अंतर्राष्ट्रीय संबंध
ऑस्ट्रेलिया ने लॉन्च किया ‘विज़न इंडिया 2035’
चर्चा में क्यों?
हाल ही में भारत के राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ऑस्ट्रेलिया यात्रा पर गए थे। आपसी संबंधों को और मज़बूत बनाने के उद्देश्य से की गई यह भारत के किसी भी राष्ट्रपति की पहली ऑस्ट्रेलिया यात्रा थी। इस यात्रा के दौरान भारत के राष्ट्रपति ने कई गतिविधियों और समारोहों में हिस्सा लिया। राष्ट्रपति ने इस यात्रा के दौरान Australian Financial Review India Business Summit और Australia-India Business Council को संबोधित किया।
पाँच समझौते भी हुए
- अशक्तता (Disability) के लिये हुए समझौते के तहत विशेष रूप से सक्षम लोगों (Differently Abled Persons) के लिये सेवाओं को बेहतर किया जाएगा।
- दोनों देशों के बीच व्यापार में द्विपक्षीय निवेश बढ़ाने के लिये इन्वेस्ट इंडिया और ऑस्ट्रेड (Austrade) के बीच समझौता।
- सेंट्रल माइन प्लानिंग एंड डिज़ाइन इंस्टीट्यूट (Central Mine Planning and Design Institute), रांची और कॉमनवेल्थ साइंटिफिक एंड रिचर्स ऑर्गेनाइज़ेशन (Commonwealth Scientific and Riches Organization), कैनबरा (Canberra) के बीच आपसी सहयोग बढ़ाने के लिये समझौता
- आचार्य एन.जी. रंगा कृषि विश्वविद्यालय, गुंटूर और यूनिर्विसटी ऑफ वेस्टर्न ऑस्ट्रेलिया, पर्थ के बीच कृषि शोध में सहयोग बढ़ाने के लिये समझौता।
- इंद्रप्रस्थ सूचना प्रौद्योगकी संस्थान, नई दिल्ली और क्वींसलैंड प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, ब्रिस्बेन के बीच जॉइंट पी.एचडी. समझौता।
ऑस्ट्रेलिया ने लॉन्च किया ‘विज़न इंडिया 2035’
(इंडिया इकोनॉमिक सर्वे रिपोर्ट)
भारत के राष्ट्रपति की यात्रा के दौरान ऑस्ट्रेलिया सरकार ने विज़न इंडिया 2035 लॉन्च किया। वर्ष 2035 तक यह विज़न डॉक्यूमेंट दोनों देशों के द्विपक्षीय संबंधों को आकार देगा। इसके अलावा ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री स्कॉट मॉरिसन ने ‘इंडिया इकोनॉमिक सर्वे’ (India Economic Survey) रिपोर्ट लागू करने की भी घोषणा की। गौरतलब है कि इंडिया इकोनॉमिक सर्वे पूर्व ऑस्ट्रेलियाई दूत पीटर वर्गीस द्वारा तैयार एक रिपोर्ट है, जिसे इस वर्ष की शुरुआत में जारी किया गया था। ऑस्ट्रेलिया अगले बारह महीनों के दौरान इस रिपोर्ट की कुछ महत्त्वपूर्ण सिफारिशों को लागू करने पर सहमत हो गया है। इनमें फूड पार्टनरशिप, खनन कारोबार का विस्तार और हवाई संपर्क को बेहतर बनाना शामिल है। ऑस्ट्रेलिया के शिक्षा, कृषि व्यवसाय, संसाधन और पर्यटन मामलों के मंत्री सरकार की प्रतिक्रिया की प्रगति की निगरानी करेंगे और इंडिया इकोनॉमिक के कार्यान्वयन की निरंतर निगरानी करेंगे।
इस रिपोर्ट में ऑस्ट्रेलिया और भारतीय राज्यों के बीच संबंधों को मज़बूत करके भारत-ऑस्ट्रेलिया संबंधों में सुधार के लिये व्यापक सिफारिशें की गई हैं। यह रिपोर्ट भारत के साथ ऑस्ट्रेलिया के आर्थिक भविष्य का रोडमैप प्रदान करती है। ऑस्ट्रेलिया यह मानता है कि भारत दुनिया की सबसे तेज़ी से बढ़ती प्रमुख अर्थव्यवस्था है और अगले 20 सालों में ऑस्ट्रेलियाई कारोबार के लिये किसी भी अन्य एकल बाज़ार की तुलना में अधिक अवसर प्रदान करता है।
ऑस्ट्रेलियन फाइनेंशियल रिव्यू इंडिया बिज़नेस समिट (Australian Financial Review India Business Summit) से इस बात को बल मिला कि दोनों देश फिन-टेक तथा लॉजिस्टिक्स, औद्योगिक डिज़ाइन, बायोटेक और कैपिटल मार्किट में सहयोग कर एक-दूसरे की विशेषज्ञता का लाभ उठा सकते हैं। हालिया समय में भारत द्वारा उठाए गए वित्तीय तथा नियामक कदम, ढाँचागत संवर्द्धन और निवेश नीति का उद्देश्य देश को वैश्विक कारोबार का केंद्र बनाना है। भारत विनिर्माण तथा सेवा क्षेत्र, कृषि उद्योग के साथ-साथ उभरती टेक्नोलॉजी का केंद्र बन सकता है। ऑस्ट्रेलियाई कंपनियों और निवेशकों के लिये भारत में काफी बड़ा उपभोक्ता आधार (Consumer Base) है और लाभ की भी काफी गुंजाइश है।
क्या है इन्वेस्ट इंडिया (Invest India)?
विदेशों के साथ व्यावसायिक तथा कारोबारी संबंधों को बढ़ावा देने का काम इन्वेस्ट इंडिया करता है। यह भारत की राष्ट्रीय निवेश संवर्धन और सुविधा एजेंसी (National investment promotion and facilitation agency) है जो देश में निवेशकों द्वारा सहयोग बढ़ाने तथा निवेश में सहूलियत के लिये बनाई गई है। इन्वेस्ट इंडिया भारत सरकार की आधिकारिक निवेश संवर्धन एवं सुविधा प्रदाता एजेंसी है, जिसे देश में निवेश को सुविधाजनक बनाने की ज़िम्मेदारी सौंपी गई है। यह देश में संभावित वैश्विक निवेशकों के लिये सबसे पहला केंद्र है।
हाल ही में इनवेस्ट इंडिया को सतत् विकास में निवेश को प्रोत्साहन के लिये संयुक्त राष्ट्र का विशिष्टता पुरस्कार भी मिला है। यह पुरस्कार आर्मेनिया के राष्ट्रपति अरमन सरकिसियन ने इनवेस्ट इंडिया के CEO दीपक बागला को जिनेवा में विश्व निवेश मंच में दिया। यह पुरस्कार व्यापार एवं निवेश पर संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन (UNCTAD) द्वारा दिया जाता है।
स्रोत: PIB+द हिंदू, इकोनॉमिक टाइम्स
प्रौद्योगिकी
'प्रभाव आधारित पूर्वानुमान दृष्टिकोण'
चर्चा में क्यों?
केरल की भीषण बाढ़ के बाद भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (IMD) द्वारा वर्षा के कारण नदियों और जलाशयों के जल स्तर में वृद्धि का आकलन करने के लिये 'प्रभाव आधारित पूर्वानुमान दृष्टिकोण' (Impact Based Forecasting Approach) नामक एक नई तकनीक विकसित की गई है, जिससे राज्य सरकारों को वर्षा के प्रभाव की निगरानी करने में मदद मिल सकती है।
तकनीक का लाभ
- 'प्रभाव आधारित पूर्वानुमान दृष्टिकोण' (Impact Based Forecasting Approach) नामक यह तकनीक "प्री-इवेंट परिदृश्य" (pre-event scenario) को दर्शाती है।
- यह तकनीक अधिकारियों को वास्तविक समय में निर्णय लेने में मदद कर सकती है।
- यह तकनीक निर्णय लेने में मददगार है कि जलाशयों या नदियों से कब पानी छोड़ा जाए और कब नहीं।
- यह प्रत्येक राज्य प्राधिकरण को निर्णय लेने में सहायता प्रदान करेगी और हम इस प्रणाली को प्री-इवेंट परिदृश्य के माध्यम से चला सकते हैं।
- उल्लेखनीय है कि पिछले महीने ही केरल में भारी बारिश के कारण लगभग 500 लोगों की मौत हो गई और 40,000 करोड़ रुपए से अधिक का आर्थिक नुकसान भी हुआ।
भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (IMD) के बारे में
- भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (IMD) भारत सरकार के पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के अंतर्गत मौसम विज्ञान प्रेक्षण, मौसम पूर्वानुमान और भूकंप विज्ञान का कार्यभार संभालने वाली सर्वप्रमुख एजेंसी है।
- IMD विश्व मौसम संगठन के छह क्षेत्रीय विशिष्ट मौसम विज्ञान केंद्रों में से एक है।
- वर्ष 1864 में चक्रवात के कारण कलकत्ता में हुई क्षति और 1866 तथा 1871 के अकाल के बाद, मौसम विश्लेषण और डाटा संग्रह कार्य के एक ढाँचे के अंतर्गत आयोजित करने का निर्णय लिया गया।
- इसके परिणामस्वरूप वर्ष 1875 में भारतीय मौसम विज्ञान विभाग की स्थापना हुई।
- भारतीय मौसम विज्ञान विभाग का मुख्यालय नई दिल्ली में है।
- IMD में उप महानिदेशकों द्वारा प्रबंधित कुल 6 क्षेत्रीय मौसम विज्ञान केंद्र आते हैं।
- ये चेन्नई, गुवाहाटी, कोलकाता, मुंबई, नागपुर, नई दिल्ली और हैदराबाद में स्थित हैं।
- हेनरी फ्राँसिस ब्लैनफर्ड को विभाग के पहले मौसम विज्ञान संवाददाता के रूप में नियुक्त किया गया था।
- IMD का नेतृत्व मौसम विज्ञान के महानिदेशक द्वारा किया जाता है।
- IMD का मुख्यालय वर्ष 1905 में शिमला, बाद में 1928 में पुणे और अंततः नई दिल्ली में स्थानांतरित किया गया।
- स्वतंत्रता के बाद भारतीय मौसम विज्ञान विभाग 27 अप्रैल 1949 को विश्व मौसम विज्ञान संगठन का सदस्य बना।
कार्य
- इसका प्रमुख कार्य उत्तरी हिंद महासागर क्षेत्र, जिसमें मलाका स्ट्रेट्स, बंगाल की खाड़ी, अरब सागर और फारस की खाड़ी भी शामिल है, के लिये उष्णकटिबंधीय चक्रवातों संबंधी चेतावनियों की भविष्यवाणी, उनका नामकरण और वितरण करना है।
- इस विभाग द्वारा भारत से लेकर अंटार्कटिका भर में सैकड़ों प्रक्षेण स्टेशन चलाये जाते हैं।
स्रोत : द हिंदू
विविध
ब्रेल लिपि में संविधान
संदर्भ
हाल ही में भारत का संविधान ब्रेल लिपि में उपलब्ध कराने की घोषणा की गई थी। गौरतलब है कि यह पहला मौका है, जब संविधान को ब्रेल लिपि में उपलब्ध कराया जा रहा है। ब्रेल लिपि में मुद्रित संविधान का पहला खंड 26 नवंबर को संविधान दिवस (Constitution Day) से एक दिन पहले यानी 25 नवंबर को प्रस्तुत किया जाएगा।
महत्त्वपूर्ण बिंदु
- सवी फाउंडेशन और स्वागत थोरात के साथ दृष्टि बाधितों हेतु बुद्धिस्ट एसोसिएशन (The Buddhist Association for the blinds) ने संयुक्त रूप से इस योजना का दायित्व लिया है। ध्यातव्य है कि स्वागत थोरात ने भारत का पहला ब्रेल न्यूज़लेटर स्पर्शद्न्यन (Sparshdnyan) शुरू किया था।
- ब्रेल (Braille) लिपि में मुद्रित यह संविधान (Constitution) दृष्टि बाधित लोगों के लिये पाँच खंडों में प्रस्तुत किया जाएगा।
अधिकारों की समानता
- बुद्धिस्ट एसोसिएशन ने दृष्टि बाधितों हेतु बुद्धवंदना को पहली बार ब्रेल लिपि में प्रकाशित किया था।
- संविधान अब तक दृष्टि बाधितों की पहुँच से दूर रहा है, संविधान द्वारा प्रदत्त अधिकारों को जानने के लिये यह आवश्यक हो जाता है कि इसे ब्रेल लिपि में अनूदित किया जाए।
- संविधान की आधिकारिक प्रति, जिसका ब्रेल में अनुवाद किया गया है, को डॉ. बाबासाहेब अंबेडकर अनुसंधान और प्रशिक्षण संस्थान (BARTI) से लिया गया है।
संविधान (Constitution)
- भारत का संविधान भारत का सर्वोच्च विधान है, जिसे संविधान सभा द्वारा 26 नवंबर, 1949 को पारित किया गया तथा यह 26 जनवरी, 1950 से प्रभावी हुआ था।
- 26 नवंबर को भारत के संविधान दिवस के रूप में, जबकि 26 जनवरी को भारत में गणतन्त्र दिवस के रूप में मनाया जाता है।
- संविधान के उद्देश्यों को प्रकट करने हेतु अक्सर एक प्रस्तावना प्रस्तुत की जाती है। प्रस्तावना द्वारा यह घोषणा की जाती है कि संविधान अपनी शक्ति सीधे जनता से प्राप्त करता है। यही कारण है कि भारत के संविधान की प्रस्तावना (Preamble of constitution) 'हम भारत के लोग' वाक्य से प्रारंभ होती है।
- भारत अथवा ‘इंडिया’ राज्यों का एक संघ है। संविधान में इसे संसदीय प्रणाली की सरकार वाला एक स्वतंत्र प्रभुसत्ता संपन्न, समाजवादी, पंथनिरपेक्ष, लोकतंत्रात्मक गणराज्य (SOVEREIGN SOCIALIST SECULAR DEMOCRATIC REPUBLIC) घोषित किया है।
- ब्रेल लिपि की वस्तुगत सीमाओं के कारण किसी पुस्तक में 150 से अधिक पृष्ठ नहीं रखे जा सकते हैं। इसलिये अनूदित संविधान को पाँच खंडों में प्रकाशित करने का फैसला लिया गया है और इसका पहला खंड 25 नवंबर को प्रकाशित किया जाएगा।
- इस संविधान श्रृंखला का दूसरा भाग दो महीने बाद प्रकाशित किया जाएगा।
- संविधान के प्रकाशन के साथ ही ब्रेल लिपि में कई अन्य पुस्तिकाओं को भी प्रकाशित किया जाएगा जो दृष्टि बाधित समुदाय से आने वाले यूपीएससी अभ्यर्थियों तथा वकीलों के लिये सहायक होंगी।
सहयोग का परिणाम
- विभिन्न संगठनों के सहयोग के बगैर ब्रेल लिपि में संविधान का प्रकाशन संभव नहीं था।
- संगठनों के बीच आपसी समन्वय तथा सहयोग की वज़ह से ही ब्रेल लिपि में प्रकाशित यह संविधान दृष्टि बाधितों को उनके अधिकार जानने में सहायता प्रदान करेगा।
स्रोत-द हिंदू
विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी
मारिजुआना (Marijuana) निर्मित दवाओं का अध्ययन
चर्चा में क्यों?
भारत के तीन प्रमुख विज्ञान समर्पित संस्थान - वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद (CSIR), भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (ICMR) और बायोटेक्नोलॉजी विभाग (DBT) हर्बल दवाओं में अनुसंधान को बढ़ावा देने के लिये एक साथ मिलकर काम कर रहे हैं, जिनमें मारिजुआना से निर्मित नई दवाएँ भी शामिल हैं।
महत्त्वपूर्ण तथ्य
- इस तरह के पहले अध्ययनों में CSIR और इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ इंटीग्रेटिव मेडिसिन (IIIM) तथा टाटा मेमोरियल सेंटर (TMC), मुंबई के भी संयुक्त रूप से शामिल होने की संभावना है।
- शोधकर्त्ताओं द्वारा जम्मू के CSIR-IIIM परिसर में उगाए जाने वाले मारिजुआना से उम्मीद है कि यह स्तन कैंसर, सिकल सेल एनीमिया के साथ-साथ "बायो-समकक्ष" के उपचार में समान रूप से प्रभावी हो सकता है।
- उल्लेखनीय है कि मारिजुआना से निर्मित दवाएँ पहले से ही संयुक्त राज्य खाद्य एवं औषधि प्रशासन (US FDA) द्वारा अनुमोदित हैं।
- मारिजुआना को औपचारिक रूप से वाणिज्यिक खेती हेतु अवैध मान जाता है, हालाँकि, यह देश के कई हिस्सों में खरपतवार के रूप में अक्सर देखने को मिल जाता है।
मारिजुआना (Marijuana/Cannabis)
- मारिजुआना को कई देशों में नशे के रूप में प्रयोग किया जाता है और यही कारण है कि यह कई देशों में प्रतिबंधित है।
- मारिजुआना को कैनबिस, गांजा और भांग के नामों से भी पुकारा जाता है।
- इसका उपयोग कीमोथेरेपी के वक्त मतली और उल्टी कम करने, एचआईवी / एड्स के रोगियों में भूख सुधार और माँसपेशियों की ऐंठन को दूर करने हेतु भी किया जाता है।
- उत्तराखंड, जम्मू और इसी महीने उत्तर प्रदेश ने भी चिकित्सा अनुसंधान के लिये इस पौधे की प्रतिबंधित खेती को पुनः अनुमति प्रदान की है।
- मारिजुआना की चिकित्सकीय क्षमता के विषय में अध्ययन से जड़ी बूटियों और पौधों से प्राप्त नई दवाओं को बनाने के लिये यह एक बड़ा सरकारी प्रयास है जिसका वर्णन आयुर्वेद और अन्य पारंपरिक दवा निर्माण प्रणालियों में किया गया है।
अध्ययन में शामिल प्रमुख संस्थानों के विषय में
वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद (CSIR)
- विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के विविध क्षेत्रों में अपने अग्रणी अनुसंधान एवं विकास ज्ञानाधार के लिये ज्ञात यह एक समसामयिक अनुसंधान एवं विकास संगठन है।
- सीएसआईआर रेडियो और अंतरिक्ष भौतिकी, महासागर विज्ञान, भूभौतिकी, रसायन, औषध, जीनोमिकी, जैव-प्रौद्योगिकी और नैनो-प्रौद्योगिकी से लेकर खनन, वैमानिकी उपकरण, पर्यावरणीय इंजीनियरिंग तथा सूचना प्रौद्योगिकी तक विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के व्यापक विषयों व क्षेत्रों में कार्य कर रहा है।
भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (ICMR)
- ICMR जैव चिकित्सा अनुसंधान के समन्वय और प्रचार के लिये दुनिया के सबसे पुराने चिकित्सा अनुसंधान निकायों में से एक है जिसका मुख्यालय नई दिल्ली में है।
- इसे भारत सरकार के स्वास्थ्य अनुसंधान विभाग द्वारा स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय के माध्यम से वित्तपोषित किया जाता है।
बायोटेक्नोलॉजी विभाग (DBT)
- DBT विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय के तहत एक भारतीय सरकारी विभाग एवं नोडल एजेंसी है जो अनुसंधान विज्ञान और जीवन विज्ञान में इसके अनुप्रयोगों का समर्थन करता है तथा देश में जैव प्रौद्योगिकी के विकास और उपयोग को गति को बढ़ावा देता है।
- इसकी स्थापना वर्ष 1986 में की गई थी।
स्रोत द हिंदू , इंडियन एक्सप्रेस
जैव विविधता और पर्यावरण
UN ‘ग्रीनहाउस गैस बुलेटिन’ (Greenhouse gas bulletin) रिपोर्ट
चर्चा में क्यों?
संयुक्त राष्ट्र में मौसम विज्ञान से जुड़ी संस्था विश्व मौसम विज्ञान संगठन (World Meteorological Organisation) ने हाल ही में ‘ग्रीनहाउस गैस बुलेटिन’ नामक एक वार्षिक रिपोर्ट जारी की है। इस रिपोर्ट के अनुसार, वातावरण में ग्रीनहाउस गैसों की मात्रा रिकॉर्ड स्तर पर पहुँच गई है। विश्व मौसम विज्ञान संगठन ने 2018 में की गई प्रतिबद्धताओं पर यह रिपोर्ट जारी की है। यह रिपोर्ट 2017 के आँकड़ों पर आधारित है।
रिपोर्ट के प्रमुख बिंदु
- कार्बन डाइऑक्साइड, मीथेन और नाइट्रस ऑक्साइड का स्तर पूर्व औद्योगिक स्तर से काफी अधिक और इसमें कमी होने की कोई संभावना दूर-दूर तक नहीं दिखाई दे रही।
- कार्बन डाइऑक्साइड और अन्य ग्रीनहाउस गैसों में कटौती किये बिना जलवायु परिवर्तन (Climate change) का खतरा तेज़ी से बढ़ता जाएगा और पृथ्वी पर इसका अपरिवर्तनीय प्रभाव पड़ेगा।
- कार्बन डाइऑक्साइड व अन्य ग्रीनहाउस गैसों के उत्सर्जन में भारी कटौती नहीं की गई तो जलवायु परिवर्तन का पृथ्वी के जीव-जगत पर विनाशकारी असर होगा।
- वातावरण में मौजूद आवश्यकता से अधिक कार्बन डाइऑक्साइड की मात्रा को हटाने के लिये वर्तमान में कोई प्रभावी उपाय नहीं है।
- कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन की मात्रा में भारी कटौती करना ही जलवायु परिवर्तन की समस्या से निपटने का एकमात्र रास्ता है।
क्या हैं ग्रीनहाउस गैसें?
कार्बन डाइऑक्साइड (Co2): वायुमंडल में कार्बन डाइऑक्साइड की मात्रा 2015 और 2016 के मुकाबले 2017 में ज़्यादा बढ़ी है। 2017 में वायुमंडल में कार्बन डाइऑक्साइड का स्तर 405.5 parts per million (ppm) वैश्विक औसत पर पहुँच गया, जो औद्योगिक क्रांति से पहले की तुलना में ढाई गुना अधिक है। 2016 में वायुमंडल में कार्बन डाइऑक्साइड का स्तर 403.3 ppm और 2015 में 400.1 ppm था।
मीथेन (Methane) : 2017 में वायुमंडल में मीथेन 1859 ppb (part per billion) के नए ऊँचे स्तर पर पहुँच गया। यह पूर्व-औद्योगिक स्तर से 257 फीसदी ज़्यादा है।
नाइट्रस ऑक्साइड (Nitrous Oxide): वायुमंडल में नाइट्रस ऑक्साइड का स्तर 2017 में 329.9 ppb रहा। यह पूर्व-औद्योगिक स्तर का 122 फीसदी है।
CFC-11: इनके अलावा ओज़ोन (Ozone) परत को नुकसान पहुँचाने वाली CFC-11 गैसों का स्तर भी वायुमंडल में काफी अधिक बढ़ा है। यह एक शक्तिशाली ग्रीनहाउस गैस है जो ओज़ोन परत के क्षरण के लिये ज़िम्मेदार है। CFC-11 गैसों को मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल (Montreal Protocol) के तहत विनियमित किया गया है।
विश्व मौसम विज्ञान संगठन के प्रमुख Petteri Taalas के अनुसार, “कार्बन डाइऑक्साइड व अन्य ग्रीनहाउस गैसों के उत्सर्जन में भारी कटौती नहीं की गई तो जलवायु परिवर्तन का पृथ्वी पर जीवन के लिये विनाशकारी असर होगा। इस समस्या से मुकाबला करने का अवसर लगभग खत्म हो चुका है। ग्रीनहाउस गैसों का उत्सर्जन कम करने के लिये तुरंत कुछ बड़े कदम उठाने होंगे।“
विश्व मौसम विज्ञान संगठन
इसकी शुरुआत 1873 में स्थापित अंतर्राष्ट्रीय मौसम संगठन के रूप में हुई थी। इसके बाद 23 मार्च, 1950 को WMO कन्वेंशन के अनुमोदन से विश्व मौसम विज्ञान संगठन की स्थापना हुई। यह पृथ्वी के वायुमंडल की परिस्थिति और व्यवहार, महासागरों के साथ इसके संबंध, मौसम और परिणामस्वरूप जल संसाधनों के वितरण के बारे में जानकारी देने के लिये संयुक्त राष्ट्र (UN) की आधिकारिक संस्था है। 191 सदस्यों वाले विश्व मौसम विज्ञान संगठन का मुख्यालय जिनेवा (Geneva) में स्थित है।
ग्लोबल वार्मिंग (Global warming) पर IPCC की रिपोर्ट
कुछ समय पहले जलवायु परिवर्तन पर अंतर-सरकारी पैनल (IPCC) द्वारा भी इसी प्रकार की एक विशेष रिपोर्ट जारी की गई थी। तब IPCC को विशेष रूप से ग्लोबल वार्मिंग पर पेरिस समझौते (Paris agreement) में तय किये गए 1.5 डिग्री सेल्सियस तापमान की वैज्ञानिक व्यवहार्यता का पता लगाने के लिये कहा गया था। IPCC की आकलन रिपोर्ट में भी पृथ्वी के भविष्य की खतरनाक तस्वीर उजागर की गई थी।
IPCC क्या है?
जलवायु परिवर्तन पर अंतर-सरकारी पैनल (IPCC) जलवायु परिवर्तन से संबंधित वैज्ञानिक आकलन करने हेतु संयुक्त राष्ट्र का एक निकाय है, जिसमें 195 सदस्य देश हैं। इसे संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (UNEP) और विश्व मौसम विज्ञान संगठन (WMO) द्वारा 1988 में स्थापित किया गया था।
इसका उद्देश्य जलवायु परिवर्तन, इसके प्रभाव और भविष्य के संभावित जोखिमों के साथ-साथ अनुकूलन तथा जलवायु परिवर्तन को कम करने हेतु नीति निर्माताओं को रणनीति बनाने के लिये नियमित वैज्ञानिक सूचनाएँ प्रदान करना है। IPCC सभी स्तरों पर सरकारों को वैज्ञानिक सूचनाएँ प्रदान करता है और जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिये अंतर्राष्ट्रीय वार्ताओं में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
आपको बता दें कि अगले महीने पोलैंड (Poland) में CoP 24 जलवायु शिखर सम्मेलन (Climate summit) का आयोजन होने जा रहा है। ऐसे में विश्व मौसम संगठन द्वारा ‘ग्रीनहाउस गैस बुलेटिन’ नामक यह वार्षिक रिपोर्ट और इससे पहले IPCC द्वारा रिपोर्ट जारी करना बहुत मायने रखता है। इन रिपोर्टों के माध्यम से CoP 24 जलवायु शिखर सम्मेलन के पहले संयुक्त राष्ट्र एक बार फिर 2015 पेरिस समझौते में तय किये गए तापमान में दो डिग्री सेल्सियस की कमी लाने के लक्ष्य के लिये सरकारों पर दबाव बनाने का प्रयास कर रहा है।
स्रोत: The Hindu BusinessLine, Live Mint, Indian Express
भारतीय राजव्यवस्था
प्रवासी बच्चों की शिक्षा (Education of migrant children)
संदर्भ
हाल ही में जारी की गई ग्लोबल एजुकेशन मॉनीटरिंग रिपोर्ट 2019 में यह खुलासा किया गया है कि भारतीय शहरों में मौसमी प्रवासी परिवारों के बच्चों के 80 फीसदी हिस्से के लिये कार्यस्थल पर शिक्षा अब भी एक सपना है। अंततः इन परिवारों के बच्चों का 40 फीसदी हिस्सा स्कूल जाने की जगह काम करना शुरू कर देते हैं, जहाँ उनका शोषण होता है।
हालात
- ‘बिल्डिंग ब्रिज़ेज़ नॉट वॉल्स’ नामक इस रिपोर्ट के अनुसार, 2013 में 6 से 14 वर्ष की उम्र के 10.7 मिलियन बच्चे घर में परिवार के किसी ऐसे सदस्य के साथ रहते थे, जो मौसमी प्रवासी था और 15 से 19 वर्ष की उम्र के युवाओं का 28 फीसदी हिस्सा अनपढ़ था।
लोग प्रवास क्यों करते हैं?
- ग्रामीण इलाकों का कृषि आधार वहाँ रहने वाले सभी लोगों को रोज़गार प्रदान नहीं करता है।
- क्षेत्रीय विकास में असमानता लोगों को ग्रामीण से शहरी क्षेत्रों में स्थानांतरित होने के लिये मजबूर करती है।
- शैक्षणिक सुविधाओं की कमी के कारण विशेष रूप से उच्च शिक्षा प्राप्त लोग इस उद्देश्य की पूर्ति के लिये ग्रामीण लोगों को शहरी क्षेत्रों में स्थानांतरित होने के लिये प्रेरित करते हैं।
- राजनीतिक अस्थिरता और अंतर-जातीय संघर्ष के कारण भी लोग अपने घरों से दूर चले जाते हैं। उदाहरण के लिये, पिछले कुछ वर्षों में अस्थिर परिस्थितियों के कारण जम्मू-कश्मीर और असम से बड़ी संख्या में लोग प्रवास कर चुके हैं।
- गरीबी और रोज़गार के अवसरों की कमी लोगों को एक स्थान से दूसरे स्थान पर जाने के लिये प्रेरित करती है।
- बेहतर तृतीयक स्वास्थ्य और वित्तीय सेवाओं का लाभ उठाने के लिये लोग बेहतर चिकित्सा सुविधाओं की तलाश में अल्पावधि के आधार पर भी प्रवासन करते हैं।
चुनौती अब भी है
- ग्लोबल एजुकेशन मॉनीटरिंग रिपोर्ट स्थानीय और राष्ट्रीय स्तर पर भारत द्वारा शुरू की गई पहलों पर ध्यान केंद्रित करती है जिसका उद्देश्य मौसमी प्रवासियों के बच्चों को शिक्षित करने के साथ-साथ मौसमी प्रवास की वज़ह से शिक्षा पर पड़ने वाले प्रभाव को कम करना भी है।
- यह रिपोर्ट भारत द्वारा प्रवासी बच्चों की शिक्षा में सुधार हेतु उठाए गए आवश्यक कदमों के सकारात्मक प्रभावों पर प्रकाश भी डालती है लेकिन अब भी ऐसी अनेक चुनौतियाँ हैं जिनका सामना किया जाना बाकी है।
- शहरों तथा उनके आस पास रहने वाले लोगों की आबादी में वृद्धि होने के साथ ही शिक्षा जैसी आवश्यक जरूरतों को पूरा करने की आवश्कता होती है। आँकड़ों के बगैर सरकारें ऐसी ज़रूरतों को अनदेखा करती रहती हैं।
- पंजाब में किये गए एक सर्वेक्षण के मुताबिक, 2015-16 में ईट-भट्टों में काम करने वाले मज़दूरों में 60 फीसदी मज़दूर किसी अन्य राज्य से थे। ईट भट्टे के आस-पास रहने वाले 5 से 14 वर्ष की उम्र के 65 से 80 फीसदी बच्चे रोज 7 से 9 घंटे काम करते हैं।
- ईट भट्टों में काम करने वाले 77 फीसदी मजदूरों के अनुसार, बच्चों की शुरुआती शिक्षा की व्यवस्था नहीं है।
- इस रिपोर्ट के अनुसार, 2001 से 2011 के मध्य एक राज्य से दूसरे राज्य में प्रवास करने की दर दो गुनी हो गई।
- 2011 से 2016 के बीच सलाना लगभग 9 मिलियन लोगों ने एक राज्य से दूसरे राज्य में प्रवास किया था।
स्रोत- द हिंदू बिज़नेस लाइन
प्रौद्योगिकी
सिटी गैस वितरण परियोजना (City Gas Distribution- CGD Scheme)
चर्चा में क्यों?
22 नवंबर, 2018 को प्रधानमंत्री ने CDG बोली प्रक्रिया के नौवें दौर के तहत 129 ज़िलों के 65 भौगोलिक क्षेत्रों में सिटी गैस वितरण परियोजना की आधारशिला रखी।
प्रमुख बिंदु
- भारत सरकार गैस आधारित अर्थव्यवस्था की दिशा में अग्रसर होने के लिये देश भर में ईंधन/कच्चे माल के रूप में पर्यावरण अनुकूल स्वच्छ ईंधन अर्थात् प्राकृतिक गैस के उपयोग को बढ़ावा देने पर विशेष ज़ोर दे रही है।
- मौजूदा समय में देश के ऊर्जा मिश्रण (energy mix) में गैस की हिस्सेदारी 6 प्रतिशत से कुछ ही अधिक है और इस आँकड़े को 15 प्रतिशत के स्तर पर पहुँचाने का लक्ष्य है, जबकि इस मामले में वैश्विक औसत 24 प्रतिशत है।
- CGD नेटवर्क विकास का उद्देश्य देश के नागरिकों के लिये स्वच्छ रसोई ईंधन (अर्थात् PNG) और स्वच्छ परिवहन ईंधन (अर्थात् CNG) की उपलब्धता को बढ़ाना है।
CGD योजना के लाभ
- CGD सरकार की विभिन्न स्वच्छ ऊर्जा पहलों जैसे- एथेनॉल ब्लेंडिंग, संपीड़ित बायोगैस संयंत्र स्थापित की स्थापना, LPG कवरेज में वृद्धि और ऑटोमोबाइल के लिये बीएस -6 ईंधन की शुरुआत आदि को समर्थन प्रदान करेगा।
- CGD प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना का भी समर्थन करेगा क्योंकि शहरों में पाइप लाइन के माध्यम से गैस प्राप्त करने से ग्रामीण इलाकों में गैस सिलेंडरों की आपूर्ति में वृद्धि होगी।
- CGD नेटवर्क के विस्तार से औद्योगिक और वाणिज्यिक इकाइयाँ भी लाभान्वित होंगी क्योंकि इसके तहत प्राकृतिक गैस की अबाधित आपूर्ति सुनिश्चित होगी।
सरकार की स्वच्छ ऊर्जा पहल
- सरकार देश में स्वच्छ ऊर्जा के उपयोग को बढ़ावा देने के लिये प्रतिबद्ध है तथा इस दिशा में सरकार द्वारा LED बल्ब, बीएस VI ईंधन, जैव ऊर्जा, अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन, प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना जैसे कई पहलों की शुरुआत की गई है।
- अधिक-से-अधिक शहरों में पाइप के ज़रिये स्वच्छ गैस की आपूर्ति करना भी इस दिशा में एक महत्त्वपूर्ण कदम है।
प्राकृतिक गैस ही क्यों?
- कोयला एवं अन्य द्रव ईंधनों की तुलना में प्राकृतिक गैस एक बेहतर ईंधन है क्योंकि यह पर्यावरण अनुकूल, सुरक्षित और सस्ता ईंधन है।
- प्राकृतिक गैस की आपूर्ति ठीक उसी तरह से पाइपलाइनों के ज़रिये की जाती है, जैसे कि किसी व्यक्ति को नल के ज़रिये पानी प्राप्त होता है।
- इसके लिये किचन में सिलेंडर रखने की आवश्यकता नहीं पड़ती है, अत: इस स्थान का उपयोग किसी और कार्य के लिये किया जा सकता है।
स्रोत : पी.आई.बी.
प्रारंभिक परीक्षा
प्रीलिम्स फैक्ट्स : 24 नवंबर, 2018
क्वाड्रीसाइकिल
परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय ने मोटर वाहन कानून 1988 के अंतर्गत ‘क्वाड्रीसाइकिल’ को एक ‘गैर-परिवहन’ वाहन के रूप में शामिल करने की अधिसूचना जारी की है।
- क्वाड्रीसाइकिल एक ऐसा वाहन है, जिसका आकार थ्री-व्हीलर जैसा होता है, लेकिन इसमें चार टायर हैं और कार की तरह पूरी तरह ढका हुआ है।
- इसमें थ्री-व्हीलर जैसा इंजन लगा हुआ है।
- अंतिम मील तक संपर्क कायम करने के लिये यह परिवहन का सस्ता और सुरक्षित ज़रिया है।
- कानून के अंतर्गत क्वाड्रीसाकिल की केवल परिवहन के लिये इस्तेमाल की इज़ाज़त दी गई थी, लेकिन अब इसे गैर-परिवहन के लिये इस्तेमाल करने योग्य बना दिया गया है।
कालीन नगरी भदोही को मिला ‘निर्यात विशिष्टता’ (export excellence) का दर्जा
- पूरी दुनिया में हाथ से बने कालीनों के लिये मशहूर उत्तर प्रदेश के भदोही ज़िले को ‘एक्सपोर्ट एक्सीलेंस’ का टैग प्रदान किया गया है।
- भदोही को 'टाउंस ऑफ़ एक्सपोर्ट एक्सीलेंस’ मिलने के बाद शहर के कालीन निर्माताओं को आधुनिक मशीनों को खरीदने, बुनियादी ढाँचे में सुधार करने और वैश्विक खरीदारों को आकर्षित करने हेतु दुनिया के विभिन्न हिस्सों में मेले और प्रदर्शनियों का आयोजन करने के लिये केंद्र सरकार से वित्तीय सहायता मिलेगी।
- भदोही को यह दर्जा वाणिज्य मंत्रालय के अधीन कार्यरत विदेश व्यापार निदेशालय (Directorate General of Foreign Trade - DGFT) ने प्रदान किया है।
- गंगा के किनारे पर स्थित यह छोटा सा शहर DGFT द्वारा यह दर्जा प्राप्त करने वाला 37वाँ शहर है।
- यह दर्ज़ा प्राप्त करने वाले अन्य शहरों में तिरुपुर, लुधियाना, कनूर, करूर, देवास, इंदौर, भीलवाड़ा, सूरत, कानपुर, अम्बुर, जयपुर और श्रीनगर शामिल हैं।
विदेश व्यापार निदेशालय (DGFT) के बारे में
- विदेश व्यापार निदेशालय (डीजीएफटी) वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय का एक संलग्न कार्यालय है जिसका नेतृत्व विदेश व्यापार महानिदेशक करता है।
- इसका मुख्यालय नई दिल्ली में है।
- यह भारत के निर्यात को बढ़ावा देने के मुख्य उद्देश्य के साथ विदेश व्यापार नीति तैयार करने और कार्यान्वित करने के लिए ज़िम्मेदार है।
बकरियों में प्लेग की रोकथाम के लिये टीका
- यूके और भारत के शोधकर्त्ताओं ने संयुक्त रूप से एक 'स्मार्ट' टीका विकसित किया है जिसमें बकरियों में होने वाले प्लेग को खत्म करने की क्षमता है।
- इस स्मार्ट टीके को ढाँचा प्रदान करने में ब्रिटिश वैज्ञानिकों का अहम योगदान है, इसे डिवा टीका (DIVA vaccine) भी कहा जाता है।
- बकरी में प्लेग या पेस्ट डेस पेटिट्स रोमिनेंट्स (PPR)एक बेहद संक्रामक वायरल बीमारी है जिससे देश के कई हिस्सों में बकरियाँ और भेड़ प्रभावित होती हैं।
- भारत के अलावा, बकरी से संबंधित प्लेग कई अफ्रीकी देशों, पश्चिम एशिया, चीन और मंगोलिया में प्रचलित है।
विविध
Rapid Fire करेंट अफेयर्स (24 November)
- 24 नवंबर को भारत की महिला बॉक्सर मैरी कोम ने नई दिल्ली के इंदिरा गाँधी इंडोर स्टेडियम में अपना छठा विश्व चैम्पियनशिप खिताब जीत लिया। 10वीं AIBAमहिला विश्व बॉक्सिंग चैम्पियनशिप के 48 किलोग्राम भार वर्ग के फाइनल में उन्होंने यूक्रेन की हना ओखोटा को हराकर गोल्ड मेडल जीता। 'मेग्नीफिसेंट मैरी' नाम से मशहूर मैरी कोम छह गोल्ड मैडल जीतने वाली विश्व की एकमात्र महिला बॉक्सर बन गई हैं।
- UNEP ने सीमापार से होने वाले पर्यावरण संबंधी अपराधों से निपटने में पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के वन्यजीव अपराध नियंत्रण ब्यूरो को उल्लेखनीय कार्यों के लिये एशिया पर्यावरण प्रवर्तन पुरस्कार, 2018 से सम्मानित किया
- मोटर वाहन कानून 1988 के तहत ‘क्वाड्रीसाइकिल’ को एक ‘गैर-परिवहन’वाहन के रूप में शामिल करने की अधिसूचना जारी; चार पहियों वाले क्वाड्रीसाइकिल का आकार थ्री-व्हीलर जैसा होता है और यह पूरी तरह ढका होता है
- कोलकाता के गार्डनरीच शिपयार्ड में भारतीय तटरक्षक बल के लिये स्वदेशी तकनीक से बने दो फास्ट पेट्रोल वेसल (टोही जहाज़) का जलावतरण; ICGS अमृत कौर और ICGS कमला देवी हैं इन जहाज़ों के नाम
- महाराष्ट्र विधानसभा ने खाद्य पदार्थों में मिलावट को गैर-जमानती और संज्ञेय अपराध बनाने वाला विधेयक पारित किया; 6 महीने से लेकर उम्रकैद तक की हो सकती है सज़ा
- केंद्र सरकार ने अगले वर्ष जलियांवाला बाग नरसंहार के 100वें वर्ष को यादगार प्रतीक के रूप में मनाने का फैसला किया; अगले वर्ष 13 अप्रैल को खास सिक्का और डाक टिकट जारी किया जाएगा; 13 अप्रैल 1919 को अमृतसर के जलियांवाला बाग में हुई थी यह घटना
- विदेशी पर्यटकों के लिये तैयार है बुद्धिस्ट सर्किट ट्रेन; दिसंबर के मध्य में चलने की संभावना; बौद्ध धर्म की थीम पर तैयार यह ट्रेन भारत के बौद्ध स्थलों की यात्रा कराएगी
- जूट पैकेजिंग सामग्री अधिनियम, 1987 के तहत सरकार ने अनाजों की शत-प्रतिशत और चीनी की कम-से-कम 20 प्रतिशत पैकेजिंग जूट के बोरों में करने का निर्देश जारी किया; जूट उद्योग का विकास करना है उद्देश्य
- ज़िलों के नाम बदलने के बाद मंडलों के नाम भी प्रयागराज और अयोध्या हुए; उत्तर प्रदेश सरकार ने जारी की अधिसूचना; सरकारी दस्तावेज़ों में होगा अब यही नाम
- गुजरात में सरदार सरोवर पर वाटर एयरोड्रोम बनाने की योजना पर हो रहा है विचार; इसके अलावा साबरमती नदी, शत्रुंजय बांध और धरोई बांध पर भी बनाए जाने हैं वाटर एयरोड्रोम
- उत्तर कोरिया को शांत रखने के लिये अमेरिका और दक्षिण कोरिया 2019 में बसंत के मौसम में होने वाले वृहद् संयुक्त सैन्याभ्यास Foal Eagle का स्तर कम करने पर सहमत
- विजय कुमार देव को दिल्ली का नया मुख्य सचिव नियुक्त किया गया; दिल्ली के मुख्य निर्वाचन अधिकारी के पद पर तैनात थे विजय कुमार देव; अंशु प्रकाश थे इससे पहले दिल्ली के मुख्य सचिव
- अभिजित बोस whatsapp इंडिया के स्थानीय प्रमुख बने; फर्ज़ी खबरों पर रोक लगाने को लेकर भारत सरकार की विभिन्न मांगों में से एक मांग थी स्थानीय प्रमुख की नियुक्ति करना
- UNICEF ने बाल अधिकारों की आवाज़ उठाने के लिये लोकप्रिय गायिका नाहिद आफरीन को पूर्वोत्तर क्षेत्र का पहला यूथ एडवोकेट नियुक्त किया; समाज में बदलाव का काम करते हैं यूथ एडवोकेट
- पाकिस्तान की प्रगतिशील उर्दू लेखिका, शायरा और महिला अधिकार कार्यकर्त्ता फहमीदा रियाज़ का लाहौर में निधन; मेरठ में जन्मी फहमीना ने देशद्रोह का मुकदमा चलने के बाद भारत में निर्वासन में गुजारे थे सात साल
- इटावा घराने के मशहूर सितारवादक उस्ताद इमरत खान का अमेरिका में निधन; सितार और सुरबहार बजाने के लिये दुनियाभर में जाने जाते थे उस्ताद विलायत खान के भाई इमरत खान