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झारखंड स्टेट पी.सी.एस.

  • 28 Jul 2025
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झारखंड Switch to English

‘कला उत्सव 2025’ में सोहराय कला का प्रदर्शन

चर्चा में क्यों?

झारखंड के कलाकारों ने राष्ट्रपति भवन में कला उत्सव 2025 के दूसरे संस्करण 'आर्टिस्ट्स इन रेजिडेंस प्रोग्राम' में भाग लिया, जिसमें सोहराय कला की स्वदेशी भित्तिचित्र परंपरा का प्रदर्शन किया गया।

  • 14 से 24 जुलाई 2025 तक आयोजित इस उत्सव में भारत के राष्ट्रपति की गरिमामयी उपस्थिति रही। यह उत्सव भारत की जीवंत कला परंपराओं का उत्सव था, जिसमें लोक, जनजातीय और परंपरागत कलाकारों को अपने कला-कार्य प्रदर्शित करने का मंच प्रदान किया गया।

मुख्य बिंदु

  • सोहराय चित्रकला के बारे में:
    • सोहराय चित्रकला झारखंड के हज़ारीबाग क्षेत्र के विभिन्न आदिवासी समुदायों की महिलाओं द्वारा की जाने वाली एक पारंपरिक स्वदेशी कला है, जिसमें कुर्मी, संथाल, मुंडा, उरांव, अगरिया और घटवाल समूह शामिल हैं। 
  • विशेषताएँ:
    • यह चित्रकला फसल कटाई और त्योहारों के अवसरों पर बनाई जाती है। महिलाएँ प्राकृतिक मिट्टी के रंगों एवं बाँस की कूचियों का प्रयोग कर मिट्टी की दीवारों पर पशुओं, वनस्पतियों तथा ज्यामितीय आकृतियों का सजीव चित्रण करती हैं।
    • सोह’ या ‘सोरों’ का अर्थ होता है दूर करना, जबकि ‘राय’ का अर्थ होता है लाठी। यह नाम सांस्कृतिक अनुष्ठानों के प्रमुख प्रतीकों को दर्शाता है।
  • मान्यता:


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