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मध्य प्रदेश स्टेट पी.सी.एस.

  • 18 Jul 2025
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इंदौर स्वच्छ रैंकिंग में शीर्ष पर

चर्चा में क्यों?

मध्य प्रदेश ने स्वच्छ सर्वेक्षण 2024-25 में उत्कृष्ट प्रदर्शन किया है, इंदौर को लगातार आठवें वर्ष भारत का सबसे स्वच्छ शहर घोषित किया गया है। 

मुख्य बिंदु

मध्य प्रदेश के शीर्ष प्रदर्शनकर्त्ता:

  • इंदौर:
    • उत्कृष्ट प्रदर्शन के चलते इसे ‘सुपर स्वच्छ लीग शहरों’ की श्रेणी में अपग्रेड किया गया है।
    • यह इस नई विशिष्ट श्रेणी में शीर्ष स्थान पर रहा, जिसे अगले वर्ष से अलग से रैंक किया जाएगा।।
  • भोपाल: 
    • 10 लाख से अधिक आबादी वाले शहरों में देश का दूसरा सबसे स्वच्छ शहर घोषित किया गया।
    • पिछले वर्षों की तुलना में प्रदर्शन में सुधार करते हुए यह अब केवल अहमदाबाद से पीछे है।
  • जबलपुर: 
    • पहली बार राष्ट्रीय स्तर पर पाँचवाँ स्थान प्राप्त किया।
    • इसे सात-सितारा रेटिंग प्राप्त हुई तथा जल अधिशेष शहर के रूप में मान्यता मिली
  • उज्जैन:
    • मध्यम आकार के शहरों की श्रेणी में मान्यता प्राप्त की और 3–10 लाख आबादी वाले समूह में 'सुपर स्वच्छ लीग शहरों' की श्रेणी में शामिल हुआ
  • कटनी:
    • स्वच्छ सर्वेक्षण 2024–25 में देशभर में आठवाँ स्थान प्राप्त किया।
  • शहरी स्वच्छता में राज्यव्यापी कवरेज:
  • पुरस्कार और मान्यता:
    • मध्य प्रदेश ने वर्ष 2025 में आठ राष्ट्रीय पुरस्कार प्राप्त किये, जबकि 2023–24 में यह संख्या छह थी।
    • शाहगंज, नगरी और नयागाँव जैसे शहरों ने भी उच्च रैंकिंग प्राप्त की, जो राज्यव्यापी प्रभाव को दर्शाता है।
  • सुपर स्वच्छ लीग शहर:
    • शीर्ष स्तर के प्रदर्शनकर्त्ताओं को अलग से रैंक करने के लिये एक नई श्रेणी शुरू की गई।

स्वच्छ सर्वेक्षण

  • लॉन्च: इसे वर्ष 2016 में 73 शहरों के साथ लॉन्च किया गया था और इसके बाद इसमें तीव्र वृद्धि हुई है; वर्ष 2024-25 संस्करण में 4,589 शहरों को शामिल किया गया है।
  • उद्देश्य: नागरिक भागीदारी को बढ़ावा देना और स्वच्छता के प्रति जागरूकता बढ़ाना ।
  • यह शहरी स्वच्छता, ठोस अपशिष्ट प्रबंधन तथा सार्वजनिक स्वच्छता में सुधार के लिये शहरों को प्रतिस्पर्द्धा हेतु प्रोत्साहित करता है।
  • संचालन प्राधिकरण: इसे आवास और शहरी कार्य मंत्रालय (MoHUA) द्वारा स्वच्छ भारत मिशन (शहरी) के अंतर्गत कार्यान्वित किया जाता है।


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भोपाल की झीलों का जल पीने योग्य नहीं

चर्चा में क्यों?

मध्य प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (MPPCB) ने बताया है कि झीलों की नगरी के रूप में प्रसिद्ध भोपाल की कई झीलों का जल प्रदूषित हो चुका है।

मुख्य बिंदु

  • MPPCB द्वारा जल गुणवत्ता मूल्यांकन:
    • मध्य प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (MPPCB) ने भोपाल की प्रमुख झीलों की जल गुणवत्ता का विश्लेषण जनवरी से अप्रैल तक चार माह की अवधि में किया।
    • झीलों को प्रदूषण स्तर और संभावित उपयोग के आधार पर A से C श्रेणी में वर्गीकृत किया गया
      • श्रेणी A: केवल कीटाणुशोधन के बाद पीने योग्य जल
      • श्रेणी B: बाहरी स्नान के लिये उपयुक्त।
      • श्रेणी C: केवल परंपरागत उपचार और कीटाणुशोधन के बाद पीने योग्य।
    • भोपाल में प्रमुख झीलों की स्थिति:
    • अपर लेक:
      • यह भोपाल के लिये पेयजल का एक प्रमुख स्रोत है, इसे लगातार B श्रेणी में पाया गया है।
      • श्रेणी B यह दर्शाती है कि पानी केवल बाहरी स्नान के लिये उपयुक्त है, प्रत्यक्ष उपभोग के लिये नहीं।
    • लोअर लेक:
      • यह झील अपर लेक की तुलना में अधिक प्रदूषित पाई गई। पूरे मूल्यांकन काल में यह लगातार श्रेणी C में रही।
      • इसका जल पीने से पहले पूर्ण उपचार एवं कीटाणुशोधन की आवश्यकता है।
    • शाहपुरा झील: 
      • शाहपुरा झील जनवरी से अप्रैल तक की मूल्यांकन अवधि में श्रेणी C में रही।
      • प्रदूषण के लगातार बढ़ते स्तर के कारण झील का पानी सीधे उपयोग के लिये अनुपयुक्त हो गया है तथा इसे पीने से पहले पूर्ण उपचार की आवश्यकता है।
    • हथाईखेड़ा बाँध: 
      • हथाईखेड़ा बाँध की जल गुणवत्ता भी सभी चार महीनों के दौरान श्रेणी C के अंतर्गत वर्गीकृत की गई।
      • यहाँ का पानी उचित उपचार के बिना पीने योग्य नहीं है।
      • इसबाँध का निर्माण कोलार नदी पर किया गया है।
    • कलियासोत बाँध: 
      • यह भोपाल में कलियासोत नदी पर बना है। इसे मार्च और अप्रैल के महीनों के लिये श्रेणी 'A' तथा जनवरी और फरवरी के लिये श्रेणी 'B' का दर्जा दिया गया है।
      • मूल्यांकन अवधि के दौरान न्यूनतम उपचार के साथ पानी पीने योग्य था।
    • केरवा बाँध:
      • इसमें भी कलियासोत बाँध के समान प्रवृत्ति देखी गई।
      • इसे मार्च और अप्रैल में श्रेणी A तथा जनवरी और फरवरी में श्रेणी B में रखा गया।
      • यह बाँध भोपाल के पास केरवा नदी पर स्थित है।
    • प्रमुख प्रदूषण संकेतक:
      •  कोलीफॉर्म बैक्टीरिया की उपस्थिति: कई झीलों में इसकी मात्रा निर्धारित सीमा से अधिक पाई गई। यह मानव मल प्रदूषण का संकेत देता है।
      • सीवेज प्रवाह: झीलों में अशोधित सीवेज का प्रवाह जल प्रदूषण का मुख्य कारण है।

मध्य प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (MPPCB)

  • यह राज्य में प्रदूषण की रोकथाम और पर्यावरण संरक्षण के लिये उत्तरदायी निकाय है।
  • यह विभिन्न प्रमुख पर्यावरणीय कानूनों को लागू करता है, जिनमें शामिल हैं:
  • बोर्ड का मुख्य उद्देश्य विभिन्न प्रयोजनों के लिये स्वच्छ और उपयोगी वायु, जल तथा मिट्टी को बनाए रखना है।
  • इस उद्देश्य की पूर्ति हेतु बोर्ड राज्य में 14 क्षेत्रीय कार्यालय तथा 3 ज़िला कार्यालय संचालित करता है।


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