उत्तराखंड Switch to English
एमडीएमए ड्रग्स
चर्चा में क्यों?
उत्तराखंड पुलिस ने भारत-नेपाल सीमा के पास एक महिला को 10.23 करोड़ रुपए मूल्य के 5.688 किलोग्राम मिथाइलीनडाइऑक्सी-मिथाइलैम्फेटामाइन (MDMA) के साथ गिरफ्तार किया और उसके खिलाफ स्वापक औषधि एवं मनःप्रभावी पदार्थ अधिनियम, 1985 के तहत मामला दर्ज किया।
नोट: भारत की राष्ट्रीय स्वापक औषधि एवं मनःप्रभावी पदार्थ नीति, संविधान के अनुच्छेद 47 द्वारा निर्देशित है, जो राज्य से औषधीय उपयोग को छोड़कर, स्वास्थ्य के लिये हानिकारक मादक पदार्थों के सेवन पर प्रतिबंध लगाने का निर्देश देता है।
- देश में नशीली दवाओं के दुरुपयोग को नियंत्रित करने और मादक पदार्थ कानूनों को लागू करने की प्राथमिक ज़िम्मेदारी केंद्र सरकार की है।
मुख्य बिंदु
- MDMA के बारे में:
- MDMA (3,4-मिथाइलीनडाइऑक्सी-मिथाइलैम्फेटामाइन), एमफैटेमिन का एक कृत्रिम व्युत्पन्न है, जिसे व्यापक रूप से मनोरंजक दवा के रूप में जाना जाता है। 1980 के दशक से यह एक्स्टसी, ई, मौली, XTC, X, बीन्स और एडम्स जैसे नामों से लोकप्रिय रहा है।
- MDMA, मनोःसक्रिय पदार्थों के एक वर्ग से संबंधित है, जिसे एंटाक्टोजेन्स (ग्रीक में, जिसका अर्थ है "अंदर तक छूना") कहा जाता है।
- एक एंटाक्टोजेन्स के रूप में यह उत्साह उत्पन्न करता है, भावनात्मक निकटता बढ़ाता है, सहानुभूति और संचार को प्रोत्साहित करता है तथा दमित स्मृतियों को पुनः प्राप्त करने में सहायता करता है।
- यह हृदय, तंत्रिका, वृक्क और यकृत प्रणालियों को गंभीर रूप से प्रभावित कर सकता है।
- इसके संभावित रूप से जानलेवा प्रभावों की तत्काल पहचान और नैदानिक एवं आपातकालीन स्थितियों में हस्तक्षेप की आवश्यकता है।
- स्वापक औषधि एवं मन:प्रभावी पदार्थ अधिनियम, 1985:
- यह अधिनियम मादक दवाओं और मन:प्रभावी पदार्थों से संबंधित विनिर्माण, परिवहन और उपभोग जैसे कुछ कार्यों को नियंत्रित करता है।
- अधिनियम के तहत, कुछ अवैध गतिविधियों जैसे भाँग की खेती, मादक दवाओं का निर्माण या उनमें संलिप्त व्यक्तियों को शरण देना एक अपराध है।
- इस अपराध के लिये दोषी पाए जाने वाले व्यक्तियों को कम-से-कम 10 वर्ष के कठोर कारावास, जिसे 20 वर्ष तक बढ़ाया जा सकता है तथा कम-से-कम 1 लाख रुपए का जुर्माना लगाया जा सकता है।
- इसमें मादक दवाओं और मन:प्रभावी पदार्थों के अवैध व्यापार से प्राप्त या उसमें प्रयुक्त संपत्ति को ज़ब्त करने का भी प्रावधान है।
- कुछ मामलों में जहाँ अपराध दुहराया गया हो, वहाँ मृत्युदंड का भी प्रावधान है।
- इस अधिनियम के तहत वर्ष 1986 में नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (NCB) का गठन किया गया।
- भारत में नशीली दवाओं के दुरुपयोग से निपटने के लिये उठाए गए कदम:
- प्रोजेक्ट सनराइज़:
- इसे स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा वर्ष 2016 में भारत के उत्तर-पूर्वी राज्यों में, विशेष रूप से इंजेक्शन द्वारा नशीली दवाओं का सेवन करने वाले लोगों में, बढ़ते HIV प्रसार से निपटने के लिये शुरू किया गया था।
- नशा मुक्त भारत:
- सरकार द्वारा ‘नशा मुक्त भारत’ अभियान शुरू किया गया है, जो समुदाय आधारित जन जागरूकता कार्यक्रमों पर केंद्रित है।
- निदान और NCORD पोर्टल:
- ये ऑनलाइन प्लेटफॉर्म्स हैं, जो नशा अपराधियों का विस्तृत डाटा-बेस रखते हैं तथा कानून प्रवर्तन एजेंसियों को नशा संबंधित अपराधों और प्रवृत्तियों को ट्रैक करने में मदद करते हैं।
- ज़ब्ती सूचना प्रबंधन प्रणाली(SIMS):
- नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो को SIMS सॉफ्टवेयर विकसित करने हेतु वित्तीय सहायता दी गई है, जो नशा अपराधों और अपराधियों का एक पूर्ण ऑनलाइन डाटा-बेस तैयार करेगा।
- राष्ट्रीय नशा-सेवन सर्वेक्षण:
- सरकार एम्स के राष्ट्रीय नशा निर्भरता उपचार केंद्र की सहायता से सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय के माध्यम से भारत में नशीली दवाओं के दुरुपयोग की प्रवृत्ति को मापने के लिये राष्ट्रीय नशा-सेवन सर्वेक्षण भी आयोजित कर रही है।
- प्रोजेक्ट सनराइज़:
नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (NCB):
- भारत सरकार ने स्वापक औषधि एवं मनःप्रभावी पदार्थ अधिनियम, 1985 (NDPS Act) के अंतर्गत वर्ष 1986 में नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (NCB) की स्थापना की।
- NCB, भारत में मादक पदार्थ कानून प्रवर्तन के लिये सर्वोच्च समन्वय एजेंसी के रूप में कार्य करता है और गृह मंत्रालय के अधीन कार्य करता है।