हरियाणा Switch to English
सुल्तानपुर राष्ट्रीय उद्यान में डिजिटल जियोफेंसिंग
चर्चा में क्यों?
हरियाणा सरकार के अधिकारी सुल्तानपुर राष्ट्रीय उद्यान के बफर-ज़ोन के चारों ओर डिजिटल जियोफेंसिंग लागू करने की योजना बना रहे हैं, ताकि भूमि-उपयोग परिवर्तन की वास्तविक समय निगरानी सुनिश्चित की जा सके तथा संभावित उल्लंघनों पर नियंत्रण किया जा सके।
मुख्य बिंदु
- डिजिटल जियोफेंसिंग के बारे में:
- हरियाणा वन विभाग तथा ज़िला प्रशासन सुल्तानपुर राष्ट्रीय उद्यान के बफर ज़ोन के चारों ओर एक डिजिटल भू-स्थानिक सीमा विकसित करेगा, जिससे मानचित्रित क्षेत्र में भूमि-उपयोग में किसी भी प्रकार का परिवर्तन होने पर स्वचालित अलर्ट प्राप्त हो सकेगा।
- इस पहल का उद्देश्य अनधिकृत निर्माण, भूमि-विखंडन, मिट्टी की खुदाई तथा वाणिज्यिक भूमि-रूपांतरण जैसी गतिविधियों पर अंकुश लगाना है, जो क्षेत्र की पारिस्थितिकी संवेदनशीलता के लिये चुनौती उत्पन्न कर रही हैं।
- उपग्रह इमेजरी, ड्रोन सर्वेक्षण तथा GIS-आधारित डिजिटल मानचित्रण को एकीकृत किया जायेगा, जिससे अभयारण्य के आसपास किसी भी भौतिक परिवर्तन की वास्तविक-समय में निगरानी की जा सकेगी।
- सुल्तानपुर राष्ट्रीय उद्यान के बारे में:
- हरियाणा के गुरुग्राम ज़िले में स्थित सुल्तानपुर राष्ट्रीय उद्यान भारत के प्रमुख पक्षी-अभयरण्यों में से एक है तथा मध्य एशिया, यूरोप और साइबेरिया से आने वाले प्रवासी पक्षियों के लिये एक महत्त्वपूर्ण शीतकालीन प्रवास-स्थल है।
- सुल्तानपुर मध्य एशियाई फ्लाईवे (CAF) के किनारे अवस्थित है, जिसके कारण प्रवासी पक्षियों के मार्गों की रक्षा हेतु भूमि-उपयोग परिवर्तन की कड़ी निगरानी आवश्यक हो जाती है।
- इसके पारिस्थितिकी महत्त्व को ध्यान में रखते हुए वर्ष 2021 में इसे रामसर स्थल घोषित किया गया।
राष्ट्रीय करेंट अफेयर्स Switch to English
हायली गुब्बी ज्वालामुखी
चर्चा में क्यों?
इथियोपिया में स्थित हायली गुब्बी ज्वालामुखी में भयंकर विस्फोट हुआ है, जिसके परिणामस्वरूप हजारों मीटर ऊँचाई तक राख के विशाल गुबार उठे। इन राख कणों का एक भाग भारतीय वायुक्षेत्र में प्रवेश कर गया है, जिसके कारण विमानन-संबंधी चेतावनी जारी की गई है।
मुख्य बिंदु
- हायली गुब्बी ज्वालामुखी के बारे में:
- यह ज्वालामुखी उत्तरी-पूर्वी इथियोपिया के अफार क्षेत्र में स्थित है और दानाकिल डिप्रेशन का हिस्सा है, जो पृथ्वी के सबसे गर्म तथा सबसे निम्न स्थलों में से एक है।
- यह विस्फोट महत्त्वपूर्ण है, क्योंकि अफार क्षेत्र से प्राप्त भूवैज्ञानिक साक्ष्यों के आधार पर ऐसा माना जाता है कि यह ज्वालामुखी लगभग 12,000 वर्षों के बाद सक्रिय हुआ है।
- यह विस्फोट पूर्वी अफ्रीकी दरार प्रणाली (EARS) की भूवैज्ञानिक अस्थिरता को रेखांकित करता है, जहाँ सक्रिय ज्वालामुखी, दरार-विस्फोट तथा विस्तृत रेखाएँ सामान्य हैं।
- यह विश्व की अत्यंत विवर्तनिक रूप से सक्रिय दरार प्रणालियों में से एक है, जहाँ अरब, न्युबियन और सोमाली विवर्तनिक प्लेटें अपसरण कर रही हैं।
- इस क्षेत्र की विशेषता बेसाल्टिक लावा, फिशर प्रणालियाँ और महाद्वीपीय विखंडन प्रक्रिया से संबद्ध लगातार भूकंपीय गतिविधियाँ हैं।
ज्वालामुखीय राख और विमानन जोखिम
- ज्वालामुखीय राख अत्यंत सूक्ष्म, घर्षणकारी चट्टानी तथा काँचीय कणों से बनी होती है, जो जेट इंजनों के भीतर प्रवेश कर पिघल सकती है और गंभीर क्षति पहुँचा सकती है।
- जब राख पिघलकर टरबाइन ब्लेड पर पुनः जम जाती है तो जेट इंजन बंद हो सकते हैं।
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