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विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी

इसरो ने किया HySIS का प्रक्षेपण

  • 29 Nov 2018
  • 3 min read

संदर्भ

हाल ही में इसरो (ISRO) ने एक बड़ी कामयाबी हासिल की है। इसरो ने PSLV-C43 की मदद से कुल 31 सैटेलाइट प्रक्षेपित किये जिसमें भारत का हाइपरस्पेक्ट्रल इमेजिंग सैटेलाइट (HySIS) भी शामिल है। HySIS के अलावा इसमें अन्य 8 देशों के 30 दूसरे सैटेलाइट शामिल हैं जिसमें एक माइक्रो तथा 29 नैनो सैटेलाइट हैं।

महत्त्वपूर्ण बिंदु

  • इसरो के अनुसार, हाइपरस्पेक्ट्रल इमेजिंग सैटेलाइट को ध्रुवीय कक्षा (polar synchronous orbit) में स्थापित किया जाएगा।
  • स्पेस एजेंसी इसरो ने अप्रैल 2008 में हाइपरस्पेक्ट्रल इमेजिंग टेक्नोलॉजी का परीक्षण किया था।
  • अक्तूबर, 2008 में ही इसरो ने चंद्रयान-1 पर एक HySI या हाइपरस्पेक्ट्रल इमेजर को लगा दिया था और खनिजों का पता लगाने हेतु चंद्रमा की सतह को स्कैन करने में इसका इस्तेमाल किया था।
  • भारत का हाइपर स्पेक्ट्रल इमेजिंग उपग्रह (HySIS) इस मिशन का प्राथमिक सैटेलाइट है। इसरो ने इमेजिंग सैटेलाइट को पृथ्वी की निगरानी हेतु विकसित किया है।
  • अन्य 30 उपग्रहों के प्रक्षेपण हेतु इसरो के वाणिज्यिक विभाग के साथ व्यावसायिक करार किया गया था।

HySIS की महत्ता

  • हाइपरस्पेक्ट्रल इमेजिंग सैटलाइट का प्राथमिक उद्देश्य इलेक्ट्रोमैग्नेटिक स्पेक्ट्रम के दृश्यमान, निकट अवरक्त और शॉर्टवेव इन्फ्रारेड क्षेत्रों में पृथ्वी की सतह का अध्ययन करना है।
  • हाइपर स्पेक्ट्रल इमेजिंग सैटेलाइट ज़मीन से 630 किमी की दूरी पर भी 55 वर्णक्रम या कलर बैंड में विभेद कर सकता है।
  • 'Hyspex' इमेजिंग, अंतरिक्ष से किसी दृश्य के प्रत्येक पिक्सेल हेतु स्पेक्ट्रम की पहचान करते हुए पृथ्वी पर वस्तुओं, सामग्री या प्रक्रियाओं की अलग पहचान की सुविधा प्रदान करती है।
  • यह प्रणाली किसी संदिग्ध वस्तु या व्यक्ति को चिह्नित करने और उसे पृष्ठभूमि (Background) से अलग करने में अत्यधिक उपयोगी हो सकती है।
  • यह सीमापार या अन्य गुप्त गतिविधियों का पता लगाने में सहायता प्रदान कर सकती है।
  • इसका उपयोग वायुमंडलीय गतिविधि और जलवायु परिवर्तन, पृथ्वी के चुंबकीय क्षेत्र, कृषि, वानिकी, जल प्रबंधन, तटीय क्षेत्रों का अध्ययन और खनिजों की तलाश जैसी गतिविधियों से लेकर सैन्य निगरानी तक सभी तरह के कार्यों के लिये किया जा सकता है।
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