इंदौर शाखा: IAS और MPPSC फाउंडेशन बैच-शुरुआत क्रमशः 6 मई और 13 मई   अभी कॉल करें
ध्यान दें:

डेली न्यूज़

  • 07 Aug, 2019
  • 50 min read
शासन व्यवस्था

मोटर वाहन (संशोधन) विधेयक, 2019

चर्चा में क्यों?

हाल ही में राज्यसभा ने मोटर वाहन (संशोधन) विधेयक, 2019 (Motor Vehicles (Amendment) Bill 2019) पारित कर दिया। उल्लेखनीय है कि कुछ दिन पहले ही इस विधेयक को लोकसभा में भी पारित किया जा चुका है।

प्रमुख बिंदु

  • मोटर वाहन अधिनियम, 1988 में संशोधन करके इस विधेयक को पारित किया गया है।
  • केंद्रीय सड़क परिवहन, राजमार्ग और सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम मंत्री द्वारा प्रस्तुत किया गया यह संशोधन विधेयक निम्नलिखित उद्देश्यों को पूरा करेगा:
  • सड़क सुरक्षा में सुधार करना;
    • आम नागरिकों को परिवहन विभाग में कार्य करने हेतु आवश्यक सुविधाएँ प्रदान करना;
    • ग्रामीण परिवहन और सार्वजनिक परिवहन को मज़बूत बनाना;
    • देश के प्रत्येक कोने तक आटोमेशन, कंप्यूटरीकरण और ऑनलाइन सेवाओं द्वारा संपर्क व्यवस्था को स्थापित करना।
    • यह विधेयक किसी भी रूप में राज्य सरकार की शक्तियों एवं प्राधिकरणों में हस्तक्षेप नहीं करता है।
  • इस विधेयक से देश में प्रभावी, सुरक्षित एवं भष्ट्राचार मुक्त परिवहन प्रणाली स्थापित की जा सकेगी।

विधेयक में किये गए महत्त्वपूर्ण संशोधन

इस विधेयक को निम्नलिखित संशोधनों के साथ पारित किया गया है:

  • सड़क सुरक्षा
    • सड़क सुरक्षा के संबंध में नियमों का उल्लंघन करने वाले लोगोंं को दण्डित करने के लिये ज़ुर्माने में बढोत्तरी का प्रस्ताव किया गया है।
    • नाबालिकों के वाहन चलाने, बिना लाइसेंस के, नशे में वाहन चलाने, गति-सीमा से अधिक गति से वाहन चलाने, सीमा से अधिक माल ले जाने के संबंध में कठोर प्रावधान किये गए हैं।
    • इससे साथ ही हेलमेट के प्रयोग के संबंध में जारी किये गए नियमों का उल्लंघन करने वालों के लिये भी कठोर प्रावधान किया गया है।
    • मोटर वाहनोंं से संबंधित दंड शुल्क में प्रतिवर्ष 10 प्रतिशत की वृद्धि की जाएगी।
  • वाहनोंं की फिटनेस
    • विधेयक में वाहनोंं के लिये स्वचालित फिटनेस का प्रावधान किया गया है। इससे परिवहन विभाग में भष्ट्राचार कम करने के साथ-साथ वाहनों की सड़क पर चलने की क्षमता में बढोत्तरी होगी।
    • विधेयक में दोषयुक्त वाहनों को अनिवार्य रूप से वापस मंगाने एवं वाहन कंपनियों की अनियमितता की जाँच करने संबंधी शक्तियों का भी प्रावधान किया गया है।
  • वाहनों को वापस कंपनी द्वारा मंगाना
    • इस विधेयक में वाहनों में किसी कमी के कारण पर्यावरण, चालक या सड़क का इस्तेमाल करने वाले अन्य लोगों को होने वाले नुकसान के चलते केंद्र सरकार द्वारा ऐसे वाहनोंं को कंपनी को वापस भेजने का आदेश देने की अनुमति दी गई है।
  • सड़क सुरक्षा बोर्ड
    • विधेयक में केंद्र सरकार द्वारा एक राष्ट्रीय रोड सुरक्षा बोर्ड के गठन का भी प्रावधान किया गया है।
    • बोर्ड केंद्र एवं राज्य सरकारों को सड़क सुरक्षा के सभी प्रावधानों और मोटर वाहनोंं के मानकों, वाहनों के पंजीकरण एवं लाइसेंस, सड़क सुरक्षा के मानकों तथा नई वाहन प्रौद्योगिकी को प्रोत्साहन देने के सतह-साथ यातायात प्रबंधन संबंधी विषयों पर सुझाव देगा।
    • दुर्घटना में मदद करने वाले लोगों का संरक्षण
    • सड़क दुर्घटना में घायल लोगों की मदद करने के लिये विधेयक में दिशा-निर्देश शामिल किये गए हैं। विधेयक में दुर्घटना के बाद के संवेदनशील समय में नकदी रहित उपचार की योजना का प्रावधान किया गया है।
  • तृतीय पक्षीय बीमा
    • विधेयक में चालक के परिचालन को तृतीय पक्ष बीमा में शामिल किया गया है। बीमा राहत राशि में दस गुना बढोत्तरी कर इसे 50 हज़ार रुपए से बढ़ाकर 5 लाख रुपए किया गया है।
    • दावा प्रकिया को सरल बनाया गया है।
    • यदि पीड़ित का परिवार 5 लाख रुपए की राहत राशि स्वीकार करने को तैयार हो जाता है तो बीमा फर्म को 1 माह के भीतर दावे का भुगतान करना होगा।
  • मोटर वाहन दुर्घटना निधि
    • सभी लोगों के लिये अनिवार्य बीमा कवर सुनिश्चित करने के लिये केंद्र सरकार द्वारा मोटर वाहन दुर्घटना निधि का गठन किया जाना चाहिये।
  • ई-सुशासन द्वारा सेवाओं में सुधार: ई-सुशासन द्वारा सेवाओं में सुधार करना इस विधेयक का प्रमुख उद्देश्य है
    • ऑनलाइन वाहन लाइसेंस का प्रावधान
      • विधेयक में फर्जी वाहन लाइसेंस से बचने के लिये ऑनलाइन लर्नर लाइसेंस केस के साथ आवश्यक ऑनलाइन पहचान चालक परीक्षण का प्रावधान किया गया है।
    • वाहनों के पंजीकरण की प्रकिया
      • नए वाहनों के पंजीकरण में सुधार करने के लिये डीलर द्वारा पंजीकरण को बढ़ावा दिया जाएगा और अस्थायी पंजीकरण पर रोक लगाई जाएगी।

स्रोत: PIB


शासन व्यवस्था

संसद ने उपभोक्‍ता संरक्षण विधेयक को दी मंज़ूरी

चर्चा में क्यों?

उपभोक्‍ता संरक्षण विधेयक, 2019 (Consumer Protection Bill, 2019) राज्यसभा में पारित हो गया। उल्लेखनीय है कि कुछ दिन पहले ही यह विधेयक लोकसभा से भी पारित हुआ था।

प्रमुख बिंदु

  • संसद के दोनों सदनों में पारित ‘उपभोक्‍ता संरक्षण विधेयक, 2019’ राष्ट्रपति के हस्ताक्षर के पश्चात् कानून बन जाएगा।
  • इस विधेयक का उद्देश्‍य उपभोक्‍ता विवादों का निपटारा करने के लिये उपभोक्‍ता प्राधिकरणों की स्‍थापना करना है जिससे उपभोक्‍ता के हितों की रक्षा सुनिश्चित की जा सके।
  • केंद्रीय उपभोक्‍ता मामले तथा खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण मंत्रालय ने इस विधेयक में नियमों को सरलीकृत करने का प्रयास किया है।
  • विधेयक के पारित होने से उपभोक्‍ताओं को त्‍वरित न्‍याय प्राप्त होगा।
  • इस विधेयक के माध्यम से सरकार उपभोक्‍ता शिकायतों से संबंधित पूरी प्रक्रिया को सरल बनाने के पक्ष में है।
  • विधेयक में केंद्र सरकार द्वारा केंद्रीय उपभोक्‍ता संरक्षण प्राधिकरण (Central Consumer Protection Authority- CCPA) के गठन का प्रस्‍ताव है।
    • प्राधिकरण का उद्देश्‍य उपभोक्‍ता के अधिकारों को बढ़ावा देना एवं कार्यान्‍वयन करना है।
    • प्राधिकरण को शिकायत की जाँच करने और आर्थिक दंड लगाने का अधिकार होगा।
    • यह गलत सूचना देने वाले विज्ञापनों, व्‍यापार के गलत तरीकों तथा उपभोक्‍ताओं के अधिकारों के उल्‍लंघन के मामलों का नियमन करेगा।
    • प्राधिकरण को गलतफहमी पैदा करने वाले या झूठे विज्ञापनों के निर्माताओं या उनका समर्थन करने वालों पर 10 लाख रुपए तक का जुर्माना तथा दो वर्ष के कारावास का दंड लगाने का अधिकार होगा।

विधेयक की मुख्य विशेषताएँ

  • केंद्रीय उपभोक्ता संरक्षण प्राधिकरण (CCPA) के अधिकार:
  • सरलीकृत विवाद समाधान प्रक्रिया
  • मध्यस्थता
  • उत्पाद की ज़िम्मेदारी

स्रोत: PIB


विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी

अंतरिक्ष स्थितिपरक जागरूकता नियंत्रण केंद्र

चर्चा में क्यों?

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (Indian Space Research Organization- ISRO) अपनी अंतरिक्ष संपत्तियों को अंतरिक्ष के कचरे (Space Debris) से सुरक्षा प्रदान करने के लिये दूरबीनों और रडार का एक नेटवर्क स्थापित कर रहा है।

प्रमुख बिंदु:

  • यह नेटवर्क अंतरिक्ष स्थिति जागरूकता और प्रबंधन निदेशालय (Directorate of Space Situational Awareness and Management) के तहत स्थापित किया जाएगा।
  • गौरतलब है कि वर्तमान में ISRO के पास अंतरिक्ष में संचार, नेवीगेशन और निगरानी उपग्रहों सहित 50 कार्यात्मक उपग्रह हैं।

अभी तक ISRO को अंतरिक्ष के कचरे से अंतरिक्ष संपत्तियों को सुरक्षा प्रदान करने के लिये आवश्यक डेटा हेतु उत्तरी अमेरिका एयरोस्पेस रक्षा कमान (North America Aerospace Defense Command-NORAD) पर निर्भर रहना पड़ता था। NORAD को अंतरिक्ष मलबे पर नज़र रखने और सक्रिय एवं निष्क्रिय (मृत) उपग्रहों की निगरानी के लिये स्थापित किया गया है, इसरो NORAD के डेटा पर निर्भर रहता है।

  • इसरो ने अंतरिक्ष मलबे के साथ अपने उपग्रहों के टकराव को रोकने और अंतरिक्ष मलबे के संचालन के बारे में सटीक डेटा प्राप्त करने के उद्देश्य से देश के चार कोनों में दूरबीन एवं रडार स्थापित करने का निर्णय लिया है।
  • इसरो द्वारा प्रदत्त जानकारी के अनुसार नेल्लोर (श्रीहरिकोटा से 90 किमी. दूर) में स्थापित अत्याधुनिक मल्टी-ऑब्जेक्ट ट्रैकिंग रडार (Multi-Object Tracking Radar) इस परियोजना का ही हिस्सा होगी। पोंमुडी (तिरुवनंतपुरम) और माउंट आबू (राजस्थान) में भी एक-एक दूरबीन स्थापित की जाएगी, इसके अतिरिक्त तीसरा रडार उत्तर भारत में किया जाएगा।
  • इस नेटवर्क के कार्यान्वित होने के पश्चात् ISRO अंतरिक्ष मलबे पर सटीक डेटा प्राप्त करने में सक्षम होगा और उस वैश्विक नेटवर्क का हिस्सा भी बन जाएगा, जहाँ से उसे इस संदर्भ में सटीक जानकारी प्राप्त होगी।

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन

(Indian Space Research Organization-ISRO)

  • वर्ष 1969 में भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संस्थान (ISRO) की स्थापना हुई। यह भारत सरकार की अंतरिक्ष एजेंसी है।
  • इसे भारत सरकार के ‘स्पेस डिपार्टमेंट’ द्वारा प्रबंधित किया जाता है, जो सीधे भारत के प्रधानमंत्री को रिपोर्ट करता है।
  • वर्तमान में डॉ. के. सिवान ISRO के चेयरमैन हैं।
  • ISRO का उद्देश्य अंतरिक्ष विज्ञान अनुसंधान और ग्रहों की खोज को आगे बढ़ाते हुए राष्ट्रीय विकास के लिये अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी का उपयोग करना है।

उत्तरी अमेरिका एयरोस्पेस रक्षा कमान

(North America Aerospace Defense Command-NORAD)

  • NORAD ​​संयुक्त राज्य अमेरिका और कनाडा का एक संयुक्त संगठन है जो उत्तरी अमेरिका के लिये एयरोस्पेस चेतावनी, वायु संप्रभुता और सुरक्षा प्रदान करता है।
  • NORAD की स्थापना 12 मई, 1958 को की गई थी।
  • इसका मुख्यालय कोलोराडो (एक अमेरिकी राज्य) के निकट स्थित है।

स्रोत: टाइम्स ऑफ इंडिया


विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी

बायोमेट्रिक टोकन सिस्टम

चर्चा में क्यों?

हाल ही में पश्चिमी और मध्य रेलवे ने बायोमेट्रिक टोकन सिस्टम (Biometric Token System-BTS) शुरू किया है जो ट्रेन के अनारक्षित कोच में बोर्डिंग की प्रक्रिया को सरल बनाता है।

बायोमेट्रिक टोकन सिस्टम क्या है?

  • बायोमेट्रिक टोकन सिस्टम (BTS) एक ऐसी प्रणाली है जिसमें सामान्य कोच (अनारक्षित कोच) में यात्रा करने वाले यात्रियों को ट्रेन के प्रस्थान से तीन घंटे पूर्व एक टोकन दिया जाता है।

इसका आवंटन कैसे होता है?

  • यह टोकन पहले आओ, पहले पाओ (First-Come, First-Served Basis) के आधार पर दिया जाता है और इन पर एक सीरियल नंबर अर्थात् क्रम संख्या अंकित होती है। इस सीरियल नंबर के क्रमानुसार ही यात्री ट्रेन में सवार होते हैं।
  • प्रत्येक यात्री बायोमेट्रिक जानकारी प्राप्त करने के बाद ही उसे टोकन जारी किया जाता है।

इसका इस्तेमाल कैसे होता है?

  • इस प्रणाली में वैध टिकट वाला यात्री अपनी उॅगलियों को स्कैनर पर रखता है और उसके बायोमेट्रिक डेटा के अनुसार सीरियल नंबर के साथ एक टोकन जारी हो जाता है।

बायोमेट्रिक डेटा (Biometric Data)

  • बायोमेट्रिक जीवित प्राणियों के जैविक, शारीरिक व व्यावहारिक विशिष्टताओं की माप व विश्लेषण है। इन विशिष्टताओं में DNA, रक्त, फिंगरप्रिंट, चेहरा, आँख की पुतली, आवाज़, हैंडराइटिंग व हस्ताक्षर आदि शामिल हैं।
  • बॉयोमेट्रिक का प्रयोग व्यक्तियों की पहचान और उस पहचान को प्रमाणित करने के लिये किया जाता है।
  • बायोमेट्रिक डेटा को स्थानीय प्राधिकरणों के साथ साझा करते हुये एक वर्ष के लिये सुरक्षित रखा जाता है।
  • इस संकलित डेटा का उपयोग भीड़ के पैटर्न और ट्रेन का उपयोग करने वाले लोगोंं की संख्या का विश्लेषण करने के लिये किया जाएगा। इसके साथ ही हादसे की स्थिति में रेलवे अधिकारियों के पास यात्रियों का ब्योरा भी उपलब्ध होगा।
  • बायोमेट्रिक के उपयोग से अनारक्षित टिकटों की कालाबाज़ारी पर रोक लगाई जा सकेगी। साथ ही टोकन प्रणाली भीड़ को प्रबंधित करने में भी सहायक होगी।

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस


भारतीय राजनीति

J&K और पंद्रहवाँ वित्त आयोग

चर्चा में क्यों?

जम्मू और कश्मीर राज्य के दर्जे में बदलाव के बाद, केंद्र और राज्य के बीच संसाधनों के वितरण हेतु 15वें वित्त आयोग को दोबारा आकलन करना होगा।

प्रमुख बिंदु

  • जम्मू-कश्मीर राज्य को दो केंद्रशासित प्रदेशों- जम्मू और कश्मीर (विधानसभा के साथ) तथा लद्दाख (विधानसभा रहित) बनाने का प्रस्ताव लाया गया है।
  • जम्मू और कश्मीर, राज्य से केंद्रशासित प्रदेश बनने के पश्चात् वित्त आयोग द्वारा अनुशंसित किसी भी कर विभाज्यता के योग्य नही रहेगा ।
  • केंद्रशासित प्रदेश बनने के बाद इसे केवल केंद्र सरकार द्वारा आवंटित धन ही प्राप्त होगा क्योंकि केंद्रशासित प्रदेशों (दिल्ली एवं पुददुचेरी आदि) को केंद्र सरकार द्वारा बज़ट आवंटित किया जाता है जिसके लिये संसद में मतदान होता है।
  • जम्मू और कश्मीर अपनी वित्तीय स्वायत्तता खो देगा जिससे राजकोषीय संघवाद की अवधारणा को क्षति पहुँचेगी।
  • जम्मू-कश्मीर राज्य को केंद्र सरकार द्वारा विशेष राज्य का दर्ज़ा दिया गया था। कुल केंद्रीय सहायता का लगभग 30% भाग विशेष राज्यों को आवंटित किया जाता है। इसके अतिरिक्त इन राज्यों को अन्य राज्यों की तुलना में अनुदान एवं ऋण प्रदान करने के संदर्भ में विशेष सहायता प्रदान की जाती है।
  • नीति आयोग के निर्माण के बाद और 14वें वित्त आयोग की सिफारिशों के पश्चात् सभी राज्यों के संग्रहीत कर में पहले के 32% हिस्से को बढ़ाकर 42% कर दिया गया था।
  • 14वें वित्त आयोग ने विशेष श्रेणी के राज्यों के लिये विशिष्ट सिफारिशें नहीं की थीं, लेकिन वन क्षेत्र और अंतर्राष्ट्रीय सीमा की लंबाई जैसी स्थितियों को बजट आवंटन के समय महत्त्व देने की बात की थी।

वित्त आयोग

  • वित्त आयोग एक संवैधानिक संस्था है, जो राज्य सरकारों एवं केंद्र सरकार के मध्य करों को वर्तमान आवश्यकताओं के अनुसार तय कर आय को वितरित करने हेतु विधि और सूत्र का निर्धारण करता है।
  • भारतीय संविधान के अनुच्छेद 280 के अंतर्गत भारत का राष्ट्रपति पाँच वर्षों के लिये वित्त आयोग का गठन करता है
  • भारत के राष्ट्रपति द्वारा 15 वें वित्त आयोग का गठन नवंबर 2017 में एनके सिंह की अध्यक्षता में किया गया था।
  • इस आयोग से अपेक्षा है कि वह नवंबर 2019 तक अपनी रिपोर्ट सौंप देगा। इसकी सिफारिशें अप्रैल 2020 से मार्च 2025 तक की अवधि को कवर करेंगी।

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस


भारतीय विरासत और संस्कृति

पट्टामादई रेशमी चटाई

चर्चा में क्यों?

इलेक्ट्रॉनिक पावरलूम के उपयोग के माध्यम से पारंपरिक पट्टामादई रेशमी चटाई (Pathamadai silk mat) के निर्माण में प्रौद्योगिकी का समावेश बुनकर समुदाय के लिये उच्च उत्पादन और आय सुनिश्चित कर रहा है।

प्रमुख बिंदु:

  • हस्तनिर्मित पट्टामादई रेशमी चटाई को पट्टू पई (Pattu paai) भी कहा जाता है।
  • पट्टामादई रेशमी चटाई बुनाई की पारंपरिक कला तमिलनाडु के तिरुनेलवेली ज़िले से संबंधित है।
  • पट्टामादई चटाई कोराई घास ( Korai Grass) से बनाई जाती है।
  • पट्टामादई चटाई को भौगोलिक संकेत (Geographical indication- GI) का दर्जा प्राप्त है।
  • ये चटाईयाँ विशेष रूप से शादी समारोहों के लिये बनाई जाती हैं और इसमें दुल्हन एवं दूल्हे के नाम के साथ-साथ शादी की तारीख भी होती है।

Pathamadai silk mat

चिंताएँ:

  • पट्टामादई चटाई के निर्माण के अप्रचलित तरीकों को घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय मांग तथा आपूर्ति के असंतुलन के चलते कड़ी प्रतिस्पर्ध्दा का सामना करना पड़ रहा है। इस असंतुलन के कारण सिंथेटिक रंजक का अधिक प्रयोग हो रहा है जिससे बुनकरों का लाभ कम हो गया है।
  • प्लास्टिक चटाई की कम लागत और मशीनीकरण के परिणामस्वरूप रेशमी चटाई उद्योग में गिरावट आई है।

वस्त्र उत्पादन में प्रौद्योगिकी को बढ़ावा देने के लिये पहल / योजनाएँ:

  • ‘साथी’ पहल (Sustainable and Accelerated Adoption of efficient Textile technologies to Help Small Industries Initiative-SAATHI): इस पहल के तहत ऊर्जा दक्षता सेवा लिमिटेड ( Energy Efficiency Services Limited- EESL) थोक में ऊर्जा कुशल पावरलूम, मोटर्स और रैपियर किट ( Rapier Kits) का अधिग्रहण करेगी तथा उन्हें छोटे और मध्यम पावरलूम इकाइयों को प्रदान करेगी।
  • पॉवर टेक्स इंडिया (Power Tex India): यह पावरलूम क्षेत्र के विकास के लिये एक व्यापक योजना है।
  • मर्चेंडाइज़ एक्सपोर्ट्स फ्रॉम इंडिया स्कीम (Merchandise Exports from India Scheme- MEIS): इसका उद्देश्य विभिन्न पारंपरिक और उभरते बाज़ारों में भारत से कपड़ा निर्यात की वृद्धि को प्रोत्साहित करना है। वस्त्रोद्योग क्षेत्रक MEIS के सबसे बड़े लाभार्थियों में से एक है।
  • वस्त्रोद्योग के लिये संशोधित प्रौद्योगिकी उन्नयन कोष योजना (Amended Technology Upgradation Fund Scheme for textiles industry- ATUFS): यह उद्यमियों और व्यवसाय के मालिकों को प्रौद्योगिकियों के उन्नयन हेतु प्रोत्साहन प्रदान करती है।
  • एकीकृत कौशल विकास योजना (Integrated Skill Development Scheme- ISDS) : वर्तमान में कपड़ा बुनकरों और श्रमिकों को नवीनतम तकनीक के उपयोग जानकारी कम होने का कारण उनको औपचारिक प्रशिक्षण न मिल पाना है जिससे बेहतर नौकरी और उच्च मज़दूरी प्राप्त करने के अवसर कम हो जाते हैं। इस योजना के माध्यम से 1.5 मिलियन लोगोंं को प्रशिक्षण प्रदान किया गया है।
  • स्कीम फॉर इंटीग्रेटेड टेक्सटाइल पार्क ( Scheme for Integrated Textile Park-SITP): इस योजना के तहत सरकार बुनियादी सुविधाओं और इमारतों ( डिज़ाइन और प्रशिक्षण केंद्र, गोदाम, कारखानों और संयंत्र) के लिये वित्तीय सहायता प्रदान करेगी।

स्रोत: द हिंदू बिजनेस लाइन


भारतीय अर्थव्यवस्था

बीमा मार्केटिंग के लिये नए मानदंड

चर्चा में क्यों?

हाल ही में भारतीय बीमा विनियामक और विकास प्राधिकरण (Insurance Regulatory and Development Authourity Of India-IRDAI) ने बीमा मार्केटिंग फर्मों (Insurance Marketing Firms-IMF) को संचालित करने वाले नियमों में बदलावों को अधिसूचित किया है।

प्रमुख बिंदु

  • वर्ष 2015 में अधिसूचित विनियमों में संशोधन का उद्देश्य बढ़ती बीमा पैठ (Insurance Penetration) को एक सक्षम वातावरण प्रदान करना है।
  • नए नियमों के अनुसार नीति आयोग द्वारा परिभाषित आकांक्षी ज़िला या आर्थिक रूप से पिछड़े ज़िलों में संचालन के लिये आवेदन करने वाली बीमा मार्केटिंग फर्मों के लिये निवल मूल्य (Net Worth) 5 लाख रुपए होगा। जबकि अन्य मामलों में यह निवल मूल्य (Net Worth) न्यूनतम 10 लाख रुपए होगा।
  • IMF को एक राज्य में तीन ज़िलों के लिये पंजीकरण करने की अनुमति होगी तथा इन तीन ज़िलों में से कम-से-कम एक आकांक्षी ज़िला होना आवश्यक है।
  • नए नियम IMF को एग्रीकल्चर इंश्योरंस कंपनी ऑफ इंडिया (Agriculture Insurance Company of India) और निर्यात ऋण गारंटी निगम (Export Credit Guarantee Corporation) के साथ जुड़ने की अनुमति देते हैं।
  • ये नियम मौजूदा मानदंडों के अतिरिक्त उन्हें दो जीवन बीमा, दो सामान्य बीमा और दो स्वास्थ्य बीमाकर्त्ताओं के साथ व्यापार करने की अनुमति देते हैं।
  • IMF के उत्पादों में गैर-ऋणी किसानों के लिये फसल बीमा और संयुक्त उत्पादों के साथ सभी प्रकार के व्यक्तिगत अथवा रिटेल उत्पाद शामिल होंगे।
  • संपत्ति, समूह व्यक्तिगत दुर्घटना, समूह स्वास्थ्य, GSLI (Group Savings-Linked Insurance Scheme) और सूक्ष्म, लघु और मध्यम के लिये बीमा पॉलिसी इस सूची का हिस्सा हैं।
  • IMF के उपयोग के लिये बीमाकर्त्ताओं को IRDAI के साथ अपनी नीतियों को दर्ज करने के लिये एक नया उपबंध भी शामिल किया गया है।

बीमा मार्केटिंग फर्म (Insurance Marketing Firms-IMF)

  • IRDAI द्वारा वर्ष 2015 में बीमा मार्केटिंग फर्मों का नया वितरण चैनल शुरू किया गया।
  • IMF का उद्देश्य क्षेत्र-वार पंजीकरण के माध्यम से देश में बीमा की पैठ (Insurance Penetration) को बढ़ाना है।
  • वर्ष 2007 में गठित एन.एम. गोवर्धन समिति ने बीमा मार्केटिंग फर्मों को शुरू करने की अनुशंसा की थी।
  • हाल के सुधार
  • वर्तमान सुधार वर्ष 2018 में सुरेश माथुर की अध्यक्षता में गठित 9 सदस्यीय समिति की अनुशंसाओं के आधार पर किये गए हैं।
  • इस समिति ने निवल मूल्य में कमी, IMF संचालन क्षेत्र के विस्तार और उत्पाद बास्केट (Basket Of Products) आदि के आधार पर सिफारिशें की हैं।

स्रोत : द हिंदू


भूगोल

कोसी-मेची लिंकिंग परियोजना

चर्चा में क्यों?

हाल ही में कोसी- मेची लिंकिंग परियोजना को केंद्र सरकार ने मंज़ूरी प्रदान कर दी है।

प्रमुख बिंदु:

  • मध्य प्रदेश की केन-बेतवा रिवर लिंकेज परियोजना के बाद कोसी-मेची लिंकिंग परियोजना (Kosi-Mechi linking project- KMLP) देश की दूसरी रिवर लिंकेज परियोजना है।
  • यह परियोजना 4,900 करोड़ रुपए की लागत के साथ लगभग पाँच वर्षों में पूरी होने की संभावना है।
  • इस परियोजना के माध्यम से सीमांचल क्षेत्र के अररिया, पूर्णिया, किशनगंज और कटिहार ज़िलों में सिंचाई की भी व्यवस्था की जाएगी।
  • 72 किमी. नहर के माध्यम से पश्चिम में कोसी को पश्चिम में किशनगंज में मेची बेसिन के साथ जोड़ा जाएगा, साथ ही इस नहर को पूर्व में महानंदा बेसिन के साथ भी जोड़ा जाएगा।
  • इस परियोजना को केंद्रीय जल आयोग और राष्ट्रीय जल विकास एजेंसी जैसे वैधानिक निकायों से मंज़ूरी मिल गई है।
  • अगर यह राष्ट्रीय परियोजना घोषित होती है तो लागत का 90% भाग केंद्र और 10% भाग राज्य वहन करेंगे।
  • राज्य सरकार स्वयं के संसाधनों के साथ वैकल्पिक रूप से एशियाई विकास बैंक से उधार के माध्यम से भी लागत की व्यवस्था करेगी।
  • वर्तमान में बिहार की कोसी बेसिन विकास परियोजना को विश्व बैंक की सहायता से कार्यान्वित किया जा रहा है।
  • इस परियोजना के क्रियान्वयन के बाद बिहार में आने वाली बाढ़ को काफी हद तक नियंत्रित किया जा सकेगा।

स्रोत: टाइम्स ऑफ़ इंडिया


शासन व्यवस्था

12 मिलियन परिवारों के गरीबी उन्मूलन का प्रयास

चर्चा में क्यों?

केंद्र सरकार केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्रालय के तहत संचालित कौशल आधारित मनरेगा (Mahatma Gandhi National Employment Guarantee Act-MGNREGA) योजना के माध्यम से लगभग 12 मिलियन परिवारों के गरीबी उन्मूलन का प्रयास कर रही है।

प्रमुख बिंदु

  • सरकार मनरेगा के तहत कार्य करने वाले 10 से 12 मिलियन परिवारों को कौशल प्रशिक्षण प्रदान करने के साथ ही टिकाऊ संपति (Durable Assets) के सृजन को बढ़ावा देने पर विचार कर रही है।

उप-कुशल श्रमिक (semi-skilled)

  • उप-कुशल श्रमिक वह श्रमिक होता है जो नियमित प्रकृति (Routine Nature) वाले कार्य करता है परंतु जिसमें वह स्वंय निर्णय लेने के स्थान पर किसी अन्य द्वारा लिये गए निर्णय को लागू करता है।
  • जबकि एक कुशल श्रमिक वह होता है जो स्वतंत्र निर्णय लेने और ज़िम्मेदारी के साथ अपने कर्तव्यों का निर्वहन करने के साथ ही कुशलता से काम करने में सक्षम होता है।
  • नियमित प्रकृति (Routine Nature) के कार्यों के अंतर्गत सिक्यूरिटी गार्ड, ड्राईवर, फुटकर विक्रेता आदि कार्य आते है।
  • इस पहल के अंतर्गत प्रतिवर्ष मनरेगा के तहत काम करने वाले 50 मिलियन परिवारों में से .4 से .5 मिलियन परिवारों के एक सदस्य को 35-40 दिन का कौशल प्रशिक्षण देकर उन्हें उप -कुशल श्रमिक बनाया जाएगा जिससे वे भविष्य में अकुशल श्रमिक न बने रहें।
  • यह प्रशिक्षण मनरेगा के 100 कार्य दिवसों के अधीन ही दिया जाएगा, साथ ही मज़दूरी के नुकसान की भरपाई के लिये वज़ीफा (stipend) भी दिया जाएगा।
  • यह प्रशिक्षण दीनदयाल उपाध्याय ग्रामीण कौशल योजना (DDU-GKY), राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (NLRM), बैंकों द्वारा चलाए जाने वाले स्वरोज़गार कार्यक्रमों, आदि के माध्यम से प्रदान किया जाएगा।
  • कामगारों को कृषि विज्ञान केंद्रों (KVK) से सलंग्न कर फल वाली फसलों को उगाने, कलम बाँधने (Grafting) और बागवानी करने का प्रशिक्षण दिया जाएगा जिससे वे मनरेगा के अतिरिक्त भी जीविकोपार्जन कर सकें।
  • इस पहल का उद्देश्य अगले 5 से 6 वर्ष में मनरेगा के तहत रोज़गार प्राप्त करने वाले 2 मिलियन परिवारों के कम-से-कम 1 सदस्य को उप-कुशल श्रमिक (semi skilled) बनाना और साथ ही टिकाऊ संपति के सृजन द्वारा 25 लाख परिवारों की आजीविका में सुधार कर गरीबी उन्मूलन करना है।
  • यह पहल मनरेगा पर पड़ने वाले कार्य बोझ को कम करने में सहायक साबित होगी।
  • अभी तक कौशल विकास के लिये मनरेगा के तहत संचालित प्रोजेक्ट लाइफ (LIFE) द्वारा 1.5 से 1.6 मिलियन परिवार लाभान्वित हो चुके है।
  • इस पहल के लिये सरकार प्रतिवर्ष 500-1000 करोड़ रुपए कौशल विकास पर खर्च करने की योजना बना रही है। यह केवल उन कामगारों तक सीमित नहीं है जो मनरेगा के तहत 100 दिवस का कार्य पूरा कर चुके हैं।

प्रोजेक्ट लाइफ-मनरेगा

Project-Livelihoods In Full Employment (LIFE)-MGNREGA

  • ग्रामीण विकास मंत्रालय द्वारा इस प्रोजेक्ट को वर्ष 2015-16 में मनरेगा के तहत शुरू किया गया।
  • इसके तहत 15 से 35 आयु वर्ग के मज़दूरों को कौशल प्रशिक्षण प्रदान किया जाता है।
  • यह उन मनरेगा मज़दूरों तक ही सीमित है जो 100 दिवस का काम पूरा कर चुके है।
  • इस प्रोजेक्ट का उद्देश्य आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देना और मनरेगा श्रमिकों के कौशल में सुधार करते हुए आजीविका में सुधार करना है जिससे वे आंशिक रोज़गार के स्थान पर पूर्ण रोज़गार प्राप्त कर सकें।

स्रोत: बिज़नेस स्टैण्डर्ड


अंतर्राष्ट्रीय संबंध

चीन और अमेरिका के मध्य करेंसी युद्ध

चर्चा में क्यों?

हाल ही में अमेरिकी कोष विभाग (US Treasury Department) ने चीन को मुद्रा के साथ छेड़छाड़ करने वाला देश या फिर ‘करेंसी मैनीपुलेटर’ (Currency Manipulator) घोषित कर दिया है।

प्रमुख बिंदु:

  • अमेरिकी कोष विभाग द्वारा यह निर्णय तब लिया गया जब चीन के केंद्रीय बैंक, पीपुल्स बैंक ऑफ चाइना (People’s Bank of China) ने चीन की मुद्रा युआन का अमेरिकी डॉलर की अपेक्षा 1.9 प्रतिशत मूल्यह्रास करने की घोषणा की।
  • यह पहला मौका था जब इस निर्णय के परिणामस्वरूप चीन की मुद्रा 7 युआन प्रति डॉलर से भी नीचे आ गई थी।
  • चीन के इस निर्णय के बाद अमेरिका ने घोषणा की थी कि वह चीन की इस नई कार्यवाही द्वारा प्राप्त अनुचित प्रतिस्पर्द्धात्मक लाभ को समाप्त करने के लिये ‘अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष’ (IMF) से संपर्क करेगा।
  • यह इस बात का संकेत है कि विश्व की दो बड़ी अर्थव्यवस्थाओं के मध्य चल रहा व्यापार युद्ध अब मुद्रा युद्ध में भी बदल सकता है।

क्या होती है मुद्रा की विनिमय दर?

  • आमतौर पर अर्थव्यवस्था में मुद्रा की विनिमय दर का आशय अर्थव्यवस्था के मौलिक मूल्य से होता है।
  • यह कहा जा सकता है कि विदेशी मुद्रा की प्रति इकाई की घरेलू मुद्रा में कीमत, मुद्रा की विनिमय दर कहलाती है। कुछ अर्थशास्त्री इसे घरेलू करेंसी का बाहरी मूल्य भी कहते हैं।
  • उदाहरण के लिये आप अमेरिका में बेची जा रही किसी वस्तु का भारत में आयात करना चाहते हैं और उस वस्तु का अमेरिकी मूल्य 500 डॉलर है तो इस हिसाब से आपको कुल 35,000 रुपए (यदि एक डॉलर 70 रुपए का है) चुकाने होंगे।
  • इस आधार पर हम कह सकते हैं कि यदि 1 डॉलर का मूल्य भारतीय रुपए में कम है (यानी एक डॉलर 70 रुपए का है) तो हम किसी विदेशी वस्तु को आसानी से खरीदने की स्थिति में होंगे और यदि 1 डॉलर का मूल्य भारतीय रुपए में अधिक (यानी एक डॉलर 100 रुपए का है) है तो वही वस्तु हमारे लिये काफी महंगी हो जाएगी।
  • परंतु यदि आप एक उत्पादक हैं और वैश्विक स्तर पर निर्यात करते हैं तो डॉलर के मजबूत होने से आपको काफी लाभ होगा, यह उपरोक्त सिद्धांत का एक अन्य पहलू है।
  • वैश्वीकरण के युग में मुद्रा की विनिमय दर वैश्विक व्यापार को सुगम बनाने के लिये काफी महत्त्वपूर्ण होती है।

कैसे निर्धारित होती है किसी देश की मुद्रा विनिमय दर?

  • सैद्धांतिक आधार पर किसी मुद्रा की विनिमय दर उस मुद्रा की मांग और पूर्ति की अंतर-क्रिया पर निर्भर करती है।
  • यदि भारतीय अधिक मात्रा में अमेरिकी सामान खरीदेंगे तो रुपए के सापेक्ष डॉलर की मांग बढ़ जाएगी जिसके प्रभावस्वरूप रुपए की अपेक्षा डॉलर मज़बूत हो जाएगा।
  • यदि इसके विपरीत भारतीय रुपए की मांग में वृद्धि होती है तो रुपए की अपेक्षा डॉलर कमज़ोर हो जाएगा

मुद्रा के साथ छेड़छाड़ या मैनीपुलेशन का क्या मतलब है?

  • इस सत्य से इनकार नहीं किया जा सकता है कि व्यावहारिक दुनिया सैद्धांतिक दुनिया से काफी अलग होती है।
  • कई बार देश की सरकारें और केंद्रीय बैंक देश की विकास दर को बढ़ाने के उद्देश्य से मुद्रा विनिमय दर की निर्धारण प्रक्रिया को प्रभावित करने का प्रयास करते हैं।
  • मुद्रा के साथ छेड़छाड़ वह स्थिति होती है जब सरकारें व्यापार में "अनुचित" लाभ हासिल करने के लिये विनिमय दर को कृत्रिम रूप से मोड़ने की कोशिश करती हैं।
  • उदाहरणतः यदि चीन का केंद्रीय बैंक विदेशी मुद्रा बाज़ार से अधिक मात्रा में डॉलर खरीदता है तो उसकी मुद्रा कृत्रिम रूप से कमज़ोर हो जाएगी और चीनी वस्तुएँ अंतर्राष्ट्रीय बाज़ार में काफी सस्ती हो जाएंगी जिसके कारण चीन को "अनुचित" लाभ प्राप्त होगा।
  • अब एक अमेरिकी फ़ोन का उदाहरण लेते हैं जिसकी मांग भारत में काफी ज़्यादा है, क्योंकि उसकी गुणवत्ता काफी अच्छी है, परंतु यदि कोई चीनी कंपनी भारत में वैसा ही फ़ोन निर्यात करती है तो चीनी मुद्रा की कीमत कम होने के कारण वह फ़ोन भारत में काफी सस्ता होगा और विवेकशील भारतीय उपभोक्ता चीनी मोबाइल फ़ोन को ही वरीयता देगा।

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस


अंतर्राष्ट्रीय संबंध

विश्व भर में हो रही है पर्यावरणविदों की हत्या

चर्चा में क्यों?

ऑस्ट्रेलिया के एक विश्वविद्यालय के अध्ययनकर्त्ताओं द्वारा किये गए एक हालिया अध्ययन में यह बात सामने आई है कि बीते 15 वर्षों के अंतर्गत भारत सहित विश्व के 50 देशों में प्राकृतिक संसाधनों जैसे- भूमि, जंगल, पानी आदि की रक्षा करते हुए लगभग 1,558 लोगों की हत्या कर दी गई।

प्रमुख बिंदु :

  • यह अध्ययन ‘नेचर सस्टेनेबिलिटी’ (Nature Sustainability) नामक पत्रिका में प्रकाशित किया गया था।
  • अध्ययन के अनुसार, उपरोक्त सभी मामलों में से मात्र 10 प्रतिशत मामलों में ही अब तक सज़ा सुनाई गई है।
  • प्राकृतिक संसाधनों की रक्षा के चलते होने वाली हत्याओं में से अकेले 39 प्रतिशत हत्याएँ सिर्फ ब्राज़ील में ही देखने को मिली हैं।
  • इसके अलावा फिलीपींस (Philippines), कोलंबिया (Columbia) और होंडुरास (Honduras) अन्य तीन ऐसे देश हैं, जहाँ वर्ष 2002 से 2017 के बीच 100 से ज्यादा पर्यावरणविदों की हत्या कर दी गई थी।
  • मरने वाले लोगों में अधिकतर वकील, पत्रकार और पारंपरिक समुदाय के लोग ही शामिल हैं।
  • पर्यावरणविदों की हत्याओं के अधिकांश मामले खनन उद्योग और कृषि व्यवसाय से ही जुड़ी हुए थे।
  • अनुसंधानकर्त्ताओं ने यह संकेत दिया है कि उन देशों में पर्यावरण-रक्षकों की मौत का आँकड़ा अधिक है जहाँ भ्रष्टाचार और कानूनों में लचीलापन ज़्यादा है।

क्या कारण हैं इन घटनाओं के पीछे?

  • अध्ययनकर्त्ताओं के मुताबिक, भ्रष्टाचार और कानूनों को लागू करने में लचीलापन ही इन घटनाओं के प्रमुख कारक हैं।
  • पर्यावरण की रक्षा करना किसी युद्ध क्षेत्र में कार्यरत होने से भी ज्यादा घातक हो गया है।
  • सामान्यतः यह देखा जाता है कि संसाधनों का उपयोग करने के क़ानूनी अधिकार न होने के बावजूद भी कंपनियों या अन्य लोगों द्वारा उनका दोहन करने के कारण ही ऐसे विवाद उत्पन्न होते हैं।
  • कई अन्य विवादों में यह भी देखा गया है कि राष्ट्रीय उद्यानों या समुद्री क्षेत्रों के संरक्षण के नाम पर वहाँ के पारंपरिक निवासियों को उस क्षेत्र से अलग कर दिया गया है।
  • केन्या के स्वदेशी सेंगवर (Sengwar) समुदाय के लोगों को उनकी पारंपरिक भूमि से अलग करने का विवाद इस संदर्भ में प्रमुख उदाहरण है।

स्रोत: द हिंदू (बिज़नेस लाइन)


विविध

Rapid Fire करेंट अफेयर्स 7 अगस्त

  • 2 और 3 अगस्त को बीजिंग में Regional Comprehensive Economic Partnership-RCEP की 8वीं अंतर-सत्रात्मक मंत्रालयी बैठक आयोजित की गई। इसमें भारत का प्रतिनिधित्व वाणिज्य सचिव डॉ. अनूप वधावन ने किया। इस दौरान हुई बैठकों में बाजार पहुँच एवं अन्य मुद्दों को लेकर भारत ने उन चिंताओं को रेखांकित किया जिससे कुछ साझेदार देशों के बीच व्यापार असंतुलन की स्थिति बन जाती है। अंतर-मंत्रालयी बैठक से इतर भारत के वाणिज्य सचिव ने चीन, थाईलैंड, दक्षिण कोरिया, न्यूज़ीलैंड, ऑस्ट्रेलिया, सिंगापुर, इंडोनेशिया, जापान के वाणिज्य सचिवों एवं आसियान के आर्थिक मंत्रियों के साथ बैठक की। चीन के वाणिज्य उपमंत्री वांग शौवेन के साथ बैठक में वाणिज्य सचिव ने एक RCEP समझौते पर ज़ोर दिया जिससे वर्तमान व्यापार असंतुलन की समस्या पर समुचित रूप से ध्यान दिया जा सकेगा। इसके साथ ही भारतीय व्यवसायिक पर्यटकों के लिये चीन के व्यवसाय वीज़ा व्यवस्था में सुगमता पर भी चर्चा हुई। आसियान के आर्थिक मंत्रियों के साथ बैठक के दौरान वाणिज्य सचिव ने सेवा व्यापार के महत्त्व को रेखांकित किया जो वस्तुओं के व्यापार एवं निवेश दोनों का समर्थन करता है।
  • रक्षा अनुसंधान विकास संगठन (DRDO) ने ओडिशा के बालेश्वर जिले में चाँदीपुर स्थित इंटीग्रेटेड टेस्ट रेंज से सीधा हवाई लक्ष्य के विरुद्ध अत्याधुनिक त्वरित प्रतिक्रिया ज़मीन-से-हवा (QR-SAM) में मार करने वाली मिसाइल का सफलतापूर्वक परीक्षण किया। DRDO द्वारा विकसित दो मिसाइलों का परीक्षण दो सीधे लक्ष्यों के विरुद्ध किया गया और इन्होने सफलतापूर्वक लक्ष्यों को भेदा। कई अत्याधुनिक प्रौद्योगिकियों के साथ सुसज्जित QR-SAM ने विभिन्न रेंजों एवं ऊँचाइयों पर लक्ष्य को भेदा। इन प्रणालियों का परीक्षण एक वाहन पर लगे रडार एवं लॉन्चर पर मिसाइलों के साथ पूर्ण कन्फिगरेशन के साथ किया गया। ये प्रणालियाँ स्वदेशी रूप से निर्मित फेज्ड ऐरे रडार, इनर्सियल नेविगेशन सिस्टम, डेटा लिंक एवं RF सिकर से युक्त हैं। कम दूरी तक मार करने वाली इस मिसाइल की मारक क्षमता 30 किमी. है। इससे पहले 16 फरवरी, 2016 व 4 जून, 2017 को भी इस मिसाइल का सफल परीक्षण किया गया था। DRDO ने इस मिसाइल को भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड की मदद से सेना वाहिनी के लिये विकसित किया है। यह दुश्मन के टैंक, युद्धक विमान को मार गिराने में सक्षम है।
  • राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को गिनी की सरकार ने अपने देश के सर्वोच्च पुरस्कार से सम्मानित किया है। पश्चिमी अफ्रीकी देश गिनी के हालिया दौरे में राष्ट्रपति कोविंद को 'नेशनल ऑर्डर ऑफ मेरिट' पुरस्कार से नवाज़ा गया। उन्हें यह सम्मान भारत-गिनी के समग्र संबंधों की प्रगति तथा दोनों देशों में मित्रता को बढ़ावा देने में योगदान के लिये दिया गया है। इस यात्रा के दौरान भारत ने गिनी को जल आपूर्ति परियोजना के विकास के लिये 17 करोड़ डॉलर की ऋण सुविधा देने की पेशकश की। इसके अलावा दोनों देशों के बीच पारंपरिक चिकित्सा पद्धति, ई-विद्या भारती, ई-आरोग्य भारती, ई-वीबीएबी नेटवर्क परियोजना और नवीकरणीय ऊर्जा के क्षेत्र में तीन समझौतों पर हस्ताक्षर किये गए। तीन देशों की यात्रा के आखिरी चरण में भारतीय राष्ट्रपति गांबिया से गिनी पहुँचे तथा पश्चिम अफ्रीकी देश की यात्रा करने वाले वह पहले भारतीय राष्ट्राध्यक्ष हैं।
  • सऊदी अरब की सरकार ने देश में चल रहे सुधारों के तहत सऊदी महिलाओं को अकेले विदेश जाने की अनुमति दे दी है। इस सुधारात्‍मक कदम के तहत अब 21 साल से अधिक आयु की महिलाओं को पासपोर्ट हासिल करने और अभिभावक की सहमति हासिल किये बिना देश छोड़ने की इजाज़त होगी। मौजूदा कानून के मुताबिक, सऊदी अरब में किसी भी उम्र की महिला बिना किसी पुरुष संरक्षक के विदेश यात्रा पर नहीं जा सकती । यह नियम 21 वर्ष से कम उम्र के पुरुषों के साथ भी लागू है। कई मानवाधिकारों से वंचित सऊदी महिलाओं की आज़ादी के मामले में यह दशक अत्‍यधिक महत्त्वपूर्ण है। वर्ष 2012 में सऊदी महिलाओं को खेलों में हिस्‍सा लेने का हक मिला और पहली बार सऊदी महिलाएँ ओलिंपिक खेलों में शामिल हुईं। अंतर्राष्ट्रीय खेलों में पहली बार सऊदी का प्रतिनिधित्‍व देखने को मिला। दिसंबर 2015 में महिलाओं को वोट डालने का अधिकार हासिल हुआ, इसके पूर्व वे इस अधिकार से वंचित थीं। वर्ष 2017 में सऊदी महिलाओं को पासपोर्ट दिये जाने के सारे बंधन हटा दिये गए तथा उन्‍हें स्‍वतंत्र पासपोर्ट दिया जाने लगा। वर्ष 2018 में महिलाओं को स्‍टेडियम में प्रवेश की अनुमति हासिल हुई। इसी वर्ष महिलाओं को सेना में भर्ती की अनुमति प्रदान की गई। इसके साथ ही उन्‍हें स्‍वतंत्र कारोबार की इजाज़त भी मिली।
  • भारत में जन्मी इंग्लैंड निवासी 23 वर्षीय डॉक्टर भाषा मुखर्जी को मिस इंग्लैंड 2019 के खिताब से नवाज़ा गया। डर्बी की रहने वाली भाषा मुखर्जी के पास मेडिकल की दो अलग-अलग डिग्रियाँ हैं और उनका IQ लेवल 146 है जो उन्हें आधिकारिक तौर पर जीनियस साबित करता है। उन्हें पाँच भाषाओं की जानकारी है। अब भाषा मुखर्जी दिसंबर में आयोजित होने वाली मिस वर्ल्ड स्पर्द्धा में इंग्लैंड का प्रतिनिधित्व करेंगी। कक्षा में सबसे होशियार होने पर उन्हें आइंस्टीन अवार्ड भी मिला था। वह एक सामाजिक संस्था भी चलाती हैं, वर्ष 2017 में उन्होंने जेनेरेशन ब्रिज प्रोजेक्ट शुरू किया जो अकेलेपन की समस्या का सामना कर रहे बुजुर्गों की मदद करता है। माना जाता है कि प्रख्यात वैज्ञानिक आइंस्‍टीन का IQ लेवल 160 था।

close
एसएमएस अलर्ट
Share Page
images-2
images-2
× Snow