अंतर्राष्ट्रीय संबंध
सातवाँ अंतर्राष्ट्रीय पर्यटन मार्ट
चर्चा में क्यों?
भारत सरकार का पर्यटन मंत्रालय 22 से 24 नवंबर तक त्रिपुरा के अगरतला में अंतर्राष्ट्रीय पर्यटन मार्ट का आयोजन कर रहा है। केंद्रीय पर्यटन विभाग, त्रिपुरा सरकार और पूर्वोत्तर राज्यों के सहयोग से इसका आयोजन हर वर्ष किया जाता है।
क्या है अंतर्राष्ट्रीय पर्यटन मार्ट?
- अंतर्राष्ट्रीय पर्यटन मार्ट का यह सातवाँ संस्करण है।
- इस वर्ष पर्यटन मार्ट की थीम Adventure Tourism रखी गई है।
- इसका आयोजन हर वर्ष पूर्वोत्तर क्षेत्र में किया जाता है।
- इसका उद्देश्य घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय बाजारों में पूर्वोत्तर क्षेत्र की पर्यटन संभावनाओं को उजागर करना है।
- यह पर्यटन मार्ट आठों पूर्वोत्तर राज्यों के पर्यटन कारोबार जुड़े समुदायों और उद्यमियों को एक साथ मिलने का मंच उपलब्ध कराता है।
- पर्यटन मार्ट के दौरान विश्व भर के कई देशों के साथ-साथ भारत के विभिन्न क्षेत्रों के क्रेता पूर्वोत्तर क्षेत्र के विक्रेताओं के साथ कारोबार संबंधी बैठकें करते हैं।
- इस पर्यटन मार्ट में 18 देशों के 41 विदेशी प्रतिनिधि भी हिस्सा ले रहे हैं।
- इनमें ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, चीन, फ्राँस, इंडोनेशिया, जापान, केन्या, मलेशिया, म्यांमार, नीदरलैंड्स, न्यूज़ीलैंड, रूस, दक्षिण अफ्रीका, दक्षिण कोरिया, स्पेन, थाईलैंड, यूएई और अमेरिका शामिल हैं।
- पूर्वोत्तर क्षेत्र के पर्यटन उत्पादों के आपूर्तिकर्त्ताओं को अंतर्राष्ट्रीय एवं घरेलू खरीदारों तक अपनी पहुँच सुनिश्चित करने का मौका मिलता है।
- पूर्वोत्तर राज्यों में अंतर्राष्ट्रीय पर्यटन मार्ट का आयोजन बारी-बारी से होता है।
- इससे पहले अंतर्राष्ट्रीय पर्यटन मार्ट गुवाहाटी, तवांग, शिलांग, गंगटोक और इम्फाल में आयोजित हो चुके हैं।
- छठा अंतर्राष्ट्रीय पर्यटन मार्ट दिसंबर 2017 में गुवाहाटी में आयोजित हुआ था।
‘एक्ट ईस्ट’ नीति के मद्देनज़र भी महत्त्वपूर्ण
|
स्रोत: PIB+इंडियन एक्सप्रेस
शासन व्यवस्था
समग्र योजना एक्रॉस (ACROSS) का कार्यान्वयन
चर्चा में क्यों?
हाल ही में प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में मंत्रिमंडल की आर्थिक मामलों की समिति द्वारा समग्र योजना ‘एटमॉस्फेयर एंड क्लाइमेट रिसर्च– मॉडलिंग ओब्सर्विंग सिस्टम्स एंड सर्विसेज़’ (ACROSS) की नौ उप-योजनाओं को 1450 करोड़ रुपए की अनुमानित लागत से वर्ष 2017 से 2020 तक की अवधि के दौरान जारी रखने हेतु अपनी मंज़ूरी दे दी गई है।
प्रमुख बिंदु
- इन योजनाओं का कार्यान्वयन पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय द्वारा अपनी प्रमुख संस्थाओं यथा, भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (IMD), भारतीय उष्णकटिबंध मौसम विज्ञान संस्थान (IITM), नेशनल सेंटर फॉर मीडियम रेंज वेदर फॉरकास्टिंग (NCMRWF) और भारतीय राष्ट्रीय महासागर सूचना सेवा केंद्र (INCOIS) के माध्यम से किया जाएगा।
- मंत्रिमंडल की आर्थिक समिति द्वारा 2020-21 और इससे आगे की अवधि के दौरान 130 करोड़ रुपए की वित्तीय प्रतिबद्धता के साथ नेशनल फेसिलिटी फॉर एयरबोर्न रिसर्च (NFAR) की स्थापना करने हेतु भी अपनी मंज़ूरी प्रदान की गई।
- एक्रॉस (ACROSS) योजना पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय से संबंधित है जो चक्रवात, तूफान, लहर, तेज़ गर्मी और गरज के साथ बारिश जैसे विभिन्न पहलुओं से निपटती है।
- एक्रॉस (ACROSS) योजना 9 उप-कार्यक्रमों से मिलकर बनी है जो बहु-विषयक और बहु-संस्थानीय स्वरूप की हैं। इस योजना का उद्देश्य समाज की बेहतरी के लिये एक विश्वसनीय मौसम और जलवायु पूर्वानुमान प्रदान करना है।
- अतः इस योजना का उद्देश्य कृषि-मौसमविज्ञान संबंधी सेवाएँ, विमानन सेवाएँ, पर्यावरण संबंधी निगरानी सेवाएँ, जल-मौसमविज्ञान संबंधी सेवाएँ, जलवायु सेवाएँ, पर्यटन, तीर्थयात्रा, पर्वतारोहण जैसी सभी सेवाओं को अंतिम उपयोगकर्ता तक समय पर पहुँचाने के कार्य को सुनिश्चित करने के लिये सतत् अवलोकनों, गहन अनुसंधान विकास और प्रभावी विस्तार तथा संचार रणनीतियों को प्रभावी रूप से अपनाकर मौसम और जलवायु पूर्वानुमान की कुशलता में सुधार लाना है।
- मौसम आधारित सेवाओं को आम लोगों तक पहुँचाने हेतु भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद् का कृषि विज्ञान केंद्र, विश्वविद्यालय और स्थानीय नगर पालिकाओं जैसी एजेंसियों के इसमें शामिल होने से एवं बड़ी संख्या में वैज्ञानिक तथा तकनीकी कर्मियों के साथ-साथ आवश्यक प्रशासनिक सहायता की ज़रूरत के कारण इस योजना द्वारा बेहतर रोज़गार का सृजन होगा।
पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय
- दिनांक 12, जुलाई, 2006 को राष्ट्रपति की अधिसूचना के माध्यम से नए पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय (एमओईएस) की स्थापना की गई जिसमें भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD), भारतीय उष्णदेशीय मौसम विज्ञान संस्थान (IITM) और राष्ट्रीय मध्यम अवधि मौसम पूर्वानुमान केंद्र (NCRWFM) को इसके प्रशासनिक नियंत्रण में लाया गया।
- सरकार ने अंतरिक्ष और परमाणु ऊर्जा आयोग के तर्ज पर पृथ्वी आयोग की स्थापना को भी अनुमोदन प्रदान कर दिया है।
- पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के पास मौसम, जलवायु और प्राकृतिक खतरे से संबंधित घटनाओं का पूर्वानुमान करने के लिये क्षमता का विकास एवं सुधार करने हेतु अनुसंधान और विकास गतिविधियों को आयोजित करने का अधिकार है।
- इस दिशा में मंत्रालय ने अवलोकन प्रणालियों और बुनियादी ढाँचे में बढ़ोतरी करने, विशेष अभियानों के माध्यम से प्रक्रियाओं को समझने, मौसम और जलवायु मॉडलिंग, मानसून अनुसंधान, जलवायु परिवर्तन विज्ञान और जलवायु सेवाएँ आदि के माध्यम से विशिष्ट योजनाओं को तैयार करने के लिये कई पहल की हैं।
स्रोत : पीआईबी
विविध
डेटा पॉइंट: शहरों की गतिशीलता
संदर्भ
हाल ही में हुए एक अध्ययन से यह पता चला है कि खराब सड़क अवसंरचना ही वह प्रमुख कारण है जो किसी शहर के ट्रैफिक संकुलन (congestion) तथा गतिशीलता को बहुत ज़्यादा प्रभावित करता है।
महत्त्वपूर्ण बिंदु
- बहुत ज़्यादा लोग, पतली सड़कें और शोर मचाते वाहनों के साथ भारतीय शहर तथा कस्बें विश्व के सबसे भीड़ वाले क्षेत्रों में से एक हैं। लेकिन इन भारतीय शहरों तथा कस्बों में भी काफी विविधता है।
- गतिशीलता यानी एक क्षेत्र से दूसरे क्षेत्र में जा पाने के संदर्भ में, इन शहरों तथा कस्बों का श्रेणीक्रम क्या है? इस सवाल का जवाब ‘मोबिलिटी एंड कंज़ेशन इन अर्बन इंडिया (Mobility and Congestion in Urban India)’ नामक शोधपत्र से मिल जाता है।
- यह शोध अच्छी सड़क अवसंरचना और ट्रैफिक की उपस्थिति (या अनुपस्थिति) के आधार पर शहरों को वर्गीकृत करने के लिये किया गया था। इस शोधकार्य में विश्व बैंक द्वारा सहायता प्रदान की गई।
- शोधपत्र के अनुसार, ट्रैफिक के संदर्भ में बंगलुरु की हालत सबसे खस्ताहाल है, जबकि गतिशीलता सूचकांक (Mobility Index) में कोलकाता सबसे पिछड़ा है।
गतिशीलता सूचकांक (Mobility Index) क्या है?
- यह ऐसा सूचकांक है, जिसे विभिन्न कारकों जैसे- ट्रैफिक, मौसम और समय के आधार पर तैयार किया जाता है। शहर का सूचकांक जितना अधिक होगा, उसकी गतिशीलता यानी एक एक क्षेत्र से दूसरे क्षेत्र में जा पाने की योग्यता भी अधिक होगी।
- भारत के 10 सबसे तेज़ शहर-
- भारत के 20 सबसे धीमे शहर-
वाहन और संकुलन (Vehicle and congestion)
- अध्ययन किये गए सभी शहरों में पाया गया कि संकुलन (congestion) पंजीकृत वाहनों की संख्या से सीधे संबंधित है। जितने ज़्यादा पंजीकृत वाहन, उतना ज़्यादा संकुलन (congestion)।

स्रोत- द हिंदू, विश्व बैंक
अंतर्राष्ट्रीय संबंध
भारत-पाक करतारपुर साहिब गलियारा बनाने पर सहमत
चर्चा में क्यों?
केंद्र सरकार ने अगले वर्ष देशभर में और पूरे विश्व में सिख धर्म के संस्थापक गुरु नानक देवजी की 550वीं जयंती (प्रकाशोत्सव) शानदार तरीके से मनाने को मंजूरी दे दी है। इसके तहत राज्य सरकारों के साथ और विदेशों में भारतीय दूतावासों के साथ मिलकर कई समारोहों का आयोजन किया जाएगा।
करतारपुर साहिब गलियारे का होगा विकास
इसके अलावा केंद्र सरकार ने लंबे समय से चर्चा में रहे करतारपुर साहिब गलियारे को विकसित करने का भी फैसला लिया है। पंजाब के गुरदासपुर जिले में डेरा बाबा नानक से अंतर्राष्ट्रीय सीमा तक लगभग 3 किलोमीटर लंबे करतारपुर साहिब गलियारे का निर्माण और विकास किया जाएगा। इससे भारत से तीर्थयात्री आसानी से पाकिस्तान में रावी नदी के तट पर स्थित गुरुद्वारा दरबार साहिब करतारपुर जा सकेंगे, जहाँ गुरुनानक देवजी ने अपने जीवन के 18 वर्ष बिताए थे। यह गलियारा बन जाने के बाद तीर्थयात्री पूरे वर्ष इस गुरुद्वारे में जा सकेंगे।
- करतारपुर गलियारे का कार्य सरकार की सहायता से एक संयुक्त विकास परियोजना के रूप में किया जाएगा, ताकि सभी आधुनिक सुविधाओं वाले इस मार्ग से तीर्थयात्री सुगमता और सरलता से आ-जा सकें। सरकार तीर्थयात्रियों की आसानी के लिए उपयुक्त सुविधाएं उपलब्ध कराएगी।
- पाकिस्तान सरकार भी उचित सुविधाओं के साथ अपने क्षेत्र में ऐसा ही एक 4 किलोमीटर लंबा गलियारा बनाने पर राजी हो गई है।
- करतारपुर साहिब गुरुद्वारा पाकिस्तान में रावी नदी के किनारे बना है। पाकिस्तान के नारोवाल जिले में स्थित यह गुरुद्वारा भारत की सीमा से केवल चार किलोमीटर दूर है।
सुल्तानपुर लोधी बनाया जाएगा धरोहर शहर
केंद्र सरकार गुरुनानक देवजी के जीवन से जुड़े ऐतिहासिक शहर सुल्तानपुर लोधी को भी ऊर्जा दक्षता सहित स्मार्ट सिटी की तर्ज पर एक धरोहर शहर के रूप में विकसित करेगी। तीर्थयात्रियों और पर्यटकों के लिए एक प्रमुख आकर्षण के रूप में सुल्तानपुर लोधी को ‘पिंड बाबे नानक दा’ के तौर पर विकसित किया जाएगा, जिसमें गुरु नानक देवजी के जीवन को दर्शाया जाएगा। सुल्तानपुर लोधी रेलवे स्टेशन का आधुनिकीकरण कर उसे सभी आधुनिक सुविधाओं के साथ विकसित किया जाएगा।
- गुरुनानक देव विश्वविद्यालय, अमृतसर में सेंटर फॉर इंटर-फेथ स्टडीज़ (Centre for Inter-faith Studies) स्थापित किया जाएगा।
- ब्रिटेन और कनाडा की एक-एक यूनिवर्सिटी में गुरु नानक देवजी की पीठ (Chair) स्थापित की जाएगी।
- गुरु नानक देवजी के जीवन और शिक्षाओं पर नई दिल्ली में एक अंतर्राष्ट्रीय सेमिनार भी आयोजित किया जाएगा।
- गुरु नानक देवजी की 550वीं जयंती के अवसर पर भारत सरकार खास सिक्का और डाक टिकट भी जारी करेगी।
स्रोत: PIB+इंडियन एक्सप्रेस
जैव विविधता और पर्यावरण
एशिया पर्यावरण प्रवर्तन पुरस्कार
चर्चा में क्यों?
संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण (United Nation Environment) ने सीमापार से होने वाले पर्यावरण संबंधी अपराधों से निपटने के लिये वन्यजीव अपराध नियंत्रण ब्यूरो (Wildlife Crime Control Bureau- WCCB) को एशिया पर्यावरण प्रवर्तन पुरस्कार, 2018 (Asia Environment Enforcement Awards, 2018) से सम्मानित किया है।
- पर्यावरण वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के अधीन WCCB को संबंधित क्षेत्र में किये गए उत्कृष्ट कार्यों के लिये सम्मानित किया गया है।
महत्त्वपूर्ण बिंदु
- यह पुरस्कार उत्कृष्ट व्यक्तियों और/अथवा सरकारी संगठनों/टीमों को दिया जाता है जो निम्नलिखित क्षेत्रों में से किसी एक में सीमापार से होने वाले पर्यावरण संबंधी अपराधों से निपटने के लिये राष्ट्रीय कानूनों को लागू करने में उत्कृष्टता और नेतृत्व का परिचय देते हैं :
- सहयोग (collaboration)
- प्रभाव (impact)
- नवोन्मेष (innovation)
- अखंडता (integrity)
- जेंडर लीडरशिप (gender leadership), इसे पहली बार शामिल किया गया है।
- WCCB को यह पुरस्कार नवोन्मेष (Innovation) श्रेणी में दिया गया है।
- ब्यूरो ने नवीन प्रवर्तन तकनीक अपनाई जिससे भारत में सीमापार से होने वाले पर्यावरण संबंधी अपराधों के संबंध में दबाव बना।
- ब्यूरो ने एक ऑनलाइन वन्यजीव अपराध डेटाबेस प्रबंध प्रणाली (Wildlife Crime Database Management- WCDM system) विकसित की है ताकि भारत में वन्यजीव अपराधों को रोकने और उनका पता लगाने के लिये प्रभावी उपाय किये जा सकें साथ ही अपराधों की प्रवृत्ति का विश्लेषण करने के लिये आँकड़े प्राप्त किये जा सकें।
WCCB की WCDM प्रणाली का महत्त्व
- WCCB की इस प्रणाली से निम्नलिखित में मदद मिली है
- रुझानों का विश्लेषण करने में
- निवारक उपायों में मदद करने के साथ-साथ ऑपरेशन सेव कुर्मा (SAVE KURMA), थंडरबर्ड (THUNDERBIRD), वाइल्डनेट (WILDNET), लेस्कनो (LESKNOW), बिरबिल (BIRBIL), थंडरस्टॉर्म (THUNDERSTORM), लेस्कनो-II (LESKNOW-II) जैसे अन्य प्रवर्तन एजेंसियों के साथ सफलतापूर्वक संचालन करने में।
- इस प्रक्रिया के परिणामस्वरूप 350 वन्यजीव अपराधियों को गिरफ्तार किया गया और अलग-अलग राज्यों से बाघ/तेंदुए की त्वचा/हड्डियों, गेंडे के सींग, हाथी दांत, कछुए, मंगूज़, संरक्षित पक्षियों, समुद्री उत्पादों, आदि को ज़ब्त करने में मदद मिली है।
भारत के अलावा अन्य पुरस्कार विजेता
अखंडता की श्रेणी में
- ले थाई हैंग (Le Thi Hang ), वियतनाम,
- पिलर 4 सेंट्रल इंवेस्टीगेशन ब्यूरो (Pillar 4 Central Investigation Bureau) नेपाल पुलिस,
- विचियन चिन्नावोंग (Wichien Chinnawong), थंग्याई नरेशुआन वन्यजीव अभयारण्य (Thungyai Naresuan Wildlife Sanctuary), थाईलैंड के चीफ
प्रभाव की श्रेणी में
- थाईलैंड की एक टीम जिसमें थाई सीमा शुल्क (Thai Customs), रॉयल थाई पुलिस (Royal Thai Police) और राष्ट्रीय उद्यान, वन्यजीवन व पौध संरक्षण विभाग (Department of National Parks, Wildlife and Plant Conservation) शामिल हैं।
- वांग वेई (Wang Wei), चीनी सीमा शुल्क विभाग के तस्कर विरोधी ब्यूरो में इन्वेस्टीगेशन-II (Investigation II of Anti-Smuggling Bureau of General Administration of China Customs) के निदेशक
नवोन्मेष की श्रेणी में
- निदेशक डेचा विचैडिट (Decha Wichaidit) के तहत रॉयल थाई सीमा शुल्क की जांच और दमन विभाग-III (Investigation and Suppression Division III of the Royal Thai Customs) की टीम
- कोरिया सीमा शुल्क सेवा का अंतर्राष्ट्रीय जाँच विभाग, (International Investigation Division, Korea Customs Service)
- वन्यजीव अपराध नियंत्रण ब्यूरो (पर्यावरण वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय), भारत सरकार
सहयोग की श्रेणी में
- जोइल बिन बमबोन (Joil bin Bombon), वन्यजीव और राष्ट्रीय उद्यान प्रायद्वीपीय मलेशिया (Wildlife and National Parks Peninsular Malaysia) के पूर्व विभाग अध्यक्ष एवं आर.एस शरथ, वन्यजीव अपराध नियंत्रण ब्यूरो, भारत के पूर्व अध्यक्ष
पुरस्कार के बारे में
- एशिया पर्यावरण प्रवर्तन पुरस्कार 2018 संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण द्वारा संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (UN Development Programme), औषधि एवं अपराध पर संयुक्त कार्यालय (UN Office on Drugs and Crime), USAID, इंटरपोल, फ्रीलैंड फाउंडेशन (Freeland Foundation) और स्वीडन सरकार के साथ साझेदारी में प्रदान किये गए हैं।
वन्यजीव अपराध नियंत्रण ब्यूरो (WCCB)
- वन्यजीव अपराध नियंत्रण ब्यूरो देश में संगठित वन्यजीव अपराध से निपटने के लिये पर्यावरण एवं वन मंत्रालय के अधीन भारत सरकार द्वारा स्थापित एक सांविधिक बहु अनुशासनिक इकाई है।
- ब्यूरो का मुख्यालय नई दिल्ली में है तथा नई दिल्ली, कोलकाता, मुंबई, चेन्नई और जबलपुर में पाँच क्षेत्रीय कार्यालय; गुवाहाटी, अमृतसर और कोचीन में तीन उप क्षेत्रीय कार्यालय और रामनाथपुरम, गोरखपुर, मोतिहारी, नाथूला और मोरेह में पाँच सीमा ईकाइयाँ अवस्थित हैं|
- वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम, (Wild Life Protection Act) 1972 की धारा 38 (Z) के तहत, ब्यूरो को निम्नलिखित कार्यों के लिये अधिकृत किया गया है:
- अपराधियों को गिरफ्तार करने हेतु संगठित वन्यजीव अपराध गतिविधियों से संबंधित सूचना/जानकारी इक्कठा करने, उसका विश्लेषण करने व उसे राज्यों व अन्य प्रवर्तन एजेंसियों को प्रेषित करने के लिये।
- एक केंद्रीकृत वन्यजीव अपराध डेटा बैंक स्थापित करने के लिये।
- अधिनियम के प्रावधानों को लागू करने के संबंध में विभिन्न एजेंसियों द्वारा समन्वित कार्रवाई करवाने के लिये।
- संबंधित विदेशी व अंतर्राष्ट्रीय संगठनों को वन्यजीव अपराध नियंत्रण में समन्वय व सामूहिक कार्यवाही हेतु सहायता करने के लिये।
- वन्यजीव अपराधों में वैज्ञानिक और पेशेवर जाँच के लिये वन्यजीव अपराध प्रवर्तन एजेंसियों की क्षमता निर्माण एवं वन्यजीव अपराधों से संबंधित मुकदमों में सफलता सुनिश्चित करने के लिये राज्य सरकारों की सहायता करने के लिये।
- भारत सरकार को वन्यजीव अपराध संबंधित मुद्दों, जिनका राष्ट्रीय व अंतर्राष्ट्रीय प्रभाव हो, पर प्रासंगिक नीति व कानूनों के संदर्भ में सलाह देने के लिये।
- यह कस्टम अधिकारियों को वन्यजीव संरक्षण अधिनियम (Wild Life Protection Act), CITES और आयात-निर्यात नीति (EXIM Policy) के प्रावधानों के अनुसार वनस्पति व जीवो की खेप के निरीक्षण में भी सहायता करता है व सलाह प्रदान करता है।
संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण (UN Environment) कार्यक्रम
- संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (United Nations Environment Programme -UN Environment) एक अग्रणी वैश्विक पर्यावरण प्राधिकरण है जो वैश्विक पर्यावरण कार्य-सूची (agenda) का निर्धारण करता है, संयुक्त राष्ट्र प्रणाली के तहत सतत् विकास के पर्यावरणीय आयाम के सुसंगत कार्यान्वयन को बढ़ावा देता है और वैश्विक पर्यावरण के लिये एक आधिकारिक सलाहकार के रूप में कार्य करता है।
- इसकी स्थापना 5 जून, 1972 को की गई थी।
- इसका मुख्यालय नैरोबी, केन्या (Nairobi, Kenya) में है।
स्रोत : द हिंदू एवं UNEP की वेबसाइट
भारतीय अर्थव्यवस्था
सेबी (SEBI) ने प्रमोटर्स हेतु जारी किये नए नियम
चर्चा में क्यों?
भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (Securities and Exchange Board of India- SEBI) ने सार्वजनिक निवेशक का दर्ज़ा मांगने वाले प्रवर्तकों या प्रमोटर्स के लिये नए नियम जारी किये हैं।
कौन होता है प्रमोटर या प्रवर्तक?
- प्रवर्तक का तात्पर्य ऐसे व्यक्ति या व्यक्तियों के समूह से है जो कंपनी के प्रवर्तन के बारे में कार्य करते है। स्पष्ट रूप से यह कहा जा सकता है कि व्यापार/कंपनी शुरू करने वालों को प्रवर्तक कहते हैं।
क्या कहते हैं सेबी के नए नियम?
- एक निवर्तमान प्रमोटर को अपने विशेष अधिकारों को छोड़ने के साथ ही सूचीबद्ध फर्म पर अपना नियंत्रण त्यागना होगा। इसके अलावा उन्हें फर्म की 10% से अधिक हिस्सेदारी रखने की अनुमति नहीं होगी।
- प्रमोटर को सूचीबद्ध कंपनी में निदेशक मंडल का प्रतिनिधित्व करने या प्रमुख प्रबंधकीय पद धारण करने की अनुमति नहीं दी जाएगी।
- सेबी द्वारा 16 नवंबर, 2018 को जारी एक अधिसूचना के अनुसार जो प्रमोटर पुन: वर्गीकरण की मांग करते हैं, उन्हें विलफुल डिफाल्टर (जानबूझकर क़र्ज़ न लौटाने वाला) या भगोड़ा आर्थिक अपराधी नहीं होना चाहिये।
नए नियमों का उद्देश्य
- सेबी द्वारा जारी किये गए इन मानदंडों का उद्देश्य मौजूदा नियमों को सरल बनाना, उन्हें सुव्यवस्थित करना तथा उनमें अधिक स्पष्टता लाना है।
- ये मानदंड निवर्तमान प्रमोटरों को कंपनी पर सीधे या परोक्ष रूप से अपना नियंत्रण जारी रखने से रोकते हैं।
पुनः वर्गीकरण हेतु आवेदन करने के लिये योग्यता
- सेबी के अनुसार, यह सुनिश्चित करने के लिये कि केवल सूचीबद्ध संस्थाएँ पुन: वर्गीकरण के लिये आवेदन करने योग्य हैं, निम्नलिखित शर्तें होंगी-
- ऐसी सूचीबद्ध कंपनियों को 25% न्यूनतम सार्वजनिक शेयरधारक आवश्यकता के अनुरूप होना चाहिये।
- उनके शेयरों को व्यापार से निलंबित न किया गया हो।
- उनके ऊपर नियामक, एक्सचेंजों और जमाकर्त्ताओं की कोई राशि बकाया नहीं होनी चाहिये।
- प्रमोटरों के पुन: वर्गीकरण के सभी मामलों में, प्रस्ताव को सूचीबद्ध इकाई द्वारा शेयरधारकों के समक्ष रखा जाना चाहिये और इस प्रस्ताव को सामान्य संकल्प के माध्यम से अनुमोदित किया जाना चाहिये।
भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड
- भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) की स्थापना भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड अधिनियम, 1992 के प्रावधानों के अनुसार 12 अप्रैल, 1992 को हुई थी।
- इसका मुख्यालय मुंबई में है।
- इसके मुख्य कार्य हैं-
- प्रतिभूतियों (securities) में निवेश करने वाले निवेशकों के हितों का संरक्षण करना।
- प्रतिभूति बाज़ार (securities market) के विकास का उन्नयन करना तथा उसे विनियमित करना और उससे संबंधित या उसके आनुषंगिक विषयों का प्रावधान करना।
स्रोत : द हिंदू एवं सेबी की वेबसाइट
भारत-विश्व
भारत और ताज़िकिस्तान ( MoU between India and Tajikistan)
संदर्भ
केंद्रीय मंत्रिमंडल ने युवा मामलों में सहयोग के लिये भारत और ताज़िकिस्तान (Tajikistan) के बीच समझौता-ज्ञापन को मंज़ूरी दे दी है।
- यह समझौता-ज्ञापन 5 वर्ष की अवधि के लिये वैध होगा।
- युवा मामलों में सहयोग के क्षेत्रों में युवाओं, युवा संगठनों के प्रतिनिधियों और युवा नीति निर्माण मे संलग्न सरकारी अधिकारियों के आदान-प्रदान सहित दोनों देशों में युवा मामलों पर आयोजित होने वाले अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलनों और संगोष्ठियों के लिये निमंत्रण, मुद्रित सामग्रियों, फिल्मों, अनुभवों, युवा मामलों पर शोध एवं अन्य सूचनाओं के आदान-प्रदान, युवा कैंपों, युवा उत्सवों और दोनों देशों में आयोजित होने वाले अन्य युवा कार्यक्रम शामिल हैं।
- इनके अलावा दोनों देशों के नियमों के अनुरूप संयुक्त रूप से स्वीकृत युवा मामलों पर सहयोगी गतिविधियाँ भी इसके दायरे में रखी गई हैं।
- समझौता-ज्ञापन का उद्देश्य ताज़िकिस्तान के साथ युवा मामलों पर सहयोग को प्रोत्साहित करना और उसे मज़बूत बनाना है।
लाभः
- इस समझौते से युवा मामलों के क्षेत्र में आदान-प्रदान कार्यक्रमों के लिये सुविधा होगी, जिससे युवाओं में विचारों, मूल्यों और संस्कृति के आदान-प्रदान को प्रोत्साहन देने में मदद मिलेगी तथा भारत और ताज़िकिस्तान के बीच दोस्ताना रिश्ते मज़बूत होंगे।
- दोनों देशों के बीच इस तरह के द्विपक्षीय आदान-प्रदान कार्यक्रमों से जो लाभ होंगे, उनसे जाति, धर्म और लिंग से इतर सभी युवाओं को समान रूप से लाभ मिलेगा।
- इससे युवाओं में अंतर्राष्ट्रीय समझ विकसित होगी और वे युवा मामलों के क्षेत्र में अपने ज्ञान और विशेषता को बढ़ा सकेंगे।
स्रोत : पी.आई.बी.
भारत-विश्व
भारत और मॉरीशस के बीच समझौता ( MoU between India and Mauritius)
संदर्भ
केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने भारत और मॉरीशस के बीच उपभोक्ता संरक्षण और विधिक माप विद्या (Consumer Protection and Legal Metrology) से संबंधित समझौता ज्ञापन (MoU) को अपनी मंज़ूरी दे दी है।
लाभः
- इससे उपभोक्ता संरक्षण के क्षेत्र में सहयोग बढ़ाने में मदद मिलेगी और सूचना के आदान-प्रदान करने और दोनों देशों में हुए विकास का पारस्परिक लाभ मिलेगा।
- समझौता ज्ञापन से उपभोक्ता संरक्षण तथा विधिक माप विद्या के क्षेत्र में समावेशी सतत् और मज़बूत विकास को प्रोत्साहन मिलेगा जिससे भ्रामक विज्ञापन, टेलीमार्केटिंग, बहु-स्तरीय मार्केटिंग और ई-कॉमर्स जैसी नई चुनौतियों का सामना किया जा सकेगा।
- समझौता ज्ञापन राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय मानकों की खोज को सुनिश्चित करेगा, जिससे नई चुनौतियों से निपटने में विशेषज्ञता के नए क्षेत्र विकसित होंगे।
- MoU से समय-समय पर सूचना के आदान-प्रदान तथा प्रशिक्षण कार्यक्रम से सुशासन और उपभोक्ता के हित में लड़ने की लाभकारी विशेषज्ञता सुनिश्चित होगी।
स्रोत : पी.आई.बी.
प्रारंभिक परीक्षा
प्रीलिम्स फैक्ट्स : 23 नवंबर, 2018
ओर्टोलन बंटिंग (Ortolan Bunting in India)
- हाल ही में मंगलोर में बहुत दुर्लभ ओर्टोलन बंटिंग चिड़िया की फोटो ली गई। ऐसा कहा जा रहा है कि संभवतः यह भारत में ओर्टोलन बंटिंग का पहला फोटोग्राफ रिकॉर्ड है।
- ओर्टोलन या ओर्टोलन बंटिंग (Emberiza hortulana), गाने वाली एक छोटी चिड़िया (finch-like songbirds) है जो बंटिंग परिवार से संबंधित है।
- यह चिड़िया मंगोलिया से लेकर यूरोप तक पाई जाती है और मिडिल ईस्ट होते हुए अफ्रीका तक प्रवास करती है।
- ओर्टोलन बंटिंग बहुधा मिडिल ईस्ट होकर ही प्रवास करती है किंतु प्रवास के दौरान राह भटक जाने पर यह कहीं भी रुक सकती है।
- IUCN ने संकटापन्न प्रजातियों (threatened species) की अपनी लाल सूची (red list) में ओर्टोलन बंटिंग को ‘सबसे कम खतरे वाली प्रजाति (Least Concern)’ के रूप में वर्गीकृत किया है।
- हालाँकि, इसे सुभेद्य (vulnerable) प्रजाति माना जाता है क्योंकि यह चिड़िया फ्रांसीसी व्यंजन में एक बहुत लोकप्रिय पकवान का केंद्र बिंदु बन गई है।
- यह कहा जाता है कि इस पकवान की प्रक्रिया ओर्टोलन बंटिंग के लिये बहुत ज़्यादा पीड़ा दायक होती है। इन्हें पकड़कर चिमटे से अँधा बना दिया जाता है और छोटे-छोटे काले बक्से में बंद कर दिया जाता है।
- इस अमानवीय शिकार और हत्या को वर्ष 1999 में गैरकानूनी घोषित कर दिया गया था, लेकिन यह अब भी हो रहा है।
प्वाइंट केलिमियर की तबाही (Devastation at Point Calimere)
- साइक्लोन गज (gaza) द्वारा मचाई गई भारी तबाही के बाद प्वाइंट केलिमियर के हालात वियतनाम के उस जंगल की तबाही से मेल खाते हैं जिसे एजेंट ऑरेंज (Agent Orange) से किया गया था।
- एजेंट ऑरेंज, 1960 के दशक में वियतनाम युद्ध के दौरान वनों और फसलों को खत्म करने के लिये अमेरिकी सैन्य बलों द्वारा उपयोग किया गया एक शक्तिशाली तृणनाशक (herbicide) था।
- साइक्लोन गज के कारण होने वाले विनाश में हज़ारों पक्षियों की मृत्यु हो गई है, जिनका प्वाइंट केलिमियर अभयारण्य (sanctuary) में कभी आवास हुआ करता था। ढेरों पेड़ उखड़ गए हैं या उनकी शाखाएँ टूट गई हैं।
- नागपट्टिनम ज़िले (तमिलनाडु) के समुद्र किनारे पर प्रसिद्ध वन्यजीव और पक्षी अभयारण्य प्वाइंट केलिमियर, अंतर्राष्ट्रीय महत्त्व का एक वेटलैंड (wetland) है। यह भारत में नामित 26 रामसर स्थलों (Ramsar sites) में से एक है।
- प्वाइंट केलिमियर अभयारण्य में उथला पानी, समुद्री किनारे, बालू, समुद्री किनारे पर अवस्थित जंगल, मैंग्रोव (mangroves), शुष्क सदाबहार जंगल, नमकीन लैगून (lagoons) के साथ-साथ मानव निर्मित नमक उत्पादन स्थल भी शामिल हैं।
- आमतौर पर इस अभयारण्य में ग्रेट फ्लेमिंगो (Great flamingo), पेंटेड स्टोर्क (Painted Stork), लिटिल स्टिंट (Little Stint), सीगल (Seagull) और ब्राउन-हेडल गल (Brown-headed gull) पाए जाते हैं।
विविध
Rapid Fire करेंट अफेयर्स (23 November)
- ऑस्ट्रेलिया में सिडनी के निकट परमअट्टा (Parramatta) के जुबली पार्क में रामनाथ कोविंद ने किया महात्मा गांधी की प्रतिमा का अनावरण; भारत ने ऑस्ट्रेलिया को गिफ्ट की है राम सुतार तथा अनिल सुतार द्वारा डिज़ाइन की गई यह प्रतिमा
- पाँच राज्यों में चल रहे विधानसभा चुनावों और आगामी लोकसभा चुनावों के लिए बैलेट पेपर से वोटिंग कराने की याचिका सुप्रीम कोर्ट ने की खारिज
- केंद्र सरकार ने सहयोगी एवं स्वास्थ्य सेवा प्रोफेशनल्स द्वारा दी जाने वाली शिक्षा एवं सेवाओं के नियमन और मानकीकरण के लिए सहयोगी एवं स्वास्थ्य सेवा पेशा विधेयक, 2018 को मंजूरी दी
- केंद्र सरकार ने केंद्रीय सूची में अन्य पिछड़ा वर्ग के उप-वर्गीकरण के मुद्दे की जाँच करने वाले आयोग का कार्यकाल 31 मई 2019 तक बढ़ाया
- सीनियर IAS ऑफिसर जलज श्रीवास्तव को भारतीय अंतर्देशीय जलमार्ग प्राधिकरण (Inland Waterways Authority of India) का चेयरमैन नियुक्त किया गया
- भारत और हॉलीवुड की शान रहा बड़ौदा का चाँद (Moon of Baroda) नाम का 24 कैरेट का फैंसी हीरा हांगकांग में नीलाम होगा; बड़ौदा के गायकवाड़ राजघराने के पास था पहले यह हीरा
- कंबोडिया में शुरू हुआ वाटर फेस्टिवल Bon Om Touk; राजधानी नोम पेन्ह में टोनले सैप नदी में बोट रेस से हुई शुरुआत; हर साल सैकड़ों नौकाओं के साथ हजारों नाविक लेते हैं हिस्सा
- सर्वसुलभ न्याय देने के लिए आंध्र प्रदेश की नई राजधानी अमरावती में बनेगी देश की पहली ‘जस्टिस सिटी’; Andhra Pradesh Capital Region Development Authority है अमरावती को विकसित करने वाली नोडल एजेंसी
- वेस्ट इंडीज में खेले जा रहे ICC महिला टी-20 विश्व कप में भारत की चुनौती हुई समाप्त; सेमीफाइनल में इंग्लैंड ने आठ विकेट से हराया; ऑस्ट्रेलिया और इंग्लैंड के बीच होगा फाइनल
- इटली स्थित दुनिया के सात अजूबों में से एक 'पीसा की झुकी मीनार' का झुकना कम हुआ; लगातार प्रयासों से 186 फुट ऊँची मीनार को लगभग 4 सेंटीमीटर सीधा कर लिया गया
- केंद्र सरकार ने केंद्रशासित क्षेत्र दादरा और नगर हवेली की राजधानी सिलवासा में मेडिकल कॉलेज खोलने को दी मंज़ूरी
- चीन ने विवादित दक्षिण चीन सागर में पार्सल आइलैंड्स स्थित बॉम्बे रीफ में एक नया मिलिट्री प्लेटफॉर्म बनाया; वियतनाम और ताइवान भी बॉम्बे रीफ पर जताते हैं अपना-अपना दावा
- पाँचवां विश्व मात्स्यिकी दिवस (World Fisheries Day) 21 नवंबर को मनाया गया; ‘नीली क्रांति मिशन–आधुनिक तकनीकियों के प्रयोग से व्यावसायिक मत्स्य उत्पादन की ओर’ थी भारत में हुए समारोह की थीम
- गुजरात सरकार ने गिर में शेरों के संरक्षण के लिये बनाया 351 करोड़ रुपये का प्रोजेक्ट; पिछले कुछ समय में कैनाइन डिस्टेंपर वायरस की वज़ह से गिर में हुई थी कई शेरों की मौत
- चेन्नई एयरपोर्ट को पिछले एक साल में शत-प्रतिशत शिकायत निवारण करने के लिए दिया गया चैंपियन अवॉर्ड
- नई दिल्ली के आंबेडकर स्टेडियम में खेला गया जूनियर लड़कों का 59वाँ सुब्रतो कप फुटबॉल बांग्लादेश क्रीड़ा शिक्षा प्रतिष्ठान ने जीता; अफगानिस्तान का अमिनी स्कूल रहा उपविजेता
- लोगों को पर्यावरण और पारिस्थितिकी के प्रति जागरूक करने के लिए ओडिशा की राजधानी भुवनेश्वर में बनाया गया ‘Waste to Art Museum’
- राजस्थान के बीकानेर में महाजन फायरिंग रेंज में 19 नवंबर से चल रहा है 12 दिवसीय भारत-अमेरिका सैन्य अभ्यास ‘वज्र प्रहार’; काउंटर टेररिज्म को मद्देनज़र रखकर किया जाता है यह अभ्यास