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अंतर्राष्ट्रीय संबंध

अगले दशक की अति महत्त्वपूर्ण स्वास्थ्य चुनौतियाँ

  • 16 Jan 2020
  • 5 min read

प्रीलिम्स के लिये:

विश्व स्वास्थ्य संगठन

मेन्स के लिये:

विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा जारी अति महत्त्वपूर्ण वैश्विक स्वास्थ्य चुनौतियों से संबंधित सूची

चर्चा में क्यों?

हाल ही में विश्व स्वास्थ्य संगठन (World Health Organization- WHO) ने आगामी दशक के संदर्भ में 13 अति महत्त्वपूर्ण वैश्विक स्वास्थ्य चुनौतियों से संबंधित एक सूची जारी की है।

मुख्य बिंदु:

  • वर्ष 2030 तक सतत् विकास लक्ष्यों की प्राप्ति के साथ-साथ संयुक्त राष्ट्र ने आगामी दशक को ‘कार्रवाई का दशक’ (Decade of Action) घोषित किया है।
  • WHO ने दशक की 13 वैश्विक स्वास्थ्य चुनौतियों की पहचान की है जो कि लगभग पूरे विश्व में लोगों को समान रूप से प्रभावित करती हैं।

क्या हैं 13 प्राथमिकताएँ?

  • विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा जारी सूची के अनुसार 13 वैश्विक स्वास्थ्य चुनौतियाँ निम्नलिखित है-
    • जलवायु वार्ताओं में स्वास्थ्य को शामिल करना
    • संघर्ष और संकट के समय स्वास्थ्य संबंधी सेवाएँ प्रदान करना
    • स्वास्थ्य देखभाल में समानता लाना
    • औषधियों तक पहुँच बढ़ाना
    • संक्रामक रोगों को रोकना
    • महामारी से बचने के लिये तैयार रहना
    • खतरनाक उत्पादों से व्यक्तियों की रक्षा करना
    • स्वास्थ्य रक्षा के क्षेत्र में निवेश करना
    • किशोरों को सुरक्षित रखना
    • जनता का विश्वास अर्जित करना
    • नई तकनीकों को उपयोग में लाना
    • हमारी रक्षा करने वाली दवाओं को संरिक्षत करना
    • स्वास्थ्य रक्षा के लिये सफाई का ध्यान रखना
  • WHO द्वारा जारी इस सूची का उद्देश्य स्वास्थ्य प्रणालियों और स्वास्थ्य के बुनियादी ढाँचे में अंतराल को कम करने के साथ-साथ सबसे कमज़ोर देशों को सहायता प्रदान करने के लिये उन्हें राष्ट्रीय स्तर पर वित्तपोषित करना है।
  • वर्तमान में स्वास्थ्य क्षेत्र में किया गया निवेश अंततः धन और जीवन दोनों को बचाने में सहायक सिद्ध होगा।
  • इन महत्त्वपूर्ण लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिये सरकारों, समुदायों और अंतर्राष्ट्रीय एजेंसियों को मिलकर काम करना होगा।

जलवायु संकट:

  • जलवायु परिवर्तन की समस्या का संबंध स्वास्थ्य से भी है।
  • वायु प्रदूषण के कारण हर वर्ष अनुमानित 7 मिलियन व्यक्तियों की मृत्यु होती है।
  • जलवायु परिवर्तन मौसमी घटनाओं का कारण बनता है तथा मलेरिया जैसे संक्रामक रोगों के प्रसार को बढ़ावा देता है, जिससे कुपोषण की स्थिति उत्पन्न होती है।

भारत में स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र से जुड़ी प्रमुख चुनौतियाँ:

  • भारत में आर्थिक असमानता के कारण स्वास्थ्य सेवाओं की उपलब्धता में भी काफी विषमता है। निजी अस्पतालों की वजह से संपन्न लोगों को तो गुणवत्ता युक्त स्वास्थ्य सेवाएँ उपलब्ध हो जाती हैं, किंतु गरीब एवं निर्धन लोगों के संबंध में यह स्थिति काफी चिंताजनक बनी हुई है।
  • भारत में अभी भी उच्च शिशु मृत्यु दर एवं प्रसव के दौरान मातृ मृत्यु की उच्च दर बरकरार है।
  • भारत में उच्च रक्तचाप, मधुमेह, मलेरिया, जापानी बुखार एवं डेंगू जैसी कई संक्रमित बीमारियाँ फैल रही हैं।
  • सार्वजनिक स्वास्थ्य सेवाओं के क्षेत्र में व्याप्त भ्रष्टाचार एवं राजनीतिक वर्ग की यह स्वास्थ्य सेवाओं के प्रति यह धारणा कि सामान्यतः मतदाताओं के लिये इसकी कोई प्राथमिकता नहीं है, इस क्षेत्र की सबसे बड़ी चुनौती है।
  • भारत में महिलाएँ एवं बच्चे बड़ी तादाद में कुपोषण के शिकार हैं।

आगे की राह:

वर्तमान समय में भारत को ऐसी स्वास्थ्य संबंधी नीतियों की आवश्यकता है जो मौजूदा समय की चुनौतियों से निपटने में सक्षम हों तथा लगातार परिवर्तित हो रहे परिवेश में उत्पन्न होने वाली संक्रामक बीमारियों से लोगों की रक्षा कर सकें। भारत में स्वास्थ्य के क्षेत्र में काफी प्रगति हुई है, परंतु अभी भी इस क्षेत्र में काफी काम बाकी है। देश में स्वास्थ्य संरचना, उपचार परीक्षण, शोध पर निरंतर कार्य करने की आवश्यकता है ताकि सबका स्वास्थ्य सुरक्षा का सपना साकार हो सके।

स्रोत-

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