह महीनों में डॉलर की मज़बूती के साथ ही हेजिंग की कीमतें भी बढ़ी है। जिसके चलते ECB फर्मों के लिये यह अप्रिय प्रतीत हो रहा था।
- यह कदम भारतीय फर्मों के लिये विदेशी ऋण की अंतिम लागत को कम करने में मदद करेगा, लेकिन यह विदेशी मुद्रा बाज़ारों में अस्थिरता को उजागर कर सकता है।
- ये नए मानदंड ECB की परिपक्वता अवधि के साथ 3 से 5 साल के बीच लागू होंगे।
पृष्ठभूमि
- वैश्विक वित्तीय संकट के बाद हेजिंग बढ़ाने के लिये दबाव शुरू हुआ, जहाँ विदेशी मुद्रा एक्सपोजर के बिना कुछ फर्मों को नुकसान हुआ और इसके बाद RBI ने मध्यम अवधि के बाह्य उधार के लिये 100% हेजिंग अनिवार्य कर दिया। उल्लेखनीय है कि जब किसी निवेश या परिसंपत्ति के लिये 'हेजिंग' नहीं की जाती है तो उसे 'एक्सपोज़र' कहते हैं। इसका आशय यह है कि उस निवेश पर जोखिम की आशंका है।
- RBI ने बैंकों से उन कंपनियों के खिलाफ अतिरिक्त प्रावधानों के लिये कहा जिन्हें विदेशी मुद्रा एक्सपोज़र (Foreign exchange exposure) नहीं मिला था।
हेजिंग (Hedging) क्या है?
- हेजिंग एक वित्तीय तकनीक है जब कोई क्रेता, विक्रेता या निवेशक अपने कारोबार या परिसंपत्ति को संभावित मूल्य परिवर्तन के प्रतिकूल प्रभाव से बचाने के उपाय करता है तो उसे 'हेजिंग' कहते हैं।
- यह एक ऐसा बीमा है जो जोखिम को पूरी तरह से खत्म नहीं करता है बल्कि इसके प्रभाव को कम करता है।
- इसमें दो अलग-अलग बाज़ारों में समान रूप या वस्तुओं की समान मात्रा की खरीद या बिक्री शामिल है, इससे उम्मीद की जाती है कि भविष्य में एक बाज़ार में कीमतों के बदलाव से दूसरे बाज़ार में विपरीत बदलाव आ जाएगा।
बाह्य वाणिज्यिक उधार (External Commercial Borrowings) - यह एक गैर-निवासी ऋणदाता से 3 साल की न्यूनतम औसत परिपक्वता के लिये भारतीय इकाई द्वारा प्राप्त किया गया ऋण है।
- इनमें से अधिकतर ऋण विदेशी वाणिज्यिक बैंक खरीदारों के क्रेडिट, आपूर्तिकर्त्ताओं के क्रेडिट, फ़्लोटिंग रेट नोट्स और फिक्स्ड रेट बॉन्ड इत्यादि जैसे सुरक्षित उपकरणों द्वारा प्रदान किए जाते हैं।
ECB के लाभ
- यह बड़ी मात्रा में धन उधार लेने का अवसर प्रदान करता है।
- इससे प्राप्त धन अपेक्षाकृत लंबी अवधि के लिये उपलब्ध होता है।
- घरेलू धन की तुलना में ब्याज दर भी कम होती है।
- यह विदेशी मुद्राओं के रूप में होता है। इसलिये यह मशीनरी के आयात को पूरा करने के लिये कॉर्पोरेट को विदेशी मुद्रा रखने में सक्षम बनाता है।
- कॉर्पोरेट अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त स्रोतों, जैसे - बैंक, निर्यात क्रेडिट एजेंसियों, अंतर्राष्ट्रीय पूंजी बाज़ार इत्यादि से ECB बढ़ा सकते हैं।
स्रोत : द हिंदू (बिज़नेस लाइन )
विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी
इसरो ने किया HySIS का प्रक्षेपण
संदर्भ
हाल ही में इसरो (ISRO) ने एक बड़ी कामयाबी हासिल की है। इसरो ने PSLV-C43 की मदद से कुल 31 सैटेलाइट प्रक्षेपित किये जिसमें भारत का हाइपरस्पेक्ट्रल इमेजिंग सैटेलाइट (HySIS) भी शामिल है। HySIS के अलावा इसमें अन्य 8 देशों के 30 दूसरे सैटेलाइट शामिल हैं जिसमें एक माइक्रो तथा 29 नैनो सैटेलाइट हैं।
महत्त्वपूर्ण बिंदु
- इसरो के अनुसार, हाइपरस्पेक्ट्रल इमेजिंग सैटेलाइट को ध्रुवीय कक्षा (polar synchronous orbit) में स्थापित किया जाएगा।
- स्पेस एजेंसी इसरो ने अप्रैल 2008 में हाइपरस्पेक्ट्रल इमेजिंग टेक्नोलॉजी का परीक्षण किया था।
- अक्तूबर, 2008 में ही इसरो ने चंद्रयान-1 पर एक HySI या हाइपरस्पेक्ट्रल इमेजर को लगा दिया था और खनिजों का पता लगाने हेतु चंद्रमा की सतह को स्कैन करने में इसका इस्तेमाल किया था।
- भारत का हाइपर स्पेक्ट्रल इमेजिंग उपग्रह (HySIS) इस मिशन का प्राथमिक सैटेलाइट है। इसरो ने इमेजिंग सैटेलाइट को पृथ्वी की निगरानी हेतु विकसित किया है।
- अन्य 30 उपग्रहों के प्रक्षेपण हेतु इसरो के वाणिज्यिक विभाग के साथ व्यावसायिक करार किया गया था।
HySIS की महत्ता
- हाइपरस्पेक्ट्रल इमेजिंग सैटलाइट का प्राथमिक उद्देश्य इलेक्ट्रोमैग्नेटिक स्पेक्ट्रम के दृश्यमान, निकट अवरक्त और शॉर्टवेव इन्फ्रारेड क्षेत्रों में पृथ्वी की सतह का अध्ययन करना है।
- हाइपर स्पेक्ट्रल इमेजिंग सैटेलाइट ज़मीन से 630 किमी की दूरी पर भी 55 वर्णक्रम या कलर बैंड में विभेद कर सकता है।
- 'Hyspex' इमेजिंग, अंतरिक्ष से किसी दृश्य के प्रत्येक पिक्सेल हेतु स्पेक्ट्रम की पहचान करते हुए पृथ्वी पर वस्तुओं, सामग्री या प्रक्रियाओं की अलग पहचान की सुविधा प्रदान करती है।
- यह प्रणाली किसी संदिग्ध वस्तु या व्यक्ति को चिह्नित करने और उसे पृष्ठभूमि (Background) से अलग करने में अत्यधिक उपयोगी हो सकती है।
- यह सीमापार या अन्य गुप्त गतिविधियों का पता लगाने में सहायता प्रदान कर सकती है।
- इसका उपयोग वायुमंडलीय गतिविधि और जलवायु परिवर्तन, पृथ्वी के चुंबकीय क्षेत्र, कृषि, वानिकी, जल प्रबंधन, तटीय क्षेत्रों का अध्ययन और खनिजों की तलाश जैसी गतिविधियों से लेकर सैन्य निगरानी तक सभी तरह के कार्यों के लिये किया जा सकता है।
विविध
द लांसेट काउंटडाउन 2018 रिपोर्ट
चर्चा में क्यों?
हाल ही में जारी की गई लांसेट काउंटडाउन 2018 रिपोर्ट में यह सुझाव दिया गया है कि भारतीय नीति निर्माताओं को वर्ष 2012-2016 की अवधि में देश में भयंकर गर्मी की घटनाओं में वृद्धि के कारण हुई श्रम के घंटों के नुकसान और स्वास्थ्य के प्रति बढ़े हुए जोखिमों को कम करने के लिये नए प्रयास शुरू करने चाहिये।
प्रमुख बिंदु
- इस रिपोर्ट के अनुसार, वर्ष 2014-2017 की अवधि में भारत में भयंकर गर्मी की औसत अवधि 0.8-1.8 दिनों के वैश्विक औसत की तुलना में 3-4 दिनों तक थी और भारतीयों ने वर्ष 2012 में लगभग 40 मिलियन की तुलना में वर्ष 2016 में लगभग 60 मिलियन भयंकर गर्मी के प्रकोप की घटनाओं का सामना किया।
- भयंकर गर्मी के कारण विभिन्न समस्याएँ सामने आती हैं जैसे- तनाव और हीट स्ट्रोक की दरों में वृद्धि, हार्ट फेल होने की समस्या और डीहाईड्रेशन से किडनी को नुकसान आदि। बच्चे, बुज़ुर्ग और पहले से ही रोगग्रस्त लोग विशेष रूप से भयंकर गर्मी के प्रति सुभेद्य होते हैं।
- भयंकर गर्मी के कारण वर्ष 2017 में वैश्विक स्तर पर लगभग 153 बिलियन श्रमिक घंटों का नुकसान हुआ जो कि वर्ष 2000 में हुए नुकसान से 62 बिलियन घंटे अधिक है।
- यह देखते हुए कि एक हालिया रिपोर्ट ‘भारत को उन देशों की श्रेणी में रखती है जो जलवायु परिवर्तन के चलते उच्च सामाजिक और आर्थिक लागत का अनुभव करते हैं’, यह अध्ययन कई महत्त्वपूर्ण सिफारिशें करता है।
- इन सिफारिशों में मौसम संबंधी डेटा के उचित ट्रैकिंग के माध्यम से ‘भयंकर गर्मी वाले हॉट-स्पॉट’ की पहचान करना और रणनीतिक अंतर-एजेंसी समन्वय के साथ स्थानीय हीट एक्शन प्लान के सही समय पर विकास और कार्यान्वयन को बढ़ावा देना और एक प्रतिक्रिया प्रदान करना जो सबसे कमजोर समूहों को लक्षित करती हो, आदि प्रमुख हैं।
- पब्लिक हेल्थ फाउंडेशन ऑफ इंडिया के साथ संयुक्त रूप से तैयार की गई यह रिपोर्ट जलवायु परिस्थितियों के संबंध में मौजूदा व्यावसायिक स्वास्थ्य मानकों, श्रम कानूनों और श्रमिक सुरक्षा के क्षेत्रीय नियमों की समीक्षा का भी आग्रह करती है।
- भारत के मौसम विज्ञान विभाग के अनुसार, वर्ष 1901 से 2007 तक औसत तापमान में 0.5 डिग्री सेल्सियस से अधिक की वृद्धि हुई थी, जिसमें काफी भौगोलिक विविधता थी और शोध समूहों द्वारा जलवायु पूर्वानुमान के अनुसार, 21वीं शताब्दी के अंत तक उत्तरी, मध्य और पश्चिमी भारत के तापमान में 2.2-5.5 डिग्री सेल्सियस की वृद्धि होगी।
कृषि श्रमिक सुभेद्य
- लांसेट के अनुसार, पूरे भारत में वर्ष 2000-2017 के बीच नुकसान हुए श्रम के घंटों की संख्या भी बढ़ी है। कृषि क्षेत्र औद्योगिक और सेवा क्षेत्रों की तुलना में अधिक सुभेद्य था क्योंकि श्रमिकों के गर्मी के संपर्क में आने की संभावना अधिक थी।
- अकेले कृषि क्षेत्र में, नुकसान हुए श्रम के घंटों की संख्या वर्ष 2000 के 40,000 मिलियन घंटों से वर्ष 2017 में लगभग 60,000 मिलियन घंटों तक बढ़ गई। कुल मिलाकर सभी क्षेत्रों में भारत को वर्ष 2000 के 43,000 मिलियन घंटों की तुलना में वर्ष 2017 में लगभग 75,000 मिलियन श्रम के घंटों का नुकसान हुआ।
- यह निष्कर्ष भारत के लिये महत्त्वपूर्ण है क्योंकि कृषि का योगदान देश के सकल घरेलू उत्पाद में 18% है और यह क्षेत्र आबादी के लगभग आधे हिस्से को रोज़गार प्रदान करता है।
- दक्षिण एशिया के हॉट-स्पॉट को लेकर हाल ही में विश्व बैंक की एक रिपोर्ट ने तापमान, वर्षा और वर्षा पैटर्न में बदलाव के कारण जीवन स्तर में गिरावट के साथ वर्ष 2050 तक देश के जीडीपी में 2.8% के क्षरण की भविष्यवाणी की है।
- पिछले महीने जलवायु परिवर्तन पर अंतर-सरकारी पैनल (आईपीसीसी) द्वारा जारी की गई ‘1.5 डिग्री सेल्सियस के ग्लोबल वार्मिंग पर विशेष रिपोर्ट' के अनुसार, यदि वैश्विक तापमान वर्तमान से एक डिग्री सेल्सियस अधिक हो जाए तो भारत को 2015 की भयंकर गर्मी जिससे 2,000 लोगों की मौत हुई, जैसी स्थिति का सामना वार्षिक तौर पर करना पड़ सकता है।
- ग्लोबल वार्मिंग से निपटने के संबंध में संयुक्त राष्ट्र संधि के तहत लगभग 190 हस्ताक्षरकर्त्ता देशों के कॉन्फ्रेंस ऑफ़ पार्टीज़ का आयोजन 2015 के पेरिस समझौते को लागू करने के लिये 'नियम पुस्तिका' तैयार करने हेतु काटोविस, पोलैंड में किया जा रहा है।
- पेरिस समझौता एक ऐतिहासिक समझौता है, जिसमें सभी देश इस शताब्दी में वैश्विक तापमान वृद्धि को पूर्व-औद्योगिक स्तर से 2 डिग्री सेल्सियस नीचे लेन और तापमान वृद्धि को 1.5 डिग्री सेल्सियस तक और भी सीमित करने के प्रयासों को आगे बढ़ाने के लिये जलवायु परिवर्तन के खतरे से निपटने हेतु वैश्विक प्रतिक्रिया को मज़बूत करने पर सहमत हुए।
स्रोत : द हिंदू
अंतर्राष्ट्रीय संबंध
सतत् नीली अर्थव्यवस्था सम्मेलन
चर्चा में क्यों?
हाल ही में केन्या की राजधानी नैरोबी में सतत् नीली अर्थव्यवस्था सम्मेलन (Sustainable Blue Economy Conference) का आयोजन किया गया।
प्रमुख बिंदु
- सतत् नीली अर्थव्यवस्था सम्मेलन, नीली अर्थव्यवस्था के विषय पर आयोजित किया जाने वाला पहला सम्मलेन है।
- इसका आयोजन केन्या ने कनाडा तथा जापान के सहयोग से किया है।
- सम्मेलन का उद्देश्य यह सीखना था कि नीली अर्थव्यवस्था का विकास कैसे किया जाए, जिसके अंतर्गत सभी के जीवन को बेहतर बनाने के लिये दुनिया के महासागरों और जल निकायों की क्षमता का उपयोग किया जाता है।
- इस सम्मेलन की थीम थी- नीली अर्थव्यवस्था और सतत् विकास के लिये 2030 एजेंडा (The blue economy and the 2030 Agenda for Sustainable Development)।
सम्मेलन के दौरान किन बातों पर विचार किया गया?
- नीली अर्थव्यवस्था नियोजन में समुद्री संरक्षित क्षेत्रों का महत्त्व।
- कैसे सतत् विकास सामाजिक प्रगति और आर्थिक विकास को आगे बढ़ाता है।
- सतत् विकास के लिये 2030 एजेंडा में उल्लिखित लक्ष्यों को कैसे पूरा किया जाए?
- स्थायी अर्थव्यवस्था की ओर बढ़ते हुए कौन सी चुनौतियाँ सामने आती हैं तथा उन चुनौतियों का सामना कैसे किया जाए?
सम्मेलन की आवश्यकता क्यों?
- महासागरों तथा सागरों में बढ़ते प्लास्टिक प्रदूषण और जलवायु परिवर्तन के प्रभाव ने पूरी दुनिया का ध्यान आकर्षित किया है। इसके साथ ही सभी को लाभ पहुँचाने के लिये इस बात की भी आवश्यकता महसूस की गई है कि इन सागरों के विकास के लिये समावेशी और टिकाऊ तरीके अपनाने की आवश्यकता है।
- सतत् नीली अर्थव्यवस्था सम्मेलन का आयोजन सतत् विकास के लिये संयुक्त राष्ट्र के 2030 एजेंडा, पेरिस में 2015 में आयोजित जलवायु परिवर्तन सम्मेलन और संयुक्त राष्ट्र महासागर सम्मेलन 2017 के ‘कॉल टू एक्शन’ के आधार पर किया गया।
भारत और नीली अर्थव्यवस्था
- हिन्द महासागर क्षेत्र में भारत रणनीतिक स्थान पर है और इसी आधार पर भारत सतत् समावेशी और जन केंद्रित रूप में हिन्द महासागर रिम एसोसिएशन (आईओआरए) के ढांचे के माध्यम से नीली अर्थव्यवस्था के विकास को स्वीकृति देता है।
- भारत के महत्त्वाकांक्षी सागरमाला कार्यक्रम के अंतर्गत 600 से अधिक परियोजनाएँ चिह्नित की गई हैं और इनमें 2020 तक लगभग 8 लाख करोड़ रुपए (120 बिलियन डॉलर) के निवेश का प्रावधान है।
- भारत अपने मैरीटाइम ढाँचे के साथ-साथ अंतर्देशीय जलमार्गों तथा महत्त्वाकांक्षी सागरमाला कार्यक्रम के माध्यम से तटीय जहाजरानी (Coastal Shipment) को विकसित कर रहा है।
नीली अर्थव्यवस्था
नीली अर्थव्यवस्था का तात्पर्य ऐसी अर्थव्यवस्था से है जो प्रत्यक्ष अथवा अप्रत्यक्ष रूप से सागरों अथवा महासागरों से जुडी हो।
नीली अर्थव्यवस्था का संरक्षण
- सतत् वैश्विक विकास काफी हद तक नीली अर्थव्यवस्था की मज़बूती पर निर्भर करता है। सतत् विकास का एजेंडा 2030 तथा सतत् विकास लक्ष्य इस संबंध को प्रमुखता से रेखांकित करते हैं।
- नीली अर्थव्यवस्था का संबंध जलीय संसाधनों के दीर्घकालिक उपयोग तथा उनके संरक्षण से है, जिसमें शामिल हैं:
- समुद्र
- झीलें
- नदियाँ
- महासागर
- बहुत से देशों ने इन संसाधनों की असीमित क्षमता का उपयोग कर लाभ प्राप्त किया है तथा अपने सामाजिक-आर्थिक विकास और पर्यावरण संरक्षण के लिये अब भी इन संसाधनों का उपयोग लकर रहे हैं।
- यदि इन जलीय संसाधनों का उचित प्रबंधन और संरक्षण किया जाए तो ये सतत् तथा समावेशी विकास में योगदान दे सकते हैं।
स्रोत : पी.आई.बी एवं Sustainable Blue Economy Conference वेबसाइट
शासन व्यवस्था
नागरिकता संशोधन विधेयक पर नहीं बनी सहमति
चर्चा में क्यों?
हाल ही में नागरिकता संशोधन विधेयक पर संयुक्त संसदीय बैठक (Joint Parliamentry Committee) का आयोजन किया। उल्लेखनीय है कि इस बैठक के दौरान नागरिकता (citizenship) संशोधन संबंधी विधेयक पर कोई सहमति नहीं बन सकी।
- नागरिकता संशोधन विधेयक पर संयुक्त संसदीय समिति बैठक में यह कहते हुए सहमति देने से इनकार कर दिया गया कि भारत एक धर्म निरपेक्ष देश है इसलिये भारत में धर्म के आधार पर नागरिकता नहीं प्रदान की जानी चाहिये।
नागरिकता (संशोधन) अधिनियम, 2016
- नागरिकता संशोधन अधिनियम का प्रस्ताव नागरिकता अधिनियम, 1955 में संशोधन के लिये पारित किया गया था।
- नागरिकता संशोधन विधेयक-2016 में पड़ोसी देशों (बांग्लादेश, पाकिस्तान, अफगानिस्तान) से आए हिन्दू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी तथा ईसाई अल्पसंख्यकों (मुस्लिम शामिल नहीं) को नागरिकता प्रदान करने की बात कही गई है, चाहे उनके पास ज़रूरी दस्तावेज़ हों या नहीं।
- नागरिकता अधिनियम, 1955 के अनुसार नैसर्गिक नागरिकता के लिये अप्रवासी को तभी आवेदन करने की अनुमति है, जब वह आवेदन करने से ठीक पहले 12 महीने से भारत में रह रहा हो और पिछले 14 वर्षों में से 11 वर्ष भारत में रहा हो। नागरिकता (संशोधन) अधिनियम, 2016 में इस संबंध में अधिनियम की अनुसूची 3 में संशोधन का प्रस्ताव किया गया है ताकि वे 11 वर्ष की बजाय 6 वर्ष पूरे होने पर नागरिकता के पात्र हो सकें।
- भारत के विदेशी नागरिक (Overseas Citizen of India -OCI) कार्डधारक यदि किसी भी कानून का उल्लंघन करते हैं तो उनका पंजीकरण रद्द कर दिया जाएगा।
नागरिकता (संशोधन) अधिनियम, 2016 से संबंधित समस्याएँ
- यह संशोधन पड़ोसी देशों से आने वाले मुस्लिम लोगों को ही ‘अवैध प्रवासी’ मानता है, जबकि लगभग अन्य सभी लोगों को इस परिभाषा के दायरे से बाहर कर देता है। इस प्रकार यह भारतीय संविधान के अनुच्छेद 14 का उल्लंघन है।
- यह विधेयक किसी भी कानून का उल्लंघन करने पर OCI पंजीकरण को रद्द करने की अनुमति देता है। यह एक ऐसा व्यापक आधार है जिसमें मामूली अपराधों सहित कई प्रकार के उल्लंघन शामिल हो सकते हैं (जैसे नो पार्किंग क्षेत्र में पार्किंग)।
स्रोत : इंडियन एक्सप्रेस
विविध
Rapid Fire करेंट अफेयर्स (29 November)
- SC का फैसला देश में बनी रहेगी मृत्युदंड की सज़ा, 2:1 के बहुमत से कायम रखी मृत्युदंड की संवैधानिक वैधता
- आज सुबह 9:58 पर आंध्रप्रदेश के श्रीहरिकोटा (सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र) से इसरो ने किया HysIS का प्रक्षेपण, हाईपर स्पेक्ट्रल इमेजिंग सेटेलाइट है पूरा नाम, पृथ्वी की सतह का अध्ययन करना है इसका उद्देश्य, PSLV-C43 के साथ 8 देशों के 30 उपग्रह किये गए प्रक्षेपित,
- टेक्सास यूनिवर्सिटी के शोधकर्त्ताओं ने कैलिफोर्निया की खाड़ी में खोजी deep sea microbes की 20 नई प्रजातियाँ, जीवित रहने के लिये करती हैं मीथेन जैसे हाइड्रोकार्बन का उपभोग, ग्रीनहाउस गैसों को वातावरण में प्रसारित होने से रोकती हैं, साथ ही दूसरे हानिकारक तत्त्वों का करती है क्षय
- 40 हज़ार साल पहले ही खगोलीय घटनाओं के बारे में जान गए थे प्राचीन मानव, यूरोपीय गुफाओं के चित्रों से चला पता, तारों की स्थिति बदलने से प्राप्त करते थे समय और काल का जानकारी, ब्रिटेन स्थित यूनिवर्सिटी ऑफ इडेनबर्ग के शोधकर्त्ताओं ने की खोज
- अमेरिका ने लगाया निकारागुआ की उपराष्ट्रपति रोसेरियो मुरिलो पर प्रतिबंध; निकारागुआ के राष्ट्रपति डेनियल ओर्टेगा की पत्नी हैं मुरिलो; अमेरिकी नागरिक, बैंक और कंपनी नहीं कर सकेंगे इस दंपत्ति के साथ किसी भी तरह का लेन-देन;मुरिलो पर हत्या, उत्पीड़न और अपहरण में लिप्त संगठन को बढ़ावा देने का है आरोप
- 28 से 30 नवंबर, 2018 के दौरान महात्मा गांधी की 150वीं जयंती के सिलसिले में 'दक्षिण एशिया क्षेत्रीय युवा शांति सम्मेलन' का आयोजन; कृषि मंत्रालय की ‘शिक्षक गांधी स्मृति और दर्शन समिति’ UNESCO- MGIEP तथा स्टेंडिंग टूगेदर टू अनेबल पीस जैसे संगठन कर रहे हैं मेज़बानी
- National Research Laboratory CSIR-Institute of Microbial Technology जर्मनी की एक अग्रणी विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी कंपनी मर्क के साथ चंडीगढ़ में करेगी एक उच्च कौशल विकास केंद्र की स्थापना; जीन एडिटिंग और सिंगल – मोलेक्यूल बायोमार्कर डिटेक्शन जैसी नई पीढ़ी के प्रौद्योगीकियों से लैस होगा नया केंद्र
- एयर इंडिया की ग्राउंड हैंडलिंग सब्सिडियरी एयर इंडिया एयर ट्रांसपोर्ट सर्विसेज़ लिमिटिड की रणनीतिक बिक्री को मिली मंज़ूरी; मंत्रियों की समिति यानी आल्टरनेटिव मैकेनिज्म ने दी अनुमति, सब्सिडी राशि को कर्ज उतारने हेतु किया जाएगा इस्तेमाल
- केंद्रीय वित्त एवं कॉरपोरेट कार्य मंत्री अरुण जेटली ने किया ‘मेकिंग ऑफ न्यू इंडिया: ट्रांसरफॉर्मेशन अंडर मोदी गवर्नमेंट’ पुस्तक का विमोचन; पहली प्रति सौंपी राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को. डॉ. बिबेक देबरॉय, डॉ. अनिर्बान गांगुली और किशोर देसाई हैं पुस्तक के संपादक
- कर्ज संकट से घिरे सार्वजनिक बैंक IDBI की 51% हिस्सेदारी खरीदेगा LIC, भारतीय प्रतिस्पर्द्धा आयोग (CCI) ने सरकारी बीमा कंपनी का प्रस्ताव किया स्वीकार, इस सौदे से बैंकिंग क्षेत्र में प्रवेश करेगी LIC
- केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने हिमाचल प्रदेश (मंडी) में की आपात प्रतिक्रिया सहायता प्रणाली (ERSS) की शुरुआत, ERSS के तहत अखिल भारतीय एकल आपात नंबर ‘112’ की भी हुई शुरुआत, ऐसा करने वाला देश का पहला राज्य बना हिमाचल प्रदेश
- हॉकी विश्व कप, 2018 का शानदार आगाज़, भारत ने दक्षिण अफ्रीका को 5-0 से रौंदा, सिमरनजीत बने ‘मैन ऑफ द मैच', अगला मुकाबला बेल्जियम से
- केरल की विनाशकारी बाढ़ में नि:स्वार्थ सेवा एवं बहादुरी का परिचय देने वाले भारतीय नौसेना के कमांडर विजय शर्मा और कैप्टन पी. राजकुमार को मिला ‘एशियन ऑफ द ईयर’ पुरस्कार
- अरविंद सक्सेना बने UPSC के नए चेयरमैन, 7 अगस्त, 2020 तक रहेंगे पदासीन, 2015 में UPSC में हुए थे सदस्य के तौर पर शामिल, मेरीटोरियस सेवा के लिये हो चुके हैं सम्मानित
- 49वें भारतीय अंतर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सव (IFFI) 28 नवंबर, 2018 को गोवा में हुआ समाप्त, सर्गेई लोज़नित्सा द्वारा निर्देशित फिल्म डोनबास ने जीता स्वर्ण मयूर पुरस्कार, सर्वश्रेष्ठ निर्देशक के लिये चुने गए लिजो जोस पेलिसरी, चेम्बैन विनोद सर्वश्रेष्ठ अभिनेता, अनास्ताशिया पस्तोविट चुनी गईं सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री
- कोयंबटूर ऑटो स्पोर्ट्स क्लब के जे.पृथ्वीराज चुने गए इंडियन मोटरस्पोर्ट्स क्लब यूनियन के अध्यक्ष. 58 साल के पृथ्वीराज को अकबर इब्राहीम के स्थान पर चुना गया
- IT कंपनी विप्रो के चेयरमैन अजीज प्रेमजी को मिला फ्राँस का सर्वोच्च नागरिक सम्मान ‘नाइट ऑफ द लीजन ऑफ ऑनर’, भारत में फ्राँसीसी राजदूत ने किया प्रेमजी को सम्मानित, भारत में IT इंडस्ट्री को विकसित करने में अहम योगदान और फ्राँस में आर्थिक पहुँच के लिये किया जा रहा है सम्मानित
- A.M.नाईक बने राष्ट्रीय कौशल विकास निगम (NSDC) के चेयरमैन, वर्तमान में हैं भारत की सबसे बड़ी इंजीनियरिंग तथा निर्माण कंपनी ‘लार्सन और टूब्रो लिमिटेड (L&T) के समूह अध्यक्ष
प्रारंभिक परीक्षा
प्रीलिम्स फैक्ट्स : 29 नवंबर, 2018
भारतीय अंतर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सव- 2018 (International Film Festival of India- IFFI)
20 से 28 नवंबर, 2018 तक गोवा में 49वें भारतीय अंतर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सव (International Film Festival of India- IFFI) 2018 का आयोजन किया गया।
- इस फिल्म महोत्सव के दौरान 68 देशों की 212 फिल्में प्रदर्शित की गईं।
- प्रतिस्पर्द्धी अनुभाग (Competition section) में 22 देशों द्वारा निर्मित/सहनिर्मित फिल्मों को शामिल किया गया।
- इज़रायल इस महोत्सव में विशेष फोकस देश था जबकि झारखंड विशेष फोकस राज्य था।
- सर्गेई लोज़नित्सा द्वारा निर्देशित फिल्म डोनबास ने 49वें भारतीय अंतर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सव (IFFI) में प्रतिष्ठित स्वर्ण मयूर पुरस्कार (Golden Peacock Award) जीता।
- समारोह के दौरान इस वर्ष का दादा साहेब फाल्के पुरस्कार जीतने वाले विनोद खन्ना की कुछ सर्वश्रेष्ठ फिल्मों का प्रदर्शन किया गया। उल्लेखनीय है कि विनोद खन्ना को यह पुरस्कार मरणोपरांत दिया गया है।
यूनेस्को गांधी पदक
- प्रवीण मोरछाले द्वारा निर्देशित ‘वॉकिंग विद दी विंड’ ICFT –यूनेस्को गांधी पदक जीता।
- इस पुरस्कार को इंटरनेशनल काउंसिल फॉर फिल्म, टेलीविजन एंड ऑडियो-विजुअल कम्यूनिकेशन, पेरिस और यूनेस्को ने शुरू किया है। यह पुरस्कार ऐसी फिल्म को दिया जाता है जो यूनेस्को के आदर्शों को प्रतिबिंबित करती है।
IFFI की पृष्ठभूमि
- IFFI की शुरुआत वर्ष 1952 में हुई थी।
- उस समय इसका आयोजन भारत के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू के संरक्षण में भारत सरकार के फिल्म डिवीज़न द्वारा किया गया था।
- भारतीय अंतर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सव (IFFI) का उद्देश्य फिल्म निर्माण कला की उत्कृष्टता को दर्शाने के लिये दुनिया भर के सिनेमाघरों को आम मंच प्रदान करना है।
- IFFI एशिया में आयोजित किया जाने वाले पहला अंतर्राष्ट्रीय फिल्म समारोह भी है।
आपात प्रतिक्रिया सहायता प्रणाली (Emergency Response Support System- ERSS)
हिमाचल प्रदेश के लिये आपात प्रतिक्रिया सहायता प्रणाली (Emergency Response Support System- ERSS) की शुरुआत की गई है।
- ERSS के अंतर्गत अखिल भारतीय एकल आपात नंबर (pan-India single emergency number) ‘112’ की शुरुआत करने वाला हिमाचल प्रदेश पहला राज्य है।
- इस परियोजना के अंतर्गत पूरे राज्य को शामिल कर 12 ज़िलों के कमान केंद्र (District Command Centers- DCCs) के साथ शिमला में एक आपात प्रतिक्रिया केंद्र (Emergency Response Centre -ERC) स्थापित किया गया है।
- आपात प्रतिक्रिया केंद्र को पुलिस (100), दमकल (101), स्वास्थ्य (108) और महिला हेल्पलाइन (1090) सेवाओं से जोड़ा गया है ताकि एकल आपात नंबर – 112 के ज़रिये आपात सेवाएँ प्रदान की जा सकें।
- इस सेवा में '112 इंडिया' मोबाइल एप को भी शामिल किया गया है जिसे स्मार्ट फोन के पेनिक बटन (Panic Button) और तत्काल सहायता प्राप्त करने में नागरिकों की सुविधा के लिये ERSS राज्य वेबसाइट से जोड़ा गया है।
- आपात प्रतिक्रिया की प्रभावशीलता में वृद्धि के लिये ERC को दूरंसचार सेवा प्रदाताओं द्वारा लोकेशन आधारित सेवाओं से जोड़ा गया है।
- महिलाओं की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिये ‘112 इंडिया’ में एक SHOUT फीचर की शुरुआत की गई है ताकि आपात प्रतिक्रिया केंद्र से मिलने वाली तत्काल सहायता के अलावा आसपास पंजीकृत स्वयंसेवियों से तत्काल सहायता मिल सके।
- SHOUT फीचर विशेष रूप से महिलाओं के लिये उपलब्ध है।
- एकीकृत आपात सेवाओं तक पहुँच के लिये देश भर में लोगों की मदद हेतु सभी राज्यों और संघ शासित प्रदेशों में ‘112 इंडिया’ मोबाइल एप शुरू किया जाएगा।
- केंद्र सरकार ने देश भर में ERSS परियोजना के कार्यान्वयन के लिये निर्भया कोष के अंतर्गत 321.69 करोड़ रुपए आवंटित किये हैं।