मध्य प्रदेश Switch to English
एसएमएएम की कस्टम हायरिंग योजना
चर्चा में क्यों?
कृषि मशीनीकरण पर उप-मिशन (SMAM) की कस्टम हायरिंग योजना मध्य प्रदेश के ग्रामीण क्षेत्रों में किसानों को अत्याधुनिक कृषि यंत्र उपलब्ध करा रही है, जिससे उनकी उत्पादकता और आय दोनों में वृद्धि हो रही है।
मुख्य बिंदु:
- कस्टम हायरिंग योजना के बारे में:
- यह योजना छोटे और सीमांत किसानों को आधुनिक कृषि यंत्रों के माध्यम से आर्थिक रूप से सशक्त बनाने और स्वरोज़गार के अवसर प्रदान करने के उद्देश्य से शुरू की गई है।
- यह केंद्रीय कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय के तहत चल रही एक महत्त्वपूर्ण पहल है।
- इसके अंतर्गत कस्टम हायरिंग केंद्र (Custom Hiring Centers - CHCs) की स्थापना की जाती है।
- ये ऐसे केंद्र होते हैं जहाँ से किसान कृषि उपकरण जैसे ट्रैक्टर, हैरो, रोटावेटर, सीड ड्रिल, रीपर, थ्रेशर, ड्रायर, स्प्रेयर आदि को किराए पर ले सकते हैं।
- CHC किसानों, किसान उत्पादक संगठनों (FPO), सहकारी समितियों, ग्राम पंचायतों अथवा निजी उद्यमियों द्वारा संचालित किये जा सकते हैं।
- योजना के तहत सरकार द्वारा अधिकतम 40 प्रतिशत तक की सब्सिडी और तीन प्रतिशत तक की ब्याज छूट (Interest Subvention) दी जाती है।
- लाभार्थी पात्रता:
- योजना के अंतर्गत 18 से 40 वर्ष आयु के 12वीं पास बेरोज़गार किसान आवेदन कर सकते हैं।
- लॉटरी प्रणाली के माध्यम से चयन किया जाता है, और चयनित लाभार्थियों को प्रशिक्षण और फिर यंत्र खरीदने की अनुमति दी जाती है।
- महत्त्व:
- यह योजना यांत्रिकीकरण की पहुँच को विकेंद्रीकृत करती है।
- इससे फसल कटाई की समयबद्धता, श्रम की कमी की समस्या का समाधान और कृषि कार्यों की दक्षता में सुधार आता है।
- युवाओं को कृषि सेवा व्यवसाय में भागीदारी का अवसर मिलता है, जिससे गाँवों में रोज़गार के अवसर भी बढ़ते हैं।
मशीनीकरण पर उप-मिशन (SMAM) योजना
- इसे कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय ने वर्ष 2014 में लॉन्च किया था।
- इसके तहत NER (पूर्वोत्तर क्षेत्र) राज्यों के अलावा अन्य राज्यों हेतु 40-50% की सीमा तक विभिन्न प्रकार के कृषि उपकरण और मशीनरी की खरीद हेतु सब्सिडी प्रदान की जाती है और NER राज्यों के लिये यह प्रति लाभार्थी 1.25 लाख रुपए तक 100% सीमित है।
- कृषि मंत्रालय ने एक बहुभाषी मोबाइल एप, 'सीएचसी (कस्टम हायरिंग सेंटर)- फार्म मशीनरी' भी विकसित किया है जो किसानों को उनके क्षेत्र में स्थित कस्टम हायरिंग सर्विस सेंटर से जोड़ता है।
- लक्ष्य:
- लघु और सीमांत किसानों तथा उन दुर्गम क्षेत्रों में जहाँ कृषि हेतु विद्युत की उपलब्धता कम है, कृषि मशीनीकरण की पहुँच बढ़ाना।
- उद्देश्य:
- लघु और खंडित भूमि जोत तथा व्यक्तिगत स्वामित्व की उच्च लागत के कारण उत्पन्न होने वाली प्रतिकूल अर्थव्यवस्थाओं को दूर करने के लिये 'कस्टम हायरिंग सेंटर' और 'हाई-वैल्यू मशीनों के हाई-टेक हब' को बढ़ावा देना।
- प्रदर्शन और क्षमता निर्माण गतिविधियों के माध्यम से हितधारकों के बीच जागरूकता पैदा करना।
- पूरे देश में स्थित नामित परीक्षण केंद्रों पर कृषि मशीनों का प्रदर्शन, परीक्षण और प्रमाणन सुनिश्चित करना।
किसान उत्पादक संगठन
- परिचय: FPO एक प्रकार का उत्पादक संगठन (PO) है जिसके सदस्य किसान होते हैं और इसका संवर्द्धन लघु कृषक कृषि व्यापार संघ (SFAC) द्वारा समर्थित होता है।
- FPO वर्ष 2008 में अस्तित्व में आए, जो कि कंपनी अधिनियम, 1956 में अर्थशास्त्री वाई.के. अलघ द्वारा किये गए संशोधन की अनुशंसा (2002) से प्रेरित थे।
- FPO को कंपनी अधिनियम, 2013, सोसायटी रजिस्ट्रीकरण अधिनियम, 1860, अथवा भारतीय न्यास अधिनियम, 1882 के तहत लोक न्यास के रूप में पंजीकृत किया जा सकता है।
- उत्पादक संगठन, उत्पादकों जैसे कृषक, अकृषक वर्ग अथवा शिल्पकारों द्वारा गठित समूह है, जो सदस्यों में लाभ साझा करते हुए उत्पादक कंपनियों अथवा सहकारी समितियों जैसे विधिक रूप ले सकता है।
- उद्देश्य एवं आवश्यकता: भारत के कृषि क्षेत्र में लघु और सीमांत किसानों का प्रभुत्व है (87% के पास 2 हेक्टेयर से कम भूमि है), जो ऋतुनिष्ठ और बाज़ार जोखिमों का सामना करते हैं, तथा उचित मूल्य प्राप्त करने के लिये संघर्ष करते हैं।
- FPO लघु किसानों को थोक इनपुट खरीद की सुविधा, बेहतर सौदाकारी की शक्ति, तथा अल्प लागत पर बेहतर मूल्य प्राप्ति सुनिश्चित करके सहायता करते हैं।
- ये आय को दोगुना करने और वैश्विक बाज़ारों में प्रवेश करने के लक्ष्य में सहायता प्रदान करते हुए किसानों की बाज़ार पहुँच में भी सुधार करते हैं।
- FPO लघु किसानों को थोक इनपुट खरीद की सुविधा, बेहतर सौदाकारी की शक्ति, तथा अल्प लागत पर बेहतर मूल्य प्राप्ति सुनिश्चित करके सहायता करते हैं।