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उत्तराखंड धार्मिक स्वतंत्रता (संशोधन) विधेयक 2025
चर्चा में क्यों?
उत्तराखंड मंत्रिमंडल ने उत्तराखंड धर्म की स्वतंत्रता (संशोधन) विधेयक 2025 को मंज़ूरी दे दी है, जिसमें बलपूर्वक, धोखाधड़ी या जबरदस्ती से धर्म-परिवर्तन के लिये कठोर दंड का प्रावधान किया गया है।
- नए संशोधनों में आजीवन कारावास, भारी जुर्माना तथा अवैध धर्मांतरण के पीड़ितों की सुरक्षा के लिये विस्तृत प्रावधान शामिल किये गए हैं।
मुख्य बिंदु
विधेयक के बारे में:
- कठोर दंड प्रावधान:
- संशोधित विधेयक में बलपूर्वक धर्मांतरण के गंभीर मामलों में आजीवन कारावास और 10 लाख रुपए तक के जुर्माने का प्रस्ताव है।
- सामान्य अपराधों के लिये 3 से 10 वर्ष का कारावास, जबकि नाबालिगों या महिलाओं जैसे संवेदनशील वर्गों से जुड़े मामलों में 5 से 14 वर्ष का कारावास का प्रावधान है।
- डिजिटल प्लेटफॉर्म के माध्यम से प्रचार:
- यह विधेयक सोशल मीडिया, मैसेजिंग ऐप और अन्य ऑनलाइन चैनलों के माध्यम से धर्मांतरण को बढ़ावा देने को अपराध घोषित करता है।
- प्रलोभन की विस्तारित परिभाषा:
- विधेयक में "प्रलोभन" की परिभाषा को व्यापक बनाया गया है, जिसमें अब उपहार, नकदी, सामान, रोज़गार प्रस्ताव, विवाह का वादा या किसी अन्य धर्म को नकारात्मक रूप से चित्रित करना शामिल है।
- पीड़ितों की सुरक्षा:
- विधेयक में पीड़ितों की सुरक्षा, पुनर्वास, चिकित्सा देखभाल और यात्रा के लिये वित्तीय सहायता, साथ ही बलपूर्वक धर्मांतरण के पीड़ितों के लिये कानूनी सहायता के प्रावधान शामिल हैं।
- विवाह और झूठी पहचान:
- यह झूठे बहाने से विवाह करने को अपराध मानता है, जहाँ कोई व्यक्ति अपना धर्म छुपाता है।
- इसके लिये 3 से 10 वर्ष की जेल और 3 लाख रुपए तक का जुर्माना हो सकता है।
- संपत्ति ज़ब्ती और वारंट:
- अधिकारियों को अवैध धर्मांतरण के माध्यम से अर्जित संपत्ति को ज़ब्त करने का अधिकार होगा। इन मामलों (संज्ञेय अपराध) में बिना वारंट गिरफ्तारी की जा सकेगी और ज़मानत केवल तभी दी जाएगी जब अभियुक्त दोषी न पाया जाए या उसके द्वारा अपराध दोहराने की संभावना न हो।