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जय प्रकाश नारायण की पुण्यतिथि
चर्चा में क्यों?
8 अक्तूबर 2025 को भारत के उपराष्ट्रपति सी. पी. राधाकृष्णन ने जयप्रकाश नारायण की पुण्यतिथि के अवसर पर संविधान सदन में उन्हें पुष्पांजलि अर्पित की।
मुख्य बिंदु
जयप्रकाश नारायण के बारे में
- जन्म:
- जयप्रकाश नारायण का जन्म 11 अक्तूबर 1902 को बिहार के सिताबदियारा में फूल रानी देवी और हर्षु दयाल के घर में हुआ था।
- वर्ष 1920 में उनकी शादी वकील एवं कांग्रेस नेता ब्रज किशोर प्रसाद की बेटी प्रभावती से हुई।
- शिक्षा:
- उन्होंने पटना कॉलेजिएट स्कूल में पढ़ाई की और बाद में पटना कॉलेज में प्रवेश किया, लेकिन ब्रिटिश फंडिंग के कारण उन्होंने पढ़ाई छोड़ दी। इसके बाद वे बिहार विद्यापीठ, एक असहयोग संस्था में दाखिला लिया।
- वर्ष 1922 से 1929 तक उन्होंने अमेरिका के विभिन्न विश्वविद्यालयों में उच्च शिक्षा प्राप्त की, समाजशास्त्र पर ध्यान केंद्रित किया और मार्क्सवादी-लेनिनवादी विचारों, विशेष रूप से एम.एन. रॉय के विचारों से प्रभावित हुए।
- भारत वापसी:
- वर्ष 1929 में भारत लौटने पर, वे भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (INC) में शामिल हो गए और लाहौर अधिवेशन में भाग लिया, जहाँ पूर्ण स्वराज का प्रस्ताव पारित हुआ। अपने मार्क्सवादी विचारों के बावजूद, वे गांधीजी के नेतृत्व के प्रशंसक थे।
- सविनय अवज्ञा आंदोलन में भागीदारी:
- जयप्रकाश ने सविनय अवज्ञा आंदोलन में भाग लिया और एक भूमिगत कार्यालय का गठन किया। सितंबर 1932 में उन्हें गिरफ्तार कर नासिक सेंट्रल जेल भेज दिया गया, जहाँ उनकी मुलाकात भविष्य के प्रमुख नेताओं से हुई तथा उन्होंने अपने समाजवादी आदर्शों को और सुदृढ़ किया।
- कांग्रेस सोशलिस्ट पार्टी (CSP) का गठन:
- नासिक जेल में जयप्रकाश और अन्य नेताओं ने स्वतंत्रता आंदोलन में समाजवादी आदर्शों को शामिल करने के लिये कांग्रेस सोशलिस्ट पार्टी (CSP) का गठन किया, जिसमें चुनावी भागीदारी और जन संघर्ष की वकालत की गई।
- भारत छोड़ो आंदोलन और गिरफ्तारियाँ:
- वर्ष 1942 में भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान, जयप्रकाश ने हज़ारीबाग सेंट्रल जेल से भाग कर ब्रिटिश शासन के खिलाफ नेपाल में “आज़ाद दस्ता” का गठन किया
- वर्ष 1943 में उन्हें फिर से गिरफ्तार किया गया और कठोर व्यवहार सहना पड़ा। व्यापक जन दबाव के कारण वर्ष 1946 में उन्हें रिहा किया गया, जिससे उन्हें “भारतीयों का हृदय” की उपाधि मिली।
- स्वतंत्रता के बाद योगदान:
- भारत को स्वतंत्रता मिलने के बाद, जयप्रकाश विनोबा भावे के नेतृत्व वाले सर्वोदय आंदोलन में शामिल हो गए। उन्होंने भूदान आंदोलन के लिये अपनी भूमि दान कर दी और ग्रामीण भारत में सामाजिक सुधारों के लिये सक्रिय रूप से कार्य किया।
- संपूर्ण क्रांति और राजनीतिक विरासत:
- 1970 के दशक में, उन्होंने भ्रष्टाचार और लोकतांत्रिक पतन को दूर करने के लिये "संपूर्ण क्रांति" का आह्वान किया।
- उनके प्रयासों से वर्ष 1977 में जनता पार्टी का गठन हुआ, जिसने इंदिरा गांधी को सत्ता से हटाया।
- उनका निधन 8 अक्तूबर,1979 को हुआ था, लेकिन उन्होंने भारत के राजनीतिक परिदृश्य पर स्थायी प्रभाव छोड़ा।
राष्ट्रीय करेंट अफेयर्स Switch to English
विश्व पर्यावास दिवस
चर्चा में क्यों?
आवास और शहरी मामलों के मंत्रालय (MoHUA) ने विज्ञान भवन, नई दिल्ली में “संकट के लिये शहरी समाधान” विषय के साथ विश्व पर्यावास दिवस 2025 मनाया।
- इस कार्यक्रम में जलवायु परिवर्तन, प्रवासन और तीव्र शहरीकरण जैसी चुनौतियों से निपटने हेतु शहरों को अधिक लचीला, समावेशी और सतत् बनाने के महत्त्व पर प्रकाश डाला गया।
मुख्य बिंदु
- पृष्ठभूमि:
- वर्ष 1985 में, संयुक्त राष्ट्र ने अक्तूबर के पहले सोमवार को विश्व पर्यावास दिवस के रूप में घोषित किया।
- यह दिवस पहली बार वर्ष 1986 में "आश्रय मेरा अधिकार है" थीम के साथ मनाया गया था और नैरोबी इसका मेज़बान शहर था।
- उद्देश्य:
- यह दिवस आवास की स्थिति पर विचार करने तथा सभी व्यक्तियों के लिये पर्याप्त आश्रय तक पहुँच के मौलिक अधिकार पर ज़ोर देने के लिये मनाया जाता है।
- विषय 2025:
- 6 अक्तूबर को मनाए जाने वाले विश्व पर्यावास दिवस 2025 का विषय “शहरी संकट प्रतिक्रिया” था।
- यह जलवायु परिवर्तन और संघर्षों जैसी चुनौतियों से उत्पन्न शहरी असमानता को संबोधित करने तथा प्रभावी संकट प्रतिक्रिया उपकरणों और दृष्टिकोणों को बढ़ावा देने पर केंद्रित है।
स्क्रॉल ऑफ ऑनर पुरस्कार
- संयुक्त राष्ट्र मानव पर्यावास कार्यक्रम (UN-Habitat) द्वारा वर्ष 1989 में शुरू किया गया स्क्रॉल ऑफ ऑनर अवार्ड मानव बस्तियों के क्षेत्र में विश्व का सबसे प्रतिष्ठित पुरस्कार है।
- यह पुरस्कार निम्नलिखित क्षेत्रों में असाधारण योगदान को मान्यता देता है:
- आश्रय प्रावधान: पर्याप्त और सुलभ आवास।
- निराश्रित लोगों की दुर्दशा पर प्रकाश डालना।
- संघर्षोत्तर पुनर्निर्माण में नेतृत्व।
- शहरी जीवन की गुणवत्ता और मानव बस्तियों में सुधार करना।
राष्ट्रीय करेंट अफेयर्स Switch to English
93वाँ वायु सेना दिवस
चर्चा में क्यों?
एयर चीफ मार्शल अमर प्रीत सिंह ने 93वें वायुसेना दिवस पर राष्ट्र को शुभकामनाएँ दीं और उन साहसी वायु सैनिकों को सम्मानित किया, जिन्होंने त्याग, समर्पण और कौशल के साथ देश की रक्षा की।
मुख्य बिंदु
- परिचय:
- यह दिवस 8 अक्तूबर 1932 को भारतीय वायु सेना (IAF) की स्थापना के सम्मान में प्रतिवर्ष 8 अक्तूबर को मनाया जाता है।
- भारतीय वायुसेना की पहली परिचालन उड़ान 1 अप्रैल 1933 को हुई, जिसने दशकों से भारत की रक्षा को आकार देने वाली वायु शक्ति की नींव रखी।
- सीमित कार्मिक और विमानों वाली छोटी सेना से भारतीय वायुसेना अब विश्व की चौथी सबसे बड़ी वायु सेना बन गई है, जो विभिन्न सैन्य और मानवीय मिशनों में सक्रिय है।
- आदर्श वाक्य:
- भारतीय वायुसेना का आदर्श वाक्य ' नभः स्पर्शं दीप्तम्' है, जो भगवद्गीता के ग्यारहवें अध्याय से लिया गया है।
- विषय:
- इस वर्ष का विषय “ऑपरेशन सिंदूर में बल का योगदान” है।
- समारोह:
- इस वर्ष के समारोह में राफेल, Su-30MKI, C-17 ग्लोबमास्टर, अपाचे गार्जियन और अन्य विमानों के साथ भव्य फ्लाईपास्ट, साथ ही परेड, एयर शो और भारतीय वायुसेना की तकनीकी प्रगति और परिचालन तत्परता को प्रदर्शित करने वाली प्रदर्शनियाँ शामिल थीं, साथ ही प्रतिष्ठित मिग-21 को विदाई दी गई।
- यह परेड उत्तर प्रदेश के हिंडन एयर बेस पर आयोजित की गई।
- हेरिटेज फ्लाइट के भाग के रूप में, पुनर्स्थापित हिंदुस्तान ट्रेनर-2 (HT-2) विमान, जो कि पहला स्वदेशी निर्मित भारतीय वायुसेना का विमान है, को भी पहली बार प्रदर्शित किया गया।
- पारंपरिक फ्लाईपास्ट और हवाई प्रदर्शन 9 नवंबर को गुवाहाटी में आयोजित किया जाएगा, जो इस वर्ष के वायु सेना दिवस समारोह का समापन होगा।