झारखंड Switch to English
पलामू टाइगर रिज़र्व
चर्चा में क्यों?
प्राधिकारियों ने पलामू टाइगर रिज़र्व (PTR) के अंदर स्थित पहले गाँव जयगीर को सफलतापूर्वक उसके मुख्य क्षेत्र से पूरी तरह बाहर स्थानांतरित कर दिया है। यह स्थानांतरण वन्य आवास पर जैविक दबाव को कम करता है और जंगली जानवरों को जीवन यापन करने के लिये एक मानव-मुक्त क्षेत्र प्रदान करता है।
मुख्य बिंदु
- PTR में पहला पूर्णतः स्थानांतरित गाँव:
- जयगीर गाँव को रिज़र्व के मुख्य क्षेत्र के बाहर पोलपोल के निकट 75 एकड़ के स्थान पर स्थानांतरित कर दिया गया है, जहाँ बुनियादी ढाँचे और परिवहन सुविधा में सुधार किया गया है।
- जयगीर के मूल स्थल को शाकाहारी जानवरों को आकर्षित करने के लिये घास के मैदान के रूप में विकसित किया जाएगा, जिससे शिकार आधार को समृद्ध करके बाघ संरक्षण में सहायता मिल सकेगी।
- अधिकारियों ने भविष्य में स्थानांतरण के लिये मुख्य क्षेत्र के भीतर आठ और गाँवों की पहचान की है।
- मुआवज़ा रणनीति:
- चूँकि परिवारों के कई दावेदार थे, इसलिये प्राधिकारियों ने प्रत्येक परिवार के एक सदस्य को भूमि दी तथा अन्य को 15 लाख रुपए का मुआवज़ा दिया।
- जब तक स्थायी घर बनाए जा रहे हैं, तब तक वन विभाग ने अस्थायी आवास की व्यवस्था की है।
पलामू टाइगर रिज़र्व (PTR)
- पलामू टाइगर रिज़र्व की स्थापना वर्ष 1974 में प्रोजेक्ट टाइगर के तहत की गई थी।
- यह विश्व का पहला ऐसा अभयारण्य है, जहाँ पदचिह्न गणना के आधार पर बाघों की गणना की गई।
- 'बेतला राष्ट्रीय उद्यान' झारखंड के लातेहार ज़िले में 1130 वर्ग किमी. के कुल क्षेत्र में फैले पलामू टाइगर रिज़र्व के भीतर 226.32 वर्ग किमी. में स्थित है।

