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डेली न्यूज़

  • 22 Jan, 2019
  • 29 min read
भारतीय अर्थव्यवस्था

भारत विश्व की पाँचवी सबसे बड़ी अर्थव्यस्था बनने की राह पर

चर्चा में क्यों?


हाल ही में वैश्विक सलाहकार कंपनी (पीडब्ल्यूसी-PwC) की एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत यूनाइटेड किंगडम को पीछे छोड़ते हुए 2019 में दुनिया की पाँचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की ओर अग्रसर है।

महत्त्वपूर्ण बिंदु

  • हाल ही में वैश्विक सलाहकार कंपनी (पीडब्ल्यूसी) द्वारा जारी रिपोर्ट में संभावना जताई जा रही है कि वर्ष 2019 में भारत विश्व अर्थव्यस्था में 5वाँ स्थान प्राप्त कर सकता है। फिलहाल अभी भारत की रैंकिंग छठी है।
  • जैसा कि रिपोर्ट में बताया गया है लगभग समान विकास दर और जनसंख्या के कारण ब्रिटेन और फ्राँस दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं की सूची में आगे-पीछे होती रहती हैं। लेकिन यदि भारत इस सूची में आगे निकलता है तो उसका स्थान स्थायी रहेगा।
  • पीडब्ल्यूसी की वैश्विक अर्थव्यवस्था निगरानी (ग्लोबल इकोनॉमी वॉच) रिपोर्ट में अनुमान लगाया गया है कि इस वर्ष ब्रिटेन की वास्तविक सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) विकास दर 1.6 प्रतिशत, फ्राँस की 1.7 प्रतिशत तथा भारत की 7.6 प्रतिशत रहेगी।
  • विश्व बैंक (World Bank) के आँकड़ों के अनुसार, भारत 2017 में फ्राँस को पछाड़कर दुनिया की छठी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन गया, वहीं ब्रिटेन का स्थान पाँचवा था।
  • 19.39 ट्रिलियन डॉलर के आर्थिक विस्तार के साथ अमेरिका की अर्थव्यवस्था दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था थी, तत्पश्चात 2017 में चीन 12.23 ट्रिलियन डॉलर के साथ दूसरे स्थान पर था।

विश्व बैंक

  • यह एक अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय संस्थान है इससे विश्व के देशों को उनकी परियोजनाओं के संचालन हेतु ऋण प्राप्त होता है।
  • इसमें दो संस्थान शामिल हैं –

♦ इंटरनेशनल बैंक फॉर रिकंस्ट्रक्शन एंड डेवलपमेंट
♦ इंटरनेशनल डेवलपमेंट एसोसिएशन


स्रोत –इकोनॉमिक टाइम्स


भारतीय अर्थव्यवस्था

तमिलनाडु रक्षा औद्योगिक गलियारा

स्वदेशी उत्पादन को बढ़ावा देने के लिये एक कदम आगे बढ़ाते हुए रक्षा मंत्री ने 20 जनवरी, 2019 को तमिलनाडु रक्षा औद्योगिक गलियारे (Tamil Nadu Defence Industrial Corridor) की शुरुआत की।

उद्देश्य

  • रक्षा औद्योगिक गलियारे की स्थापना का उद्देश्य विभिन्न रक्षा औद्योगिक इकाइयों के बीच संपर्क सुनिश्चित करना है।

निवेश

  • तमिलनाडु रक्षा औद्योगिक गलियारे के लिये 3,123 करोड़ रुपए के निवेश की घोषणा की गई है इसमें से अधिकांश निवेश सार्वजनिक क्षेत्र से किया जाएगा।
  • आयुध निर्माणी बोर्ड ने इस गलियारे के विकास में 2305 करोड़ रुपए के निवेश की घोषणा की है।

तमिलनाडु डिफेंस प्रोडक्शन क्वाड

  • तमिलनाडु रक्षा औद्योगिक गलियारा को तमिलनाडु डिफेंस प्रोडक्शन क्वॉड (Tamil Nadu Defence Production Quad) भी कहा जाता है, क्योंकि इसके नोडल केंद्र चेन्नई, होसुर, सलेम, कोयंबटूर और तिरुचिरापल्ली मिलकर एक चतुर्भुज का निर्माण करते हैं।
  • आयुध निर्माणी बोर्ड ने गलियारे के लिये 2305 करोड़ रुपए के निवेश की घोषणा की है।

भारत का दूसरा रक्षा औद्योगिक गलियारा

  • अगस्त 2018 में उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ में शुरू हुए पहले रक्षा औद्योगिक गलियारे के बाद यह देश का दूसरा रक्षा औद्योगिक गलियारा है। उल्लेखनीय है कि रक्षा उत्पादन क्षेत्र में 3,732 करोड़ रुपए के निवेश की घोषणा के साथ ही 11 अगस्त, 2018 को उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ शहर में रक्षा औद्योगिक गलियारा शुरू किया गया था।

तमिलनाडु ही क्यों?

  • तिरुचिरापल्ली क्षेत्र में प्रमुख सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियाँ जैसे- BHEL, हेवी अलॉय पेनिट्रेटर प्रोजेक्ट (Heavy Alloy Penetrator Project), आयुध फैक्ट्री और रेलवे कार्यशालाएँ रक्षा निर्माण के लिये सही पारिस्थितिकी तंत्र प्रदान करती हैं।

लाभ

  • तमिलनाडु भारत के कुल निर्यात में 9.8% के योगदान के साथ देश में चौथे स्थान पर है और यह गलियारा इस क्षेत्र से होने वाले निर्यात के अवसरों को बढ़ाएगा।
  • इन गलियारों के विकास से न केवल त्वरित विकास और क्षेत्रीय उद्योगों के एकीकरण में मदद मिलेगी, बल्कि एक सुव्यवस्थित और कुशल औद्योगिक आधार भी उपलब्ध होगा जिससे इस क्षेत्र के साथ ही देश में भी रक्षा उत्पादन बढ़ेगा।
  • इससे उद्योगों को रक्षा विनिर्माण की वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला के साथ एकीकृत करने में भी मदद मिलेगी।

पृष्ठभूमि

  • फरवरी, 2018 में अपने बजट भाषण में वित्त मंत्री ने यह घोषणा की थी कि घरेलू रक्षा उद्योग को बढ़ावा देने के लिये देश में दो रक्षा औद्योगिक उत्पादन गलियारे स्थापित किए जाएंगे। इसमें सरकार ने उत्तर प्रदेश और तमिलनाडु में गलियारों के निर्माण की परिकल्पना की थी।

स्रोत : द हिंदू (बिज़नेस लाइन), इकोनॉमिक टाइम्स


भारतीय अर्थव्यवस्था

2 साल तक रहेगी भारत की अर्थव्यवस्था में तेज़ी: IMF

चर्चा में क्यों?


हाल ही में अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (International Monetary Fund-IMF) ने भारत के लिये राहत देने वाली खबर दी। अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष का कहना है कि एक तरफ जहाँ दुनिया की तमाम अर्थव्यवस्थाओं पर काले बादल मंडरा रहे हैं, वहीं भारत की अर्थव्यवस्था में अगले दो सालों तक तेज़ी बरकरार रहेगी।

प्रमुख बिंदु

  • गौरतलब है कि अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष ने यह संभावना ग्लोबल इकोनॉमिक आउटलुक अपडेट 2019 में व्यक्त की है।
  • बहुपक्षीय एजेंसी, अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष के अनुमानों के मुताबिक, वित्तीय वर्ष 2019-20 के दौरान भारत की आर्थिक संवृद्धि 7.5 प्रतिशत पर बरकरार रहेगी, जबकि वित्तीय वर्ष 2020-21 के दौरान इसके 7.7 प्रतिशत पर रहने की संभावना है।

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  • IMF की रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत की अर्थव्यवस्था 2019 में संवृद्धि की ओर अग्रसर है। इस संवृद्धि के पीछे तेल की कीमतों के कम होने के साथ-साथ मुद्रास्फीति का दबाव कम होना भी है।

क्या है अन्य देशों की स्थिति

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  • IMF के वर्ल्ड इकोनॉमिक आउटलुक (WEO) के नवीनतम अपडेट के अनुसार, 2019 में वैश्विक विकास दर 3.5% और 2020 में 3.6 प्रतिशत रहेगी जो कि पिछले वर्ष अक्तूबर के अनुमानों की तुलना में 0.2 और 0.1 प्रतिशत कम है।
  • इस इकोनॉमिक आउटलुक के मुताबिक, 2018 के 6.6 प्रतिशत की तुलना में चीन की आर्थिक संवृद्धि 2019 और 2020 के दौरान कम होकर 6.2 प्रतिशत रहने की संभावना है।

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वैश्विक अर्थव्यवस्थाओं पर मंडराते खतरे

  • वैश्विक अर्थव्यवस्थाओं की संवृद्धि में मामूली गिरावट होने के बावजूद यह चिंता का विषय है। संवृद्धि में आने वाली यह गिरावट आर्थिक संकट के जोखिम को बढ़ावा दे रही है।
  • नीति निर्माताओं को वैश्विक स्तर में आर्थिक संकटों से निपटने हेतु नीतिगत प्राथमिकताएँ तय करनी होंगी।

global

  • दुनिया की उन्नत अर्थव्यवस्थाओं को अपने व्यापार मतभेदों को दूर करने का प्रयास करते हुए पहले से ही धीमी रफ्तार वाली अर्थव्यवस्था में थोड़ी तेज़ी लाने के प्रयास करने होंगे।
  • हालाँकि 2018 में ज़्यादातर उन्नत अर्थव्यवस्थाओं के वित्तीय बाज़ारों ने व्यापार संबंधी तनावों से खुद को अलग रखा जो पहले एक-दूसरे से उलझी हुई थीं।

स्रोत- द हिंदू बिज़नेस लाइन


जैव विविधता और पर्यावरण

डेटा पॉइंट: स्वच्छ गंगा मिशन, क्या कहते हैं आँकड़े

संदर्भ


पिछले वर्ष नवंबर-दिसंबर के दौरान सरकार के आदेशानुसार गंगा किनारे स्थित 92 शहरों का एक स्वतंत्र अध्ययन किया गया। इस अध्ययन में देश के पाँच राज्यों से होकर गुज़रने वाली गंगा के किनारे स्थित कस्बों की स्वच्छता, ठोस कचरा प्रबंधन और नालों को शामिल किया गया है।

प्रमुख बिंदु

  • इस अध्ययन में 5 अन्य कस्बों को भी शामिल किया जाना था किंतु इनके आँकड़े उपलब्ध नहीं हो सके।
  • इस अध्ययन में कहा गया है कि गंगा के किनारे स्थित 39% कस्बों में स्वच्छता, ठोस अपशिष्ट प्रबंधन और नालों (नालियों) की देख-भाल के तरीके में समग्र सुधार की आवश्यकता है।

शहरों की ग्रेडिंग

  • इस अध्ययन में गंगा किनारे अवस्थित शहरों को तीन ग्रेड में वर्गीकृत किया गया है-

♦ ग्रेड A: घाट क्षेत्र में और उसके आसपास अच्छी सफाई और ठोस अपशिष्ट प्रबंधन सेवाएँ। अधिकांश नाले गंदा पानी साफ करने के संयंत्र (Sewage Treatment Plants-STP) से जुड़े थे।
♦ ग्रेड B: घाटों के आसपास आंशिक सफाई। ठोस अपशिष्ट प्रबंधन सेवाओं में सुधार की आवश्यकता है।
♦ ग्रेड C: साफ-सफाई, ठोस अपशिष्ट प्रबंधन सेवाओं और नालों के निर्माण के साथ-साथ बुनियादी ढाँचे में समग्र सुधार की आवश्यकता है।


शहरों का प्रदर्शन

  • बिहार और पश्चिम बंगाल के आधे से अधिक शहरों (जिनसे होकर गंगा प्रवाहित होती है) को ग्रेड C दिया गया है, जिसका अर्थ है कि उन्हें समग्र सुधार की आवश्यकता है।
  • राज्यवार शहरों के प्रदर्शन के बारे में और जानकारी के लिये नीचे दिये गए ग्राफ का अवलोकन करें।

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नदियों में कचरा

  • आमतौर पर सभी राज्यों के शहरों को नाले के माध्यम से गंगा में कचरा बहाते हुए पाया गया। बिहार के शहरों में नदी के आस-पास कचरा फेकने के लिये उचित स्थल भी पाए गए।
  • नदियों के किनारे कचरा प्रबंधन और डंपिंग के बारे में विस्तृत जानकारी के लिये नीचे दिये गए ग्राफ का अवलोकन करें।

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जनसंख्या का प्रभाव

  • एक लाख से अधिक आबादी वाले केवल तीन कस्बों को ग्रेड A में श्रेणीबद्ध किया गया। A ग्रेड प्राप्त करने वाले अधिकांश कस्बों की आबादी बहुत कम है। अर्थात् आबादी बढ़ने के साथ-साथ कचरा प्रबंधन और स्वच्छता संबंधी मामलों में शहर पिछड़ने लगता है।

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आवंटित निधि के उपयोग में दक्षता

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  • स्वच्छ गंगा मिशन के लिये आवंटित धन के विश्लेषण से पता चलता है कि 2017-18 के बजट की केवल आधी राशि जारी/खर्च की गई थी, जबकि 2015 में केवल 8.33 प्रतिशत राशि जारी/खर्च की गई थी।

स्रोत-द हिंदू


विविध

पीत-ज्वर टीका

चर्चा में क्यों?


हाल ही में 67 वर्षीय प्रोफेसर ‘मार्टिन गोर’ की पीत ज्वर से मृत्यु हो गई। प्रोफेसर गोर ब्रिटेन में रॉयल मार्सडेन अस्पताल के पूर्व चिकित्सा निदेशक एवं एक प्रसिद्ध कैंसर विशेषज्ञ थे। नियमित टीकाकरण के बाद भी इस बीमारी के कारण हुई उनकी मृत्यु ने एक बार फिर से पीत ज्वर संबंधी टीकाकरण (Vaccination) को संदेह के घेरे में ला खड़ा किया है।

पीत ज्वर टीकाकरण क्यों आवश्यक है?

  • पीत ज्वर मच्छरों से फैलने वाली बीमारी है। यह पीलिया (Jaundice) जैसी होती है इसीलिये इसे पीत/पीला (Yellow) के नाम से भी जाना जाता है।
  • पीत ज्वर से होने वाली मृत्यु अनुपात से कहीं ज़्यादा है, इसीलिये अफ्रीका के कुछ हिस्सों और मध्य एवं दक्षिण अमेरिका (पीत ज्वर-स्थानिक देश) में यात्रा करने से पहले अनिवार्य रूप से इसका टीका लगवाया जाता है।

पीत ज्वर टीकाकरण कितना सुरक्षित है?

  • पीत-ज्वर को सामान्यतः ‘17D’ भी कहा जाता है। आमतौर पर यह टीका (Vaccine) सुरक्षित माना जाता है।
  • विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार, पीत ज्वर को एक अत्यंत प्रभावी टीके की सिर्फ एक खुराक द्वारा रोका जाता है, जो सुरक्षित और सस्ती होने के साथ-साथ इस बीमारी के खिलाफ निरंतर प्रतिरक्षा एवं जीवन भर सुरक्षा प्रदान करने के लिये पर्याप्त है।
  • हालाँकि, इसके संबंध में किये गए अनुसंधानों एवं कुछ रिपोर्टों से प्राप्त जानकारी के मुताबिक, पीत ज्वर संबंधी टीकाकरण के बाद शरीर के कई तंत्रों के खराब होने या सही से काम न करने की बातें सामने आई हैं, यहाँ तक कि इसके कारण कुछ लोगों की मृत्यु तक हो गई है।

पीत ज्वर टीकाकरण के क्या-क्या जोखिम हैं?

  • इस संदर्भ में रोग नियंत्रण और रोकथाम केंद्र (Center for Disease Control & Prevention-CDC-Atlanta) द्वारा प्रदत्त जानकारी के अनुसार, इस टीकाकरण के उपरांत गंभीर नुकसान या मृत्यु बहुत कम होती है।
  • हालाँकि पीत ज्वर के टीकाकरण के बाद कुछ समस्याएँ जैसे - हल्का बुखार, शरीर में दर्द, लालिमा या सूजन हो सकती हैं, लेकिन यह समस्या भी 4 लोगों में से सिर्फ 1 को होती है।

इतने जोखिमों के बाद टीकाकरण क्यों आवश्यक है?

  • सार्वजनिक स्वास्थ्य केंद्रों के अनुसार, टीकाकरण को मृत्यु दर और रुग्णता से बचाने में एक सकारात्मक मार्ग के रूप में देखा जा रहा है लेकिन आज भी लोगों में टीकाकरण के लिये संदेह व्याप्त है।
  • CDC के अनुसार, इस टीके से उत्पन्न होने वाली गंभीर समस्याएँ नगण्य हैं, फिर भी वैक्सीन के प्रति बढ़ता संदेह एक गंभीर समस्या बनती जा रही है।

भारत में टीकाकरण की स्थिति

  • भारत में भी लोगों में टीकाकरण के लिये संदेह व्याप्त है। हाल ही में दिल्ली उच्च न्यायालय ने स्कूल में बच्चों को दिये जाने वाले टीकों के लिये इनके माता-पिता की सहमति को रेखांकित किया।
  • इसका कारण संभवतः यह है कि डिप्थीरिया के टीकाकरण के कारण सितंबर 2018 में दिल्ली में 24 और दिसंबर में नूंह (हरियाणा) में 27 बच्चों की मौत हो गई। हालाँकि, यूनिवर्सल इम्यूनाइजेशन प्रोग्राम (UIP) के तहत यह सबसे पुराना टीका है।
  • भारतीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने बिल और मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन द्वारा समर्थित एक अंतर्राष्ट्रीय संगठन, GAVI के साथ मिलकर टीकाकरण तकनीकी सहायता इकाई द्वारा टीके के प्रति लोगों में संकोच एवं संदेह पर एक अध्ययन कार्य शुरू किया है।

वर्तमान में वैक्सीन के प्रति संकोच दुनिया भर में एक गंभीर समस्या है। अमेरिका जैसे देश (मिनेसोटा राज्य) में भी विशेष रूप से अप्रवासी लोगों में टीकाकरण के प्रति संदेह व्याप्त है। हाल ही में एक ब्रिटिश डॉक्टर के चिकित्सीय निरीक्षण दौरे के दौरान उनके चिकित्सीय प्रेक्टिस लाइसेंस को भीड़ द्वारा छीन लिया गया तथा टीकाकरण के खिलाफ आवाज़ उठाई गई। यदि अमेरिका जैसे विकसित देश में टीकाकरण के संबंध में आमजन में इतना अधिक आक्रोश है तो विकासशील देशों द्वारा भी इस समस्या के संदर्भ में गंभीर चिंतन करने की आवश्यकता है। विकास की राह पर अग्रसर भारत जैसे विकासशील देश के नीतिनिर्माताओं को इस विषय पर गंभीर कदम उठाने चाहिये तथा आवश्यक शोध एवं अनुसंधान कार्यों को प्रोत्साहित किया जाना चाहिए।


स्रोत – इंडियन एक्सप्रेस


विविध

Rapid Fire करेंट अफेयर्स (22 जनवरी)

  • हिमाचल प्रदेश के हमीरपुर से सांसद अनुराग ठाकुर सहित कुल 12 सांसदों को संसद रत्न- 2019 पुरस्कार दिया गया। इनमें महाराष्ट्र के 6 सांसद हैं। इस पुरस्कार के लिये प्रतिवर्ष सांसदों का चयन संसद की चर्चाओं में शामिल होने की संख्या, उनके द्वारा पूछे गए प्रश्नों की संख्या, विधेयकों को पेश करने की संख्या, संसद में उनकी उपस्थिति और सांसद स्थानीय क्षेत्र विकास योजना के तहत फंड के इस्तेमाल के आधार पर किया जाता है। संसद रत्न पुरस्कार की स्थापना 2010 में चेन्नई स्थित प्राइम पॉइंट फाउंडेशन ने की थी। संसद के दोनों सदनों में उल्लेखनीय कार्य करने वाले सांसदों को प्रतिवर्ष संसद रत्न पुरस्कार दिये जाते हैं।
  • राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने 26 चयनित विजेताओं को प्रधानमंत्री राष्ट्रीय बाल पुरस्कार- 2019 प्रदान किये। इनमें नवाचार, शैक्षिक, खेल, कला और संस्कृति, समाज सेवा तथा बहादुरी श्रेणी के तहत बाल शक्ति पुरस्कार के लिये एक संयुक्त पुरस्कार भी शामिल है। यह पुरस्कार दो मुख्य श्रेणियों में दिये गए:
  1. बाल शक्ति पुरस्कार (पूर्व में राष्ट्रीय बाल पुरस्कार): नवाचार,समाज सेवा, शैक्षिक, खेल, कला और संस्कृति तथा वीरता श्रेणियों में दिये गए।
  2. बाल कल्याण पुरस्कार (पूर्व में राष्ट्रीय बाल कल्याण पुरस्कार): व्यक्तिगत और संस्थागत श्रेणियों में दिये गए।

पुरस्कार विजेताओं के नामों का चयन महिला बाल कल्याण मंत्री मेनका संजय गांधी की अध्यक्षता में राष्ट्रीय चयन समिति ने किया।

  • IIT हैदराबाद कृत्रिम बुद्धिमत्ता (Artificial Intelligence) के क्षेत्र में देश में पहले B.Tech. प्रोग्राम की शुरुआत करने जा रहा है। 2019-20 के शैक्षणिक सत्र से यह विद्यार्थियों को उपलब्ध होगा। यह किसी भारतीय विश्वविद्यालय द्वारा चलाया जाने वाला इस तरह का पहला पूर्ण विकसित B. Tech. प्रोग्राम है। अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भी केवल कार्नेगी मेलन यूनिवर्सिटी और मैसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी जैसे चुनिंदा संस्थान ही इस तरह के प्रोग्राम चला रहे हैं।
  • होम्योपैथिक चिकित्सा उत्पादों के विनियमन और वैश्विक सहयोग को बढ़ावा देने के लिये गोवा में तीन दिवसीय द्वितीय विश्व एकीकृत चिकित्सा संगोष्ठी, 2019 शुरू हुई। इस संगोष्ठी का आयोजन आयुष मंत्रालय के अंतर्गत केंद्रीय होम्योपैथी अनुसंधान परिषद के द्वारा किया जा रहा है। होम्योपैथिक/पारंपरिक दवाओं के क्षेत्र से जुड़े विभिन्न अंतर्राष्ट्रीय दवा नियामक देश, जैसे- फ्रांस, स्विट्ज़रलैंड, जर्मनी, बेल्जियम, स्पेन, रूस, ब्राज़ील, क्यूबा, ​​दक्षिण अफ्रीका, संयुक्त अरब अमीरात, थाईलैंड, मलेशिया, ओमान, इंडोनेशिया, बांग्लादेश और नेपाल आदि इसमें हिस्सा ले रहे हैं।
  • इस्पात मंत्रालय द्वारा तीन दिवसीय इंडिया स्टील 2019 (प्रदर्शनी और सम्मेलन) का आयोजन मुम्बई में किया जा रहा है। इंडिया स्टील 2019, नेशनल स्टील पॉलिसी 2000 के अनुरूप विश्व स्तर का प्रतिस्पर्द्धात्मक इस्पात उद्योग विकसित करने के प्रयासों की श्रृंखला का एक हिस्सा है। इस्पात मंत्रालय दो वर्षों में एक बार इंडिया स्टील प्रदर्शनी और सम्मेलन का आयोजन करता है। इसमें बड़ी संख्या में खरीददार, विक्रेता, प्रौद्योगिकी प्रदाता, विनिर्माता, व्यापारी, आयातक और इस्पात क्षेत्र के अन्य संबद्ध संगठन और संस्थान हिस्सा लेते हैं।
  • स्विट्ज़रलैंड के दावोस में 49वें विश्व आर्थिक मंच (World Economic Forum-WEF) के पाँच दिवसीय सम्मेलन की शुरुआत हुई। माइक्रोसॉफ्ट के CEO सत्य नडेला सम्मेलन के को-चेयरमैन हैं। जर्मनी की चांसलर एंजेला मर्केल, स्विट्ज़रलैंड के राष्ट्रपति यूली मॉरर, जापान के प्रधानमंत्री शिंजो एबे, इटली के प्रधानमंत्री गेसपी कोंट, इज़राइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू सहित IMF, WTO, OECD, वर्ल्ड बैंक और इस तरह की अन्य संस्थाओं के प्रमुख इसमें हिस्सा लेंगे। अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप, ब्रिटेन की प्रधानमंत्री थेरेसा मे, फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुअल मैक्रों तथा रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन घरेलू कारणों की वज़ह से हिस्सा नहीं ले रहे हैं।
  • नेपाल के केंद्रीय बैंक (नेपाल राष्ट्र बैंक) ने अपने देश में 2000 रुपए, 500 रुपए और 200 रुपए के भारतीय करेंसी नोटों को पूरी तरह से प्रतिबंधित कर दिया है। नेपाल राष्ट्र बैंक ने एक सर्कुलर जारी कर कहा है कि नए नियमों के तहत नेपाली नागरिक इन नोटों को भारत के अलावा अन्य देशों में नहीं ले जा सकते। इसी तरह, नेपालियों को अन्य देशों से भी ऐसे नोट लाने की अनुमति नहीं दी गई है। हालाँकि, 100 रुपए या उससे कम मूल्य के भारतीय नोटों पर प्रतिबंध नहीं लगाया गया है।
  • अमेरिका में भारतीय मूल की पहली महिला सीनेटर कमला हैरिस 2020 में होने वाले अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव के लिये डेमोक्रेटिक पार्टी की ओर से दावेदारी पेश करेंगी। उन्होंने अपने अभियान की थीम रखी है 'कमला हैरिस फॉर द पीपल'
  • चीन के नेशनल ब्यूरो ऑफ स्टैटिसटिक्स के अनुसार 2018 में चीन की विकास दर 6.6 फीसदी रही, जो पिछले 28 वर्षों में सबसे कम है। 2017 में विकास दर 6.8 फीसदी रही थी। अमेरिका के साथ चल रहे ट्रेड वॉर को इसकी मुख्य वज़ह बताया जा रहा है। अमेरिका ने चीन से आयात होने वाले करीब आधे सामानों पर टैरिफ लगा दिया है। आपको बता दें कि इससे पहले 1990 में चीन की विकास दर 3.9 फीसदी रही थी।
  • चंद्रमा पर खोजबीन के लिये अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा और चीन की अंतरिक्ष एजेंसी मिलकर अभियान चलाने की तैयारी में हैं। इस अभियान से चंद्रमा पर इंसानों की बस्ती बसाने और बाहरी अंतरिक्ष के सुदूर क्षेत्रों की खोज के लिये भविष्य के मिशन की तैयारी के प्रयासों को और गति मिलेगी। नासा इस मुद्दे पर चीनी राष्ट्रीय अंतरिक्ष प्रशासन से यान चांग-4 से भेजे जाने वाले डेटा को खंगालने की संभावना तलाश रही है। गौरतलब है कि चीन का यह यान इसी महीने चंद्रमा की सतह पर उतरा है।
  • 12 दिवसीय खेलो इंडिया यूथ गेम्स, 2019 पुणे में संपन्न हुए। पदक तालिका में महाराष्ट्र पहले, हरियाणा दूसरे और दिल्ली तीसरे स्थान पर रहे। भारत सरकार के खेल एवं युवा मामलों के मंत्रालय द्वारा आयोजित इन खेलों में 29 राज्यों और 7 केंद्रशासित प्रदेशों के 6000 से अधिक खिलाड़ियों ने हिस्सा लिया था। इसमें अंडर-17 और अंडर-21 वर्ग में कुल 18 खेलों का आयोजन किया गया। इन खेलों की थीम ‘5 मिनट और’ रखी गई थी। आपको बता दें कि 2018 के खेलो इंडिया यूथ गेम्स में हरियाणा टॉप पर रहा था।
  • भारत रत्न से सम्मानित वैज्ञानिक सी.एन.आर. राव को प्रथम शेख सौद अंतर्राष्ट्रीय पुरस्कार के लिये चुना गया है। संयुक्त अरब अमीरात (UAE) की संस्था सेंटर फॉर एडवांस मैटेरियल द्वारा उन्हें यह पुरस्कार मैटेरियल रिसर्च के लिये दिया जाएगा। पुरस्कार के लिये उनका चयन एक कमेटी ने सर्वसम्मति से किया है। पुरस्कार के रूप में एक प्रशस्ति-पत्र, मेडल और एक लाख डॉलर दिये जाएंगे। उन्हें यह पुरस्कार 25 फरवरी को UAE के रास अल खैमा में एडवांस मैटेरियल्स पर आयोजित अंतर्राष्ट्रीय कार्यशाला में वहाँ के शासक शेख सौद द्वारा दिया जाएगा।

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