ध्यान दें:

स्टेट पी.सी.एस.

  • 16 Jun 2025
  • 1 min read
  • Switch Date:  
उत्तर प्रदेश Switch to English

राम प्रसाद बिस्मिल की जयंती

चर्चा में क्यों?

11 जून 2025 को स्वतंत्रता सेनानी राम प्रसाद बिस्मिल की जयंती मनाई गई। अपनी क्रांतिकारी भावना और काव्य प्रतिभा के लिये प्रसिद्ध, बिस्मिल ने ब्रिटिश औपनिवेशिक शासन के खिलाफ भारत के संघर्ष में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई।

मुख्य बिंदु

  • जन्म:
    • बिस्मिल का जन्म 11 जून, 1897 को उत्तर प्रदेश के शाहजहाँपुर ज़िले में हुआ था।

  • प्रारंभिक प्रभाव और विचारधारा:
    • बिस्मिल आर्य समाज (वर्ष 1875 में दयानंद सरस्वती द्वारा स्थापित) में शामिल हो गए और 'बिस्मिल' यानी 'घायल' या 'बेचैन' जैसे नामों का उपयोग करते हुए एक प्रतिभाशाली लेखक तथा कवि बन गए।
    • एक भारतीय राष्ट्रवादी और आर्यसमाजी धर्मप्रचारक भाई परमानंद को मौत की सज़ा के बारे में पढ़कर उनमें पहली बार देशभक्ति की भावना उत्पन्न हुई।
    • 18 वर्ष की आयु में उन्होंने अपनी पीड़ा को 'मेरा जन्म' नामक सशक्त कविता के माध्यम से व्यक्त किया
    • वह गांधीवादी तरीकों के विपरीत स्वतंत्रता संग्राम के क्रांतिकारी तरीकों में विश्वास करते थे।
  • प्रमुख योगदान:
    • मैनपुरी षड्यंत्र: 
      • बिस्मिल का कॉन्ग्रेस पार्टी की उदारवादी विचारधारा से मोहभंग हो गया और उन्होंने 'मातृवेदी' नामक एक क्रांतिकारी संगठन की स्थापना की।
      • वे वर्ष 1918 के मैनपुरी षड्यंत्र में शामिल थे, जिसमें बिस्मिल और दीक्षित को सरकार द्वारा प्रतिबंधित पुस्तकें बेचते हुए पाया गया था।
        • 28 जनवरी, 1918 को बिस्मिल ने पैम्फलेट के रूप में अपने दो लेखों- देशवासियों के नाम संदेश (ए मैसेज टू कंट्रीमेन) और मैनपुरी की प्रतिज्ञा (वाउ ऑफ मैनपुरी) को आम लोगों में वितरित किया।
      • वर्ष 1918 में तीन मौकों पर उन्होंने अपनी पार्टी के लिये धन इकट्ठा करने हेतु सरकारी खजाने को लूटा।
  • हिंदुस्तान रिपब्लिकन एसोसिएशन की स्थापना: 
    • वर्ष 1920 में उन्होंने सचिंद्र नाथ सान्याल और जादूगोपाल मुखर्जी के साथ हिंदुस्तान रिपब्लिकन एसोसिएशन (HRA) का गठन किया।
    • HRA का घोषणा-पत्र मुख्य रूप से बिस्मिल द्वारा लिखा गया, जिसका उद्देश्य सशस्त्र क्रांति के माध्यम से संयुक्त राज्य भारत के रूप में एक संघीय गणराज्य की स्थापना करना था।
  • काकोरी कांड: 
    • वर्ष 1925 में काकोरी ट्रेन डकैती HRA की एक बड़ी कार्रवाई थी, जिसका उद्देश्य अपनी गतिविधियों और प्रचार हेतु धन प्राप्त करना था।
    • बिस्मिल और उनके साथी चंद्रशेखर आज़ाद एवं अशफाकउल्ला खान ने लखनऊ के पास काकोरी में ट्रेन लूटने का फैसला किया।
    • वे अपने प्रयास में सफल रहे हालाँकि घटना के एक महीने के भीतर एक दर्जन अन्य HRA सदस्यों के साथ गिरफ्तार कर लिये गए और उन पर काकोरी षडयंत्र केस के तहत मुकदमा चलाया गया।
    • यह कानूनी प्रक्रिया 18 महीने चली। बिस्मिल, लाहिड़ी, खान और ठाकुर रोशन सिंह को मौत की सज़ा दी गई।
  • साहित्यिक योगदान:
    • बिस्मिल ने हिंदी और उर्दू में देशभक्ति से ओतप्रोत कविताएँ लिखीं, जिनसे असंख्य भारतीयों को स्वतंत्रता संग्राम में शामिल होने की प्रेरणा मिली।
      • उनकी प्रसिद्ध कविता ‘सरफ़रोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है’ स्वतंत्रता आंदोलन का जयघोष बन गई।
    • उनकी रचनाओं में सामाजिक न्याय, मानव गरिमा तथा समानता के प्रति गहरी चिंता परिलक्षित होती है।
  • शहादत:
    • ब्रिटिश सरकार ने बिस्मिल को 19 दिसंबर 1927 को गोरखपुर जेल में फाँसी दे दी।

नोट: अगस्त 2025 में, उत्तर प्रदेश सरकार ने 'काकोरी कांड' का नाम बदलकर 'काकोरी ट्रेन एक्शन' कर दिया, जिसमें कहा गया कि 'कांड' (जिसका अर्थ है 'घटना' या 'घोटाला') शब्द एक नकारात्मक अर्थ रखता है और भारत के स्वतंत्रता संग्राम में इस ऐतिहासिक कृत्य के महत्त्व को कम करता है।


उत्तर प्रदेश Switch to English

एक पेड़ माँ के नाम 2.0 अभियान

चर्चा में क्यों?

'एक पेड़ माँ के नाम 2.0' अभियान के तहत, भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (NHAI) ने उत्तर प्रदेश के बागपत में दिल्ली-देहरादून कॉरिडोर पर 40,000 पेड़ लगाने के लिये वृक्षारोपण अभियान शुरू किया।

मुख्य बिंदु

'एक पेड़ माँ के नाम 2.0' का राष्ट्रव्यापी प्रभाव:

  • 'एक पेड़ माँ के नाम 2.0' पहल के अंतर्गत NHAI अब तक देशभर में राष्ट्रीय राजमार्गों पर 5.12 लाख से अधिक पेड़ लगा चुका है।
    • इस पहल के दूसरे चरण का शुभारंभ प्रधानमंत्री द्वारा विश्व पर्यावरण दिवस 5 जून, 2025 को किया गया।
    • इसका उद्देश्य है माताओं के नाम पर वृक्षारोपण को प्रोत्साहित करके उन्हें सम्मानित करना तथा पर्यावरण संरक्षण को मातृत्व के प्रति श्रद्धांजलि के साथ जोड़ना, जो यह दर्शाता है कि माताएँ भी पेड़ों की भाँति जीवन का पोषण और संरक्षण करती हैं
  • अभियान का लक्ष्य है:
    • राजमार्गों के किनारे वृक्षारोपण की पूर्ण संतृप्ति
    • सरकारी निकायों, स्थानीय प्राधिकरणों तथा समुदायों सहित अनेक हितधारकों की भागीदारी
    • हरित, लचीले और टिकाऊ राष्ट्रीय राजमार्ग नेटवर्क का निर्माण
  • भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (NHAI):
    • NHAI की स्थापना NHAI अधिनियम, 1988 के तहत सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय (MoRTH) के प्रशासनिक नियंत्रण में की गई थी।
    • उद्देश्य: इसे राष्ट्रीय राजमार्ग विकास परियोजना (NHDP) सहित विकास, रखरखाव और प्रबंधन हेतु अन्य लघु परियोजनाएँ सौंपी गई हैं। 
      • वर्ष 1998 में शुरू की गई NHDP भारत में प्रमुख राजमार्गों को उच्चतर स्तर तक उन्नत, पुनर्वासित और चौड़ा करने की एक परियोजना है।
      • विजन: राष्ट्रीय राजमार्ग नेटवर्क के प्रावधान और रखरखाव के लिये वैश्विक मानकों के अनुरूप राष्ट्र की आवश्यकताओं को पूरा करना  तथा उपयोगकर्त्ताओं की अपेक्षाओं को सबसे समयबद्ध और लागत-प्रभावी तरीके से पूरा करना एवं
        लोगों की आर्थिक भलाई व जीवन की गुणवत्ता को बढ़ावा देना


राजस्थान Switch to English

पोखरण में रुद्रास्त्र UAV का सफल परीक्षण

चर्चा में क्यों?

भारतीय सेना ने राजस्थान के पोखरण में रुद्रस्त्र हाइब्रिड वर्टिकल टेक-ऑफ एंड लैंडिंग (VTOL) UAV का सफलतापूर्वक परीक्षण किया।

मुख्य बिंदु

  • रुद्रस्त्र UAV की मुख्य विशेषताएँ और क्षमताएँ:
    • स्वदेशी VTOL UAV का नाम रुद्रस्त्र रखा गया है, जो आत्मनिर्भरता की शक्ति का प्रतीक है।
    • परीक्षणों के दौरान प्रदर्शित प्रमुख विशेषताएँ इस प्रकार थीं:
      • ऊर्ध्वाधर टेक-ऑफ और लैंडिंग (VTOL)
      • दीर्घ-धीरज मिशन
      • वास्तविक समय वीडियो प्रसारण
      • सटीक संलग्नता
      • ऊबड़-खाबड़ क्षेत्रों में परिचालन लचीलापन
  • परीक्षण प्रदर्शन:
    • रुद्रस्त्र ने पूरे मिशन के दौरान स्थिर वास्तविक समय वीडियो लिंक बनाए रखा।
    • इसने 50 किमी. से अधिक के मिशन दायरे में सफलतापूर्वक कार्य किया और प्रक्षेपण स्थल पर बिना किसी समस्या के लौट आया
    • लक्ष्य पर निगरानी सहित UAV ने लगभग 1.5 घंटे की क्षमता के साथ 170 किमी. से अधिक की दूरी तय की।
  • अनुप्रयोग और रणनीतिक उपयोगिता:
    • रुद्रस्त्र का उपयोग निगरानी, गुप्त सूचनाएँ एकत्र करने और लक्ष्य भेदन के लिये किया जा सकता है, जिससे यह पहाड़ी या दुर्गम क्षेत्रों के लिये आदर्श है।
    • VTOL UAV को उड़ान भरने अथवा उतरने के लिये रनवे की आवश्यकता नहीं होती, जिससे इन्हें विविध परिचालन परिवेशों में शीघ्र तैनाती हेतु अपेक्षित लचीलापन प्राप्त होता है।
  • ऑपरेशन सिंदूर के बाद भारत का उन्नत UAV पर ज़ोर:
    • ऑपरेशन सिंदूर भारत का पहला बड़े पैमाने पर गैर-संपर्क सैन्य अभियान था, जिसमें ड्रोन, मिसाइलों और सटीक हथियारों का प्रयोग किया गया।
    • इस अनुभव ने आधुनिक युद्ध परिदृश्यों में उन्नत UAV क्षमताओं की अत्यधिक आवश्यकता को उजागर किया।
    • इसके जवाब में भारतीय सेना ने भविष्य के ऐसे ही गैर-संपर्क खतरों के विरुद्ध भारत की तैयारी को सशक्त करने हेतु अधिक UAV को शामिल करने के प्रयास तेज़ कर दिये हैं।


close
एसएमएस अलर्ट
Share Page
images-2
images-2