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स्टेट पी.सी.एस.

  • 10 Apr 2024
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हरियाणा Switch to English

हरियाणा के राज्यपाल ने श्रीनगर विचार नाग मंदिर का दौरा किया

चर्चा में क्यों?

हाल ही में हरियाणा के राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय ने श्रीनगर में प्राचीन वाचर (विचार) नाग शिव मंदिर का दौरा किया और कश्मीरी नव वर्ष नवरेह के अवसर पर एक विशेष पूजा में कश्मीरी पंडितों के साथ शामिल हुए।

मुख्य बिंदु:

  • यात्रा के दौरान, उन्होंने 'सप्तर्षि प्रणाली' के 5,100 वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य में एक विशेष कैलेंडर जारी किया।
  • वाचर (विचार) नाग मंदिर को 1990 के दशक में बंद कर दिया गया था जब बढ़ते उग्रवाद के मद्देनज़र पंडितों ने घाटी छोड़ दी थी।

नवरेह

  • यह कश्मीरी हिंदू कैलेंडर के अनुसार चैत्र महीने (मार्च-अप्रैल) के शुक्ल पक्ष के पहले दिन मनाया जाता है।
  • यह संस्कृत शब्द 'नव-वर्ष' है जिससे 'नवरेह' शब्द बना है।
  • कश्मीरी पंडित नवरेह त्योहार को अपनी देवी शारिका को समर्पित करते हैं और त्योहार के दौरान उन्हें श्रद्धांजलि देते हैं।


मध्य प्रदेश Switch to English

शक्ति - संगीत और नृत्य का उत्सव

चर्चा में क्यों?

देश में मंदिर परंपराओं को पुनर्जीवित करने के लिये संगीत नाटक अकादमी, कला प्रवाह की शृंखला के तहत, 9 अप्रैल 2024 से पवित्र नवरात्रि के दौरान 'शक्ति संगीत और नृत्य का उत्सव' शीर्षक के तहत उत्सव का आयोजन कर रही है

मुख्य बिंदु:

शक्ति उत्सव का उद्घाटन कामाख्या मंदिर, गुवाहाटी से शुरू होगा और यह महालक्ष्मी मंदिर, कोल्हापुर, महाराष्ट्र, ज्वालमुखी मंदिर, कंगड़ा, हिमाचल प्रदेश, त्रिपुरा सुंदरी, उदयपुर, त्रिपुरा, अंबाजी मंदिर, बनासकांठा, गुजरात, जय दुर्गा शक्तिपीठ, देवघर, झारखंड में जारी रहेगा तथा 17 अप्रैल, 2024 को शक्तिपीठ माँ हरसिधि मंदिर, उज्जैन, मध्य प्रदेश में इसका समापन होगा

संगीत नाटक अकादमी

  • संगीत नाटक अकादमी संगीत, नृत्य और नाटक के लिये भारत की राष्ट्रीय अकादमी है।
  • वर्ष 1952 में (तत्कालीन) शिक्षा मंत्रालय, भारत सरकार के एक प्रस्ताव द्वारा डॉ. पी.वी. राजमन्नार को इसके पहले अध्यक्ष के रूप में नियुक्त किया।
  • यह वर्तमान में संस्कृति मंत्रालय, भारत सरकार का एक स्वायत्त निकाय है और इसकी योजनाओं तथा कार्यक्रमों के कार्यान्वयन के लिये सरकार द्वारा पूरी तरह से वित्तपोषित है।
  • यह संगीत, नृत्य, नाटक, लोक और आदिवासी कला रूपों तथा देश के अन्य संबद्ध कला रूपों के रूप में व्यक्त देश के प्रदर्शन कला रूपों के संरक्षण, अनुसंधान, प्रचार एवं कायाकल्प की दिशा में कार्य कर रहा है


मध्य प्रदेश Switch to English

उज्जैन व्यापार मेले का प्रथम संस्करण

चर्चा में क्यों?

हाल ही में उज्जैन व्यापार मेले का पहला संस्करण संपन्न हुआ, जिसमें एक महीने में 23,700 से अधिक वाहन बेचे गए, जिससे 1,200 करोड़ रुपए से अधिक का कारोबार हुआ।

मुख्य बिंदु:

  • उज्जैन क्षेत्रीय परिवहन कार्यालय (RTO) के अनुसार, 40 दिनों तक चले उज्जैन व्यापार मेले में बेचे गए वाहनों पर कर छूट और राजस्व 125 करोड़ रुपए से अधिक रहा।
    • यह फरवरी 2024 में संपन्न ग्वालियर मेले में दी गई कर छूट से 20% अधिक है।
  • राज्य सरकार ने उज्जैन विक्रम व्यापार मेले में गैर-परिवहन वाहनों और हल्के परिवहन वाहनों की बिक्री पर आजीवन मोटर वाहन कर की दर में 50% की छूट की पेशकश की थी।
    •  गैर-परिवहन हल्के मोटर वाहन कार की तरह निजी उपयोग के लिये होते हैं, जबकि हल्के परिवहन मोटर वाहनों का उपयोग यात्रियों और सामान ले जाने के लिये किया जाता है।


मध्य प्रदेश Switch to English

गुड़ी पड़वा

चर्चा में क्यों?

हाल ही में लोगों ने हिंदू नववर्ष की शुरुआत के प्रतीक गुड़ी पड़वा के शुभ अवसर को खुशी और धार्मिक उत्साह के साथ मनाया।

मुख्य बिंदु:

  • नौ दिवसीय चैत्र शुक्ल प्रतिपदा को भी श्रद्धालु निकले:
  • यह विक्रम संवत के नववर्ष की शुरुआत का प्रतीक है जिसे वैदिक [हिंदू] कैलेंडर के रूप में भी जाना जाता है।
  • विक्रम संवत् उस दिन पर आधारित है जब सम्राट विक्रमादित्य ने शकों को हराया, उज्जैन पर आक्रमण किया और एक नए युग का आह्वान किया।
  • उनकी देखरेख में, खगोलविदों ने चंद्र-सौर प्रणाली पर आधारित एक नया कैलेंडर बनाया जिसका पालन आज भी भारत के उत्तरी क्षेत्रों में किया जाता है।
  • यह चैत्र (हिंदू कैलेंडर का पहला महीना) में चंद्रमा के बढ़ते चरण (जिसमें चंद्रमा का दृश्य भाग हर रात बड़ा होता जा रहा है) के दौरान पहला दिन है।
  • यह चैत्र (हिंदू कैलेंडर का प्रथम महीना) में चंद्रमा के बढ़ते चरण/शुक्ल पक्ष (जिसमें चंद्रमा का दृश्य भाग हर रात बड़ा होता जा रहा है) के दौरान प्रथम दिन है।

गुड़ी पड़वा और उगादि

  • तेलंगाना, आंध्र प्रदेश और कर्नाटक के लोग नववर्ष को उगादी के रूप में मनाते हैं जबकि महाराष्ट्र तथा गोवा इस दिन का जश्न गुड़ी पड़वा के साथ मनाते हैं।
  • दोनों त्योहारों/समारोहों में आम प्रथा है कि उत्सव में भोजन मीठे और कड़वे मिश्रण से तैयार किया जाता है।
  • दक्षिण में बेवु-बेला नामक गुड़ (मीठा) और नीम (कड़वा) परोसा जाता है, जो यह दर्शाता है कि जीवन सुख तथा दुख का मिश्रण है।
  • गुड़ी महाराष्ट्र के घरों में तैयार की जाने वाली एक गुड़िया है।
    • गुड़ी बनाने के लिये बाँस की छड़ी को हरे या लाल ब्रोकेड से सजाया जाता है। इस गुड़ी को प्रमुख रूप से घर में या खिड़की/दरवाज़े के बाहर सभी को दिखाने के लिये से रखा जाता है।
  • उगादि के लिये घरों में दरवाज़े आम के पत्तों से सजाए जाते हैं, जिन्हें कन्नड़ में तोरणालु या तोरण कहा जाता है।


बिहार Switch to English

वंचित बच्चों की शिक्षा हेतु धनराशि वितरण

चर्चा में क्यों?

हाल ही में राज्य सरकार ने निःशुल्क और अनिवार्य शिक्षा का अधिकार अधिनियम या शिक्षा का अधिकार अधिनियम, 2009 के तहत, निजी स्कूलों में पढ़ने वाले 3.25 लाख से अधिक वंचित बच्चों की शिक्षा खर्च के लिये 250 करोड़ रुपए से अधिक की धनराशि वितरित की है।

मुख्य बिंदु:

  • RTE के तहत निजी स्कूलों में नामांकित वंचित और कमज़ोर वर्ग के प्रत्येक बच्चे को 450 रुपए का मासिक बजट आवंटन मिलेगा।
  • इस पहल का उद्देश्य इन बच्चों की शैक्षिक आवश्यकताओं की पूर्ति करना और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा तक उनकी पहुँच सुनिश्चित करना है।
  • RTE अधिनियम के अनुपालन में, 35,666 छात्रों की आकांक्षाएँ पूरी हो गई हैं, जिनमें से सबसे अधिक संख्या लखनऊ ज़िले से है, क्योंकि वे निजी स्कूलों में अपनी पढ़ाई कर रहे हैं।
  • शिक्षण शुल्क को कवर करने के अलावा, सरकार पुस्तकों, नोटबुक और पोशाक जैसी शैक्षिक सामग्री के लिये प्रति बच्चे को सालाना 5,000 रुपए भी प्रदान करती है।

उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा शैक्षिक पहल

  • अटल आवासीय विद्यालय योजना: अनौपचारिक क्षेत्र में कार्यरत निर्माण श्रमिकों के बच्चों को निःशुल्क शिक्षा प्रदान करने के लिये यह पहल शुरू की गई। इस योजना के तहत, पंजीकृत श्रमिकों के 6 से 16 वर्ष की आयु के बीच के दो बच्चों को समर्पित स्कूलों में निःशुल्क आवासीय शिक्षा प्राप्त होती है
  • महादेवी वर्मा श्रमिक पुस्तक क्रय धन योजना (MVSPKDPY): वर्ष 2022 में शुरू की गई, निर्माण श्रमिकों की बेटियों को सशक्त बनाने के उद्देश्य से एक सराहनीय पहल है
  • SC/ST प्री मैट्रिक छात्रवृत्ति: यह छात्रवृत्ति कार्यक्रम हाशिये पर रहने वाले समुदायों के छात्रों को सशक्त बनाने में शिक्षा के महत्त्व पर आधारित है और इसका उद्देश्य वित्तीय अंतर को समाप्त करना है जो अन्यथा उनकी शैक्षणिक प्रगति में बाधा बन सकता है

उत्तर प्रदेश Switch to English

इलाहाबाद उच्च न्यायालय मथुरा मस्जिद हटाने की याचिका पर सुनवाई करेगा

चर्चा में क्यों?

इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने मथुरा में कृष्ण जन्मस्थान मंदिर के बगल में स्थित शाही ईदगाह मस्जिद को हटाने के संबंध में एक याचिका पर सुनवाई के लिये तारीख तय की है।

मुख्य बिंदु:

  • कटरा केशव देव खेवट में भगवान श्रीकृष्ण विराजमान और अन्य 17 द्वारा दायर मुकदमों में दावा किया गया है कि मस्जिद कटरा केशव देव मंदिर की 13.37 एकड़ भूमि पर बनाई गई थी।
  • विवादित भूमि का इतिहास:
    • ओरछा के राजा वीर सिंह बुंदेला ने भी वर्ष 1618 में उसी परिसर में एक मंदिर बनवाया था और वर्ष 1670 में औरंगज़ेब ने पूर्वकाल के मंदिर की जगह पर मस्जिद बनवाया था।
    • माना जाता है कि मथुरा में कृष्ण जन्मस्थान मंदिर का निर्माण लगभग 2,000 वर्ष पूर्व, पहली शताब्दी ईस्वी में हुआ था।
    • उस परिसर के पूर्ण स्वामित्व के लिये हिंदू प्रतिनिधियों की मांग के कारण एक सर्वेक्षण का आदेश दिया गया है जहाँ वर्ष 1670 में मुगल सम्राट औरंगज़ेब के आदेश पर केशव देव मंदिर को नष्ट कर दिया गया था।
      • इस क्षेत्र को नज़ूल भूमि माना जाता था- गैर-कृषि राज्य भूमि जिसका स्वामित्व पहले मराठों और फिर अंग्रेज़ों के पास था।
    • यह मंदिर मूल रूप से वर्ष 1618 में जहाँगीर के शासनकाल के दौरान बनाया गया था और इसका संरक्षण औरंगज़ेब के भाई तथा प्रतिद्वंद्वी दारा शिकोह ने किया था।
    • वर्ष 1815 में, बनारस के राजा ने ईस्ट इंडिया कंपनी से 13.77 एकड़ ज़मीन खरीदी।
    • बाद में श्री कृष्ण जन्मभूमि ट्रस्ट की स्थापना की गई।
      • ट्रस्ट ने वर्ष 1951 में मंदिर पर मालिकाना हक हासिल कर लिया।
      • 13.77 एकड़ ज़मीन इस शर्त के साथ ट्रस्ट के अधीन रखी गई थी कि इसे कभी बेचा या गिरवी नहीं रखा जाएगा।
      • वर्ष 1956 में, मंदिर के मामलों के प्रबंधन के लिये श्री कृष्ण जन्मस्थान सेवा संघ की स्थापना की गई थी।
      • वर्ष 1968 में, श्री कृष्ण जन्मस्थान सेवा संघ और शाही ईदगाह मस्जिद ट्रस्ट के बीच एक समझौते पर हस्ताक्षर किये गए, जहाँ मंदिर प्राधिकरण ने समझौते के हिस्से के रूप में ज़मीन का एक हिस्सा ईदगाह को दे दिया।
    • मौजूदा विवाद में मंदिर के याचिकाकर्त्ता शामिल हैं जो ज़मीन के पूरे हिस्से पर कब्ज़ा चाहते हैं।

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