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डेली न्यूज़

  • 11 Oct, 2019
  • 39 min read
सामाजिक न्याय

सिलिकोसिस और खनन सुरक्षा

प्रीलिम्स के लिये:

सहरिया जनजाति, सिलिकोसिस रोग,

मुख्य परीक्षा के लिये:

खनन सुरक्षा से जुड़े मुद्दे, सिलिकोसिस रोग, इसकी रोकथाम से संबंधित मुद्दे

चर्चा में क्यों?

मध्य प्रदेश की सहरिया जनजाति नामक के खननकर्त्ताओं ने तपेदिक (Tuberculosis) के बजाय सिलिकोसिस के इलाज के लिये सरकार से अपील की है।

प्रमुख बिंदु

  • हाल ही में राजस्थान में बलुआ पत्थर खनन उद्योगों में संलग्न मज़दूरों में सिलिकोसिस की बढ़ती घटनाओं के कारण वहाँ पर भारी विरोध देखने को मिला था, इसी के फलस्वरूप मध्य प्रदेश में भी इस रोग से संबंधी स्वास्थ्य देखभाल की मांग की जा रही है।
  • इस रोग में कार्य करने के दौरान सिलिका के कण व्यक्ति के शरीर में प्रवेश कर जाते है, इससे उम्र बढ़ने के साथ शरीर की प्रतिरोधक क्षमता कम हो जाती है जिससे यह रोग प्रभावी होने लगता है।

सिलिकोसिस क्या है?

  • सिलिकोसिस फेफड़े की एक बीमारी है जो सिलिका के छोटे-छोटे कणों के साँस के माध्यम से शरीर के भीतर प्रवेश से होती है। ध्यातव्य है कि सिलिका एक धातु है जो रेत, चट्टान और क्वार्टज जैसे खनिज अयस्कों का हिस्सा होती है।
  • स्थायी शारीरिक विकलांगता प्रदान करने की क्षमता के कारण सिलिकोसिस को लाइलाज बीमारी के रूप में देखा जाता है।
  • इससे सिलिका धूल के संपर्क में आने वाले व्यक्ति सबसे अधिक प्रभावित होते हैं, जो प्राय: खनन क्षेत्र, काँच निर्माण, भवन निर्माण उद्योग आदि क्षेत्रों में कार्यरत होते हैं।
  • सिलिकोसिस में साँस लेने में परेशानी होना, खाँसी, बुखार आदि समस्याएँ उत्पन्न हो जाती है।
  • इसके निदान के संदर्भ में सबसे बड़ी चुनौती यह है कि यह पता लगाना कठिन हो जाता है कि रोगी तपेदिक (Tuberculosis) से ग्रसित है या सिलिकोसिस से।

सिलिकोसिस की घटनाओं को कम करने और इनकी रोकथाम के लिये भारत सरकार द्वारा निम्नलिखित कदम उठाए गए हैं:

  • चूँकि भारत में 10 मिलियन से अधिक श्रमिकों के सिलिकोसिस से पीड़ित होने का खतरा है। अत: इसे फैक्ट्री अधिनियम और कर्मचारी मुआवजा अधिनियम के तहत व्यावसायिक रोग की मान्यता दी गई है जो कि नियोक्ता द्वारा पीड़ित व्यक्ति को मुआवजा देने की अनिवार्यता प्रदान करती है।
  • सिलिकोसिस को खान अधिनियम (Mines Act), 1952 और फैक्ट्री अधिनियम, 1948 के तहत अधिसूचित बीमारी के रूप में शामिल किया गया है।
  • इसके अलावा फैक्ट्री अधिनियम, 1948 के तहत हवादार कामकाजी वातावरण, धूल से सुरक्षा, बुनियादी व्यावसायिक स्वास्थ्य देखभाल के प्रावधान को अनिवार्य किया गया है।

सहरिया जनजाति

  • भारत में सहरिया जनजाति मुख्यत: मध्य प्रदेश में पाई जाते हैं। हालाँकि ओडिशा, आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु, राजस्थान और असम के मैदानी क्षेत्रों में भी यह जनजाति पाई जाती हैं।
  • ये मुंडा भाषा बोलते हैं जो ऑस्ट्रो-एशियाई भाषा परिवार से संबंधित है।
  • सहरिया जनजाति को उनके पेशे के आधार पर चार उपजातियों में विभाजित किया गया है:
  1. आरसी- ये बुनकर का काम करते हैं।
  2. मुली- ये लौहकार के रूप में प्रचलित हैं।
  3. किंडल- ये टोकरी निर्माण का काम करते हैं।
  4. कुम्बी- ये कुम्हार के रूप में प्रचलित हैं।
  • परंपरागत रूप से ये रामायण की शबरी से अपनी शुरुआत मानते है।
  • इन्हें भील समुदाय के छोटे भाइयों के रूप में भी जाना जाता है (भील मुख्य रूप से पश्चिम भारत में लोगों का एक जातीय समूह है)।

स्रोत: द हिंदू


अंतर्राष्ट्रीय संबंध

सूचनाओं का स्वचालित विनिमय

प्रीलिम्स के लिये:

स्वचालित विनिमय कार्यक्रम (AEOI), सामान्य रिपोर्टिंग मानक (CRS), आर्थिक सहयोग और विकास संगठन (OECD)

मेन्स के लिये:

काला धन और भारतीय अर्थव्यवस्था, समानांतर अर्थव्यवस्था

चर्चा में क्यों?

हाल ही में स्विट्ज़रलैंड की सरकार ने स्विस बैंकों में भारतीयों के वित्तीय खातों के विवरण की पहली सूची भारत को सौंप दी है।

प्रमुख बिंदु

  • उल्लेखनीय है कि स्विट्ज़रलैंड के संघीय कर प्रशासन (Federal Tax Administration- FTA) ने भारत के साथ ही 75 अन्य देशों को भी ‘सूचनाओं के स्वचालित विनिमय’ (Automatic Exchange of Information- AEOI) कार्यक्रम के वैश्विक मानदंडों के अंतर्गत इन वित्तीय खातों की जानकारी प्रदान की है।
  • भारत और स्विट्जरलैंड ने वर्ष 2016 में बैंक खातों संबंधी सूचना-साझाकरण समझौते पर हस्ताक्षर किये थे, इस समझौते का क्रियान्वयन वर्ष 2018 से होना था।
  • इस कार्यक्रम के तहत उन वित्तीय खातों की जानकारी को साझा किये जाने का प्रावधान है जो वर्ष 2018 में बंद कर दिये गए हैं या अभी भी सक्रिय हैं।
  • सूचनाओं का यह आदान प्रदान आर्थिक सहयोग और विकास संगठन स्वचालित विनिमय पोर्टल की सामान्य रिपोर्टिंग मानक (Common reporting standard- CRS) के तहत किया जा रहा है।
  • इन नियमों से से भारतीयों के उन खातों के प्रकाश में आने की संभावना है जो अब तक स्विस बैंक की गोपनीयता के नियमों से शासित थे.

सूचनाओं का स्वचालित विनिमय

  • सूचनाओं का स्वचालित विनिमय समूह कर चोरी की संभावनाओं को कम करता है . यह खाता धारकों के निवास स्थान में कर अधिकारियों के साथ अनिवासी वित्तीय खाता जानकारी को आदान-प्रदान करता है।
  • आर्थिक सहयोग एवं विकास संगठन (OECD) सूचनाओं के स्वचालित विनिमय’ के क्रियान्वयन की समीक्षा करता है।
  • वर्ष 2013 में गठित इस स्वैच्छिक कार्य समूह के वर्तमान में 82 सदस्य हैं ,इटली इस समूह का अध्यक्ष राष्ट्र है।

सामान्य रिपोर्टिंग मानक

  • OECD परिषद ने ‘सामान्य रिपोर्टिंग मानक’ (CRS) का अनुमोदन 15 जुलाई 2014 को किया था। CRS वित्तीय संस्थानों से खातों से सम्बन्धी जानकारी प्राप्त करने के लिये अपने अधिकार क्षेत्र का प्रयोग करता है और वार्षिक आधार पर अन्य देशों के आधिकारिक निकायों के साथ स्वचालित रूप से उस सूचना का आदान-प्रदान करता है।

आर्थिक सहयोग और विकास संगठन (OECD)

  • आर्थिक सहयोग और विकास संगठन की स्थापना वर्ष 1961 में विश्व व्यापार और वैश्विक आर्थिक उन्नति के लिये की गई थी। वर्तमान में OECD के सदस्य देशों की संख्या 36 है।
  • OECD का मुख्यालय फ्रांस की राजधानी पेरिस में है। इसके महासचिव एंजेल गुरिया हैं।

स्रोत- द इंडियन एक्सप्रेस


भारत-विश्व

सीरिया पर तुर्की का हमला

प्रीलिम्स के लिये:

सीरिया और तुर्की की भौगोलिक अवस्थिति, मैप

मुख्य परीक्षा के लिये:

सीरिया संकट, इसका विश्व शांति पर प्रभाव, भारत का रुख, मध्य एशिया की राजनीतिक स्थिति और इस संदर्भ में विश्व की भूमिका

चर्चा में क्यों?

अमेरिका द्वारा सीरिया से अपनी सेना हटाने के तुरंत बाद ही तुर्की ने सीरिया के कुर्दिश लड़ाकों (पीपुल्स प्रोटेक्शन यूनिट्स) के विरुद्ध सैन्य अभियान ‘ऑपरेशन पीस स्प्रिंग’ (Operation Peace Spring) के तहत सैन्य कार्रवाई शुरू कर दी है।

प्रमुख बिंदु

  • गौरतलब है कि सीरिया के कुर्दिश लड़ाके इस्लामिक स्टेट के खिलाफ युद्ध में अमेरिका के सहयोगी थे।
  • दुनिया भर के देशों ने तुर्की द्वारा की जा रही इस सैन्य कार्रवाई की आलोचना करते हुए कहा कि इससे सीरियाई क्षेत्र में अशांति को बढ़ावा मिलेगा।
  • युद्ध जैसा यह माहौल इस्लामिक स्टेट को पुनर्जीवित करने का एक अवसर पेश कर सकता है तथा मध्य-पूर्व में स्थिति को और खराब कर सकता है।

पृष्ठभूमि

  • वर्ष 2010 में मध्य एशिया में लोकतंत्र समर्थक आंदोलन आरंभ हुआ था इसे अरब स्प्रिंग के नाम से जाना जाता है। इस आंदोलन की शुरुआत ट्यूनीशिया से हुई और धीरे-धीरे यह विभिन्न देशों, जैसे- लीबिया, मिस्र, लेबनान, मोरक्को आदि में फैल गया। इस स्थिति का लाभ उठाकर तुर्की अरब क्षेत्र में अपना प्रभाव बढ़ाना चाहता था, साथ ही तुर्की का विचार इन देशों में मुस्लिम राजनीतिक दलों को स्थापित करना था।
  • ज्ञात हो कि सीरिया के साथ तुर्की सीमा साझा करता है, इसका लाभ उठाकर तुर्की, सीरिया के विद्रोहियों को सीरिया में प्रवेश करने के लिये अपनी ज़मीन उपलब्ध कराता रहा है। सीरिया में धीरे-धीरे इस्लामिक स्टेट (IS) का प्रभाव भी बढ़ता गया एवं उसकी स्थिति जटिल होती गई।
  • सीरिया में कई गुट आपस में संघर्षरत थे, इसमें कुर्दिश लड़ाकों की भी महत्त्वपूर्ण भूमिका थी। विद्रोही असद सरकार को उखाड़ना चाहते थे, कुर्द अपने लिये अलग कुर्दिस्तान हेतु संघर्ष कर रहे थे। किंतु कुर्द जो कि तुर्की, सीरिया तथा इराक में फैले हुए हैं, इन देशों के कुर्द क्षेत्रों को मिलाकर कुर्दिस्तान का निर्माण करना चाहते हैं।
  • कुर्दों के इस विचार का तुर्की प्रबल विरोधी रहा है क्योंकि यह तुर्की की अखंडता के समक्ष संकट उत्पन्न कर सकता है। लेकिन जब कुर्द आतंकवादी संगठन आईएस से युद्ध में उलझ गए तो आईएस को कमज़ोर करने के लिये अमेरिका ने कुर्दों का समर्थन किया, इससे तुर्की के हितों को धक्का लगा। सीरिया में तुर्की को अमेरिका का प्रत्यक्ष समर्थन प्राप्त नहीं हो सका जिसके चलते कुर्दों की स्थिति मज़बूत हुई है।

Syria

तुर्की का पक्ष

  • तुर्की के अनुसार, सीरियाई कुर्द ‘कुर्दिस्तान वर्कर्स पार्टी’ से संबंध रखते हैं, जो तुर्की की संप्रभुता और अखंडता के लिये खतरा है। कुर्दिस्तान वर्कर्स पार्टी तुर्की में कुर्दों का मार्क्सवादी विचारधारा का संगठन है जिसे तुर्की सरकार आतंकवादी संगठन मानती है।
  • तुर्की के अनुसार, इस सैन्य कार्रवाई का उद्देश्य तुर्की की दक्षिणी सीमा पर ‘आतंकी गलियारे’ को खत्म करना था।

भारत का रुख

  • भारत ने तुर्की की उत्तर पूर्व सीरिया में इस एकतरफा सैन्य कार्रवाई की कड़ी निंदा की है। भारत सरकार के अनुसार, तुर्की की यह सैन्य कार्रवाई वैश्विक स्तर पर अस्थिरता और आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई को कमज़ोर कर सकती है।
  • उल्लेखनीय है कि कश्मीर मुद्दे पर तुर्की की प्रतिक्रिया से भारत के साथ संबंधों में भी खटास आई है, तुर्की के राष्ट्रपति रेसेप तैयप एरदोगन ने संयुक्त राष्ट्र महासभा में पाकिस्तान का समर्थन करते हुए इस मुद्दे पर ‘गहरा खेद’ व्यक्त किया था।
  • हाल ही में भारत ने नौसेना हेतु सहायता जहाज़ के निर्माण के लिये तुर्की की रक्षा कंपनी अनादोलू शिपयार्ड के साथ एक परियोजना को रद्द कर दिया और कंपनी को भारतीय रक्षा बाज़ार में प्रतिबंधित भी कर दिया।
  • सीरिया पर तुर्की द्वारा किया गया यह हमला भारत के लिये आर्थिक दृष्टि से भी प्रतिकूल हो सकता है। इससे मध्य-पूर्वी देशों में तेल उत्पादन पर प्रभाव पड़ सकता है।
  • इन प्रतिकूल परिस्थितियों में वैश्विक स्तर पर तेल की कीमतों में उछाल आएगा जिससे भारत में भी तेल की कीमतें बढ़ जाएंगी।

स्रोत: द हिंदू


जैव विविधता और पर्यावरण

वायु प्रदूषण और ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान (GRAP)

प्रीलिम्स के लिये:

ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान, पर्यावरण प्रदूषण नियंत्रण प्राधिकरण, विश्व स्वास्थ्य संगठन।

मेन्स के लिये:

GRAP के तकनीकी पक्ष और इसकी आवश्यकता।

चर्चा में क्यों ?

हाल ही में पर्यावरण प्रदूषण नियंत्रण प्राधिकरण (EPCA) के चेयरमैन ने दिल्ली एनसीआर में 15 अक्तूबर, 2019 से ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान को कुछ नए मानकों के साथ लागू करने की घोषणा की है।

प्रमुख बिंदु:

  • पर्यावरण प्रदूषण नियंत्रण प्राधिकरण (EPCA) के चेयरमैन ने कहा है कि ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान (Graded Response Action Plan-GRAP) के तहत दिल्ली-एनसीआर में 15 अक्तूबर, 2019 से 15 मार्च, 2020 डीज़ल जनरेटर पूरी तरह बंद रहेंगे। इससे किसी को छूट नहीं दी जाएगी।
  • ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान लागू करने की सबसे बड़ी वजह यह है कि सर्दियों में पेट्रोल-डीज़ल से चलने वाले वाहनों से निकलने वाले धुंए के प्रदूषणकारी कण हवा में नीचे बैठ जाते हैं। पानी पर भी इन कणों के जम जाने से एक गैस चैंबर जैसी स्थिति बन जाती है।
  • ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान के अन्य सभी उपाय 2016 में तय और 2017 में लागू हुए थे। परन्तु पर्यावरण प्रदूषण के क्षेत्र में कार्य कर रहे कुछ पर्यावरण विज्ञानियों ने दिल्ली एनसीआर में वायु प्रदूषण की विकरालता देखते हुए नए मानकों को जोड़ने का निर्णय लिया है।

क्या है ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान?

  • ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान को वर्ष 2016 में सुप्रीम कोर्ट ने मंजूरी दी थी तथा यह 2017 में पहली बार लागू हुआ था।
  • यह केवल उस समय आपातकालीन उपाय के रूप में काम करता है जब वायु प्रदूषण की स्थिति गंभीर हो जाती है।
  • इस प्रकार, इस योजना में औद्योगिक, वाहन और दहन उत्सर्जन से निपटने के लिये विभिन्न राज्य सरकारों द्वारा वर्ष भर की जाने वाली कार्रवाई शामिल नहीं है।
वायु प्रदूषण की स्थितियों को देखते हुए इसके कुछ मानक तय किये गये हैं -

गंभीर+ या आपातकाल: (पीएम 2.5 ,300 µg/घन मीटर से अधिक या PM10, 500µg/घन मीटर से अधिक: 48+ घंटे के लिये)

  • दिल्ली में ट्रकों का प्रवेश बंद (आवश्यक वस्तुओं को छोड़कर)।
  • निर्माण कार्य बंद।
  • निजी वाहनों के लिये विषम/सम योजना का प्रारंभ।
  • स्कूलों को बंद करने सहित कोई अतिरिक्त कदम तय करने के लिये टास्क फोर्स का निर्माण

गंभीर: (PM 2.5, 250 µg/घन मीटर से अधिक या PM10, 430µg/घन मीटर से अधिक।)

  • ईंट भट्टों, हॉट मिक्स प्लांट, स्टोन क्रशर को बंद कर दिया जाता है।
  • कोयला से प्रदूषण कम करने के लिये प्राकृतिक गैस से बिजली उत्पादन अधिकतम करने का प्रयास।
  • अलग अलग दरों वाले सार्वजनिक परिवहन को प्रोत्साहित करना।
  • सड़क की लगातार सफाई और पानी का छिड़काव करना।

बहुत खराब: (PM2.5 ,121-250 µg/cubic Meter या PM10, 351-430 µg/घन मीटर)

  • डीज़ल जनरेटर सेट का उपयोग बंद करना।
  • पार्किंग शुल्क 3-4 गुना बढ़ाना।
  • बस और मेट्रो सेवाओं में वृद्धि।
  • अपार्टमेंट के मालिक सर्दियों के दौरान इलेक्ट्रिक हीटर प्रदान करके सर्दियों में जलती हुई आग/अलाव को हतोत्साहित करना।
  • श्वसन और हृदय संबंधी बीमारी वाले लोगों को बाहर न निकलने की सलाह।

औसत से खराब-(PM2.5, 61-120 µg/cubic.Meter या PM10, 101-350µg/घन मीटर)

  • कचरा जलाने पर भारी ज़ुर्माना।
  • ईंट भट्टों और उद्योगों को बंद करना और प्रदूषण नियंत्रण नियमों को लागू करना।
  • भारी यातायात और पानी के छिड़काव के साथ सड़कों पर मशीन द्वारा सफाई।
  • पटाखों पर सख्ती से प्रतिबंध लागू करना।

पर्यावरण प्रदूषण (रोकथाम व नियंत्रण) प्राधिकरण

Environment Pollution (prevention and control) Authority

पर्यावरण प्रदूषण नियंत्रण प्राधिकरण (EPCA) सर्वोच्च न्यायालय के आदेश द्वारा अधिसूचित एक संस्था है जोकि राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में वायु प्रदूषण को कम करने के लिये उपाय सुझाने का कार्य करती है। इसकी अधिसूचना पर्यावरण मंत्रालय द्वारा पर्यावरण संरक्षण अधिनियम, 1986 के तहत 1998 में जारी की गयी थी। यह प्रदूषण के स्तर को देखते हुए राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान लागू करने का कार्य भी करती है।

स्रोत- द इंडियन एक्सप्रेस


जैव विविधता और पर्यावरण

ग्रीन वॉल ऑफ इंडिया

प्रीलिम्स के लिये:

अरावली पर्वत शृंखला, संयुक्‍त राष्‍ट्र मरुस्‍थलीकरण रोकथाम कन्वेंशन (UNCCCD), कांफ्रेंस ऑफ पार्टीज- 14 (COP- 14), अफ्रीका की ग्रेट ग्रीन वॉल परियोजना, अफ्रीका का साहेल क्षेत्र

मेन्स के लिये:

ग्रीन वॉल ऑफ इंडिया से होने वाले पर्यावरणीय लाभ, अरावली पर्वत पर जलवायु परिवर्तन के प्रभावों का विश्लेषण, पर्यावरण संरक्षण की दिशा में भारत सरकार की एक नई पहल

चर्चा में क्यों?

केंद्र सरकार गुजरात से दिल्ली-हरियाणा सीमा तक 1,400 किमी. लंबी और 5 किमी. चौड़ी हरित पट्टी (Green Belt) बनाने की महत्त्वाकांक्षी योजना पर विचार कर रही है।

प्रमुख बिंदु:

  • यह योजना वर्ष 2007 से लागू अफ्रीका की ‘ग्रेट ग्रीन वॉल परियोजना’ (Great Green Wall Project) से प्रेरित है, जिसमें सेनेगल (Senegal) से ज़िबूती (Djibouti) तक एक ‘ग्रीन वॉल’ का निर्माण किया जा रहा है।
  • भारत की ग्रीन वॉल का उद्देश्य बढ़ते भूमि क्षरण और थार रेगिस्तान के पूर्वी विस्तार को रोकना है।
  • यह हरित पट्टी पोरबंदर से पानीपत तक बनाई जाएगी जो अरावली पर्वत में वनीकरण के माध्यम से निम्नीकृत भूमि के पुनर्निर्माण में सहायक होगी।
  • यह पश्चिमी भारत और पाकिस्तान के रेगिस्तान से आने वाली धूल के लिये एक अवरोधक के रूप में भी कार्य करेगी।
  • भारत ने भूमि पुनर्स्थापना के लक्ष्यों को प्राथमिक स्तर पर रखा है जिसके अंतर्गत भारत का प्रयास वर्ष 2030 तक 26 मिलियन हेक्टेयर निम्नीकृत भूमि को पुनर्स्थापित करना है।

अरावली पर्वत श्रृंखला:

  • अरावली क्षेत्र की पहचान उन प्रमुख निम्नीकृत भूमि वाले क्षेत्रों में से की गई है जिन्हें वर्ष 2030 तक पुनर्स्थापित किया जाना है।
  • वर्तमान में भारत के कुल भौगोलिक क्षेत्र (328.7 मिलियन हेक्टेयर) का 29.3% भाग (96.4 मिलियन हेक्टेयर) निम्नीकृत है।
  • भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (Indian Space Research Organisation- ISRO) की 2016 की एक रिपोर्ट (The desertification and land degradation atlas of India) में यह संकेत दिया था कि दिल्ली, गुजरात और राजस्थान में 50% से अधिक भूमि का क्षरण पहले ही हो चुका है।

Green wall

अफ्रीका की ग्रेट ग्रीन वॉल परियोजना

(Great Green Wall of Africa Project):

  • इसका उद्देश्य अफ्रीका की निम्नीकृत भूमि का पुनर्निर्माण करना तथा विश्व के सर्वाधिक गरीब क्षेत्र, साहेल (Sahel) में निवास करने वाले लोगों के जीवनस्तर में सुधार लाना है।
  • योजना के पूर्ण हो जाने पर यह वॉल पृथ्वी पर सबसे बड़ी जीवित संरचना होगी।
  • इस परियोजना को अफ्रीकी संघ द्वारा UNCCD, विश्व बैंक और यूरोपीय आयोग सहित कई भागीदारों के सहयोग से शुरू किया गया था।
  • संयुक्‍त राष्‍ट्र मरुस्‍थलीकरण रोकथाम कन्वेंशन, कांफ्रेंस ऑफ़ पार्टीज़- 14 (UN Convention to Combat Desertification- UNCCCD, COP14) के दौरान अफ्रीकी देशों ने वर्ष 2030 तक महाद्वीप के साहेल क्षेत्र में योजना को लागू करने हेतु वित्त के संदर्भ में वैश्विक समर्थन की मांग की थी।
  • अफ्रीकी देशों के प्रयासों के अतिरिक्त COP14 में शांति वन पहल (Peace Forest Initiative-PFI) की शुरुआत की गई, जिसका उद्देश्य संघर्षग्रस्त सीमावर्ती क्षेत्रों में भूमि क्षरण के मुद्दे को संबोधित करना है। शांति वन पहल पेरू और इक्वाडोर के बीच स्थापित पीस पार्क (Peace Park) पर आधारित है।

साहेल क्षेत्र (Sahel Region):

  • साहेल पश्चिमी और उत्तर-मध्य अफ्रीका का एक अर्ध-शुष्क क्षेत्र (Semiarid Region) है जो पूर्व सेनेगल (Senegal) से सूडान (Sudan) तक फैला हुआ है।
  • यह उत्तर में शुष्क सहाराई रेगिस्तान तथा दक्षिण में आर्द्र सवाना के बीच एक संक्रमणकालीन क्षेत्र का निर्माण करता है।

Great Green Wall

स्रोत: टाइम्स ऑफ इंडिया


जैव विविधता और पर्यावरण

फोटोकैटलिस्ट

प्रीलिम्स के लिये:

पेरोवस्किट और फोटोकैटलिस्ट क्या हैं?

मेन्स के लिये:

जल संसाधन से संबंधित समस्याएँ और पुनर्प्रयोग

चर्चा में क्यों?

भारतीय विज्ञान शिक्षा एवं शोध संस्थान (Indian Institute of Science Education and Research- IISER) पुणे के शोधकर्त्ताओं ने अस्थिर पेरोवस्किट (Perovskite) को स्थिर फोटोकैटलिस्ट (Photocatalyst) में बदलने में सफलता हासिल की है।

Photocatalyst

फोटोकैटलिस्ट (Photocatalyst)

  • फोटोकैटलिस्ट एक ऐसा पदार्थ है जो प्रकाश को अवशोषित करके इसके उच्च ऊर्जा स्तर में वृद्धि करता है तथा रासायनिक प्रतिक्रिया के माध्यम से कुछ प्रतिक्रियाशील पदार्थ उत्सर्जित करता है।

पेरोवस्किट (Perovskite)

  • पेरोवस्किट एक कैल्शियम टाइटेनियम ऑक्साइड खनिज है।
  • ये सिंथेटिक यौगिक होते हैं जिनमें एक ऑर्थोरोम्बिक क्रिस्टल (Orthorhombic Crystal) संरचना होती है।

प्रमुख बिंदु

  • इस फोटोकैटलिस्ट को कार्बनिक-अकार्बनिक पेरोवस्किट के नैनो क्रिस्टलों से संश्लेषित किया गया है।
  • पेरोवस्किट नैनो क्रिस्टलों की हाइड्रोफोबिक प्रकृति का उपयोग करके फोटोकैटलिस्ट को अधिक रासायनिक स्थिरता प्रदान की गई है।
  • इस फोटोकैटलिस्ट के सूर्य के प्रकाश के संपर्क में आने पर इसके नैनो क्रिस्टल पानी में इलेक्ट्रॉनों को निर्मुक्त करते हैं जिससे हाइड्रॉक्सिल रेडिकल्स (Hydroxyl Radicals) उत्पन्न होते हैं, ये रेडिकल्स कार्बनिक प्रदूषकों को विघटित कर देते हैं।
  • मिथाइल ऑरेंज (Methyl Orange), मिथाइल रेड (Methyl Red) और नाइट्रोफ्यूराज़ोन एंटीबायोटिक (Nitrofurazone Antibiotic) जैसे प्रदूषकों पर इस फोटोकैटलिस्ट का परीक्षण किया गया।
  • फोटोकैटलिस्ट का उपयोग ज़हरीले कार्बनिक प्रदूषकों जैसे-एंटीबायोटिक्स और डाई आदि के क्षरण के लिये किया जा सकता है। यह प्रदूषित जल को स्वच्छ जल में बदलने का एक लागत प्रभावी तरीका होगा।

स्रोत: द हिंदू


जैव विविधता और पर्यावरण

गंगा डॉल्फिन

प्रीलिम्स के लिये:

गंगा डॉल्फिन, यह कहाँ पाई जाती है, कितने प्रकार की होती है आदि और वर्ल्ड वाइड फंड फॉर नेचर-इंडिया

मुख्य परीक्षा के लिये:

पर्यावरण संरक्षण, डॉल्फिन के लिये खतरे के कारण, संरक्षण के प्रयास

चर्चा में क्यों?

हाल ही में उत्तर प्रदेश वन विभाग के सहयोग से वर्ल्ड वाइड फंड फॉर नेचर-इंडिया (World Wide Fund for Nature-India) द्वारा गंगा डॉल्फिन की वार्षिक जनगणना शुरू की गई है।

प्रमुख बिंदु

  • इस गणना को ऊपरी गंगा के लगभग 250 किलोमीटर तक के क्षेत्र यानी हस्तिनापुर वन्यजीव अभयारण्य और नारायण रामसर साइट के बीच बिजनौर से शुरू किया गया।
  • डॉल्फिन की गणना के लिये प्रत्येक वर्ष जहाँ प्रत्यक्ष गणना पद्धति (Direct Counting Method) का उपयोग किया जाता था, वहीं इस वर्ष अग्रानुक्रम नाव सर्वेक्षण (Tandem Boat Survey) पद्धति का उपयोग किया जा रहा है।
    • इस पद्धति से लुप्तप्राय प्रजातियों की अधिक सटीक गणना हो सकेगी।

गंगा नदी डॉल्फिन

  • गंगा डॉल्फिन गंगा-ब्रह्मपुत्र-सिंधु-मेघना नदी अपवाह तंत्र जिसमे भारत, नेपाल और बांग्लादेश शामिल हैं में पाई जाती है।
  • भारत में ये असम, उत्तर प्रदेश, बिहार, मध्य प्रदेश, राजस्थान, झारखण्ड और पश्चिम बंगाल राज्यों में पाई जाती है।
  • गंगा, चम्बल, घाघरा, गण्डक, सोन, कोसी, ब्रह्मपुत्र इनकी पसंदीदा अधिवास नदियाँ हैं।
  • अलग-अलग स्थानों पर सामान्यतः इसे गंगा नदी डॉल्फ़िन, ब्लाइंड डॉल्फ़िन, गंगा ससु, हिहु, साइड-स्विमिंग डॉल्फिन, दक्षिण एशियाई नदी डॉल्फिन, आदि नामों से जाना जाता है।
  • इसका वैज्ञानिक नाम प्लैटनिस्टा गैंगेटिका (Platanista gangetica) है।
  • भारत सरकार ने इसे भारत का राष्ट्रीय जलीय जीव घोषित किया है।
  • यह CITES के परिशिष्ट 1 में सूचीबद्ध है तथा IUCN की लुप्तप्राय (Endangered) सूची में शामिल है।

वर्ल्ड वाइल्डलाईफ फंड

  • वर्ल्ड वाइल्डलाईफ फंड फॉर नेचर एक अंतर्राष्ट्रीय गैर सरकारी संगठन है।
  • इसका स्थापना वर्ष 1961 में स्विट्ज़रलैंड में एक धर्मार्थ ट्रस्ट के रूप में हुई थी।
  • यह विश्व का सबसे बड़ा स्वतंत्र संगठन है जो पर्यावरण के संरक्षण शोध एवं पुनर्स्थापना के लिये कार्य करता है।
  • भारत में भी वर्ल्ड वाइल्डलाईफ फंड इंडिया (World WildLife Fund india) कार्यरत है।

डॉल्फिन के लिये खतरे

  • जल प्रदूषण के रूप में एकल उपयोग वाले प्लास्टिक, औद्योगिक प्रदूषण, मछली पकड़ने वाले जाल, नदियों में गाद का जमा होना, तेल प्राप्त करने के लिये इनका शिकार करना, आदि इनकी उपस्थिति को प्रभावित करने वाले कारक है।
  • नदियों पर बने बैराज और बांधों की संख्या में वृद्धि भी इनकी वृद्धि को प्रभावित कर रही है क्योंकि ये संरचनाएँ पानी के प्रवाह को बाधित करती हैं।

सरंक्षण के प्रयास

  • गुवाहाटी शहरी प्रशासन द्वारा इसे शहर पशु घोषित किया गया है।
  • बिहार के भागलपुर ज़िले में स्थित विक्रमशिला गंगेटिक डॉल्फिन अभयारण्य को लुप्तप्राय गंगेटिक डॉल्फ़िन के लिये संरक्षित क्षेत्र के रूप में नामित किया गया था।
  • कई संगठन इन्हें फिर से इनके स्वच्छ आवास क्षेत्र में बसाने के लिये नदियों का विकल्प तैयार कर रहें हैं जिनमे इन्हें प्रतिस्थापित करके इन्हें प्रदूषण से बचाया जा सके।
  • वर्ल्ड वाइल्डलाईफ फंड (World WildLife Fund) द्वारा भारत के उत्तर प्रदेश राज्य में डॉल्फिन संरक्षण एवं उनके आवास में उन्हे फिर से प्रतिस्थापित करने का कार्यक्रम चलाया जा रहा है।

CITES (वन्यजीव और वनस्पति की लुप्तप्राय प्रजातियों के अंतर्राष्ट्रीय व्यापार पर कन्वेंशन)

  • CITES (The Convention of International Trade in Endangered Species of Wild Fauna and Flora) एक अंतर्राष्ट्रीय कन्वेंशन है।
  • इसका उद्देश्य वन्यजीवों और पौधों के प्रतिरूप को किसी भी प्रकार के खतरे से बचाना है तथा इनके अंतर्राष्ट्रीय व्यापार को रोकना है।

स्रोत: द हिंदू


विविध

Rapid Fire करेंट अफेयर्स (11 October)

1. विराट कोहली

विराट कोहली कप्तान के तौर पर 40 अंतर्राष्ट्रीय शतक लगाने वाले पहले भारतीय क्रिकेटर बन गए हैं। विराट कोहली ने दक्षिण अफ्रीका के विरुद्ध दूसरे टेस्ट मैच में 173 गेंदों में अपना शतक पूरा कर यह उपलब्धि प्राप्त की।

  • यह विराट कोहली के टेस्ट करियर का 26वाँ टेस्ट शतक और 69वाँ अंतर्राष्ट्रीय शतक है।
  • इसके साथ ही वह टेस्ट मैच में 26 शतक लगाने वाले विश्व के चौथे सबसे तेज़ बल्लेबाज बन गए हैं। इस उपलब्धि के साथ ही उन्होंने पूर्व भारतीय क्रिकेटर सुनील गावस्कर को भी पीछे छोड़ दिया है।
  • विराट कोहली ने कुल 138 पारियों में 26 शतक लगाए जबकि सुनील गावस्कर ने कुल 144 पारियों में यह उपलब्धि हासिल की थी।

बतौर कप्तान विराट कोहली सबसे अधिक अंतर्राष्ट्रीय शतक लगाने के संदर्भ में ऑस्ट्रेलिया के पूर्व कप्तान रिकी पोंटिंग से मात्र एक शतक पीछे हैं। रिकी पोंटिंग ने बतौर कप्तान अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट में 41 शतक लगाए थे। इस सूची में दक्षिण अफ्रीका के पूर्व कप्तान ग्रेम स्मिथ कुल 33 शतकों के साथ तीसरे स्थान पर हैं।


2.संपत शिवांगी

अमेरिका में भारतीय-अमेरिकी समुदाय के प्रभावशाली नेता संपत शिवांगी (Sampat Shivnagi) को मानसिक स्वास्थ्य से जुड़े महत्त्वपूर्ण संगठन में राष्‍ट्रीय सलाहकार समिति के सदस्‍य के रूप में चुना गया है।

विदित हो कि संपत शिवांगी को भारत-अमेरिका संबंधों में उल्‍लेखनीय योगदान के लिये सम्मानित करते हुए उनके नाम पर मिसिसिपी राज्य में एक सड़क (Lane) का नाम रखा गया है।


3. युद्धाभ्यास ‘हिम विजय’

भारतीय सेना (Indian Army) पहली बार अपनी नई रणनीति को चीन की सीमा पर हिमालय के पहाड़ों में परख रही है। भारतीय सेना के Integrated Battle Groups यानी IBG के पश्चिम बंगाल के पनागढ़ स्थित 17वीं कोर एक युद्धाभ्यास कर रही है।

युद्धाभ्यास ‘हिम विजय

  • भारत-चीन सीमा के निकट अरुणाचल प्रदेश में बड़े स्तर पर हो रहे इस युद्धाभ्यास को 'हिम विजय' (Him Vijay) नाम दिया गया है।
  • 7 अक्तूबर से 25 अक्तूबर, 2019 तक चलने वाले इस बेहद महत्त्वपूर्ण युद्धाभ्यास में तीन IBG (Integrated Battle Groups) यानी लगभग 15000 सैनिक हिस्सा ले रहे हैं।
  • इस अभ्यास में IBG के सीमा तक पहुँचने, मोर्चा लेने और फिर सैनिक अभियान शुरू करने के समय की गणना की जाएगी।
  • इस युद्धाभ्यास में सेना को कम-से-कम समय में मोर्चे पर पहुँचाने के लिये सड़क, रेल और वायुसेवा का इस्तेमाल किया जाएगा।
  • इस युद्धाभ्यास में हिमालय की पहाड़ियों में हाल के वर्षों में तैयार किये गए इन्फ्रास्ट्रक्चर को भी आज़माया जा रहा है।
  • पनागढ़ में देश की पहली माउंटेन स्ट्राइक कोर यानी 17वीं कोर का गठन चीन का सामना करने के लिये कुछ वर्ष पहले किया गया था।

एकीकृत युद्ध समूह

(Integrated Battle Groups)

  • IBGs सेना द्वारा शुरू किये गए समग्र बल में परिवर्तन का हिस्सा हैं।
  • IBG, ब्रिगेड के आकार की एक दक्ष और आत्मनिर्भर युद्ध व्यवस्था है जो युद्ध की स्थिति में शत्रु के विरुद्ध त्वरित आक्रमण करने में सक्षम है।
  • प्रत्येक IBG का गठन संभावित खतरों, भू-भाग और कार्यो (Threat, Terrain and Task-T’s) के निर्धारण के आधार पर किया जाएगा और इन्हीं तीन आधारों पर IBG को संसाधनों का आवंटन भी किया जाएगा।
  • IBG कार्यवाही करने हेतु अपनी अवस्थति के आधार पर 12 से 48 घंटों के भीतर संगठित होने में सक्षम होंगे।

17 माउंटेन स्ट्राइक कॉर्प्स

(17 Mountain Strike Corps)

  • वर्ष 2013 में सुरक्षा पर मंत्रिमंडलीय समिति ने कॉर्प्स के निर्माण को मंज़ूरी दी थी।
  • यह भारतीय सेना का पहला माउंटेन स्ट्राइक कॉर्प्स है जिसे त्वरित प्रतिक्रिया बल के साथ-साथ LAC (Line of Actual Control) के साथ चीन के खिलाफ आक्रामक बल के रूप में तैयार किया गया है।
  • इसका मुख्यालय पूर्वी कमान के अंतर्गत पश्चिम बंगाल के पनागढ़ में स्थित है।
  • इसे ब्रह्मास्त्र वाहिनी के रूप में भी जाना जाता है।

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