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डेली न्यूज़

  • 01 Dec, 2018
  • 21 min read
विविध

‘हार्ट अटैक रिवाइंड’

चर्चा में क्यों?


भारतीय खाद्य संरक्षा एवं मानक प्राधिकरण (Food Safety and Standards Authority of India- FSSAI) ने औद्योगिक रूप से उत्पन्न ट्रांसफैट (Trans Fats) के दुष्प्रभावों के बारे में लोगों को जागरूक करने के लिये मीडिया अभियान ‘हार्ट अटैक रिवाइंड’ (Heart Attack Rewind) की शुरुआत की है।


अभियान के बारे में

  • ‘हार्ट अटैक रिवाइंड’ (Heart Attack Rewind) नामक अभियान अपनी तरह का पहला मीडिया अभियान वास्तव में 30 सेकंड की एक सार्वजनिक सेवा घोषणा (Public Service Announcement- PSA) है।
  • FSSAI के अनुसार, यह अभियान विश्व स्वास्थ्य संगठन (World Health Organization- WHO) द्वारा ट्रांस फैट के पूर्णरूप से उन्मूलन के लिये निर्धारित वर्ष से एक वर्ष पहले अर्थात् 2022 तक भारत में ट्रांस फैट को खत्म करने के FSSAI के वैश्विक लक्ष्य का समर्थन करेगा।
  • ‘हार्ट अटैक रिवाइंड’ को यूट्यूब, फेसबुक, हॉटस्टार और वूट जैसे प्रमुख डिजिटल प्लेटफॉर्म पर चार सप्ताह की अवधि के लिये 17 भाषाओं में प्रसारित किया जाएगा।
  • इसके अतिरिक्त, अभियान को रेडियो चैनलों पर प्रसारित किया जाएगा तथा दिल्ली/NCR की आउटडोर होर्डिंग पर भी प्रदर्शित किया जाएगा।
  • ‘हार्ट अटैक रिवाइंड’ नागरिकों को ट्रांस फैट के सेवन से होने वाले स्वास्थ्य संबंधी खतरों के बारे में चेतावनी देता है और स्वस्थ विकल्पों के माध्यम से उनसे बचने के तरीके प्रस्तुत करता है।
  • FSSAI की योजना भारत की खाद्य आपूर्ति में ट्रांस फैट के स्तर को <5 प्रतिशत से <2 प्रतिशत तक करना है।

FSSAI के बारे में

  • भारतीय खाद्य संरक्षा एवं मानक प्राधिकरण (FSSAI) की स्थापना खाद्य संरक्षा और मानक अधिनियम, 2006 के अधीन की गई है जो उन विभिन्न अधिनियमों एवं आदेशों को समेकित करता है जिसने अब तक विभिन्न मंत्रालयों तथा विभागों में खाद्य संबंधी विषयों का निपटान किया है।
  • FSSAI की स्थापना खाद्य वस्तुओं के लिये विज्ञान आधारित मानकों का निर्धारण करने और मानव उपभोग के लिये सुरक्षित और पौष्टिक आहार की उपलब्धता सुनिश्चित करने हेतु उनके विनिर्माण, भंडारण, वितरण, बिक्री तथा आयात को विनियमित करने के लिये की गई है।
  • FSSAI के कार्यान्वयन के लिये स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय प्रशासनिक मंत्रालय है।

ट्रांस फैट के बारे में

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  • तरल वनस्पति तेलों को अधिक ठोस रूप में परिवर्तित करने तथा खाद्य के भंडारण एवं उपयोग अवधि (shelf Life) में वृद्धि करने के लिये इन तेलों का हाइड्रोजनीकरण किया जाता है, इस प्रकार संतृप्त वसा या ट्रांस फैट का निर्माण होता है।
  • ट्रांस फैट बड़े पैमाने पर वनस्पति, नकली या कृत्रिम मक्खन (margarine), विभिन्न बेकरी उत्पादों में मौजूद होते हैं तथा ये तले हुए या पके हुए खाद्य पदार्थों में भी पाए जा सकते हैं।
  • FSSAI 2022 तक चरणबद्ध तरीके से औद्योगिक रूप से उत्पादित ट्रांस फैटी एसिड को 2% से कम करने के लिये प्रतिबद्ध है।
  • वैश्विक स्तर पर ट्रांस फैट के सेवन से हर साल 500,000 से अधिक लोगों की मौत ह्रदय संबंधी बीमारियों (Cardiovascular Disease) के कारण होती है।

ट्रांस फैट के उन्मूलन के लिये WHO की योजना

  • मई 2018 में WHO ने 2023 तक वैश्विक खाद्य आपूर्ति से औद्योगिक रूप से उत्पादित ट्रांस फैट को खत्म करने के लिये एक व्यापक योजना REPLACE की शुरुआत की थी।
  • विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा तय पैमानों के अनुसार, Total Energy Intake में ट्रांस फैट्स की मात्रा 1 फीसदी से भी कम होनी चाहिये।
  • REPLACE खाद्य आपूर्ति से औद्योगिक रूप से उत्पादित ट्रांस फैट के त्वरित, पूर्ण और दीर्घकालीन उन्मूलन को सुनिश्चित करने के लिये छह रणनीतिक कार्रवाइयों का प्रावधान करता है:
  1. RE- (Review) : औद्योगिक रूप से उत्पादित ट्रांस वसा के आहार स्रोतों और आवश्यक नीति परिवर्तन हेतु परिदृश्य की समीक्षा।
  2. P- (Promote) : स्वस्थ वसा और तेलों के माध्यम से औद्योगिक रूप से उत्पादित ट्रांस फैट के प्रतिस्थापन को बढ़ावा देना।
  3. L- (Legislate) : औद्योगिक तौर पर उत्पादित ट्रांसफैट को खत्म करने के लिये कानून या विनियामक कार्यवाही को लागू करना।
  4. A- (Assess) : खाद्य आपूर्ति में ट्रांस फैट सामग्री तथा लोगों द्वारा ट्रांस फैट के उपभोग का आकलन और निगरानी करना।
  5. C- (Create) : नीति निर्माताओं, उत्पादकों, आपूर्तिकर्त्ताओं और जनता के बीच ट्रांस फैट के नकारात्मक स्वास्थ्य प्रभाव के बारे में जागरूकता पैदा करना।
  6. E- (Enforce) : नीतियों और विनियमों के अनुपालन को लागू करना।

स्रोत : द हिंदू (बिज़नेस लाइन), FSSAI एवं WHO वेबसाइट


अंतर्राष्ट्रीय संबंध

भारत-रूस-चीन की दूसरी त्रिपक्षीय वार्ता

चर्चा में क्यों


हाल ही में भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग और रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने विभिन्न क्षेत्रों में आपसी सहयोग के संदर्भ में विचार-विमर्श करने हेतु ब्यूनस आयर्स त्रिपक्षीय वार्ता की। गौरतलब है कि भारत-रूस-चीन के मध्य यह दूसरी त्रिपक्षीय वार्ता करीब 12 साल बाद हो रही है।


महत्त्वपूर्ण बिंदु

  • भारत-रूस-चीन तीनों के शीर्ष नेताओं ने अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर आपसी सहयोग को बढ़ावा देने और आपसी बातचीत को प्रोत्साहित करने पर ज़ोर दिया।
  • तीनों शीर्ष नेता बहुपक्षीय संस्थानों जैसे- विश्व व्यापार संगठन, संयुक्त राष्ट्र और नव-स्थापित वित्तीय संस्थानों में सुधार तथा सुदृढ़ीकरण के महत्त्व पर सहमत थे। ध्यातव्य है कि ऐसे सस्थानों ने वैश्विक शांति तथा प्रगति में महत्त्वपूर्ण और सकारात्मक भूमिका निभाई है।
  • इस वार्ता में वैश्विक विकास और समृद्धि के लिये एक बहुपक्षीय व्यापार प्रणाली तथा दुनिया की खुली अर्थव्यवस्था के लाभों को रेखांकित किया गया।
  • इस वार्ता में तीनों शीर्ष नेता BRICS, SCO और EAS तंत्र के माध्यम से सहयोग को मजबूत करने, आतंकवाद तथा जलवायु परिवर्तन जैसी वैश्विक चुनौतियों का समाधान करने, संयुक्त रूप से अंतर्राष्ट्रीय एवं क्षेत्रीय शांति व स्थिरता को बढ़ावा देने, सभी मतभेदों के शांतिपूर्ण समाधान को प्रोत्साहित करने जैसे सभी मामलों पर नियमित रूप से परामर्श आपसी पर भी सहमत हुए।
  • नरेंद्र मोदी, चीन के प्रधानमंत्री शी जिनपिंग और रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने अंतर्राष्ट्रीय परिस्थितियों, बहुपक्षीयता और अंतर्राष्ट्रीय कानून को मज़बूत बनाने, देशों पर अवैध प्रतिबंध लगाने जैसे मुद्दों पर भी चर्चा की।
  • इसके अलावा पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन में सहयोग, SCO (Shanghai Cooperation Organisation), ARF (ASEAN Regional Forum), ADMS-Plus (ASEAN Defence Ministers’ Meeting, The ADMM-Plus यानी ASEAN के 10 मेम्बर स्टेट और 8 देश), ASEM (Asia-Europe Meeting) जैसे मुद्दों पर भी चर्चा की।
  • गौरतलब है कि भारत-रूस-चीन अपने शीर्ष स्तर के नेताओं के मध्य होने वाली बैठकों को 12 साल बाद फिर से शुरू कर रहे हैं। भारत-रूस-चीन को सूक्ष्म रूप में RIC से भी प्रदर्शित किया जाता है।

स्रोत- इकोनॉमिक टाइम्स


अंतर्राष्ट्रीय संबंध

अमेरिका, कनाडा, मेक्सिको द्वारा नए व्यापार समझौते पर हस्ताक्षर

चर्चा में क्यों?


हस्ताक्षर किये जाने की पूर्व संध्या तक सौदे के अंतिम विवरण को लेकर जारी अस्थिरता के बाद हाल ही में मेक्सिको, कनाडा और संयुक्त राज्य अमेरिका के नेताओं ने उत्तरी अमेरिकी व्यापार संधि पर हस्ताक्षर किये।


प्रमुख बिंदु

  • डेढ़ वर्ष तक चली गंभीर वार्ता के बाद 30 सितंबर को तीनों देशों के नेताओं ने उत्तर अमेरिकी मुक्त व्यापार समझौते (NAFTA) को प्रतिस्थापित करने के सिद्धांत के अनुरूप एक सौदे पर सहमति व्यक्त की थी, जो कि 1 ट्रिलियन डॉलर से अधिक के पारस्परिक व्यापार को नियंत्रित करता है।
  • तीनों पक्षों के मध्य सौदे के बेहतर क्रियान्वयन हेतु इसकी बारीकियों और शब्दावली को लेकर काफी दिनों से आपस में नोंक-झोंक चल रही थी और ब्यूनस आयर्स में जी-20 शिखर सम्मेलन के शुरू होने से कुछ घंटे पहले तक तीनों पक्ष इस पर सहमत नहीं थे जब तक कि अधिकारियों ने बैठकर इसे हस्ताक्षरित नहीं कर दिया।
  • तीनों देशों के नीति नियामकों द्वारा अभी भी इस समझौते को मंज़ूरी दिया जाना बाकी है। उत्तर अमेरिकी मुक्त व्यापार समझौते (NAFTA) के स्थान पर लागू होने के बाद आधिकारिक तौर पर इसे संयुक्त राज्य अमेरिका-मेक्सिको-कनाडा समझौते (USMCA) के रूप में जाना जाएगा।
  • कनाडाई प्रधानमंत्री द्वारा इस समझौते को ‘नए NAFTA’ के रूप में संदर्भित किया गया। इस पर हस्ताक्षर करने से पहले, कनाडाई प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप को बताया कि दोनों देशों को इस्पात और एल्यूमीनियम शुल्क को खत्म करने के लिये मिलकर प्रयास करना चाहिये।
  • अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने 2016 के अपने राष्ट्रपति चुनाव अभियान के दौरान NAFTA को फिर से बदलने की कसम खाई थी। उन्होंने कई बार वार्ता के दौरान इस समझौते को फाड़ने और अमेरिका द्वारा पूरी तरह से इस समझौते से अलग होने की धमकी दी, जिससे तीनों पड़ोसियों के बीच व्यापार अवरुद्ध हो जाता।
  • अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप ने कनाडा और मेक्सिको को 24 वर्षीय समझौते पर पुनर्विचार करने के लिये मजबूर कर दिया क्योंकि उन्होंने कहा था कि मौजूदा समझौते ने अमेरिकी कंपनियों को कम मज़दूरी वाले मेक्सिको में नौकरियाँ स्थानांतरित करने के लिये प्रोत्साहित किया था।
  • डेयरी उत्पादों के लिये कनाडा के संरक्षित आंतरिक बाज़ार के संबंध में अमेरिकी आपत्तियाँ वार्ता के दौरान वार्ताकारों के समक्ष एक बड़ी चुनौती थीं और डोनाल्ड ट्रंप ने बार-बार रियायतों की मांग की तथा कनाडा पर अमेरिकी किसानों को नुकसान पहुँचाने का आरोप लगाया।

अमेरिका-मेक्सिको-कनाडा समझौता (USMCA)

  • यह मूलतः नाफ्टा का दूसरा संस्करण है। इसके अंतर्गत कारों, श्रम संबंधी नीतियों, पर्यावरण मानकों, बौद्धिक संपदा, सुरक्षा व कुछ डिजिटल व्यापार प्रावधानों पर किये गए बड़े परिवर्तन शामिल हैं।
  • इस समझौते के तहत 500 मिलियन निवासियों का क्षेत्र समाहित होगा और एक वर्ष में लगभग 1 ट्रिलियन डॉलर का व्यापार होगा।
  • इस समझौते के तहत कनाडा अब अपने डेयरी बाज़ार को अमेरिकी उत्पादकों के लिये खोल देगा और बदले में अमेरिका ने विवाद निपटान प्रावधानों को अपरिवर्तित छोड़ दिया।
  • इसके अलावा, यह व्यापार नियमों के ‘हेरफेर’ को रोकने के लिये मुद्रा मूल्य को शामिल करने सहित प्रावधानों को जोड़ता है और शुल्क मुक्त बाज़ार का लाभ उठाने की कोशिश कर रहे बाहरी देशों पर नियंत्रण करता है।

क्या है NAFTA?

  • उत्तर अमेरिकी मुक्त व्यापार समझौता (North American Free Trade Agreement-NAFTA) एक व्यापक व्यापार समझौता है जो कनाडा, संयुक्त राज्य अमेरिका और मेक्सिको के बीच व्यापार तथा निवेश के नियम निर्धारित करता है।
  • चूँकि यह समझौता 1 जनवरी, 1994 से लागू हुआ था, इसलिये नाफ्टा ने तीनों देशों के बीच मुक्त व्यापार और निवेश के लिये अधिकतर टैरिफ और गैर-टैरिफ बाधाओं को व्यवस्थित रूप से हटा दिया।
  • इस समझौते के कारण इन तीनों देशों के बीच माल की ढुलाई पर लगने वाले कर को समाप्त कर दिया गया। ट्रेडमार्क, पेटेंट और करेंसी को लेकर तीनों देशों के बीच व्यापार संबंधी काफी सुगम नियम बनाए गए।

स्रोत : द हिंदू


प्रारंभिक परीक्षा

प्रीलिम्स फैक्ट्स : 01 दिसम्बर, 2018

हर साल 1 दिसंबर को विश्व एड्स दिवस के रूप में मनाया जाता है।

  • इसका उद्देश्य पूरी दुनिया के लोगों को एड्स का सामना करने के लिये एकजुट करना, HIV संक्रमित लोगों के प्रति समर्थन प्रदर्शित करना तथा HIV के कारण मरने वालों को श्रद्धांजलि देना है।
  • इस दिवस को मनाने की शुरुआत वर्ष 1988 में हुई थी तथा यह पहला दिवस है जिसे वैश्विक रूप से स्वास्थ्य को समर्पित किया गया है।
  • इस वर्ष विश्व एड्स दिवस की थीम ‘नो योर स्टेटस’ (Know Your Status) है।

प्रमुख तथ्य

  • HIV एक प्रमुख वैश्विक सार्वजनिक स्वास्थ्य मुद्दा है इसके कारण अब तक लगभग 35 मिलियन से अधिक लोगों की मृत्यु हो चुकी है। वर्ष 2017 में, वैश्विक स्तर पर HIV के कारण 9,40,000 लोगों की मृत्यु हुई।
  • 2017 के अंत तक लगभग 36.9 मिलियन लोग इससे संक्रमित थे और वैश्विक स्तर पर 2017 में 1.8 मिलियन नए लोग इससे संक्रमित हुए।
  • HIV संक्रमित 59% वयस्क और 52% बच्चे 2017 में आजीवन एंटीरेट्रोवायरल थेरेपी (Antiretroviral Therapy - ART) प्राप्त कर रहे थे।
  • WHO के अनुसार, अफ़्रीकी क्षेत्र एड्स से सबसे अधिक प्रभावित है वर्ष 2017 में इस क्षेत्र के 25.7 मिलियन लोग HIV संक्रमित थे। इसके अलावा HIV संक्रमण के नए  मामलों में से दो तिहाई से अधिक मामले इस क्षेत्र से सामने आते हैं।
  • एक अनुमान के अनुसार, वर्तमान में HIV संक्रमित 75% लोगों को अपने स्टेटस के बारे में पाता है। 2017 में HIV संक्रमित 21.7 मिलियन लोग विश्व स्तर पर एंटीरेट्रोवायरल थेरेपी (ART) प्राप्त कर रहे थे।

किम्बरले प्रक्रिया (Kimberley Process)

  • बेल्जियम के ब्रूसेल्स में 12 से 16 नवंबर, 2018 तक किम्बरले प्रक्रिया प्रमाणन योजना (KPCS) की बैठक आयोजित हुई।
  • यूरोपीय संघ ने भारत को 1 जनवरी, 2019 से KPCS की अध्यक्षता सौंप दी है।
  • KPCS का अगला अंतर-सत्रीय अधिवेशन भारत की अध्यक्षता में आयोजित होगा और वर्ष 2019-20 की अवधि में बोत्सवाना और रूसी संघ इसके उपाध्यक्ष होंगे।
  • KPCS का लक्ष्य विश्व के लगभग 99 प्रतिशत हीरा व्यापार को विवाद से मुक्त करना है।

किम्बरले प्रक्रिया प्रमाणन योजना (KPCS)

  • किम्बरले प्रक्रिया सरकार, अंतर्राष्ट्रीय हीरा उद्योग और सिविल सोसाइटी की एक संयुक्त पहल है, जो कि ‘कॉन्फ्लिक्ट डायमंड’ (Conflict Diamonds) के प्रवाह को रोकने का कार्य करती है।
  • ‘कॉन्फ्लिक्ट डायमंड’ का आशय विद्रोही आंदोलनों या उनके सहयोगियों द्वारा सरकारों के विरुद्ध युद्ध के वित्तपोषण हेतु उपयोग किये जाने वाले अपरिष्कृत (Rough) हीरे से है।
  • ‘किम्बरले प्रक्रिया प्रमाणन योजना’ (KPCS) 1 जनवरी, 2003 से प्रभावी हुई।
  • भारत इसका संस्थापक सदस्य है।
  • किम्बरले प्रोसेस ने शांति, सुरक्षा और समृद्धि की दिशा में योगदान दिया है।
  • भारत KPCS का संस्थापक सदस्य है।

अंतर्राष्ट्रीय सैन्य एडमिरल कप नौका दौड़

  • भारतीय नौसेना अकादमी (INA) एझिमाला द्वारा वार्षिक रूप से आयोजित की जाने वाली प्रतिष्ठित अंतर्राष्‍ट्रीय सैन्य एडमिरल कप नौका दौड़ प्रतियोगिता का नौंवा संस्‍करण 2 से 6 दिसंबर, 2018 तक इट्टिकुलुम खाड़ी में आयोजित किया जाएगा।
    इस नौका दौड़ में 'लेजर रेडियल' श्रेणी में 31 विदेशी नौसैनिक अकादमी हिस्सा LE।
  • इस वर्ष 31 देश- ऑस्‍ट्रलिया, बांग्‍लादेश, ब्राजील, कनाडा, मिस्र, फ्राँस, इंडोनेशिया, इस्राइल, जापान, मलेशिया, म्याँमार, नाइजीरिया, ओमान, पोलैंड, श्रीलंका, ब्रिटेन, अमरीका, सऊदी अरब, मालदीव, कतर, जर्मनी, इटली, संयुक्‍त अरब अमीरात, वियतनाम, बुल्‍गारिया, पुर्तगाल, दक्षिण अफ्रीका, सिंगापुर, बहरीन, ईरान तथा चीन भाग लेंगे।
  • इसके अतिरिक्‍त भारत से दो टीमें (INA तथा NDA) भाग लेंगी।

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