उत्तर प्रदेश Switch to English
उत्तर प्रदेश का ग्राम-ऊर्जा मॉडल
चर्चा में क्यों?
उत्तर प्रदेश सरकार ने मुख्यमंत्री ग्राम-ऊर्जा मॉडल के तहत कई गाँवों में बायोगैस संयंत्र स्थापित करने की योजना का अनावरण किया है।
मुख्य बिंदु
- उद्देश्य:
- इस पहल का उद्देश्य अयोध्या, वाराणसी, गोरखपुर और गोंडा ज़िलों में पायलट परियोजना के तहत 2,250 बायोगैस संयंत्र स्थापित करना है।
- इसका प्राथमिक उद्देश्य बायोगैस उत्पादन को स्थानीय स्तर पर प्रोत्साहित करना है, जिसका उपयोग ग्रामीणों द्वारा सीधे किया जाएगा।
- विस्तार योजनाएँ एवं लागत विवरण:
- यदि यह पायलट परियोजना सफल रहती है, तो अगले चार वर्षों में इसका विस्तार कर 2.50 लाख ग्रामीण परिवारों को लाभान्वित किया जाएगा।
- प्रत्येक बायोगैस इकाई की अनुमानित लागत 39,300 रुपए है, जिसमें किसानों को केवल 3,990 रुपए का योगदान देना होगा। शेष लागत सरकारी सब्सिडी और कार्बन क्रेडिट मॉडल से वहन की जाएगी।
- यह लागत-साझाकरण मॉडल सुनिश्चित करता है कि यह पहल ग्रामीण किसानों के लिये वित्तीय रूप से व्यवहार्य और सुलभ बनी रहे।
- अनुमोदन और सरकारी समर्थन:
- इस परियोजना को राज्य के पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन विभाग से औपचारिक अनुमोदन प्राप्त हो चुका है, जिससे यह सुनिश्चित हो गया है कि यह पहल पर्यावरण तथा जलवायु लक्ष्यों के अनुरूप है।
- सहायक बुनियादी ढाँचा:
- बायोगैस संयंत्रों के अतिरिक्त, सरकार उत्तर प्रदेश के ग्रामीण क्षेत्रों में गौशालाओं का विकास करने की योजना बना रही है।
- इन आश्रय स्थलों का निर्माण महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोज़गार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) के अंतर्गत किया जाएगा, जिससे स्थानीय ग्रामीणों को रोज़गार के अवसर प्राप्त होंगे।
- पहले चरण में 43 गौशालाओं को बायोगैस एवं खाद उत्पादन इकाइयों से सुसज्जित किया जाएगा।
- प्रत्येक गौशाला से प्रति माह लगभग 50 क्विंटल घोल तैयार होने की संभावना है, जिसे आसपास के किसानों को जैविक खाद के रूप में वितरित किया जाएगा।
- महत्त्व:
- इसमें ग्रामीण रसोई में LPG के उपयोग में 70% तक की कटौती करने की क्षमता है, जिससे गैर-नवीकरणीय ऊर्जा पर निर्भरता कम होने से पर्यावरणीय प्रभाव में उल्लेखनीय कमी आएगी।
बायोगैस
- बायोगैस एक नवीकरणीय ऊर्जा स्रोत है, जो ऑक्सीजन की अनुपस्थिति में कार्बनिक पदार्थों के अपघटन से उत्पन्न होता है। इस प्रक्रिया को अवायवीय अपघटन कहा जाता है।
- बायोगैस मुख्यतः मीथेन (CH₄) और कार्बन डाइऑक्साइड (CO₂) से मिलकर बना होता है।