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डेली न्यूज़

  • 16 Jan, 2020
  • 36 min read
अंतर्राष्ट्रीय संबंध

शंघाई सहयोग संगठन के आठ आश्चर्य

प्रीलिम्स के लिये:

शंघाई सहयोग संगठन

मेन्स के लिये:

शंघाई सहयोग संगठन के आठ आश्चर्यों से संबंधित तथ्य

चर्चा में क्यों?

आठ देशों के अंतर्राष्ट्रीय संगठन 'शंघाई सहयोग संगठन' (Shanghai Cooperation Organisation- SCO) ने ‘स्टैच्यू ऑफ यूनिटी’ (Statue of Unity) को SCO के आठवें आश्चर्य के रूप में शामिल किया है।

मुख्य बिंदु:

  • नवंबर 2019 में स्टैच्यू ऑफ यूनिटी (Statue of Unity) ने अमेरिका की 133 साल पुरानी स्टैच्यू ऑफ लिबर्टी (Statue of Liberty) को पर्यटकों की आवाजाही के मामले में पीछे छोड़ दिया क्योंकि गुजरात में आने वाले पर्यटकों की संख्या नवंबर 2019 के दौरान 15000 से अधिक हो गई।
  • SCO द्वारा उठाया गया यह कदम इसके सदस्य राष्ट्रों के बीच पर्यटन को बढ़ावा देगा।

स्टैच्यू ऑफ यूनिटी

(Statue of Unity):

  • ‘स्टैच्यू ऑफ यूनिटी’ गुजरात के नर्मदा ज़िले में सरदार सरोवर बाँध के पास राजपीपला में साधुबेट नामक नदी द्वीप पर स्थित है
  • ‘स्टैच्यू ऑफ यूनिटी’ 182 मीटर ऊँची सरदार वल्लभभाई पटेल की प्रतिमा है।
  • 31 अक्तूबर, 2018 को प्रधानमंत्री मोदी ने सरदार वल्लभभाई पटेल की 143वीं जयंती पर ‘स्टैच्यू ऑफ यूनिटी’ का अनावरण किया था।
  • इस मूर्ति का डिज़ाइन पद्मभूषण पुरस्कार से सम्मानित मूर्तिकार ‘राम वनजी सुतर’ ने तैयार किया था।
  • ‘स्टैच्यू ऑफ यूनिटी’ चीन के स्प्रिंग टेंपल में स्थित 153 मीटर ऊँची प्रतिमा जिसके निर्माण में 11 वर्ष लगे (अब तक विश्व की सबसे ऊँची प्रतिमा का दर्जा प्राप्त था), से भी ऊँची है और न्यूयॉर्क की स्टैच्यू ऑफ लिबर्टी (93 मी.) की ऊँचाई से करीब दोगुनी है।
  • सरदार पटेल स्वतंत्र भारत के पहले उप-प्रधानमंत्री बने तथा साथ ही उन्होंने गृह, सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय का प्रभार भी संभाला।

SCO के आठ आश्चर्य:

  • SCO के आठ आश्चर्य निम्नलिखित हैं-
    • भारत- स्टैच्यू ऑफ यूनिटी
    • कज़ाखस्तान- तमगली के पुरातात्त्विक परिदृश्य (The Archaeological Landscape of Tamgaly)
    • किर्गिज़स्तान- इसीक-कुल झील (Lake Issyk-Kul)
    • चीन- डेमिंग पैलेस (Daming Palace)
    • पाकिस्तान- मुगल विरासत, लाहौर (Mughals Heritage)
    • रूस- द गोल्डन रिंग सिटीज़ (The Golden Ring of Cities)
    • ताजिकिस्तान- द पैलेस ऑफ नौरोज़ (The Palace of Nowruz)
    • उज़्बेकिस्तान- द पोई कालोन कॉम्प्लेक्स (The Poi Kalon complex)

भारत को लाभ:

SCO द्वारा स्टैच्यू ऑफ यूनिटी को आठवें आश्चर्य के रूप में में शामिल करने से भारत के पर्यटन क्षेत्र को बढ़ावा मिलेगा क्योंकि पर्यटन राष्ट्रीय विकास का मुख्य वाहक होता है साथ ही इससे लाखों युवा भारतीयों के लिये रोज़गार का सृजन होगा परंतु इसके लिये हमें अपने समृद्ध पर्यटन संसाधनों का विकास करना होगा।

स्रोत- बिज़नेस टुडे


अंतर्राष्ट्रीय संबंध

होर्मुज़ पीस इनिशिएटिव

प्रीलिम्स के लिये :

होर्मुज़ पीस इनिशिएटिव, होर्मुज़ जलडमरूमध्य

मेन्स के लिये :

होर्मुज़ पीस इनिशिएटिव का भारत के परिप्रेक्ष्य में महत्त्व

चर्चा में क्यों ?

हाल ही में अमेरिका-ईरान के बीच उत्पन्न तनाव के मद्देनज़र तेहरान में आयोजित होर्मुज़ पीस इनिशिएटिव (Hormuz Peace Initiative) में भारत द्वारा भागीदारी दर्ज की गई।

मुख्य बिंदु:

  • अमेरिका-ईरान तनाव को देखते हुए दुनिया की सबसे व्यस्त और रणनीतिक शिपिंग लेन में से एक ‘स्ट्रेट ऑफ होर्मुज़’ (Strait of Hormuz) पर शांति व्यवस्था बनाये रखने के उद्देश्य से यह पहल की गई ।
  • होर्मुज़ पीस इनिशिएटिव की शुरुआत ईरान ने ओमान, चीन, भारत और अफगानिस्तान के साथ की थी।

The-oil-Gateway

  • यह वार्ता भारत के लिये महत्त्वपूर्ण थी क्योंकि भारत अपनी तेल की आपूर्ति का दो-तिहाई हिस्सा और प्राकृतिक गैस की आधी आपूर्ति ‘स्ट्रेट ऑफ होर्मुज़’ के माध्यम से ही पूरी करता है।
  • कुल वैश्विक तेल व्यापार में से 18 मिलियन बैरल तेल हर दिन ‘स्ट्रेट ऑफ होर्मुज़’ से होकर ले जाया जाता है।
  • दुनिया का एक- तिहाई एलपीजी (Liquefied petroleum gas-LPG) व्यापार भी इस जलडमरूमध्य के माध्यम से होता है।
  • भागीदार देशों ने तेहरान द्वारा प्रस्तावित होर्मुज़ पीस एंडेवर (HOPE) के तहत क्षेत्रीय सहयोग योजनाओं का भी मूल्यांकन किया ।
  • इसकी पहल ईरानी राष्ट्रपति हसन रूहानी ने सितंबर 2019 में संयुक्त राष्ट्र महासभा की बैठक में भाषण देते हुए की थी जिसमे सभी क्षेत्रीय देशों को इसमें भाग लेने के लिये आमंत्रित किया गया ।

होर्मुज़ जलडमरूमध्य:

Hormuz

  • होर्मुज़ जलडमरूमध्य (Hormuz strait) दुनिया के सबसे महत्वपूर्ण चोक पॉइंट (Choke Points) में से एक है।
  • यह जलडमरूमध्य फारस की खाड़ी और ओमान की खाड़ी को जोड़ता है।
  • इसके उत्तरी तट पर ईरान है और दक्षिण में संयुक्त अरब अमीरात और ओमान हैं।
  • इस जलडमरूमध्य की लंबाई लगभग 90 नॉटिकल मील (167 किमी) है और चौड़ाई लगभग 21 नॉटिकल मील से 52 नॉटिकल मील के बीच है।

स्रोत : द इकोनोमिक टाइम्स


आंतरिक सुरक्षा

ब्रू शरणार्थी समझौता

प्रीलिम्स के लिये:

ब्रू समुदाय की भौगोलिक स्थिति

मेन्स के लिये:

आतंरिक सुरक्षा पर पड़ने वाले प्रभाव

चर्चा में क्यों?

ब्रू शरणार्थी संकट (Bru Refugee Crisis) को समाप्त करने के उद्देश्य से केंद्र सरकार तथा त्रिपुरा सरकार, मिज़ोरम सरकार तथा ब्रू जनजाति के प्रतिनिधियों के बीच 16 जनवरी 2020 को समझौता किये जाने की उम्मीद है।

प्रमुख बिंदु:

  • संभावित नए समझौते के ड्राफ्ट के अनुसार, लगभग 35,000 ब्रू शरणार्थियों को त्रिपुरा में बसाया जाएगा और केंद्र व राज्य सरकार द्वारा इनके पुनर्वास में मदद करने के लिये सहायता दी जाएगी।
  • नवंबर 2019 में त्रिपुरा सरकार ने ब्रू शरणार्थियों के पुनर्वास के लिये स्वीकृति प्रदान की थी।
  • वर्ष 2018 में हुए समझौते के अनुसार, ब्रू शरणार्थियों को मिज़ोरम में बसाया गया जबकि नए समझौते के ड्राफ्ट के अनुसार अब इन्हें त्रिपुरा में बसाया जाएगा।
  • संभावित नए समझौते के ड्राफ्ट के अनुसार, ब्रू समुदाय के प्रत्येक परिवार को कृषि भूमि के पट्टों के अलावा व्यक्तिगत भू-खंड भी आवंटित किये जाएंगे।
  • प्रत्येक व्यक्तिगत भू-खंड 2,500 वर्ग फीट का होगा। इसके अतिरिक्त प्रत्येक परिवार को आजीविका हेतु प्रतिमाह 5,000 रुपए की आर्थिक मदद तथा अगले दो वर्षों तक निशुल्क राशन प्रदान किया जाएगा।
  • ब्रू समुदाय को त्रिपुरा की मतदाता सूची में भी सम्मिलित किया जाएगा।

ब्रू समुदाय (Bru Community)

  • ब्रू समुदाय पूर्वोत्तर भारत तथा बांग्लादेश के चटगाँव पहाड़ी क्षेत्र में रहने वाला एक जनजातीय समूह है।
  • मिज़ोरम में ब्रू समुदाय को अनुसूचित जनजाति का एक समूह तथा त्रिपुरा में एक अलग जाति समूह माना जाता है।
  • ब्रू समुदाय को त्रिपुरा में रिआंग (Reang) नाम से जाना जाता है।
  • इस समुदाय के लोग ब्रू भाषा बोलते हैं।

पृष्ठभूमि:

  • ब्रू समुदाय का आवासीय क्षेत्र भारत में मिज़ोरम, त्रिपुरा और बांग्लादेश में चटगाँव पहाड़ी के कुछ क्षेत्रों तक फैला हुआ है।
  • वर्ष 1995 में मिज़ोरम राज्य के चुनावों में भागीदारी को लेकर ब्रू समुदाय और मिज़ो समुदाय के लोगों के मध्य तनाव उत्त्पन्न हो गया। मिज़ो समुदाय के लोगों का कहना था कि ब्रू समुदाय के लोग राज्य के निवासी नहीं हैं।
  • ब्रू और बहुसंख्यक मिज़ो समुदाय के लोगों के बीच वर्ष 1996 में हुआ सांप्रदायिक दंगा इनके पलायन का कारण बना।
  • वर्ष 1997 में ब्रू नेशनल लिबरेशन फ्रंट (Bru National Liberation Front-BNLF) ने एक मिज़ो अधिकारी की हत्या कर दी जिसके बाद दोनों समुदायों के बीच विवाद के चलते दंगे भड़क गए और अल्पसंख्यक होने के कारण ब्रू समुदाय को अपना घर-बार छोड़कर त्रिपुरा के शरणार्थी शिविरों में आश्रय लेना पड़ा।

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस


शासन व्यवस्था

शिक्षा की वार्षिक स्थिति रिपोर्ट, 2019

प्रीलिम्स के लिये:

शिक्षा की वार्षिक स्थिति रिपोर्ट 2019, शिक्षा का अधिकार अधिनियम, 2010, गैर-सरकारी संस्था प्रथम

मेन्स के लिये:

शिक्षा से संबंधित मुद्दे, भारत में शिक्षा व्यवस्था

चर्चा में क्यों?

हाल ही में शिक्षा की वार्षिक स्थिति रिपोर्ट, 2019 (Annual Status of Education Report-ASER, 2019) जारी की गई। गौरतलब है कि यह रिपोर्ट भारत की शिक्षा प्रणाली के परिणामों के मद्देनज़र पेश की जाती है।

महत्त्वपूर्ण बिंदु

  • शिक्षा की वार्षिक स्थिति रिपोर्ट, 2019 मुख्यतः 0-8 वर्ष आयु वर्ग (Early Years) के छोटे बच्चों पर केंद्रित है। ध्यातव्य है कि यह इस शृंखला की 14वीं रिपोर्ट है।
  • असर (ASER), 2019 में भारत के 24 राज्यों के 26 ज़िलों में आयोजित सर्वेक्षण में कुल 1,514 गाँवों; 30,425 घरों और 4-8 वर्ष आयु वर्ग के 36,930 बच्चों को शामिल किया गया है।
  • इस रिपोर्ट के अंतर्गत शामिल/चिंहित बच्चों के पूर्व प्राथमिक और प्राथमिक विद्यालय में नामांकन तथा कुछ महत्त्वपूर्ण विकासात्मक संकेतकों जैसे- संज्ञानात्मक विकास, प्रारंभिक भाषा और गणित एवं सामाजिक और भावनात्मक विकास से संबंधित जानकारियाँ एकत्रित की गई हैं।
  • वर्ष 2005 से प्रतिवर्ष ग्रामीण भारत के 3-16 वर्ष आयु वर्ग के बच्चों के विद्यालयों में नामांकन की स्थिति और 5-16 वर्ष आयु वर्ग के बच्चों की बुनियादी पढ़ने और गणित के प्रश्नों को हल करने की क्षमता पर ASER रिपोर्ट प्रकाशित की जाती है।
  • राष्ट्रीय शिक्षा नीति के अनुसार, 4 और 5 वर्ष आयु वर्ग के बच्चों को पूर्व-प्राथमिक कक्षाओं में होना चाहिये। इस आयु के बच्चों में विभिन्न प्रकार के कौशल जैसे- संज्ञानात्मक कौशल, सामाजिक और भावनात्मक कौशल तथा साथ ही औपचारिक स्कूली शिक्षा के लिये आवश्यक वैचारिक आधार (Conceptual Foundation) विकसित करने के लिये प्रोत्साहित किया जाना चाहिये।
  • शिक्षा का अधिकार अधिनियम (RTE Act), 2010 के बाद इस सर्वेक्षण में उन माप योग्य मानकों को भी शामिल किया गया, जो इस कानून के तहत देश के किसी भी विद्यालय के लिये बाध्यकारी हैं।

ASER, 2019 के मुख्य निष्कर्ष:

  • शिक्षा की वार्षिक स्थिति रिपोर्ट, 2019 के अनुसार 4-8 वर्ष आयु वर्ग के बच्चों का किसी भी प्रकार के शैक्षणिक संस्थान (शासकीय या अशासकीय) में नामांकन 90% से अधिक है।
    • ध्यातव्य है कि नामांकन में बच्चों की उम्र में वृद्धि के साथ बढ़ोतरी देखी गई है। रिपोर्ट के अंतर्गत शामिल/चिंहित ज़िलों में 4 वर्ष के 91.3% बच्चे और 8 वर्ष के 99.5% बच्चे नामांकित हैं।
  • बच्चों की उम्र और नामांकन पैटर्न में यह विविधता भी देखी गई कि एक ही उम्र के बच्चे विभिन्न प्रकार के शैक्षणिक संस्थानों में नामांकित हैं।
    • उदाहरण के लिये 5 वर्ष की आयु के 70% बच्चे आँगनवाड़ियों या पूर्व-प्राथमिक कक्षाओं में नामांकित हैं, जबकि 21.6% बच्चे अभी से ही विद्यालय में कक्षा 1 में नामांकित हैं। 6 वर्ष की आयु के 32.8% बच्चे आँगनवाड़ियों या पूर्व-प्राथमिक कक्षाओं में हैं तथा 46.4% बच्चे कक्षा 1 और 18.7% कक्षा 2 या उससे आगे की कक्षाओं में हैं।
  • गौरतलब है कि इन छोटे बच्चों के बीच भी लड़कों और लड़कियों के नामांकन पैटर्न अलग-अलग देखे गए जिसमें लड़के निजी संस्थाओं और लड़कियाँ सरकारी संस्थाओं में ज्यादा नामांकित हैं।
    • ध्यातव्य है कि उम्र के साथ यह अंतराल और बढ़ता जाता है, उदाहरण के लिये 4 और 5 वर्ष के बच्चों में से 56.8% लड़कियाँ तथा 50.4% लड़के सरकारी पूर्व-प्राथमिक या प्राथमिक विद्यालय में नामांकित हैं।
    • जबकि 43.2% लड़कियाँ एवं 49.6% लड़के निजी पूर्व-प्राथमिक या प्राथमिक विद्यालय में नामांकित हैं।
    • 6-8 वर्ष की आयु वर्ग के बच्चों में सभी लड़कियों में से 61.1% लड़कियाँ और सभी लड़कों में से 52.1% लड़के सरकारी पूर्व-प्राथमिक या प्राथमिक विद्यालय में नामांकित हैं।

ASER, 2019 से निकलने वाले नीति निहितार्थ

  • आँगनवाड़ियाँ बहुत बड़े अनुपात में छोटे बच्चों को पूर्व-प्राथमिक कक्षाओं में जाने से पहले विभिन्न सुविधाएँ उपलब्ध कराती हैं। अतः इन आँगनवाड़ियों को सभी बच्चों को शामिल करने और 3 तथा 4 वर्ष आयु वर्ग के बच्चों के लिये उपयुक्त स्कूल रेडीनेस गतिविधियों जैसे कार्यक्रम का संचालन करने के लिये और सशक्त बनाया जाना चाहिये।
  • ASER, 2019 के आँकड़ों से स्पष्ट होता है कि संज्ञानात्मक विकास, प्रारंभिक भाषा और गणित एवं सामाजिक व भावनात्मक विकास संबंधी बच्चों के प्रदर्शन पर उनकी आयु का भी प्रभाव है, इसलिये बड़े बच्चे छोटे बच्चों की तुलना में अधिक सवाल सही हल कर पाते हैं। कम आयु के बच्चों को विद्यालय में नामांकित कर प्राथमिक कक्षाओं में पढ़ाने से उन्हें नुकसान पहुँचता है जिसे दूर करना अत्यंत मुश्किल होता है।
  • ASER, 2019 के आँकड़ों से बच्चों की प्रारंभिक भाषा और गणित के प्रदर्शन पर उनके संज्ञानात्मक कौशल का प्रभाव दिखाई देता है। इससे यह संकेत मिलता है कि प्रारंभिक वर्षों में बच्चों को सिखाने में संज्ञानात्मक कौशल के विकास पर ध्यान देना चाहिये न कि किताबी या विषय आधारित ज्ञान पर। इससे बच्चों को भविष्य में भरपूर लाभ प्राप्त हो सकेगा।
  • 4-8 वर्ष आयु वर्ग के बच्चों को एक साथ सतत् क्रम में देखना चाहिये और कक्षा व पाठ्यक्रम का निर्माण इसको ध्यान में रखकर करना चाहिये तथा एक प्रभावी और लागू करने योग्य पाठ्यक्रम के लिये, डिज़ाइनिंग, प्लानिंग, पायलटिंग और अंतिम रूप देने की प्रक्रिया को ज़मीनी वास्तविकताओं को ध्यान में रखकर निर्धारित किया जाना चाहिये।

शिक्षा की वार्षिक स्थिति रिपोर्ट (ASER) क्या है?

  • असर (Annual Status of Education Report-ASER) एक वार्षिक सर्वेक्षण है जिसका उद्देश्य भारत में प्रत्येक राज्य और ग्रामीण ज़िले के बच्चों की स्कूली शिक्षा की स्थिति और बुनियादी शिक्षा के स्तर का विश्वसनीय वार्षिक अनुमान प्रदान करना है।
  • यह आम लोगों द्वारा किया जाने वाला देश का सबसे बड़ा सर्वेक्षण है, साथ ही यह देश में बच्चों की शिक्षा के परिणामों के बारे में जानकारी का एकमात्र उपलब्ध वार्षिक स्रोत भी है।
  • इस सर्वेक्षण की शुरुआत 2005 में की गई थी।
  • यह सर्वेक्षण शिक्षा क्षेत्र की शीर्षस्थ गैर-व्यवसायिक संस्था (NGO) 'प्रथम' द्वारा कराया जाता है।
  • 2016 में अपने दूसरे दशक के अस्तित्व की शुरुआत करते हुए असर एक वैकल्पिक-वर्ष चक्र में बदल गया, जहाँ यह 'बुनियादी' असर हर दूसरे वर्ष (2016, 2018 और 2020 में अगला) आयोजित किया जाता है और वैकल्पिक वर्षों में असर बच्चों के स्कूली शिक्षा और सीखने के एक अलग पहलू पर ध्यान केंद्रित करता है।
  • 2017 में असर 'बियॉन्ड बेसिक्स' ने देश के 28 जिलों में 14 से 18 वर्ष आयु वर्ग के युवाओं की क्षमताओं, गतिविधियों, जागरूकता और आकांक्षाओं पर ध्यान केंद्रित किया था।

स्रोत: असर (ASER) की आधिकारिक वेबसाइट


अंतर्राष्ट्रीय संबंध

अगले दशक की अति महत्त्वपूर्ण स्वास्थ्य चुनौतियाँ

प्रीलिम्स के लिये:

विश्व स्वास्थ्य संगठन

मेन्स के लिये:

विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा जारी अति महत्त्वपूर्ण वैश्विक स्वास्थ्य चुनौतियों से संबंधित सूची

चर्चा में क्यों?

हाल ही में विश्व स्वास्थ्य संगठन (World Health Organization- WHO) ने आगामी दशक के संदर्भ में 13 अति महत्त्वपूर्ण वैश्विक स्वास्थ्य चुनौतियों से संबंधित एक सूची जारी की है।

मुख्य बिंदु:

  • वर्ष 2030 तक सतत् विकास लक्ष्यों की प्राप्ति के साथ-साथ संयुक्त राष्ट्र ने आगामी दशक को ‘कार्रवाई का दशक’ (Decade of Action) घोषित किया है।
  • WHO ने दशक की 13 वैश्विक स्वास्थ्य चुनौतियों की पहचान की है जो कि लगभग पूरे विश्व में लोगों को समान रूप से प्रभावित करती हैं।

क्या हैं 13 प्राथमिकताएँ?

  • विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा जारी सूची के अनुसार 13 वैश्विक स्वास्थ्य चुनौतियाँ निम्नलिखित है-
    • जलवायु वार्ताओं में स्वास्थ्य को शामिल करना
    • संघर्ष और संकट के समय स्वास्थ्य संबंधी सेवाएँ प्रदान करना
    • स्वास्थ्य देखभाल में समानता लाना
    • औषधियों तक पहुँच बढ़ाना
    • संक्रामक रोगों को रोकना
    • महामारी से बचने के लिये तैयार रहना
    • खतरनाक उत्पादों से व्यक्तियों की रक्षा करना
    • स्वास्थ्य रक्षा के क्षेत्र में निवेश करना
    • किशोरों को सुरक्षित रखना
    • जनता का विश्वास अर्जित करना
    • नई तकनीकों को उपयोग में लाना
    • हमारी रक्षा करने वाली दवाओं को संरिक्षत करना
    • स्वास्थ्य रक्षा के लिये सफाई का ध्यान रखना
  • WHO द्वारा जारी इस सूची का उद्देश्य स्वास्थ्य प्रणालियों और स्वास्थ्य के बुनियादी ढाँचे में अंतराल को कम करने के साथ-साथ सबसे कमज़ोर देशों को सहायता प्रदान करने के लिये उन्हें राष्ट्रीय स्तर पर वित्तपोषित करना है।
  • वर्तमान में स्वास्थ्य क्षेत्र में किया गया निवेश अंततः धन और जीवन दोनों को बचाने में सहायक सिद्ध होगा।
  • इन महत्त्वपूर्ण लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिये सरकारों, समुदायों और अंतर्राष्ट्रीय एजेंसियों को मिलकर काम करना होगा।

जलवायु संकट:

  • जलवायु परिवर्तन की समस्या का संबंध स्वास्थ्य से भी है।
  • वायु प्रदूषण के कारण हर वर्ष अनुमानित 7 मिलियन व्यक्तियों की मृत्यु होती है।
  • जलवायु परिवर्तन मौसमी घटनाओं का कारण बनता है तथा मलेरिया जैसे संक्रामक रोगों के प्रसार को बढ़ावा देता है, जिससे कुपोषण की स्थिति उत्पन्न होती है।

भारत में स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र से जुड़ी प्रमुख चुनौतियाँ:

  • भारत में आर्थिक असमानता के कारण स्वास्थ्य सेवाओं की उपलब्धता में भी काफी विषमता है। निजी अस्पतालों की वजह से संपन्न लोगों को तो गुणवत्ता युक्त स्वास्थ्य सेवाएँ उपलब्ध हो जाती हैं, किंतु गरीब एवं निर्धन लोगों के संबंध में यह स्थिति काफी चिंताजनक बनी हुई है।
  • भारत में अभी भी उच्च शिशु मृत्यु दर एवं प्रसव के दौरान मातृ मृत्यु की उच्च दर बरकरार है।
  • भारत में उच्च रक्तचाप, मधुमेह, मलेरिया, जापानी बुखार एवं डेंगू जैसी कई संक्रमित बीमारियाँ फैल रही हैं।
  • सार्वजनिक स्वास्थ्य सेवाओं के क्षेत्र में व्याप्त भ्रष्टाचार एवं राजनीतिक वर्ग की यह स्वास्थ्य सेवाओं के प्रति यह धारणा कि सामान्यतः मतदाताओं के लिये इसकी कोई प्राथमिकता नहीं है, इस क्षेत्र की सबसे बड़ी चुनौती है।
  • भारत में महिलाएँ एवं बच्चे बड़ी तादाद में कुपोषण के शिकार हैं।

आगे की राह:

वर्तमान समय में भारत को ऐसी स्वास्थ्य संबंधी नीतियों की आवश्यकता है जो मौजूदा समय की चुनौतियों से निपटने में सक्षम हों तथा लगातार परिवर्तित हो रहे परिवेश में उत्पन्न होने वाली संक्रामक बीमारियों से लोगों की रक्षा कर सकें। भारत में स्वास्थ्य के क्षेत्र में काफी प्रगति हुई है, परंतु अभी भी इस क्षेत्र में काफी काम बाकी है। देश में स्वास्थ्य संरचना, उपचार परीक्षण, शोध पर निरंतर कार्य करने की आवश्यकता है ताकि सबका स्वास्थ्य सुरक्षा का सपना साकार हो सके।

स्रोत-


अंतर्राष्ट्रीय संबंध

नृजातीय एकता: तिब्बत का नया कानून

प्रीलिम्स के लिये:

नृजातीय एकता से तात्त्पर्य

मेन्स के लिये:

नृजातीय एकता कानून के प्रावधान व इसके प्रभाव

चर्चा में क्यों ?

हाल ही में तिब्बत की पीपुल्स कॉन्ग्रेस ने नृजातीय एकता (Ethnic Unity) को अनिवार्य करने वाला एक विधेयक पारित किया है। पारित विधेयक में प्रस्तावित कानून 1 मई, 2020 से प्रभावी होंगे।

प्रमुख बिंदु:

  • यह कानून स्पष्ट करता है कि तिब्बत प्राचीन काल से ही चीन का अभिन्न अंग रहा है।
  • यह सभी जातीय समूहों के लोगों का उत्तरदायित्व है कि वे राष्ट्र के एकीकरण में सहयोग करें तथा अलगाववाद की भावना के विरुद्ध एकजुटता प्रदर्शित करें।
  • तिब्बत में 40 से ज़्यादा नृजातीय अल्पसंख्यक समुदाय हैं जो कुल जनसंख्या का 95 प्रतिशत अर्थात लगभग 30 लाख हैं।
  • तिब्बत की भांँति ही जिंझियांग चीन का एक प्रांत है जिसमें कई नृजातीय अल्पसंख्यक समुदाय रहते हैं।

विवाद का कारण:

  • तिब्बत के लिये पारित कानून के भांँति ही वर्ष 2016 में जिंझियांग प्रांत में भी ऐसा ही कानून पारित किया गया, जिसके कारण चीन पर यह आरोप लगते हैं कि उसने लाखों उईगर व अन्य मुस्लिमों की अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का हनन कर उन्हें बंधक बना लिया है। विदित है की चीन वर्ष 1949 से जिंझियांग प्रांत पर अपना दावा करता रहा है।
  • चीन ने आरोपों का खंडन करते हुए कहा कि वह इन लोगों को रोज़गार के अवसर उपलब्ध कराने हेतु व्यावसायिक प्रशिक्षण केंद्र में प्रशिक्षित कर रहा है।

क्या है नृजातीय एकता?

  • यह एक ऐसी भावना है जिसमें लोग अपने नृजातीय समूह या संस्कृति की श्रेष्ठता में विश्वास करते हैं तथा समान भाषा, वंशक्रम, इतिहास, समाज, संस्कृति, मातृभूमि के आधार पर अपनी एकता को प्रदर्शित करते हैं।

नृजातीय एकता का महत्त्व

  • द जेम्सटाउन फाउंडेशन द्वारा प्रकाशित एक शोध पत्र के अनुसार, चीन में विभिन्न नृजातीय समूहों को समाजवाद और समरसता के उभयनिष्ठ लक्ष्यों की प्राप्ति की दिशा में आवश्यक कारक माना जाता है।
  • इसका सटीक उदाहरण राष्ट्रपति शी जिनपिंग के भाषण में मिलता है जिसमे वह लोगों से सामुदायिक भावना व नृजातीय एकता को मज़बूत करने का आह्वान करते हैं।
  • नृजातीय एकता की भावना राष्ट्र को सांस्कृतिक रूप से सुदृढ़ता प्रदान करती है।

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस


जैव विविधता और पर्यावरण

ब्लू फ्लैग समुद्री तटों के लिये तटीय नियमन क्षेत्र नियमों में ढील

प्रीलिम्स के लिये :

CRZ मानदंड,परिस्थितिकी पर्यटन

मेन्स के लिये :

ब्लू फ्लैग प्रमाणन के बारे में

चर्चा में क्यों ?

पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (Ministry of Environment, Forest and Climate Change- MoEFCC) ने तटीय विनियमन क्षेत्र (Coastal Regulation Zone-CRZ) संबंधी उन नियमों में कुछ ढील दी है जो समुद्र तटों के पास निर्माण को प्रतिबंधित करते हैं।

अन्य बिंदु:

  • तटीय विनियमन क्षेत्र में संशोधन से राज्यों को बुनियादी ढाँचे के निर्माण में सहायता मिलेगी तथा वे ब्लू फ्लैग प्रमाणन प्राप्त करने में सक्षम हो सकेंगे।
  • वर्ष 2019 में MoEFCC द्वारा ‘ब्लू फ्लैग’ प्रमाण-पत्र प्राप्ति के लिये निम्नलिखित 13 समुद्र तटों को प्रस्तावित किया गया था-
    • घोघाला समुद्र तट (दीव) (Ghoghala beach-Diu)
    • शिवराजपुर समुद्र तट (गुजरात) (Shivrajpur beach-Gujarat)
    • भोगवे समुद्र तट (महाराष्ट्र) (Bhogave beach-Maharashtra)
    • पदुबिद्री और कासरकोड समुद्र तट (कर्नाटक) (Padubidri and Kasarkod beaches-Karnataka)
    • कप्पड़ तट (केरल) (Kappad beach-Kerala)
    • कोवलम समुद्र तट (तमिलनाडु) (Kovalam beach-Tamil Nadu)
    • ईडन समुद्र तट (पुदुचेरी) (Eden beach-Puducherry)
    • रुशिकोंडा समुद्र तट (आंध्र प्रदेश) (Rushikonda beach-Andhra Pradesh)
    • मीरामार समुद्र तट (गोवा) (Miramar beach-Goa)
    • गोल्डन समुद्र तट (ओडिशा) (Golden beach-Odisha)
    • राधानगर समुद्र तट (अंडमान और निकोबार द्वीप समूह) (Radhanagar beach-Andaman & Nicobar Islands)
    • बांगरम समुद्र तट (लक्षद्वीप) (Bangaram beach-Lakshadweep).

Blue-flag

ब्लू फ्लैग प्रमाणीकरण:

  • ब्लू फ्लैग प्रमाणीकरण के लिये समुद्र तटों पर कुछ बुनियादी ढाँचे विकसित करने की आवश्यकता होती है जैसे - पोर्टेबल टॉयलेट ब्लॉक (Portable Toilet Blocks), ग्रे वाटर ट्रीटमेंट प्लांट (Grey Water Treatment Plants), सोलर पावर प्लांट (Solar Power Plant), बैठने की सुविधा, सीसीटीवी सर्विलांस (CCTV Surveillance) इत्यादि।
  • हालाँकि भारत के CRZ कानून समुद्र तटों और द्वीपों पर इस तरह के बुनियादी ढाँचे के निर्माण की अनुमति नहीं देता।
  • नया आदेश हाई टाइड लाइन (High Tide Line-HTL) से 10 मीटर की न्यूनतम दूरी पर कुछ निर्माण कार्य की अनुमति देता है।

हाई टाइड लाइन:

हाई टाइड लाइन का अर्थ भूमि पर उस रेखा से होता है जिसमे वसंत ज्वार (Spring Tide) के दौरान सबसे अधिक पानी पहुँचता है।

ब्लू फ्लैग’ समुद्र तट:

  • ‘ब्लू फ्लैग’ समुद्र तट, एक-इको-टूरिज्म मॉडल है जो समुद्र तटों को स्वच्छ रखकर पर्यटकों के स्नान के लिये स्वच्छ पानी, सुरक्षित एवं स्वस्थ वातावरण क्षेत्र तथा सतत् विकास के रूप में चिह्नित करता है।

पारिस्थितकी पर्यटन:

  • इसे फ्राँस में वर्ष 1985 में शुरू किया गया और वर्ष 1987 से यूरोप में लागू किया गया।
  • यूरोप के बाहर इसे वर्ष 2001 में लागू किया गया।
  • ब्लू फ्लैग सर्टिफिकेशन को डेनमार्क स्थित फाउंडेशन फॉर एनवायरनमेंट एजुकेशन द्वारा मान्यता प्राप्त है।
  • जापान और दक्षिण कोरिया, दक्षिण और दक्षिण पूर्वी एशिया के मात्र दो देश हैं जिनके पास ब्लू फ्लैग समुद्र तट हैं।
  • 566 ऐसे समुद्र तटों के साथ स्पेन शीर्ष पर है, ग्रीस और फ्राँस के पास क्रमशः 515 और 395 ब्लू फ्लैग समुद्र तट हैं।

स्रोत : द हिंदू


विविध

Rapid Fire (करेंट अफेयर्स): 16 जनवरी, 2020

खाद्य प्रसंस्करण सम्मेलन

16 जनवरी, 2020 को लद्दाख में खाद्य प्रसंस्‍करण शिखर सम्मेलन का आयोजन किया गया। सम्मेलन का उद्देश्‍य खाद्य प्रसंस्‍करण क्षेत्र के समग्र विकास हेतु भागीदारी को बढ़ाना है। खाद्य प्रसंस्‍करण उद्योग मंत्रालय एवं केंद्रशासित प्रदेश लद्दाख के वाणिज्‍य एवं उद्योग विभाग ने इस एकदिवसीय शिखर सम्मेलन का आयोजन किया है। इसमें लेह और कारगिल के उद्यमी भी भाग ले रहे हैं।

भारत में निवेश करेगी अमेज़न

विश्व की प्रमुख ई-कॉमर्स कंपनी अमेज़न (Amazon) ने भारत के लघु एवं मध्यम उपक्रमों (SMB) को डिजिटल बनाने के लिये एक अरब डॉलर का निवेश करने की घोषणा की है। अमेज़न के CEO जेफ बेज़ोस ने लघु एवं मध्यम उपक्रमों पर आयोजित अमेज़न संभव सम्मेलन को संबोधित करते हुए यह घोषणा की। दो दिवसीय इस सम्मेलन में इस विषय पर चर्चा की जाएगी कि लघु एवं मध्यम उपक्रमों को किस प्रकार प्रौद्योगिकी के प्रति जागरूक किया जा सकता है।

कैप्टन तान्या शेरगिल

72वें भारतीय सेना दिवस के अवसर पर आयोजित परेड में कैप्टन तान्या शेरगिल पुरुष बटालियन का नेतृत्व करने वाली पहली महिला अधिकारी बन गई हैं। मार्च 2017 में ऑफिसर्स ट्रेनिंग अकैडमी (OTA), चेन्नई से कमीशन हुईं कैप्टन तान्या शेरगिल पंजाब की रहने वाली हैं और इलेक्ट्रॉनिक्स एंड कम्युनिकेशन में ग्रैजुएट हैं। कैप्टन तान्या शेरगिल थल सेना के सिग्नल कॉर्प्स में कैप्टन हैं।

रोज़गार संगी (Rojgaar Sangi) एप

छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में आयोजित युवा महोत्सव में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने ‘रोज़गार संगी’ नाम से एक मोबाइल एप लॉन्च किया है। इस एप के माध्यम से प्रदेश के लाखों बेरोज़गार युवाओं को रोज़गार मिल सकेगा। इस एप का निर्माण छत्तीसगढ़ के राज्य कौशल विकास प्राधिकरण द्वारा किया गया है। यह मोबाइल एप रोज़गार प्रदान करने वाली संस्थाओं और कौशल प्रशिक्षित युवाओं के मध्य एक पुल की तरह काम करेगा।


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